I, Krishna, present you here, my 100+ literary works—poems and stories. I hope, I shall plunder your heart by these. Let you dive into my imaginary world. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.

🙏🏽 Thanks...! 🙏🏿

What's new/special message for the readers...👇🏿

"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
Specials
-------------------->Loading Special Works...
📰 Random, Popular, Featured Posts
Loading...

• अलविदा मेरे हमसफ़र • ,कृष्ण कुणाल की लिखी कविता

• अलविदा मेरे हमसफ़र •
(अपने द्वारा किसी को ठुकराए जाने वाले शख्स के पास वापस आने पर खुद के लिए उससे पहले की तरह कद्र ना मिलने पर उसे उसकी life में आगे बढ़ने का best wishes देते हुए)
कृष्ण कुणाल की लिखी कविता

• अलविदा मेरे हमसफ़र •

हम चले जा रहे है
अब उनके नज़रों से बहुत दूर..,
जिनकी रगो में हमारे होने से
खलिश हो जाया करती थी।
बढ़ जाती थीं दिल की धड़कनें
और तेज हो जाती थी सांसें..,
जिनकी इस हालत को देखकर
मेरी धड़कन थम सी जाया करती थी॥

ख़ुश रहना मेरे बाद
मुझे चोरी छिपे निग़ाहों से देखने वालो...
जो पड़ते ही मेरी नजर
नजरें हटा लिया करते थे।
उन्हें हैरत थी कि
हम उन्हें देखते थे बेगैरत से भी नहीं...
अरे पराई चीज़ों में नज़रे लगाना
हमारे संस्कार में नहीं थें॥

हां तकल्लुफ नहीं किया था
दो शब्द उनके तारीफ में कहकर...
ज़रूर इस दिल को उस दिल की
थोड़ा तो कद्र हुआ होगा।
मगर कम्बख़त इस छोटी सी खता की
इतनी परवाह कर बैठे वो...
जमाने के ताने से हमें बचाने की कोशिश की
तो यार थोड़ा तो अपनापन जरूर रहा होगा॥

एक उनके दिल की हालत थी
और एक मेरे दिल की हालत थी...
वो करते थे कद्र हमारी गैरो के बीच भी
मगर हम तो बस कद्र अपनी ही किया करते थे।
माना की अहसास था इस दिल को
उस दिल की क्या हालत थी...
मगर समझते थे या नहीं वो अपने दिल को
इस बात की फ़िक्र हम भी तो किया करते थे॥

यूं महफ़िल में होकर
किसी के ख्वाबों में खो जाना...
ये तो अच्छा नहीं होता
किसी के बिना महफ़िल फिका लगने लगे।
अरे हम भी नहीं चाहते
कि किसी को ना पा पाने के बाद...
उसे किसी और के पास देख
उसकी तौहीन करने लगे॥

तो खुश रहना बढ़ के आगे
बिछड़ कर अपनी राहों में तुम...
यूं समझ लेना कि बस
इतने ही पल के लिए हमसफ़र थें दोनों।
याद रखना बस यादों को
और एहसासों को तुम भूल जाना...
जगाना इन्हें फिर से तो किसी और के लिए
शायद ना आए हम अब कभी एक दूसरे के नजर में दोनों॥

-AnAlone Krishna.
2nd July, 2019 A.D.

For give review to this poem, please comment.
Link to the Facebook post, https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2320577654854621&id=100007072263527&sfnsn=mo
Share with your loved ones if you like with your own comment about my work.
Thanks..!

0 Comments

I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻

Newer Post Older Post
WhatsApp Logo