I, Krishna, present you here, my 100+ literary works—poems and stories. I hope, I shall plunder your heart by these. Let you dive into my imaginary world. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.

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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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● हमदर्द सा कोई ● भाग - १०.२ ● Perspected Endings ●

भाग -१०.२
Perspected Endings
By AnAlone Krishna.
(This is continuation of the previous parts "prelude/background-setup" & "From Diary of Agrima")


● हमदर्द सा कोई ●
भाग - १०.० | भाग - १०.१ भाग - १०.२
Perspected Endings
By AnAlone Krishna.

"Agrima, आओ चलो खाना खा लो।" मानी dining table को सजाते हुए अग्रिमा को जोर से आवाज दी। Agrima बाहर garden में आग के सामने बैठ कर अपनी diary में कुछ note कर रही थी। जो कि drawing room के side में मौजूद dining table का preparation करते हुए मानी को वहां से बड़ी सी खिड़की के through एकदम clearly दिखाई दे रहा था। Agrima आई और अपनी diary को बाएं हांथ के सामने रख कर बैठ गई।  मानी का ध्यान उसपर गया, मगर उसने उसे कुछ भी कहा नहीं। मिस्टी के father आए, और पूछे, "मनु नहीं है ?" उनके पूछने का अंदाज था कि मनु किधर है ? मानी बताई कि वह कुछ काम से बाहर गया है और देर से घर वापस आएगा। मिस्टी के father कुछ देर बाद मिस्टी से शादी के लिए पूछे, मिस्टी ने हां कर दी। यह सुनकर मानी और मिस्टी के father एक दूसरे को देखने लगे, मानो कि उन्हें अपने कानो पर भरोसा ही ना हुआ हो।
मानी पूछी, "तुम सच में जिस रिश्ते कि बात पापा कर रहे हैं उससे शादी करने के लिए तैयार हो ?"
मिस्टी ने कहां, "मैं अगर शादी करने से मना करूंगी तो आपलोग मान जाओगे क्या ?"
मानी बोली, "हां..। हम इस रिश्ते को मना कर देंगे।"
मिस्टी बोली, "दूल्हा बदल सकता है। मगर शादी तो मेरी होगी ही ना..?"
मानी बोली, "फिर भी, जो होगा वह तुम्हारी पसंद का होगा। तुम्हारी मर्जी होगी तभी करवाएंगे। जबरदस्ती थोड़ी कर रहे हैं।"
मिस्टी मुंह बनाते हुए बोली, "मेरी मर्जी..! मेरी पसंद..! होगा तो उन्हीं में कोई एक ना, जिसे आपने already select किया हो..?"
मानी और मिस्टी के father मिस्टी के इस सवाल के सामने शांत हो गए।
मिस्टी बोली, "जब सबकुछ आप लोग देख कर decide कर ही रहे हो तो दूल्हा मुझे choose करने का हक देकर अपना decision का credit मेरे ऊपर क्यूं थोप रहे हो..? मुझे किसी का रूप देखकर पसंद करने का permission देकर। क्या लगता है ? मैंने आज तक जितनो से दोस्ती की, मैं उनके physical attraction को देखकर उनके close गई क्या ? मेरे अंदर इतनी काबिलियत नहीं है कि मैं किसी के character and behaviour के कारण attract होऊं या फिर दूरी बनाऊं..? इसलिए ऐसे बेकार के discussion मेरे साथ मत कीजिए। अब मै किसी के साथ भी खुद को adjust कर सकती हूं। इसलिए आप जिससे बोलोगे, मैं शादी करने के लिए तैयार हूं। आगे मेरे life में जो कुछ भी होगा, उसकी जिम्मेदारी आपकी... अब ज्यादा formality के लिए मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है।"
मिस्टी के father बोलते हैं, "ठीक है फिर, कल Sunday है तो कल ही लड़के से मिल लो।"
मिस्टी खाना खत्म की, हांथ धोई और फिर से अपनी diary उठाकर बाहर ground में जाकर फिर से आग के सामने बैठ गई और अपनी diary में note करने लगी। 10 min बाद मनु अपने bike से आया।
उसने मिस्टी के पास break लगाई और कहा, "इतनी रात को यहां बैठी हो... खाना खा ली ?"
मिस्टी ने कहां, " हाँ ।"
मनु का ध्यान खिड़की के अन्दर गया। मानी table साफ कर रही थी।
मनु बोला, "जाओ भाभी की help कर दो। मैं bike garage में park करके आता हूं।"
मिस्टी अपनी diary में full stop लगाई, अपने होंठो से चूमी, और जलती हुई अंगारों के बीच उसे फेंक दी। अंदर आई तो उसकी भाभी ने उससे कहा, "मै कर लूंगी। तुम जाकर सो जाओ।" और मिस्टी अपने कमरे में चली गई। मिस्टी अपने बिस्तर पर लेटे लेटे सोने की कोशिश करने लगी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी। वह आज सिसक तो नहीं रही थी, मगर उसके खामोश जुबान के साथ उसकी आंखों से धीरे-धीरे आंसू निकल रहे थे। काफ़ी देर हो गया। लगभग 11 या 12 बज रहे होंगे। अचानक मिस्टी के मन में यह सवाल आया कि अगर diary पूरी तरह नहीं जली तो..? अगर उसे फिर सुबह किसी ने देखकर उठा लिया तो..? वह बाहर उस जगह गई जहां आग जल रही थी। लौह बुझ चुका था, मगर धूंआ अभी भी थोड़ा बहुत था। जो कि राख के ढेर से निकल रहा था। वहां उसने आधी जली लकड़ी से टटोला, वहां कुछ भी नहीं था, राख के सिवा। बस कुछ पन्नों के जैसे जले हुए अवषेश थे। जो कि छूते ही राख में बदल गए। जो इस बात के सबूत थे कि diary जल गई। मिस्टी कमरे में आई और सो गई।

