Life की परछाई : Prelude ("Loose her before you loose everything for her.") | Bilingual story by AnAlone Krishna
॥ हमदर्द सा कोई ॥
● Life की परछाई ●
By AnAlone Krishna
(Theme based on; Explaining the concept of, "Whatever we choose in our life, we will always go with their circumstances. May we choose to live as we like to, may we choose to live adjusting with our families, or may we rebel with our families, we will struggle in our life. So, it is in our hand to decide that which type of life we choose to live- in which we will take our own decisions by self, or in which someone other will take the decisions of our life.")
Prelude | Chapter 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12
● Life की परछाई ●
Prelude : "Loose her before you loose everything for her."
Sunday का दिन था। अभिलाषा सुबह के सारे काम निपटा कर drawing room के sofe में बैठी। उसके आगे table पर बहुत सारे photo albums रखे हुए हैं। एक, दो, तीन, चार..., पता नहीं कितने सारे। सारे जैसे-तैसे पड़े हुए हैं। अभिलाषा अपना हाँथ आगे बढ़ाई और उन्हें उनके खींचे वक़्त के हिसाब से series करने लगी। उसे आभाष हुआ कि कोई उसके सामने खड़ा है। "गुड्डू...! क्या बात है ?", वह रॉनी को देखकर बोलती है। Rony उसे अपने साथ कहीं ले जाना चाह रहा होता है। पहले तो अभिलाषा मना करती है। पर फिर वह अपने बेटे के cute से तरीके से मनाने पर वह मान जाती है।
वो दोनों फिर से उसी mall के restaurant में बैठे हुए है। जो कि mall के 2nd floor पर है। जिसके बगल से पूरा mall ऊपर से नीचे तक खुला-खुला दिखता है। जहाँ ऊपर से छन रही तेज रोशनी बहुत ज्यादा तेज होती है। Rony अपनी माँ के साथ बैठे हुए थोड़ा nervous लग रहा है। उसके माथे से हल्का पसीना आ रहा है। उसकी आँखें बार-बार इधर-उधर देख रही है। उनके सामने एक waiter आया, "Sir-Ma'am, आपका order ?" Rony कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोला ही था कि अभिलाषा बोली, "अभी नहीं। We're waiting for someone special." और Rony को देखकर वह मुस्कुराई। फिर इससे पहले Rony कुछ बोलता, वही बोली, "तो, मुझे तुम उसके बारे में कुछ बताओगे या मुझे उससे मिलने के बाद खुद उससे उसके बारे में पूछना होगा ?"
जिसके बाद रॉनी अपनी माँ को सब बताने लगता है कि वह कैसे और कब स्मृति से मिला, फिर वह उसे पसंद आने लगी और फिर उसे उससे प्यार हो गया। जिसे सुनने के बाद अभिलाषा रॉनी से पूछी, "जितनी भी बातें तुमने बताई, वह सब सच है या तुम्हारी one sided observation ? या फिर दूसरे शब्द में कहूँ तो तुम्हारी fantasy..? यह सच में सच है या सिर्फ तुम्हें ऐसा लगता है कि यह सब सच है ?"
जिसका जवाब रॉनी देता है, "माँ मैंने बचपन से बहुत सारे ख़्वाब देखें, और आप हमेशा मुझे उसमें कल्पना और वास्तविकता के बीच अंतर करने के लिए सिखाती रही हो। ना कि सीधा उसे नकार कर मुझे कभी अपने डाँटा। इससे मैं आज इस काबिल हूँ कि मैं खुद reality को जान और समझ पाऊँ। पर जो यह है, यह बार-बार मुझे confuse कर रही है। इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप इससे मिलो। हो सकता है कि इसके बाद भी मैं अपने dilemma में रहूँ। पर आप जो बोलोगी, मैं खुद को asure कर सकूँगा कि सही हूँ।"
थोड़ा confuse हो गए ना ? I can understand. इससे पहले जो आपने Rony की complicated love story पढ़ा था "Hope Without Hope" में उस complicated चीज के बारे में Krishna इस तरह से लिखेगा तो इतनी आसानी से कुछ समझ में थोड़ी ना आएगा। क्या कहा, आपने उसे नहीं पढ़ा है ? तब तो मुझे भी नहीं जान रहे होगे ? अरे यार...! मैं समय हूँ। कोई perticular character नहीं, बल्कि वो time and luck वाला समय। हाँ, सबकुछ मुझ में ही होता है। मैं और किस्मत ही मिल कर लोगों के जिंदगी के किस्सों को गढ़ते हैं। पर मैं आपके दुनियाँ का समय नहीं हूँ। मैं कृष्ण, AnAlone Krishna, जिसकी लिखी इस कहानी को आप पढ़ रहे हो, मैं उसके imaginary world का समय हूँ। कृष्ण की लगभग हर stories को मैं ही narrate करता हूँ और इसे भी मैं ही कर रहा हूँ। अभी जो अभिलाषा और उसके बेटे के बीच बातें हो रही है उसमें deep में जाने की जरूरत नहीं है, उसे lightly लो। जो इसके बाद होगा, जो वो suggest करेगी, वो importent है। साथ में जो tales है उन snapshots की जो उसके life के different moments की यादें हैं, उससे वो क्या सीखी, या हमें क्या सीख लेनी चाहिए, वो important है। So, धीरे-धीरे story के depth में जाते हैं।
तो मैं कहाँ था ? रॉनी अभिलाषा को अपने साथ mall वाले restaurant में स्मृति से मिलवाने लाया है।
अभिलाषा बोलती है, "कभी तू मेहक से भी ज्यादा हद कर देता है। अपनी किसी special से मिलवाने लाया है और मुझे तैयार होने का मौका तक नहीं दिया। क्या बोलेगी वो ? कैसी दिखती है तुम्हारी माँ..."
