Life की परछाई : Chapter 2 (Understanding the characters) | Bilingual story by AnAlone Krishna.
● Life की परछाई ●
By AnAlone Krishna
Chapter 2
Prelude | Chapter 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12
● Life की परछाई ●
अभिषा albums को लेकर पलंग में एक पैर को मोड़कर और एक पैर को नीचे झुलाये बैठी हुई snapshots देख रही है। वह page पलटती है। वह देखती है उन snapshots को जो उसके school tour के दौरान लिए गए थे। Snapshots में यह तो दिखता हैं जो वह moment में snapshots में कैद होता है, पर उसके आगे-पीछे क्या हुआ, यह पूरा किस्सा पता नहीं चलता हैं। लम्हा तो बताता है पर पूरा किस्सा नहीं बताता। जिससे पूरी कहानी हम नहीं जान पाते। यह सिर्फ वो लोग ही जानते हैं जो उस वक्त वहाँ होते हैं।
Left के first snapshot में उनके पूरे group का moment captured है, जो tour पे जा रहा होता है। Second snapshot में
अभिषा, रीमा, और सलोनी की bus के back seat पे बैठकर tour पे जाते हुए moment था। Right
side के first snapshot पे
अभिषा रीमा और सलोनी को boating के लिए boat से खींच रही है, और दोनों डर
से खुद को पीछे खींच रही है। और last के snapshot मे वापस आते वक्त capture की गई थी। उस moment में bus की बीच के किसी double
seat पर अभिषा और रीमा बैठी हुई है, और उनके साथ सलोनी नहीं
है। अभिषा को देखकर लग रहा है कि वह tour को पूरा enjoy की, पर रीमा उदास है। आखिर क्या हुआ उस दौरान
यह तो अभिषा भी नहीं जानती थी उस वक्त, और बाद में जो पता भी
चला तो तब, जब वह रीमा और सलोनी को बहस करते देखी। पर
मैं तो समय हूँ, हर किसी का भूत-भविष्य-वर्तमान सब जानता
हूँ। पर सीधे-सीधे बताऊँगा तो मजा नहीं है ना जानने में। तो ऐसा करते कि कैसे
अभिषा को यह बात पता चला, चलो मैं यह बताता हूँ।
Actually, हुआ यह था कि जब अभिषा अकेले boating पर बाकी कुछ students के साथ बैठी और रीमा के साथ सलोनी किनारे पर रह गई बाकी बचे कुछ students के साथ। फिर अभिषा के boat से जाने के बाद सलोनी रीमा के साथ पार्क चली गई। जहाँ पर इनके अकेले होने का मौका देखर उनके school का वीर एक नाम का लड़का, जो इनका senior था, सलोनी को propose किया। रीमा तो थी संस्कारी लड़की, वह अच्छे से उस लड़के को झाड़ दी। पर यह बात लड़कों को आसानी से हजम कहाँ होती है! एक तो सलोनी उसे कुछ जवाब नहीं दी, ऊपर से रीमा उसको उल्टा–सीधा सुनाई, बात तो उसके ego पर आनी ही थी। उस लड़के को भी गुस्सा आ गया। जिसपर माहौल को गरम होता देख सलोनी, situation को संभालने की कोशिश की। वह बोली कि, “मेरी friend अकल की थोड़ी कच्ची है, यह अभी बच्ची है। इसे इन चीजों से कोई मतलब नहीं रहता है, इसलिए इसे नहीं पता कि ऐसे situation में react कैसे करना है। मेरी सहेली की वजह से आप hurt हुए इसके लिए मैं इसकी ओर से आपसे माफी माँगती हूँ। Please इस मामले को लंबा मत खींचिए, और जो हुआ उसे भयानक ख्वाब समझकर भूल जाइए।“ यह सुनकर रीमा को लगा कि सलोनी वीर को support कर रही है, और फिर वह उसे समझाने लगी। पर सलोनी उसके बात का oppose की तो रीमा उससे झगड़ने लगी। Teachers जब रीमा और सलोनी को झगड़ते हुए देखें तो पकड़ कर उन्हें अलग किए, और उन्हें डाँटते हुए एक -दूसरे से अलग रहने के लिए बोले।