थोड़ा confusing है ना..? समझ सकता हूं मैं आपकी confusion को। मिस्टी के diary में हमनें already... हमने ? हां हमनें। अरे मैंने भी तो मिस्टी के diary को पढ़ा ही है ना। हमनें मिस्टी के diary में already पढ़ा है कि वह घरवालों को पहले से ही शादी के लिए हां बोल चुकी है, और फिर भी आज फिर से उससे शादी की बात इस तरह की जा रही है..। ऐसा क्यूं ? तो my dear friends, जरा ध्यान से सोंचो। जब मानी ने मिस्टी को खाने के लिए अंदर से आवाज दी उस वक़्त मिस्टी अपनी diary अपने साथ लाई, अपने पास रखी, और खाना खत्म करने के बाद उसे उठाकर ले जाकर वापस ground में आग के सामने ले जाकर वहीं पे बैठकर दोबारा अपनी diary में note करने लगी। तो वह जो अपने शादी के बारे में लिखी वह उसमें अभी बाद में note की। ना, ना। मुझपे गुस्सा होने की जरूरत नहीं है। यह सब कृष्ण का किया धरा है। मैंने बोला था उसे कि सबको तुम confuse कर दोगे इसलिए इस scene को prelude में add करो। मगर नहीं। बोला कि "इससे readers को पहले से पता चल जाएगा कि आगे क्या होने वाला है, इससे उनका आगे पढ़ने का interest चला जाएगा। फिर मैंने कहा कि अच्छा diary वाले part को end करने से पहले add कर दो, Sequence के साथ। मगर नहीं। इससे story का tone खराब हो जाता। बोलता है, "इसमे मिस्टी के perspective and narration का monotone है। बीच में कुछ भी add करने से फिर उसके बारे में भी clarify and justify करना होगा। उससे फिर 1st time readers को, जो कि story को बीच से पढ़ रहे होंगे, वो सब confuse हो जाएंगे। बाकि, जो पुराने readers हैं, उन्हें तो पता ही है कि यह कृष्ण का art of writing style है, जिससे story को वह और भी different and interesting बनाने की कोशिश करता है" 1 min, कहीं आपलोग भूल तो नहीं ना गए कि समय हूँ ? AnAlone Krishna के imaginary world का... इस बात को हमेशा ध्यान में रखना। अच्छा 1 min और, कहीं आपको ऐसा तो नहीं लग रहा कि story end हो गया ? इसलिए मैं इतने इधर-उधर की बातें कर रहा हूँ ? आपको सच में ऐसा लगता है क्या ? या आप भूल गए कि मैं यानी कि समय eternity से infinity तक हूँ ? जहाँ एक story end होती है, वहीं से कोई दूसरी story शुरू हो जाती है ? वैसे भी सभी happy ending चाहतें है। भले ऐसा जल्दी real life में देखने को ना मिलता हो। मगर चाहते तो सभी happy ending ही हैं। और सबसे जरूरी बात यह कि कृष्ण के readers का हमेशा यह complaint रहता है कि उन्हें ending समझ नहीं आता। तो क्या लगता है, कृष्ण इस story को ending इतनी आसानी से समझने दे देगा ? कहानी अभी खत्म नही हुई। climax अभी बाकी है। कृष्ण दो literary art का mix up करता है। 1st, Avant-garde literature, जिसमे writer fourth wall को break करके audience से बाते करता है और उनके पसंद-नापसन्द को पूछते हुए multiple ending देता है। And 2nd, जिसमें writer social issues and problems पर based story create करता है और उसका complete ending करने की जगह बस possibilities दिखाकर अपनी pen stop कर देता है। वह अपना perspective से किसी चीज को सही या गलत कहकर ending देने के जगह perspected endings को लिखकर यह audience पर छोड़ देता है कि वह खुद decide करे कि story का ending उनके according क्या होना चाहिए..। तो कृष्ण, इस story में भी यही करेगा। इसलिए चलिए आगे देखते हैं, कृष्ण आगे क्या लिखा है...