Rony एक पल ना गँवाये जवाब देता है, "खूबसूरत...। Make-up, shake-up करके तो कोई भी खूबसूरत दिख सकती है माँ, पर अगर दिल से देखो तो आपसे खूबसूरत इस दुनियाँ में और कोई भी नहीं है।"
अभिलाषा पूछती है, "जिससे मिलवाने लाया है वो भी नहीं ?"
Rony जवाब देता है, "अगर चेहरा देखूँ तो एक से एक खूबसूरत चेहरे हैं एक दुनियाँ में। कोई naturally बहुत हसीन और कोई किसी beautician के कला की निशानी। पर आपके बेटे को कोई खूबसूरत लगे, इसके लिए यह चेहरा मायने नहीं रखता। कोई इंसान दिल से कैसा है, बस यह मायने रखता है।"
अभिलाषा पूछती है, "तुम लड़कियों को भी यही जवाब देते हो ?" जिसपर Rony "हाँ" में अपना सिर हिलाता है और अभिलाषा आगे बोलती है, "अब समझी तुम्हारी problem क्या है। क्यों कोई तुम्हें भाव नहीं देती, और अगर देती भी है तो बाद में क्यों तुम्हें छोड़ देती है।"
Rony बोलता है, "क्यूँ ? मैंने कुछ गलत कहा क्या माँ ?"
अभिलाषा समझाती है, "तुम जो बोले, उससे किसी के भी दिल को जीत लोगे। इसमें कोई शक नहीं है। इससे हर किसी को अच्छा लगेगा। पर दुनियाँ में एक सच यह भी है कि दुनियाँ की हर एक लड़की चाहती है कि वह बहुत ही सुंदर दिखे। इसलिए वह make-up करती है। अब कोई इतना मेहनत करेगी कि वह तुम्हारे सामने beautiful दिख सके और तुम उसे और उसकी इस मेहनत को appreciate करने के बजाय अपना ये प्रवचन दोगे, तो किसको अच्छा लगेगा ? उन्हें भी पता है कि वह कितनी खूबसूरत है। पर at least उनका दिल रखने के लिए ही सही कम से कम झूठी तारीफ़ तो कर दो।"
Rony बात की गंभीरता को समझते हुए अपना दाँत दबाता है और अपना सिर हिलाता है। वैसे जब तक ये दोनों बातें करते हैं, मैं देख कर आता हूँ कि स्मृति कहाँ तक पहुँची। वो नीचे...
अरे रुको। ये इनके सामने कौन आकर खड़ी हो गई ? हाँथ में purse लिए, सुंदर साड़ी पहने हुए, तेज light की वजह से पता नहीं चल रहा। थोड़ा सामने जाता हूँ और अलग angle से देखता हूँ। अरे, यह तो रीमा है। ये दोनों यहाँ स्मृति के जगह रीमा से मिलने यहाँ आये हैं क्या ? रुको इनकी बातें सुनता हूँ, फिर पता चल जाएगा। अच्छा, तो वह यहाँ कोई shopping करने आई है। पर यह क्या कर रहा है रॉनी ! वह तो उन्हें वहाँ से जल्दी भगाने के फिराक में लग रहा है।
रीमा अभिलाषा को बोलती है, "तो तुम अपने life में इतना busy हो, कि अब मेरे लिए जरा सा भी वक़्त ना दो ?"