उस
वक्त वैसे age भी उनकी कितनी ही थी। वो तीनों उस वक्त 7th standard में पढ़ती थी, तो age होगी
वही लगभग 12-13 साल...। और वीर 9th में था तो वह 15-16
का होगा। उनका जो उस situation में reactions रहा, उसमें उनसे ज्यादा उनके उम्र का दोष था। इस
उम्र में लड़के-लड़कियों का एक दूसरे की ओर attract होना
आम बात होता है। Rejection को accept ना कर पाना भी common होता है। क्यूंकि
इससे पहले जितने भी लोग किसी युवा के life में आते
हैं, वो पसंद आए या ना आए उन्हें हमें accept करना ही पड़ता है। वैसे ही अगर हम किसी को
पसंद आए या ना आए वो भी हमें अपने life से निकाल नहीं
सकते। फिर चाहे वो हमारे relatives हो या classmates,
हमें उन्हे और उन्हें हमें accept करना
ही पड़ता है। पर बात जहाँ आती किसी के साथ love relationship में आने की तो सामने वाला person तभी हमें accept करेगा जब वह हमें पसंद करेगा, और तभी तक करेगा जब तक
हमें पसंद करेगा। मतलब कोई हमें पसंद करे इसके लिए हमें उसके लायक या वैसा बनना
पड़ता है, और हमेशा पसंद करे इसके लिए हमेशा मेहनत करते रहना पड़ता है। पर इस उम्र के लड़के-लड़कियों में यह समझ कहाँ रहती है। जिनके के पास यह
समझ रहती है वह सही बात समझाने की जगह रीमा के जैसी भोली-भाली लड़कियों और लड़कों को
बहकाते हैं, और उनके दिमाग मे ऐसा जहर भरते हैं कि अगर उनके
सामने कोई जज़्बातों की बात करे या अपने जज़्बातों को share करना चाहे तो उन्हें उससे नफ़रत होने लगे। जैसा रीमा को हुआ जब वीर सलोनी
के सामने अपने दिल का इजहार किया। संस्कार और संस्कृति के नाम पर लोग चाहे जो भी
बोले, पर इससे युवाओं के life में यह side-effect पड़ता
है कि वो इस बात को समझ ही नहीं पाते कि रिश्ते किस्मत से नहीं मिलते, उन्हें
बनाना पड़ता है। किस्मत से जो मिलते हैं वो सिर्फ लोग होतें हैं- चाहे वो relatives हो या friends. वो हमारे close तब आते हैं जब हम उस लायक खुद को बनाते हैं। वो हमारा साथ तब चाहते हैं जब
हम उनके साथ और वक्त के साथ ढलना पसंद करते और उन रिश्तों के लिए मेहनत करते हैं।
वैसे तो यह हर कोई करते हैं, पर हर कोई इसे समझते नहीं हैं।
जब लोगों में यह समझ आ जाती है तो लोग rejection को
भी accept करना शुरू कर देते हैं और सामने वाले person के लिए खुद को बदलना भी पसंद करने लगते हैं।
वैसे
बाद का तो पता नहीं लेकिन अगर उस वक्त सलोनी वह नहीं करती तो शायद कोई बड़ा issue हो
सकता था। रीमा के चिल्लाने से सभी सामने आकार यह जानने में दिलचस्पी लेते कि वह
क्यूँ वीर को इतना उल्टा-सीधा सुना रही है। फिर सबके सामने बेइज्जती होने के कारण
शायद वीर भी रीमा के खिलाफ़ कोई गलत कदम उठा लेता। सलोनी
जो करने कि कोशिश की, उससे वहीं का बात वहीं खत्म हो जाता,
और किसी को पता भी नहीं चलता कि आखिर वहाँ हुआ क्या..। आखिर ऐसा
माहौल जहाँ झगड़े-झँझट, फसाद होना आम बात हो, वैसा जगह में रहने वाली लड़की तो यही कोशिश करेगी कि जितना वह खुद को इन सब
से दूर रख सके, उसके लिए उतना अच्छा। सलोनी भी वही की। पर सलोनी की किस्मत,
वह कोशिश की कि कोई बड़ा issue ना हो,
तो उसी के साथ issue हो गया और वो
भी उसकी खुद की सहेली के साथ।
अगर