"...हाँ, वहाँ से left tern लेना। मैं दिख गई ? ठीक है आ जाओ।..."
घर के सामने white colour की car रुकी। एक well gentleman की तरह रवि उससे उतरा और smile दिया। मनु वहीं खड़ा था। 
उसके उतरते ही मनु उससे सवाल किया, "यह car तुम्हारी अपनी है ?"
रवि जवाब दिया, "नहीं। दोस्त की..."
मनु फिर से सवाल किया, " ये कपड़े तो खुद के हैं ना..?"
रवि जवाब दिया, "हाँ मेरे ही हैं।"
मिस्टी बोली, "सारी बातें यहीं करनी है क्या ! चलो अंदर चलो। चलिए भैया।"
रवि मिस्टी का घर, मिस्टी का हाँथ माँगने गया था। मिस्टी के father ने casually questions किए, like क्या करते हो, कितना कमाते हो, family में कौन कौन है, future goals, as well... मनु बीच बीच में googly कर रहा था। मिस्टी इतना कमाती है, मिस्टी ये करती है, this that... मतलब हर एक point जिससे मनु रवि को नीचा दिखा सके। रवि मिस्टी की ओर देखा, वो भी बार बार खुद को रवि से compare होते देख कर awkward महसूस कर रही थी। रवि से रहा नहीं गया।
वह बोल बैठा, "क्या आपने मुझे यहाँ interrogate करने इसलिए बुलाए हो ताकि आपको मौका मिले हर बात पर मुझे नीचा दिखाने का और आप करो ?"
मनु का ego hurt हो गया, वह बोला, "तुम्हें ऐसा लगता है ? मैंने क्या गलत कहा ? जो सच है वही तो कहा। वैसे भी तुम हो ही क्या मेरी बहन के सामने..."
रवि बोला, "मेरी बहन कहती है, मेरे marks मेरे knowledge define नहीं कर सकते। मेरे uncle कहते हैं, मेरा income मेरे character नही define कर सकता। मेरा दोस्त कहता है, मेरा profession मेरा behaviour नही बता सकता। मेरी friend मुझसे कहती है मेरा look मेरा sensitivity नहीं show कर सकता।"
मनु बोलता है, "तो तुम ऐसी उलझी उलझी बातों के जरिये मेरी बहन को फसाये हो..."
रवि बोलता है, "देखिए भैया..."
मनु continue रहता है, "सब जानता हूँ। मेरी बहन से नही इसके पैसों के लिए इसके पीछे पड़े हो।"
रवि बोलता है, "मुझे दहेज नहीं चाहिए।"
मनु बोलता है, "ओ, तो खूबसूरती के कारण पागल हो ?"
रवि सनक जाता है और खड़ा होकर ऊँचे स्वर में बोलता है, "आप समझ क्या रखे है। मुझे जलील करने के लिए बुलाये हो क्या ?"
मनु गुस्सा में आ जाता है उसका colour पकड़ लेता है और बोलता है, "तू मेरे ही घर में आकर मुझे ही आँख दिखा रहा है...।"
रवि मिस्टी की ओर देखता है। उसके आँखों में उसे डर दिखाई देता है। समझना थोड़ा मुश्किल है कि किस बात का डर। रवि का मनु से झगड़ा होगा, इस बात का डर। मनु रवि का बुरा हाल करेगा, इस बात का डर। या मिस्टी के लिए रवि से मिलने को तैयार होना पड़ा इस बात का जो गुस्सा है सब में, खास कर मनु में, इस बात का डर। रवि मिस्टी को देखकर नरम हो गया और वह मनु का हाँथ आराम से पकड़ा हटाने के लिए। मनु का हाँथ भी loose हो गया। दोनों बैठ जाते हैं।
रवि बोलता है, "आप मुझसे क्या चाहते हो, यह clear करो।"
मनु बोलता है, "मेरी बहन को पाने की तुम्हारी औकात नहीं है। यह हर मामले में तुमसे बेहतर है। इसलिए तुम्हें उल्टा दहेज देना होगा।"
मिस्टी रोकना चाही, "भैया..."
मनु बोला, "तुम शांत रहो। बीच में मत बोलो।"
रवि बोला, "आपके हिसाब से आपकी बहन के लिए मुझे लगभग कितना देना होगा ?"
मनु तुरंत बोला, "20 लाख।"
रवि माथा झुकाकर इस बात पर मन ही मन हँसा। जिसे मिस्टी भी notice की।
फिर रवि बोला, "किसी चीज की कीमत बस उसकी कद्र करने वाला ही जान सकता है। मैं अग्रिमा को पाने के लिए खुद को इसके नाम कर सकता हूँ।"
मिस्टी के father मनु के कंधे में हाँथ रखकर मनु को कुछ भी बोलने से रोकते हैं और बोलते हैं, "क्या मतलब ?"
रवि बोलता है, "मैं मिस्टी पे कभी अपना decision नही थोपूंगा। वह अपना decision खुद ले सकती है। वह जो करना चाहेगी, कर सकती है। वह जैसे रहना चाहती है, रह सकती है। इसे family से अगर कोई permission चाहिए हो, मैं दिलाऊँगा। इसके चाहतों के रास्ते का कांटा मैं नहीं बनूँगा, इसे आगे मैं लेके जाऊँगा। सभी लड़की को जिंदगी में सबकुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ना पड़ता है। अगर यह मेरा हाँथ थामेगी तो कुछ भी पीछे छोड़ने की जरूरत नहीं होगी। मैं इसे वैसे accept करूँगा, जैसे यह आज है। मेरे लिए इसे बदलने की जरूरत नहीं होगी। ना किसी चीज को पीछे छोड़ने की जरूरत होगी। "
मनु बोलता है, "यह तो कोई भी कर सकता है।" मनु के father मनु के कंधे को अपने हाँथ से दबाते है। शांत करने के लिए।
रवि आगे बोलता है, "बस मेरा एक condition है।"
मनु पूछता है, "क्या ?"
रवि बोलता है, "इसे मेरे घर को अपना ससुराल नहीं बल्कि अपना ही घर समझना होगा। मेरा माता-पिता को वैसे मानना होगा जैसे यह अपने माता-पिता को मानती है।"
मनु बोलता है, "मतलब तुम्हारे पास मेरी बहन को देने के लिए कुछ भी नही है। चलो तब छोटी सी ही चीज माँगता हूँ। तुम अपना property मेरी बहन के नाम लिखवा सकते हो ?"
रवि बोलता है, "Every relationship is depended upon trust."
मनु बोलता है, "शायद तुम्हें मिस्टी पर trust नहीं है।"
रवि बोलता है, "मेरे माता-पिता जो मुझ पर trust करते हैं, उसे मैं खोना नहीं चाहता।"
मनु बोलता है, "मतलब तुम्हें सच में मिस्टी पे trust नही है।"
रवि मिस्टी की ओर देखा, उसके माथे पे चिंता की लकीरें थी।
रवि बोला, "मुझे लगता है आपको मुझे एक बार कम से कम जानना और समझना चाहिए।"
मनु बोला, "और जानना ही क्या है ! तू है क्या ? तेरी औकात क्या है जो मैं तुझे अपनी बहन के करीब भी आने दूँ।"
रवि बोला, "It depends on अग्रिमा क्या चाहती है।"
मनु ताव में आके बोला, "इससे क्या फर्क पड़ता है की मिस्टी क्या चाहती है। मैं उसे तुम्हारी नहीं होने दूँगा। चाहे कुछ भी हो जाए।"
रवि भी खिसियाकर बोल दिया, "शादी मुझे उससे करनी है, आपसे नहीं। हर एक शख्स जो उसे प्यारा है उसकी मैं कद्र करता हूँ। वरना एक बार अगर वो चाहे ना तो आपको बाँध कर आपके सामने साथ फेरे लूँगा।"
मनु का control छूटा। वह रवि का colour पकड़कर एक झापड़ खींच कर लगाया। रवि का हाँथ भी मारने के लिए उठा।
कि तभी मिस्टी चिल्लाई, "please stop it."
रवि मिस्टी को इस तरह देखकर शांत हो गया। वह फिर से मनु का हाँथ आराम से हटाते हुए बोला, "I think कि मेरा introduction ख़त्म हो गया। अब मुझे चलना चाहिए।"
रवि मिस्टी को देखा। उसके आँखों में आँशु थोड़े बहुत आ गए। मगर इतने नहीं की बह ही जाए। रवि घर से बाहर निकला। पीछे मिस्टी भी निकली। "अब तुम उसके पीछे कहाँ जा रही हो..." यह बोलते हुए मनु भी पीछे निकला। Car की door खुल नहीं रहा था। उसने window पे एक punch मारा। अंदर से lock खोलने के लिए। उसका दोस्त चौका और अपने कान से headphone निकालते हुए बोला, "ये क्या हुआ ? क्या हो गया रे..?" तब तक रवि अंदर बैठ चुका था। मगर गुस्सा अभी भी उसके अंदर था। वह बोला, "दिनभर headphone लगाकर खाली phone में busy रहता है। हो गया बात ? Car start करो..." window down करते हुए उसका दोस्त car start करने के साथ-साथ कुछ बोलने ही वाला था कि उसे मिस्टी रवि का हाँथ देखने के लिए car के window से अपना हाँथ अंदर करते हुए दिखी। 
रवि अपना हाँथ देने से मना कर दिया और बोला, "I'm able to care myself.  Don't worry." 
वह मनु की तरफ देखकर बोला, "इसके शादी का card मुझे जरूर देना। Don't worry. मैं बिगाड़ने नहीं आऊँगा। बस मुझे पता चल जाएगा कि मुझे इसके लिए इंतजार करने के जगह अपने life में अब मेरा आगे बढ़ने का समय आ गया है।"
और मनु का नींद टूटा। उसकी दिल की धड़कने बढ़ गई थी। साँसे तेज हो गई थी। अभी तक जो आपने इस Para में पढ़ा, वह उसका महज एक सपना था।