जिसपर बात काटते हुए रॉनी बोलता है, "Aunty आप माँ की जरा सी क्यूँ, पूरा वक़्त लीजिए। आप जितना चाहोगी उतना वक़्त आपको माँ देंगी। पर इस वक़्त नहीं। आज और अभी का वक़्त उनके इस बेटे के लिए है, और मैं बहुत ही possesive हूँ। जो वक़्त मुझे मिलना चाहिए अगर वो किसी और को मिले, अगर वो वक़्त ये अपने भाई, पिता, यहाँ तक कि अपने husband को भी दे तो मुझे बर्दाश्त नहीं होता। जो वक़्त मुझे मेरी माँ का मुझे चाहिए, वो बस सिर्फ मुझे ही चाहिए।"
यह सुनकर रीमा पहले रॉनी को देखती है, फिर अभिलाषा को घूरती है। अभिलाषा रीमा का ऐसा expression देखकर थोड़ा हँसती है और रॉनी को डाँटते हुए रीमा को बताती है, "इसकी तो आदत ही ऐसी है...। बुरा मत मानना। यह बस तुमको सता रहा है।" फिर रॉनी को बताती है, "Meet my chilhood friend Reema. And अभी जो तुमने किया उसके लिए माफ़ी माँगो इनसे।"
Rony बोलता है, "I'm sorry aunty. मैं थोड़ा इस वक़्त nervous हो रहा हूँ। मुझे खुद नहीं पता कि मैं क्या कर रहा हूँ।" थोड़ा रुककर "आप ही सतीश की Mom हो ?"
जिसपर रीमा हैरान होकर पूछती है, "तुम सतीश को कैसे जानते हो ?"
अभिलाषा समझ जाती है बात लंबी खींच रही है। वह रीमा को पूछती है, "तुम तो यहाँ कुछ shopping करने आई होगी ना..? कहीं ऐसा ना हो कि बातों-बातों में अपना काम भूल जाओ। जाओ पहले shopping कर लो। तब तक हम भी अपना काम निपटा लेंगे।"
रीमा उदास मन से बोलती है, "तो तुम्हारे life में अब मेरी कोई अहमियत नहीं है ?"
अभिलाषा उसे समझाते हुए बोलती है, "ऐसे नहीं है बाबा...। Coincidentally तुम ऐसे moment पर मिली ही हो कि अब मैं क्या कहूँ...। तुम एक काम करो अपना mobile लाओ।" वह उसके mobile से अपने no. पर call करती है और अपना no. उसके mobile पर save कर देती है। फिर बोलती है, "तुम free होकर कभी भी call करो। या फिर free होकर अभी मैं ही call करती हूँ।" और उसका कंधा पकड़कर आगे धकेलते हुए बोलती है, "अब तुम जाओ और पहले shopping करो।"
थोड़ा weird लगा ना...? I also feel like that. पर क्या करें आजकल के इन बच्चों का..! और ये भी क्या करे अगर कोई इनकी कहानी में कबाब में हड्डी बनकर आ जाये तो..! ये भी भला कितना बर्दाश्त करेंगे..! ख़ैर, रीमा और अभिलाषा, इन दोनों old ladies का mellow drama तो आगे हम देखेंगे ही। पर फिलहाल जिस वजह से रॉनी अपनी माँ के साथ restaurant में बैठा है उसके उपर focous करें ? स्मृति श्रेष्ठा के साथ mall पे आ चुकी है और वे दोनों इनके सामने भी आने ही वाले होंगे। लो पहुँच भी गए। वैसे मैं हैरान हूँ, स्मृति रॉनी की माँ से मिलने के लिए तैयार कैसे हो गई ? Wait a moment, स्मृति को देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा है कि वो खास किसी से मिलने यहाँ आई है। ऐसा लग रहा है कि जैसे वह normal ही हमेशा की तरह shopping करने आई है। हाँ, श्रेष्ठा जरूर excited लग रही है। क्या इसका मतलब यह तो नहीं कि फिर से श्रेष्ठा कोई झोल set की है..! हो सकता है। नहीं, हो क्या सकता है, जरूर यही होगा। यह लड़की भी ना...। जब स्मृति को love-relationship के चोंचले से कोई मतलब नहीं है, फिर भी वह इनको आपस में मिलवाने में लगी है। तो फिर आगे बढ़ते हैं। Introduction के बाद इनकी बातें शुरू हुई। और माँ तो आखिर माँ ही होती है, वह पकड़ ली कि स्मृति को कोई interest नहीं है बल्कि श्रेष्ठा यहाँ पर catalyst का काम कर रही है।
अभिलाषा स्मृति से पूछती है, "तो बेटा अभी क्या कर रही हो, और आगे तुम्हारे goals क्या है ?"
स्मृति जवाब देती है, "Aunty मैं आजकल के युवाओं की तरह फालतू के ख्वाब नहीं देखती हूँ। उनकी तरह बेकार शौक भी नहीं है, और ना ही मैं उनकी तरह ख़्याली दुनियाँ में जीती हूँ। मेरा सीधा सा फंडा है, जो मेरे parents मेरे लिए decide करेंगे वो सही ही होगा, और मुझे अपनी limit से बाहर के ख्वाब देखकर उनका बोझ नहीं बढ़ाना है। ना ही financially pressure उन्हें देना है और ना ही कोई social pressure मेरी वजह से उन्हें होने देना है। हालांकि मुझे किसी के ऊपर बोझ बनकर रहना अच्छा नहीं लगता है। इसलिए B.Ed. कर रही हूँ, ताकि मैं अपने limit रहकर मैं financially independent रहूँ। पर मैं अपने family की मर्यादा को कभी नहीं पार करूँगी।"
अभिलाषा उसके बाद श्रेष्ठा से पूछती है, "और बेटा तुम क्या सोंचती हो इन सब के बारे में ?"