आप यह सोंच रहे हो कि boating से वापस आने के बाद अभिषा को ये सब पता क्यूँ नहीं चला, जो वह bus मे यह बात नहीं जानती थी कि रीमा और सलोनी के बीच क्या हुआ..? तो जैसा कि मैंने पहले ही आपको बताया है कि अभिषा मिलनसार लड़की थी। जब वह boat में बैठी तो बाकी students के साथ boating का खूब मजा ली। उस दौरान उसका उनसे भी friendship हो गया जो उस वक्त boat में थे।। Boat से उतरने के बाद वहाँ पर मौजूद सभी एक दूसरे के साथ boating का अपना-अपना अनुभव share करने लगे। जिनके
बीच वह रीमा और सलोनी को भूल गई। जब सभी वापस आने लगे तो जल्दबाजी में सभी bus में चढ़ने लगे, ताकि उन्हें अपना मनपसंद seat मिल सके। उस वक्त रीमा अभिषा का हाँथ खींच कर ले गई और उसके साथ double
seat में जाकर बैठ गई। जब अभिषा को याद आया की सलोनी के लिए
जगह नहीं है तो वह दूसरी तीन खाली seat देखने के
लिए उठी। पर वह जैसे ही उठी तो उसके सामने सलोनी आगे से पहुँच गई और अभिषा के कंधो
में हाँथ रखकर बैठने का इशारा करके वहाँ से पीछे चली गई। अभिषा बैठने के बाद पीछे
मुड़कर देखी तो सलोनी पीछे back-seat पर बैठी हुई थी। वीर के साथ ? नहीं, उसके साथ तो
नहीं। Life में इतना coincidence नहीं होता है। क्या लगा था कृष्ण इतनी आसानी से मिलवा देगा उनको। उसकी
लिखी बाकी कहानियों को पढ़ कर आए हो ना..? Girls के
लिए अलग bus थी और boys के लिए अलग।
इसके
बाद अभिषा album पलटी। इसमें कोई snapshot नहीं था। बल्कि
एक painting था, जो incomplete था। उसके ऊपर paint का धब्बा था। जो उनके
उस लम्हे की निशानी थी जब अभिषा सलोनी के साथ मिलकर school के group painting competition में अपना drawing कर रही थी। उस समय रीमा यह चाहती थी कि अभिषा उसके साथ आए। पर अभिषा सलोनी
के साथ participate कर रही थी, क्यूंकि रीमा हमेशा
कोशिश यह करती थी कि सब कुछ perfect हो, जैसा होना
चाहिए। जहाँ देखती कि उसके imagination से कुछ अलग हो रहा है,
तो खुद उसे करने लगती। और हमेशा चाहती कि जैसा वह guide कर रही है, result उसी के according हो। जिससे अगर अभिषा कुछ different and creative करने की कोशिश करती तो वह तुरंत उसे सुना देती, और फिर अभिषा को वही करना
पड़ता जो रीमा बोलती। पर अभिषा को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। उसके अंदर
हमेशा कुछ अलग और different करने का excitement रहता, इसलिए ज्यादातर group activities में
सलोनी के साथ team-up करती
थी। जहाँ रीमा हमेशा यह कोशिश करती कि वह कैसे हर चीज perfectly करके सभी को खुश कर सके। जिससे उसके parents, family, teachers
and others उसपर proud करे।
अभिषा हमेशा कुछ नया, अलग और बेहतर करके अपने पापा के आँखों
में चमक देखने के लिए मरती थी। पर सलोनी को इन सब से कोई मतलब नहीं होता था। उसे
हर चीज perfection के साथ करने के चक्कर में खुद
के creative ideas को अपने अंदर दबाकर घुट-घूँट कर
मारना पसंद नहीं था। साथ ही उसके new and innovative ideas को encourage करने वाला कोई नहीं था। उसकी
family उसे अच्छे school मे पढ़ा रही
थी, वही बड़ी बात थी। उन्हे सलोनी की extra activities की
अहमियत ना तो समझ आती थी, और ना वो इससे मतलब रखते थे। वो बस उसे फिजूल खर्ची के
लिए टोकते। सलोनी हर बात पर डांट सुनने की आदि हो गई थी। और उसे different
stakes लेना, गलतियाँ करना, फिर उससे सीखकर उसे सुधारने की कोशिश करना अच्छा लगता था। जहाँ रीमा और