ऐसे अचानक मनु के नींद से उठ कर बैठने के कारण मानी को भी इस चीज का थोड़ा अहसास हुआ। उसकी भी नींद टूट गई। वह मनु से पूछी कि, "क्या हुआ ?" जिसपर मनु अपने पास एक जली हुई cover वाली diary दिखाया, जो कि मिस्टी की diary थी। आप भी यह सोंच रहे होंगे कि मिस्टी की diary मनु के पास कैसे गई..? दरसल हुआ कुछ यूँ था कि, जब मनु अपना bike garage में park करके घर के अंदर जाने वाला था, उसे आग के सामने बैठने को मन हुआ। इसलिए वह दरवाजे के पास से उधर मुड़ा जहाँ मिस्टी बैठी हुई थी। वहाँ पर आग अभी भी जल ही रहा था। वह वहाँ गया, सामने बैठा तो उसे rubber जैसी कोई चीज के जलने का बदबू आया। जो कि बहुत ही खराब बदबू था। मनु ने आधी जली लकड़ी से उसे निकालकर side करना चाहा। जिससे टटोलते हुए वह diary निकली। जिस पर चढ़े मोटे कूट और उसके उपर के cover के कारण अंदर के आग पहले उसकी बाहरी हिस्सो में पकड़ा और मिस्टी के वहां से गए 2-4 min ही हुए थे इसलिए cover  भी ठीक से नहीं जला था। बस किनारे थोड़े-बहुत जल गए थे। मनु diary को उठाया, उसे पलटा, देखा वह मिस्टी की diary है तो उसपर धीरे-धीरे बढ़ रहे हल्की चिंगारी को झाड़ दिया। जिससे आग पूरी तरह से बुझ गई। फिर उसे उठाया, diary खोला। खाली पन्नो को खोला और फाड़कर आग में फेंक दिया। इसके बाद diary को अपने jacket में छुपाकर वहाँ से चला गया। मानी के सो जाने के बाद उस diary को निकाला और पढ़ने लगा। पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई और उसे यह dream आया। मनु मानी के तरफ मिस्टी की diary को आगे बढ़ाया।
मानी बोली, "मुझे पता है कि इसमें क्या लिखा होगा। मुझे पता है कि मिस्टी के life में अभी क्या चल रहा है। इसलिए मुझे इसे पढ़ने की जरूरत नहीं है।"
मनु पूछा, "तो तुमने मुझे बताया क्यूँ नहीं कि वह क्या चाहती है ?"
मानी बोली, "क्या उसमें यह उसने लिखा है कि उसे क्या चाहिए ?"
मनु सोंच में पड़ गया। मिस्टी ने कहीं नहीं लिखा कि उसे रवि चाहिए, या ध्रुव उसे परेशान कर रहा है। उसने बस अपने दिल की बात और अपने perspective को अपने diary में लिखा। अपने desire, अपने expectations को उसने नही लिखा। इसलिए मनु यह सवाल सुनकर सोंचने लगा।
मानी बोली, "देखिए, सबसे पहले तो उसे हमसे यह clearly कहनी चाहिए कि उसे क्या चाहिए। क्योंकि जो कुछ भी हम assume करेंगे, वह बस हमारा perspective होगा। हम completely कैसे जान सकते हैं कि उसके life में क्या चल रहा है, या उसके दिल में किसके लिए क्या feelings है। जब तक कि वह खुद यह बात clear ना करे ?"
मनु बोला, "कहा जाता है कि एक औरत के दिल की बात एक औरत ही समझ सकती है। मैं भले मिस्टी को ना समझ पाऊँ। मगर तुम उसकी भाभी हो। तुम तो उसे समझ ही सकती हो। उसके लिए सही-गलत को समझकर फैसले भी ले सकती हो। तुम्हारा हक़ भी है और responsibility भी...।"
मानी बोली, "मिस्टी के लड़खड़ाते life को सही करने का अभी मेरी समझ से दो तरीके हैं। 1st, मिस्टी को संभलने का मौका दिया जाए, उसे अपने life के फ़ैसले खुद लेने दें। 2nd, उसके life के फ़ैसले हम लें और उसे उसमें ढलने में हम मदद करें। अगर वह हमारी बात को मान कर शादी करती है, तो मैं उसे उसके इस नए जीवन के according ढलने में मदद कर सकती हूँ। मगर, अगर उसे अपने according फैसले लेने दिया जाए, तो शायद उसे हम बहकने और भटक कर गलत decision लेने से ना रोक पाए। जैसा उसका past रहा है उसके हिसाब से तो... मेरे favor में जो था, मैंने उसे choose किया।"
मनु सोंचने लगा, फिर बोला, "अच्छा सो जाओ।" और वह लेट कर सोंचने लगा और सोंचते-सोंचते सो गया।