श्रेष्ठा जवाब देती है, "मैं अपने parents पर trust करती हूँ। पर मैं यह belief नहीं कर सकती हूँ कि उनसे कभी कोई mistake नहीं हो सकता है। मेरे parents मेरे ऊपर बचपन से मेरी परवरिश करने में बहुत मेहनत किये है। जिसकी मैं बहुत कद्र करती हूँ। पर मैं उनकी doll या कधपुटली नहीं हूँ। मुझे खुद को यह साबित करना होगा कि जो मेहनत उन्होंने मेरे ऊपर की है, उससे मैं आज इस काबिल हूँ कि अपने life के हर सही-ग़लत फैसले खुद ले सकूँ। अगर मुझसे कोई गलती हो तो उन्हें समझकर सुधार कर सकूँ। जिसके लिए सबसे पहले मुझे financially independed होना होगा। इसलिए मैं B.Ed. कर रही हूँ। पर मुझे जब भी मौका मिलेगा, गलत काम के लिए नहीं पर अगर मुझे सही और जरूरी लगेगा तो मैं अपने limits को जरूर cross करूँगी। मेरा limit में रहना हो सकता है कि current moment में situation को संभाल दे, but बाद में वो ऐसा social pressure जरूर create कर देगा जिसका कोई solution नहीं होगा। जिसे मुझे और मेरी family को life long झेलना पड़े। So, I respect and care others, but this is my life so my rules."
अभिलाषा इसके बाद दोनों से पूछती है, "अच्छा तुम दोनों में से मेरे बेटे को कौन पसंद करती हो ?"
जिसपर स्मृति जवाब देती है, "We both like him, but not like that, only just as a good friends."
अभिलाषा Rony से पूछती है, "तब बेटा...? इनमें से किसी को भी मेरी बहू बनने में कोई interest नहीं है। तो फिर तुम मुझे इनसे मिलवाने क्यूँ लाये हो ?"
Rony बोलता है, "माँ, ये श्रेष्ठा मुझे कई दिनों से insist कर रही थी आपसे मिलवाने के लिए। इसलिए..."
स्मृति बोलती है, "क्या..! तो तुम पहले से जानती थी कि यह aunty को साथ लेकर आने वाला है। अगर मुझे बता देती तो मैं थोड़ा ढंग के कपड़े पहनकर आती ना...।"
अभिलाषा पूछती है, "तुमने यह ऐसा क्यूँ बोली ? साथ लेकर आने की बात... तुमलोग अक्सर मिलते रहते हो क्या ? जाहिर सी बात है, तमलोग friends हो तो अक्सर मिलते ही रहते होंगे।"
श्रेष्ठा बोलती है, "हमेशा नहीं aunty, बस कभी-कभी coincidentally."
Smriti आगे बोलती है, "But हमेशा हम मिलते नहीं है। यह दिखता है फिर गायब हो जाता है।"
वो तो होगा ही। फट्टू, सामने जाकर बात करने की तो हिम्मत नहीं है। खैर आगे बढ़ते है।
श्रेष्ठा आगे बोलती है, "Aunty आपसे एक favour चाहिए।"
अभिलाषा पूछती है, "कैसा favour ?"
स्मृति आगे बोलती है, "आपके बेटे की उम्र हो रही है। अच्छा खासा कमाने भी लगा है। आप इसकी शादी करवा दीजिए।"
Rony यह सुनकर अपने मुँह में हाँथ रखकर अंदर ही अंदर हँसने लगा।"
श्रेष्ठा बोलती है, "हाँ, और इसलिए आप जाइये और स्मृति के family से इसका अपने बेटे के लिए हाँथ माँग लीजिए।"
स्मृति shock कर बोलती है, "नहीं, बिल्कुल नहीं। यह जो आजकल हमसे coincidentally अक्सर मिलता रहता है, मैं नहीं चाहती हूँ कि कहीं से कोई बात फैले और हमारे घर तक पहुँचे जिससे हमारे घरवालों को कोई परेशानी हो।"
अभिलाषा पूछती है, "1min. तुम दोनों मुझे confuse कर रही हो। तुम दोनों मेरे बेटे की friends हो या नहीं ?"