अभिषा आगे आने वाले result के लिए कोई काम करती थी,
सलोनी उस पल को बस जीने के लिए work करती थी। उसे इससे कोई मतलब नहीं होता कि final में result उसके according आया या नहीं, वह जीती या नहीं। उसे satisfaction-dissatisfaction से भी कोई मतलब नहीं होता। वह
बस करती, क्यूंकि उसे वो सब करने में मजा आता था। इसलिए बिना result की परवह किये अभिषा के साथ team-up करना उसे अच्छा लगता था और वह हर एक लम्हा को बस जीने की कोशिश करती।
यह
हालात था उन तीनों का उन दिनों। रीमा, अभिषा, और सलोनी; तीनों अपने-अपने समाज और उसके माहौल पे पनप रहे सोंच और विचारधारा को represent कर रही थी। जहाँ रीमा अपने culture and heritage पर proud करती; अभिषा evolution, innovations, creativity के लिए excitement रहती; सलोनी individuality, freedom, peace and
love के तरफ attract होती थी।
अभिषा
यह बात तो समझती थी कि वह रीमा के साथ team-up नहीं की
इसलिए वह नाराज है। पर वह यह नहीं समझ पाई कि आखिर इसमे इतना क्या गुस्सा होना कि
आकर सीधा drawing ही खराब कर दी। वह भी तुरंत
गुस्सा हो गई और उसका भी रीमा के साथ उस दिन झगड़ा हो गया। फिर रीमा थक हार कर रोने
लगी, तो अभिषा का गुस्सा शांत हो गया। अभिषा रीमा का आँशु
पोंछते हुए बोली, “तुम्हें क्या हो गया है आजकल ? जब से park से घूम कर वापस आई हो, बात-बात पर गुस्सा करती हो। उस दिन जबरदस्ती कर रहे थे इसलिए गुस्सा हो या
तुमलोग को छोड़कर अकेले ही boat पे चले गए इसलिए
गुस्सा हो ?”
रीमा
बोली, “नहीं ऐसा नहीं है।“
अभिषा
आगे पूछी, “तो फिर क्या बात है ? तुम्हें क्या हो गया है ?”
रीमा
बोली, “उस दिन वो senior
class का लड़का, वीर, तुम्हारे जाने के बाद पार्क में सलोनी को propose करने आया। अगर उसके या मेरे घर में गलती से ये बात किसी को पता चल जाएगा
तो uncle और पापा हम दोनों को बहुत डाँटेंगे।“
अभिषा
सलोनी के तरफ़ देखी, और गुस्से से घूरते हुए उससे आँखों-आँखों मे बोली, “यह
बात बताई नहीं रे..?” फिर रीमा को सहलाती हुई बोली,
“Uncle को पता चलेगा तो सच में बहुत गुस्सा करेंगे कि रीमा
जैसी सुंदर, शुशील, संस्कारी और गुणवान
लड़की को छोड़कर आखिर वह लड़का सलोनी जैसी मुँहफट, बदतमीज,
और झल्लाही लड़की में ऐसा क्या देख लिया जो तुम्हारे सामने होते हुए
भी इसको propose करने गया।“
यह
सुनकर रीमा को फिर गुस्सा आया और वह अभिषा को एक कोहनी मारी। पर यह सुनकर सलोनी
मुस्कुरा दी। रीमा समझ गई कि अभिषा उसको छेड़ रही है। वह बोली, “तुमको यह मजाक लग
रहा है, क्यूंकि तुम्हारे पापा वैसे नहीं है। लेकिन हमलोग के
पापा तुम्हारे पापा जैसे नहीं है। वो बहुत गुस्सा करेंगे। इसलिए उसको हम डाँटे..।
पर सलोनी बीच में आकर उसका side लेने लगी और मुझसे
झगड़ा करने लगी। यह उसको पसंद करती है।“
अभिषा
सलोनी के तरफ देखी, सलोनी मुँह बनाते हुए ‘ना’ का इशारा की, और इशारा की
कि, “इसके बात पर ध्यान मत दो।“
अभिषा
फिर रीमा को बहलाने की कोशिश की, “यह तो है ही नासमझ लड़की, हमेशा उल्टा-पुलटा काम करते
रहती है। तुम यह बात मुझे पहले क्यूँ नहीं बताई ? मैं डाँटती
इसको।“ फिर अभिषा सलोनी को बोली, “चलो कान पकड़ कर माफ़ी
मांगों रीमा से, और बोलो कि आज के बाद ऐसा नहीं करेंगे।“
जिसपर
सलोनी रीमा से कान पकड़ कर “सॉरी..!” बोली।
फिर