मनु सुबह उठा, और उठते ही किसी को call किया। call receive होने पर वह बोला, "अभी के लिए मिस्टी के रिश्ते की बात को postpond कर दीजिए। अभी हम मिस्टी की शादी नहीं करवाएंगे। आप लड़के वालो को मना कर दीजिये।"
उधर से जवाब आया, "सोंच लो ? इससे तुम्हारे घरवालों की छवि ख़राब हो सकती है।"
मनु बोला, "सोंच लिया। मुझे लोगों की ज्यादा परवाह नहीं। मिस्टी की खुशी से ज्यादा मेरे लिए और कुछ भी मायने नही रखता।" और call cut कर दिया। 
फिर मनु दूसरा call dial किया कि तभी kitchen से मानी आवाज दी, "नाश्ता तैयार है सभी आ जाओ।"
मनु जोर से बोला, "हाँ, आ रहा हूँ। मेरे लिए चाय बना देना।"
Call receive हुआ, आवाज आई, "hello..!"
मनु बोला, "रवि..?"
रवि बोला, " हाँ..।"
मनु बोला, "रवि, पिछली बार मैंने जो किया उसके लिए I'm really sorry. मैं तुमसे मिलना चाहता हूँ और तुम्हारे उस दोस्त से भी जिसने उस दिन call receive किया था। हो सके तो तुम्हारे पूरे group से..."
रवि बोला, "ठीक है आप शाम 4 बजे sea beach पे आ जाइये। हमलोग आज वहीं मिलेंगे।"
मनु बोला, "वैसे तुमने मुझे पहचाना तो सही ना कि मैं कौन हूँ ?"
रवि बोला, "हाँ, आपका no. save है।"
मनु बोला, "ठीक है bye."
रवि बोला, "bye" और call cut कर दिया।
मनु bathroom गया fresh होने। फिर उसके बाद नाश्ता करने बाहर गया।
Table में बैठते ही मानी पूछी, "क्या बात है, आज बहुत मुस्कुरा रहे हो ?"
मनु मानी की तरफ नजर उठाया, फिर मिस्टी को देखकर और मुस्कुराने लगा। जिसपर मिस्टी अपने मुँह से की "हुँह..!" और माथा झुकाकर खाने लगी।
मानी बोली, "लगता है अभी भी नाराज है।"
मनु बोला, "शाम को हमें कहीं जाना है मिस्टी, 4 बजे। तैयार रहना।"
मिस्टी कुछ नहीं बोली। नास्ता खत्म की और वहाँ से चली गई।
मानी धीमी आवाज में दबाकर पूछी, "आपने इसके diary का क्या किया ?"
मनु आहिस्ते बोला, "tension मत लो। उसे मैं आराम से बैठकर पूरी तरह जला दूँगा। जैसा मिस्टी चाहती थी।"

शाम 4 बजे sea beach पर...
सतीश रवि से- "तुम हमें यहाँ क्यूँ बुलाये हो आज ? हम तो झील पे मिलने वाले थे ना..."
राजेश मुस्कुराते हुए बोला, "है कुछ special."
कोमल बोली, "Special..! और वो भी तुम्हारे हिसाब से... तब तो जरूर कुछ uncertain होने वाला है।"
रुद्र खुश होकर बोला, "तब तो जरूर कुछ excited होने वाला है।"
हिमाद्रि request करते हुए बोली, "देखो, मुझे और भी जानने को मन कर रहा है। सब्र नही हो रहा। बताओं ना क्या बात है..."
रुद्र बोला, "सब्र रखो। Excitement का मजा तो सब्र के बाद ही आता है।"
मनु मिस्टी के साथ आये। 
हिमाद्रि surprise होते हुए पूछी, "अरे अग्रिमा, तुम यहाँ.., वो भी अपने भैया के साथ..?"
अग्रिमा(मिस्टी) बोली, "भैया मुझे यहाँ लड़के से मिलावाने लाये हैं। जो आगे जाके मेरा life partner बनेगा।"
मनु बोला, "क्या ! मैंने तुम्हें ऐसा कब कहा ?"
सतीश पूछा, "तो आपलोग यहाँ क्यूँ आये हो ?"
मनु बोला, "मिस्टी का mood ठीक नहीं था। तो सोंचा कि घुमा लाऊँ। और आजकल इसको भैया से ज्यादा अपने दोस्त प्यारे हैं। तो सोंचा कि इसके दोस्तो की ही मदद ले लूँ इसका mood ठीक करने में। मैं तो सबको जानता नहीं था, इसलिए रवि को call किया, तुमलोग से मिलने के लिए।"
कोमल पूछी, "तो आज का plan आपका है ?"
मनु बोला, "Indirectly अगर देखो तो, हाँ। आज की शाम मेरी प्यारी बहन के नाम।"
हिमाद्रि बोली, "I'm surprised."
बाकी रुद्र, सतीश, कोमल भी पूछे से बोले, "We too..."
कोमल पूछी, "मगर अग्रिमा अभी जो शादी की बात की वो..?"
मनु बोला, "शादी ! किसकी शादी ? किसकी इतनी हिम्मत हो गई कि मिस्टी की शादी मुझसे पूछे बग़ैर set कर रहा है ? मैं ऐसा होने दूँगा क्या..?"
मिस्टी पूछना चाही कि, "मगर वो.." कि बीच में मनु रोक दिया और बोला -