जिसपर एक साथ श्रेष्ठा "हाँ" बोलती है और स्मृति बोलती है कि "नहीं"।
अभिलाषा आगे बोलती है, "तो तुम(श्रेष्ठा के तरफ इशारा करके) मेरे बेटे की दोस्त हो, और (स्मृति के तरफ इशारा मोड़कर) तुम नहीं हो ?"
श्रेष्ठा बोलती है, "मैं friend हूँ और यह crush है।"
अभिलाषा पूछती है, "किसकी ? तुम किसकी friend हो ?"
श्रेष्ठा जवाब देती है, "स्मृति मेरी best friend है और Rony भी अच्छा दोस्त है।"
अभिलाषा पूछती है, "तुम्हें शर्म नहीं आती, तुम अपनी best friend के पीठ पे छूरा घोप रही हो ? इसे जब मेरा बेटा पसंद नहीं है तो फिर क्यूँ इन्हें परेशान कर रही हो।"
श्रेष्ठा बताती है, "नहीं aunty नहीं, ऐसा नहीं है। यह भी Rony को पसंद करती है। आप मुझपर trust करो ना...। बस accept नहीं कर रही।"
अभिलाषा को श्रेष्ठा की बात पर भरोसा ना करते हुए उससे बोलती है, "पर तुम यह सब कर क्यूँ रही हो ? तुम वो काम क्यूँ कर रही हो तुम्हारी bestie को पसंद नहीं ?"
श्रेष्ठा थोड़ा smile करते हुए बोलती है, "वो aunty बात यह है ना कि जब से यह B.Ed. college में admission के बाद मेरे साथ shift हुई है, मेरे साथ leach की तरह चिपकी रहती है। मुझे भी थोड़ा personal space चाहिए। इसलिए सोंचा कि इसका कहीं set करवा देती हूँ, ताकि यह अपना लगी रहे मुझे अपना free वक़्त मिल सके। Rony अच्छा लड़का है और इसे इसको पसंद भी करता है। तो फिर बस इन दोनों को मिलवा कर मैं गंगा स्नान कर लूँगी।"
अभिलाषा अपना माथा पीट ली। ये आजकल के बच्चे और इनकी शरारतें...। वह Rony को बोली, "इसे तो हर चीज मजाक लग रहा है। पर तुम, तुमसे यह उम्मीद नहीं थी। तुम इसे समझाने के बजाय मुझे इनसे मिलवाने ले आया। तुम चाहता क्या है ? क्या जो यह लड़की बोल रही है वह सच है, तुम इसे पसंद करते हो ?"
Rony बोलता है, "सिर्फ मेरा पसंद करना काफी नहीं है ना...। यह कोई object नहीं है, मैं इसकी individuality की कद्र करता हूँ। इसलिए मैं ऐसा कोई काम नहीं करूँगा जिससे आपलोग को मुझपर शर्म महसूस हो।"
अभिलाषा गुस्सा होते हुए बोलती है, "पर तुम कर तो वही रहा है ना...।"
Rony बोलता है, "माँ मैंने इसे समझाने की बहुत कोशिश की, पर मैं समझा नहीं पाया। इसलिए सोंचा कि इसकी ख़्वाहिश पूरी कर ही देता हूँ, आपसे मिलवा ही देता हूँ। ताकि आप डाँटोगी तो शायद यह समझे।"
अभिलाषा श्रेष्ठा के तरफ देखती है और बोलती है, "देखो मुझे अपने घर में नौकरानी की तरह खटवाने के लिए गाय जैसी बहू नहीं चाहिए। जो बड़ो की हर बात को अपना कर्तव्य समझकर माने। बल्कि मुझे अपने बेटे के लिए एक ऐसी life partner चाहिए जो मेरे बाद हमारे घर की मालकिन बने। उसके लिए कई कड़े फैंसलें लेने होंगे जो शायद कभी हमें पसंद ना आये पर वो जरूरी हो। इसलिए मैं किसी ऐसी को अपने घर में नहीं ला सकती जो अपने आप को दूसरों के सामने express ना कर पाएं। वह जबतक अपने पसंद-नापसंद को express नहीं करेगी हमें कैसे पता चलेगा कि वह कोई काम को अपनी मर्जी से कर रही है या अपना मन मारकर ? हमनें अपने बच्चों को अपने पसंद से जीने की आजादी दी है, और उसे भी दबाकर नहीं रखेंगे। हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा कि वो हमारी दो पल की खुशी के लिए जिंदगी भर घुट-घुटकर जिये। So, मुझे स्मृति से ज्यादा तुम पसंद आई। अगर तुम खुद के लिए बात करोगी तो मैं तुम्हारे घर जाकर तुम्हारे parents से अपनी बहू बनाने के लिए तुम्हारा हाँथ माँग सकती हूँ।"
अभिलाषा की बात सुनकर श्रेष्ठा shock में पड़ जाती है। उसे कोई जावाब नहीं सूझता है कि आगे क्या बोले। स्मृति तो यह सुनकर smile करती है, पर sarcastic way में। उसके आँखों में दिख रहा होता है कि उसे rejected होने का अहसास हो रहा है। पर अपनी friend के लिए बाहर से खुश होने की कोशिश कर रही होती है।
Rony कुछ बोलने की कोशिश करता है, "माँ..." कि बीच अभिलाषा अपना हाँथ से चुप रहने का इशारा करती है।
Shrestha बोलती है, "But Aunty, he doesn't likes me. They likes each others."