अभिषा रीमा को बहलाते हुए ले गई की, “चलो, इस लड़की से हमें बात
नहीं करनी है।“ और उसे वहाँ से पकड़ कर दूर ले गई। तुम यहाँ अपना drawing बनाओ, हमलोग वहाँ अपना drawing बनाएंगे। तुम 1st करोगी और हमलोग 2nd.“
रीमा
कोई छोटी बच्ची नहीं थी। वह भी अभिषा के ही जितनी बड़ी थी। वह समझ गई कि अभिषा उसको
बहला रही है। पर तब तक उसका गुस्सा शांत हो गया और उसे अपने किये पर पछतावा भी हो
रहा रहा था। इसलिए वह फिर कुछ नहीं की और अभिषा को जाने दी।
अभिषा
वापस सलोनी के पास आई तो देखी कि वह दूसरा fresh seat लेकर पुराने वाले का नकल बनाने
की कोशिश कर रही है। अभिषा भी साथ में help करते
हुए सलोनी से park के किस्से को विस्तार से बताने
का इशारा की। जिसपर सलोनी बोली, “मुझे भी डर है आशा, कि यह बात कहीं घर तक ना पहुँच जाए। इसलिए जब रीमा शुरू हुई तो उसको शांत
करके वहीं का बात वहीं खत्म करने का कोशिश किये। पर उसके बाद जो रीमा की, और जो अब की, मुझे और ज्यादा डर लग रहा है इससे
घरवालों को सच में ना ये सब पता चल जाए।“
मैं
यह बात बता दूँ कि अभिलाषा को उसके अपने short में अभिषा पुकारते हैं, पर कुछ लोग जैसे कि उसकी माँ और सलोनी जो उससे बहुत प्यार करती है, वह उसे
आशा पुकारतीं है।
सलोनी
का डरना लाजमी भी था। भले उन्होंने अभी तक कुछ भी ना किया हो। पर अगर घरवालों को
यह बात पता चलता तो वो इन्हें ही दोष देते। साथ ही अगर वो कुछ गलती करती भी और
किसी को पता नहीं चलता, उनके घरवालों को पता नहीं चलता तो कोई समस्या नहीं थी। पर जब रीमा झगड़ा
शुरू की, लोग उन्हें झगड़ते हुए देखें, मामला
जानने की कोशिश किये। इससे उनके गलत ना होने पर भी उनके लिए मुसीबत आने वाली थी।
सलोनी जिस माहौल में पली बढ़ी, वह अच्छे से यह बात समझ चुकी
थी कि कैसे आधे-अधूरे बात से गलतफ़हमी, फिर गलतफ़हमी से अफ़वाह,
उस अफ़वाह का किस्सा, किस्सा का कहानी बनता है।
जिसे लोग बाद में सच मानने लगते हैं, और परिवार और समाज में
झगड़ा करते हैं। अभिषा रीमा के जैसी घरवालों के डर से घर के चार-दीवारों में मन मार
कर कैद रहने वाली लड़की नहीं थी। वह भी अपने समाज के बाकी लोगों की तरह ही बागी थी।
वह जब-तब सलोनी और रीमा के घर आते जाते रहती थी। जिससे जब भी वह सलोनी के मोहल्ले में
हो रहे झगड़े/फसाद को देखती या सुनती तो सलोनी से इसका पूरा जायजा लेती थी। इसलिए
सलोनी के जैसे ही अभिषा भी सामाजिक माहौल को काफी हद तक समझने लगी थी। पर रीमा तो
घर के बाहर भी घरवालों के साथ ही कदम रखती थी। अभिषा और सलोनी भी उससे मिलने आती
तो उसकी माँ उनपर नजर रखती कि कहीं वो दोनों रीमा को बिगाड़ ना दें। कमाल है ना !
हमारी family हमें अच्छा बनाने के चक्कर में इतना
अच्छा बना देते हैं कि फिर हम इस समाज की बुराइयों को नहीं समझ पाते हैं जिससे हम
गलतियाँ करते हैं। और हमें अक्सर इसका नुकसान झेलना पड़ता है। उन तीनों के साथ भी
वैसा ही हुआ। किस्सा फैलते-फैलते उनके घर तक पहुँचा। फिर अभिषा के पापा तो उसे बात
से समझाने की कोशिश किये, पर रीमा को अच्छा-खासा उल्टा-सीधा
सुनना पड़ा, और सलोनी को मार भी पड़ी। रीमा की अच्छाई और
दोस्ती सलोनी पर भारी पड़ गई।
continue the next chapter.••••••••••
-AnAlone Krishna.
Published on 8th August, 2023 A.D.
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