"मैं आँखे पोछूँ अगर तुम्हारी
तो बता कि कब तक ?
मैं जब्बात समझूँ अगर तुम्हारी
तो अनकहे आखिर कब तक ?
कभी तो आँशुओ को तुम्हें रोकना होगा।
कभी तो तुम्हें खुद को संभालना होगा।
हिम्मत करना होगा तुम्हे थोड़ी
और अपने बातों को कहना होगा।
मजबूत करना होगा खुद को
और खुद को हिम्मती करना होगा॥"

मनु आगे बोला, "तुम्हारी शादी तभी होगी जब तुम चाहोगी। अगर ना करने का मन करे तो कोई बात नहीं। हमलोग हैं ना तुम्हारा ख़्याल रखने के लिए।"
Everyone clap in his lines.
Manu continue, मिस्टी के आँशुओ को पोंछते हुए "अब अपने इन बहते हुए आँशुओ हटाओ और अपनी प्यारी सी smile दो। कब से तड़प रहा हूँ इन्हें मैं देखने के लिए।(He turned around himself at rest of the people and continue) Oh by the way, may you all doesn't know who I'm. Hey, I'm Abhimanyu, a soldier. But तुमलोग मिस्टी के दोस्त हो, इसलिए तुमलोग भी मुझे अपना बड़ा भाई ही समझो।"
कोमल बोलती है, "वैसे भैया, हमें अग्रिमा से एक शिकायत है। यह हमसे अपने दिल की बात कभी share नहीं करती। हमेशा अपनी feelings को खुद में छिपाकर रखती है।"
Abhimanyu says, "Oh, it's her major problem."
रुद्र बोलता है, "आगे से अगर इसे हमारे group को join करना हो तो हमारी शर्तो को मानना होगा।"
मनु पूछा, "क्या ?"
राजेश बोला, "अगर गुस्सा आए तो मन में दबाएगी नही, सीधा जो मन में आये वो करेगी।"
सतीश बोला, "अगर कुछ भी problem हो, help लेने में हिचकिचायेगी नहीं।"
रुद्र बोला, "किसी से भी डरना नही है। ना हमारे सामने कुछ भी बोलने से और ना लोग क्या बोलेंगे इस बात को सोंचकर।"
कोमल बोली, "अगर कुछ भी दिल में बात हो, जो तुम्हे सता रहा हो, बेहिचक बोल सकती हो। हम तुम्हारे मन के clarity में help करेंगे।"
हिमाद्रि बोली, "यूँ बात-बात पे अपना थोपड़ा मत लटकाया करो। कौन चोर तुंहरी खिशियाँ चुराता है, बता कर तो देखो। उसका जीना हराम कर देंगें हम। हमेशा खुश रहो, मुस्कुराती रहो।"
At last रवि बोला, "हम तुम्हारे family/personal matter को समझने या decision लेने में तुम्हारी help कर सकते हैं। मगर उसे solve करने में कोई help नहीं करेंगे। उन problems को तुम्हें खुद ही संभालना होगा होगा।"
अग्रिमा बोली, "ठीक है। मैं कोशिश करूँगी।"
अभिमन्यु बोला, "वाह..! That's great. इस बात पे तो party होना चाहिए। आज मेरे तरफ़ से। (Road के किनारे मौजूद restaurant की तरफ़ इशारा करते हुए बोला) वहाँ हो जाएगा ?"
राजेश बोला, "हाँ हो जाएगा। रवि, तुम इनके साथ जाकर table खाली करवाओ। हम पीछे से पाँच min में आते है।"
रवि बोला, "ठीक है। चलिए भैया।" और वह मनु और मिस्टी के साथ वहाँ से चला गया।