Abhilasha बोलती है, "फिर इसके लिए तो इसे मेरे against जाना होगा। मगर क्या यह मेरे against कभी जाएगा ? पूछो तो जरा...।"
श्रेष्ठा समझाने की कोशिश करती है, "इसी से आप देखो ना...। यह भी आपके against नहीं जाएगा और यह भी अपने family के against नहीं जाएगी। क्यूँकि दोनों एक जैसे हैं। दोनों made for each others है।"
अभिलाषा समझाती है, "तुम अभी बच्ची हो इसलिए नहीं समझ रही हो। जिस सिक्के के दोनों side same हो उसकी market में value नहीं होती। अगर एक side head है तो दूसरे side tail होना चाहिए। यह good desciple है, इसे बातें मानने की आदत है। इसलिए इसके लिए कोई तो ऐसी होनी चाहिए जो decisions ले, जो सही हो और जिसे यह माने। या यह भी वही करेगी जो इसके लिए इसके घरवाले फैसले लेंगे। तो इसके लिए भी तो कोई ऐसा चाहिए जिसकी decision making की habit हो। अब अगर इन दोनों को एक दूसरे के साथ रहना है तो इनमें से किसी को hard decisions लेने की habit अपनाना होगा। मैं अच्छे से जानती हूँ कि यह खुद को कभी नहीं बदलेगी। तो अब सवाल यह आता कि क्या यह खुद को बदलेगा ? अगर नहीं, तो फिर मेरे नजर में तुम इसके लिए best रहोगी।"
श्रेष्ठा परेशान होकर बोली, "Aunty आप फिर से मेरे पे आ गई। (हाँथ जोड़ते हुए) अच्छा गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दीजिए। आज के बाद आपके बेटे को परेशान नहीं करूँगी।"
अभिलाषा यह सुनकर एक लंबा सा smile देते हुए पहले Rony को smile दी, फिर स्मृति और श्रेष्ठा को देख कर छोटा सा smile की। फिर बोली, "अरे, हमारी बाते खत्म हो गई और अभी तक कोई waiter order लेने नहीं आया।" वह सामने stall के पास खड़े waiter को इशारा करके बुलाई और बोली, "शुरू में तो बड़े हमारे बैठते ही order लेने पहुँच गए थे, और अब हम इतना देर से wait कर रहे हैं फिर भी order लेने नहीं आये ?"
Waiter रोष दिखाते हुए बोला, "शुरू में तो आप ही डाँट कर भगा दी थी कि जब order देना होगा खुद आप बुला लोगी। इसलिए आपके इशारे का मैं wait कर रहा था।"
अभिलाषा उठते हुए बोली, "अच्छा वो सब छोड़ो। ये सब क्या-क्या order करेंगे देख लो।"
Rony पूछा, "आप कहाँ जा रहीं हो ?"
अभिलाषा बोलती है, "मैं जरा mall घूमकर आती हूँ।"
श्रेष्ठा बोली, "Aunty हम भी चलें ?"