वाह ! Finally सबकुछ सही हो ही गया। There is happy ending. कहीं आपलोग को ऐसा तो नही लग रहा ना ? जरा रुकिए कहानी अभी खत्म नहीं हुई। अभी भी इस किस्से का कुछ हिस्सा अभी शेष है।
कोमल पूछी, "तुमने हमें बहाने से उनके साथ जाने से क्यूँ रोका राजेश ?"
सतीश पूछा, "आखिर बात क्या है ?"
राजेश बोला, "मुझे रवि और अग्रिमा को लेकर कुछ ठीक नहीं लग रहा।"
हिमाद्रि बोली, "क्या मतलब ? After all everything is shorted."
राजेश बोला, "जैसा हम सोंचते है वैसा नहीं होता। हमरा assumption बस एक perspective होता है। जैसे ही facts बदल जाएंगे, result बदल जाएगा।"
रुद्र बोला, "तुम कहना क्या चाहते हो ? साफ साफ कहो ना..."
राजेश बोला, "रवि और अग्रिमा अब पहले के जैसे नहीं रह सकते। उनके personal life में अब घरवालों का entry हो चुका है और हमारा भी। अब हर चीज को उन्हें co-ordinate करते हुए आगे बढ़ना होगा। इस दो person के individual life को यानी कि अग्रिमा और उनकी family, और रवि के साथ हमें, उन दोनो को balance and adjust करते हुए चलना होगा। आखिर इसे ही तो relationship कहते हैं। अब वो दोनों अंजाने में ही सही, मगर एक दूसरे के साथ relationship को निभाएंगे। भले इस relationship का नाम वो बस friendship ही दें।"
हिमाद्रि बोली, "I think कि राजेश correct बोल रहा है। मेरा भी इस बात पर ध्यान नहीं रहा कि रवि और अग्रिमा दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं। रवि इस बात को accept भी कर चुका है और अग्रिमा के behaviour से show होता है। अब उनके बीच कोई restriction भी नही है। इसलिए अब उनके बहकने और life में भटकने के chances और भी बढ़ जाते हैं।"
कोमल बोली, "ऊपर से अगर समाज का कोई comment उनके mind पे कोई effect डाला तो उनके बीच का balance उसपर भी बिगड़ सकता है।"
सतीश बोलता है, "तुमलोग कुछ ज्यादा ही सोंच रहे हो।"
रुद्र बोला, "नहीं सतीश। ये सही बोल रहे हैं। हर कोई तुम्हारे जैसा नही होता। हर किसी का self-control तुम्हारे जैसा नही होता।"
हिमाद्रि बोली, "रवि अभी तक नहीं भटका क्यूँकि अभी तक उसके साथ ऐसा कोई situation नहीं था। मगर अब उसका self-awareness  और self-control कैसा है, यह तो वक़्त ही बताएगा।"
कोमल बोली, "तो आगे क्या करना है ?"
सतीश बोला, "उन दोनों को situations के बारे में समझाएँ ?"
रुद्र बोला, "या तुम्हारा उन दोनों को slowly-slowly separate करने का इरादा है।"
राजेश बोला, "कुछ भी नहीं।"
सतीश पूछा, "क्या मतलब ?"
राजेश बोला, "जैसा चल रहा है चलने दो।"
हिमाद्रि बोली, "मतलब हमें उनके personal matter में कोई interfere नहीं करना है।"
कोमल बोली, "तो उनसे हमें कोई मतलब नहीं रखना है ?"
राजेश बोला, "नहीं। हम उन्हें importance देंगे। But just as a friend. जैसे हम सभी एक दूसरे को पहले से देते आये हैं। मगर इसके अलावा उन दोनों के बीच में क्या हो रहा है, उसमें हमें interfere नहीं करना है। हम बस उनको follow करेंगे। वो जैसा decision लेंगे, उसी के according हम act करेंगे।"
हिमाद्रि बोली, " अग्रिमा हमारे group में new है। मगर हमें उसे वैसे ही treat करना होगा जैसे कि हम बाकियों के साथ करते है। उसे हमारे साथ adjust करने में time लगेगा और हम उसे देंगे।"
कोमल, सतीश और रुद्र एक साथ बोले, "Okay done."  और फिर सभी एक के ऊपर एक का हांथ रखकर आपस में इसे promise किए और restaurant की ओर चले गए।

खाना खाकर सभी restaurant से बाहर निकले।
मनु बोला, "रवि, मिस्टी को घर drop कर दोगे ? मुझे कहीं थोड़ा कुछ काम है।"
"मगर..." इसके साथ कुछ रवि बोलने ही वाला था कि राजेश अपनी bike का चाभी उसके सामने झुलाते हुए, उसे ले जाने का इशारा किया। वो दोनों चले गए। मनु भी चला गया। रुद्र और हिमाद्रि भी चले गए। राजेश बोला, "चलो..। शाम अभी तक हमारा ढला नहीं है।"
सतीश बोला, "क्या मतलब ?"
राजेश बोला, "चलो beach पर। फिर बताता हूँ।"
राजेश, उसके बाई ओर कोमल और दाई ओर सतीश पैर पसार कर बैठ गए।
कोमल बोली, "क्या बात है ? आज बहुत मुस्कुरा रहे हो। मगर तुम्हारे आँखों में है ख़लिश कैसा ?"
राजेश बोला, "Shivi is back in my life."
सतीश बोला, "वाह..! यह तो अच्छी बात है।"
राजेश बोला, "पता नहीं क्यूँ.., पर मेरी यह इक्षा तो थी कि वह मेरे life में वापस आए। कम से कम 10 min. या उससे भी कम बस 2 min. के लिए। मुझे पता था कि बीती यादों को याद करने से कोई फ़ायदा नहीं। मैंने जो उस वक़्त उसके साथ behave किया, या बाद में उसे कभी ढूंढने की कोशिश नही की, इसके लिए शायद वो कभी मुझे माफ़ ना करे। मगर कम से कम वो जो एक आखरी पल मुझे मिलता, मैं उसमे बस उसमे खोकर रहता। कहने को तो कुछ भी उसे ना कहता, मगर उसमें खोकर बस उसे ही निहारते रहता।"
कोमल बोली, "ऊपर वाले ने तुम्हारी बात सुन ली। और तुम्हें sirf 10 min. नहीं बल्कि उससे बहुत भी बहुत ज्यादा दे दिया।"
राजेश बोला, "यही तो problem है। उसका मेरे life में वापस आना मेरे लिए unexpected था। अब मुझे पता ही नहीं की आगे क्या करना है। मुझे वैसा feel नहीं होता, जो पहले होता था। अब सबकुछ से मेरा मोह टूट गया।"
सतीश बोला, "तो आगे क्या सोंचा है ? फिर से उसे hurt करके उससे दूर होने का ?"
राजेश बोला, "नहीं। उसे जीने का मन हैं। इस ढ़लते हुए शाम की तरह। जिसकी लालिमा कितनी खूबसूरत है। जो मेरी ख़्वाहिशें कौन-कौन सी अधूरी रह गई हैं उनपर से ध्यान हटाकर बस कुछ पलो के लिए ही सही मगर खुद में खोने का अहसास कराती है। जिसके बारे में मुझे पता है कि यह बस कुछ पल के लिए ही है और अगले पल नहीं रहने वाली। मगर फिर भी अंत तक इसके साथ रहने का अहसास देती  है और जाते-जाते अलविदा कहकर सुकून से सोने का अहसास देती है।"