अभिलाषा मना करते हुए बोली, "No. It's my personal space. (Rony को) और हाँ, मेरे और बाकी सब के लिए समौसा और कोई sweet pack करवा लेना। नहीं तो मेहक को जानते ही हो, पूरा घर सिर पे उठा लेगी।" फिर वहाँ Rony, Shrestha, and Smriti को साथ छोड़कर वहाँ से वह रीमा को ढूँढने के लिए चली जाती है।
Rony restaurant के counter में bill pay करके Shreshtha and Smriti के साथ वहाँ से निकलने वाला था, कि उसे waiter उसकी माँ के order का parsal दिया। जिससे उसे याद आया कि वह अपनी माँ के साथ आया है। वह अपनी माँ को call लगाकर पूछा कि और वो कितना late करेंगी। जिसका जवाब में उन्होंगे कहा कि, "बस counter में bill pay करके अपना सामान लेना है, अगर तुमलोग meeting over हो गई हो तो नीचे आ जाओ।"
Rony उन दोनों के साथ नीचे गया, तब तक उसकी माँ रीमा को auto में बिठा कर हाँथो से 'bye' का इशारा कर रही थी, अपने प्यारे से smile के साथ।
वह Rony के पास आकर बोली, "मैं रीमा को हमारे घर आने के लिए invite की, but वह मुझे ताना मारकर चली गई कि वह मेरी तरह शहर में नहीं बल्कि गाँव में रहती है और उसे घर जाकर बहुत सारे काम देखने हैं।"
श्रेष्ठा बोली, "अच्छा Aunty, हम भी चलते हैं।"
अभिलाषा उन दोनों को देखी। श्रेष्ठा निराश लग रही थी, पर स्मृति उदास होकर भी झूठा smile देने की कोशिश कर रही थी। वह बोली, "हमारे साथ चलो, बेटा इन्हें रास्ते में drop करते चलना। लाओ, सामान मुझे दो, जाओ car निकालो।"
Shrestha और सामान पकड़ने में मदद करती है। फिर कुछ देर बाद Rony parking yard से car निकालकर लाता है। जिसमें वो तीनों बैठते हैं, और फिर car आगे बढ़ती है। आगे driving seat के बगल की seat पे बैठी Rony की माँ पीछे की seat में बैठी श्रेष्ठा और स्मृति से पूछती है, "मेरी बात सुनकर दोनों खुश नहीं हो क्या ? मेरा बेटा अब तुम्हें कभी परेशान नहीं करेगा। क्यूँकि इसे अब मेरी पसंद के बारे में पता है, और यह मेरे against नहीं जाएगा।"
स्मृति जवाब देती है, "क्यूँ नहीं Aunty ! मेरे चेहरे में देखिए मैं तो खुश हूँ। बहुत खुश।" वह होंठो में जबरदस्ती का smile लाने की कोशिश कर रही होती है, पर आँखों में आँसू ऐसे डबडबाए होते है कि मानो अब छलक ही जायेंगे।
अभिलाषा यह देखती है और फिर श्रेष्ठा से पूछती है, "मगर तुम खुश नहीं लग रही हो।"
श्रेष्ठा जवाब देती है, "कैसे बताऊँ Aunty अभी क्या feel कर रही हूँ। Rony को एक दोस्त से ज्यादा वैसे नजर से कभी मैं देखी नहीं। पर आप जो वो बोली, तो मुझे बहुत अजीब लग रहा है। Guilty feel हो रहा है। हमेशा मैं अपने life and career में ambitious रही हूँ, पर आपकी बात सुनने के बाद मेरा अंतर्मन इस डर में है कि कहीं मैं अपने life में भटक ना जाऊँ। मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूँ कि मैं ऐसे situation में क्या react करूँ।"
अभिलाषा समझाती है, "देखो, Smriti के life perspective भले ही जो हो, पर उसका भी अपने life अपना एक ambition है। उसे भी ऐसा ही लगता है जब तुम उसे ऐसे situation में फँसाती हो। (स्मृति को देखकर) क्यूँ मैं सही कह रही हूँ ना।"
जिसपर स्मृति अपना सिर हिलाते हुए बोलती है, "जी Aunty."
अभिलाषा आगे बोलती है, "जब कोई दूसरा हमें चोट पहुँचाता है तो हमें उतनी तकलीफ नहीं होती है। पर जब कोई अपना हमें दर्द देता है तो बहुत तकलीफ होती है। वह तुमसे कह नहीं पा रही है, उसे भी तुम बहुत तकलीफ पहुँचा रही हो जब तुम यह सब करती हो। So, इससे पहले कि तुम अपनी दोस्त को खो दो, इस बात को समझो।"
श्रेष्ठा इसको समझते हुए बोलती है, "जी Aunty."
Rony car रोकता है और श्रेष्ठा और स्मृति कर से उतरती है। श्रेष्ठा car के door को बंद करते हुए बोलती है, "मैं आपकी बातों को ध्यान में रखूँगी।"
जिसपर अभिलाषा बोलती है, "जरूर...।"
फिर स्मृति और श्रेष्ठा अपनी प्यारी सी smile के साथ उन्हें see-off करते हैं।
Rony drive करते हुए अपनी माँ से पूछता है, "माँ आप यह बात श्रेष्ठा को सीधे-सीधे भी समझा सकती थी। फिर भी आप उसे मेरी life partner का offer क्यों दी ?"
अभिलाषा जवाब देती है, "वह इन सब चीज को मजाक में ले रही थी। वह तब तक इसके depth को नहीं समझती जबतक कि वह खुद यह सब feelings को experience ना करे।"
Rony परेशान होते हुए पूछता है, "पर फिर भी माँ, वो लड़की पागल है। वह कुछ भी कर सकती है। अब तक तो आप यह बात समझ ही गई होगी। आप उसे मेरी life partner बनने का offer क्यूँ दी ?"
इसपर अभिलाषा मुस्कुराते हुए बोली, "ज्यादा से ज्यादा वह क्या करेगी ? वैसे भी मुझे वह लड़की पसंद आई।"
Rony insure होने के लिए पूछा, "तो आपको वो पसंद आई ?"