राजेश के इस भाव को आप कृष्ण के लिखे कविताएं - "शाम की लालिमा", "अधूरी ख़्वाहिश", "उसे आगे बढ़ना अच्छा लगता है", और "अलविदा मेरे हमसफ़र" में पढ़ सकते हो। पर जरा रुको अभी। इतना जल्दी कहाँ चल दिए। Climax अभी खत्म हुआ है, end credit अभी नही जानना क्या ?
अभिमन्यु Mr. Mehta के घर में उसके सामने बैठा हुआ है। Drawing table में मिस्टी की आधी जली हुई diary रखी हुई है। और मनु सवाल करता है, "Sir, मुझे उस वक़्त जो सही लगा, मैंने किया। मगर फिर भी मेरे मन में एक dough हो रहा है कि जो मैंने किया, क्या वह सही किया या फिर गलत।"
Mr. मेहता कहते हैं, "देखो मनु, सही गलत बस एक perspective है। जो कि facts पर depend करता है कि हम कितना जानते है या कितना उन्हें समझते है। ये जैसे ही बदल जाएँगे, हमारे perspective भी बदल जाएंगे। साथ ही हमारा सही-गलत का choice भी। 'You're not in my place. You can't understand my feelings and situations.' Whenever anyone can use this statement, try to find out the reason behind using of this statement by any person. This statement having deep meaning which vary over time, situations, and person. There is must some facts/reasons exist which another person can never understood without analyze through their perspective and their experiences. जैसा कि तुम्हें मानी ने कहा की उसके पास दो option थे, same तुम्हारे पास भी थें। बस इसे अच्छे से समझो। 1st में अगर तुम मिस्टी के life का decision लेते हो। तो मानी उसमें खुद को adjust करने के लिए मिस्टी की help कर देगी मगर मिस्टी को इस बात की हमेशा मन में guilt रहेगा कि उसने अपनी family के लिए खुद के अरमानों का गला घोंटा है। और 2nd में अगर वह खुद से कोई decision लेती है तो अपने decision के लिए हमेशा खुद को responsible मानेगी। जो कि शायद तुम्हें बुरा लगे। मगर, दोनों चीज में एक चीज पर ध्यान दो, और वो है तुम्हारे और मिस्टी के relation पर। 1st में हमेशा उसे यह लगेगा कि किसी को उसकी परवाह नहीं, इसलिए वह अपने life के कोई भी problems तुमलोग से share नहीं करेगी। उसके साथ जो कुछ भी होगा, वह उसे अपनी किस्मत मान कर accept कर लेगी। वह कभी खुद के लिए fight करेगी ही नहीं। And 2nd में, उसे यह अहसास रहेगा कि कोई है उसके पीछे, इसलिए जब भी वह life के किसी भी test में हारेगी, फिर उठ खड़ा होगी कि उसके पीछे कोई है। वैसे जो तुम किये हो, तुम्हें हमेशा तैयार रहना होगा जामने से अपनी बहन को defend करने के लिए। क्यूँकि जमाना इन चीजो को फिलहाल सही नही मानता इसलिए at least वो mentally torture तो करेंगे ही।"
मनु बोला, "यह तो मुझे अब हमेशा करना होगा ना ? मतलब हमेशा लड़ते रहना होगा क्योंकि इससे कभी हम जीत नही सकते। क्या मुझे अपना decision बदल देना चाहिए ?"
Mr. मेहता बोले, "नहीं। वक़्त के साथ जमाना बदलता है। जिस चीज को किसी समय कोई पसंद नही करता, वही फिर कभी trend बन जाता है। उस वक़्त अगर याद आये कि किसी समय तुमनें जो sacrifice किया जमाने के डर से वही आज जमाने में trend बना हुआ है, तो guilty महसूस होगा। इसलिए बस इंतजार करो। जो लोग अभी ताने मारेंगे, उनका समय बहुत जल्द निकल जाएगा। जिनका समय आएगा, वो प्रेरणा लेंगे। और जो इसे trend मानेंगे, उन्हें तो कुछ भी पता ही नही होगा इस जमाने के सोंच के बारे में।"
कोमल घर वापस आ गई।
Mr. मेहता बोले, "आज काफी late हो गया..?"
कोमल बोली, "बस पापा, evening बहुत ही खूबसूरत था तो हो गया आज थोड़ा late." उनकी नजर मनु पे गई, "आप..?"
Mr. मेहता बोले, "यह अभिमन्यु है। मेरा ex-student अभी एक soldier है।"
कोमल बोली, "हाँ जानती हूँ। मेरी friend के भैया है।"
अभिमन्यु बोला, "Sir, अब मुझे चलना चाहिए। मानी मेरा घर पे wait कर रही होगी।" और सामने से मिस्टी की diary उठाकर अपने jacket के pocket में भर लिया।
Mr. मेहता और कोमल  "good night" wish किए। अभिमन्यु भी "good night" बोलकर चला गया।

बस। यह पार्ट यहीं पर खत्म हुआ। जिन्होंने हमारे साथ बस इस कहानी को पढ़ा, उन्हें यब simple ending लग रहा होगा और जो शुरू से इसे पढ़ते आ रहे होंगे उन्हें Ending फिर से समझ नही आया। शायद..! Absurd literary work की यही तो खूबी होती है। Multiple possibilities होती है story के ending को लेकर। इसलिए खुद सोंच लो कि आगे क्या होना चाहिए। कृष्ण चाहता था कि वह अपने story के माध्यम से अपना subject को सबके सामने रखे। उसने रख दिया। अब अपने हिसाब से सोंच लो कि क्या सही है और क्या गलत है। अब मुझे विदा दो। मैं तो चला अब आगे बढ़ने। अब कृष्ण के imaginary world के दूसरे characters की story पढ़ने। याद है ना, कि मैं समय हूँ ? ना किसी के लिए कभी रुका हूँ, ना कभी रुकूँगा। जो मेरे साथ चलेंगे, वो मेरे साथ होंगे। नही तो जो कहीं ठहर जाएंगे, वो वक़्त में पीछे छूट जाएंगे।

----- one's end is always
another's beginning -----

-AnAlone Krishna.
Published on, 14h February, 2020 A.D
Re-edited on, 1st March, 2021 A.D.


॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :-  |  |  |   |  |  |  ९•० | ९•१ | ९•२ १०.० | १०.१ | १०.२ ११.० ११.१ ११.२ १२


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