अभिलाषा भी insure करते हुए बोली, "हाँ...।" Rony को यह सुनकर मुस्कुराते देख कर वह आगे बोलती है, "वह मेरी पसंद है यह जान कर अब उसके पीछे मत पड़ जाना।"
जिसपर Rony बोलता है, "पर माँ वह मुझे वह वैसे पसंद नहीं करती है। वह मुझे नहीं चाहती है।"
अभिलाषा पूछती है, "तो क्या सृष्टि तुम्हें चाहती थी ?" जिसपर Rony कुछ नहीं बोलता है और खामोश रहता है। वह आगे बोलती है, "मैं माँ हूँ तुम्हारी। मैं वो बात भी समझती हूँ जो तुम्हारे दिल तुम्हारे आँखों के जरिये कहने की कोशिश करता है और जिसे तुम दोनों जुबां पे नहीं ला पाए।"
इसपर भी Rony कुछ नहीं कहता है और अपना ध्यान driving पे ही होने का दिखावा करने की कोशिश करता है। पर अभिलाषा जानती थी कि वह उसके बातों पर ध्यान दे रहा है। अभिलाषा उसे समझाती है, "देखो, तुम किसे कितना पसंद करते हो या चाहते हो, साथ ही वो भी तुम्हें कितना पसंद करती है या चाहती है, relationship में यह मायने नहीं रखता है। अगर वह आज अपने पसंद को जुबां पर नहीं ला सकती है, जिसे कोई आज भले उसके बिना कहे उसे पूरा कर देता हो, वो जिंदगी भर वही करेगी क्योंकि यह उसका habit है। जब तुम relationship में आओगे तो खुद को express करना दोनों के लिए बहुत important होगा। इसी से तुमलोग एक दूसरे के पसंद-नापसंद को समझ पाओगे, और अपने relationship में आ रहे problems को साथ मिल कर solve कर पाओगे। पर उसकी यह habit ही नहीं है, ना ही तुम उतने frank हो पाए हो। तो इसके कारण तुम्हारे life में जो problems create होंगे वो solve होने के बजाय और भी बढ़ते ही जाएंगे। जो कि मैं कभी नहीं चाहूँगी। तो इसे मेरा test समझ लो- जब तक कोई लड़की यह साबित नहीं कर देती है कि वह खुद को express करने के काबिल है, अपने पसंद-नापसंद के लिए या खुद के लिए stand लेने के काबिल है, मैं उसे अपने घर की बहू कभी नहीं बनाऊँगी।"
Rony फिर भी कुछ नहीं बोलता है। वह अपना ध्यान driving पर ही रखता है। जिसे देखकर अभिलाषा आगे बोलती है, "जैसे आज उसके parents उसकी ख्वाहिशों को उसके बिना कहे पूरा करने की कोशिश करते हैं, कल तुम्हें भी वही करना होगा। तुम हर बार इसमें खरे नहीं उतर सकते हो। जिससे उसकी expectations बार-बार टूटेंगी और वह बार-बार तुमसे disappoint होगी। जिसके बाद तुम बार-बार उसके सामने खुद को और उसके प्रति अपने प्यार को साबित करने की कोशिश करोगे। जिससे एक दिन तुम खुद को खो दोगे, उसके प्यार को खो दोगे, अपने जिंदगी से सुकून को खो दोगे। क्योंकि उसे अपने-आप को express करने की habit नहीं है और तुम्हें उसके बिन कहे ही उसकी wishes पूरी करनी होगी। So, Loose her before you loose everything for her."
अब जाकर Rony दो शब्द बोला, "जी माँ...।"
Car रुकी, दोनों उतरे। अपने घर के अंदर गए तो मेहक इनको देखते ही बोली, "लाइये, आज मेरे लिए आपलोग क्या लेने गए थे..? मेरा excitement बढ़ रहा है, smell से मुँह में पानी आ रहा है।"
अभिलाषा drawing table पर देखती है कि कुछ भी नहीं है। वह पूछती है, "सारे albums कहाँ गए।"
मेहक जवाब देती है, "वो ऐसे ही बिखरे पड़े थे तो उन्हें मैं उठाकर आपके कमरे के अलमीरा में रख दी हूँ। अब मैं थोड़ी-थोड़ी परवाह करने लगी हूँ तो आप लापरवाह होती जा रही हो माँ। ऐसे नहीं चलेगा। आपको खुद का ध्यान रखना होगा। साथ ही अपनी चीज़ों का भी।"
और फिर सब समौसा निकालकर इधर-उधर की बातें करते हुए खाते हैं। और यह अध्याय यहीं पर खत्म होती है। चलिए, मिलते हैं कृष्ण के लिखे bilingual literary work "Life की परछाई" के अगले अध्याय में। उससे पहले आप भी एक छोटा सा break ले लीजिए। Bye..!
••••••••••The end of the one tale is the
beginning of the another one.••••••••••
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