एक लड़का देखा है मैंने गाँव में... | Hindi poem by AnAlone Krishna
● एक लड़का देखा है मैंने गाँव में... ●
(जो बच्चे शहर से पढ़कर वापस आते है और आसानी से गाँव के माहौल में घुल-मिल नहीं पाते, यह कविता उनकी परिस्थिति को समझाने की कोशिश करती है।)
● एक लड़का देखा है मैंने गाँव में...●
एक लड़का देखा है मैंने गाँव में,
जो हमेशा अकेला और तन्हां रहता है।
कोई शिक़ायत तो नहीं उसे किसी से भी,
फिर ना जाने क्यूँ वह अकेला और तन्हां रहता है !
एक जमाने में वो कभी
पूरे मोहल्ले का जान हुआ करता था।
वह भाई-बहनों का सिर्फ भाई होने से बढ़कर
दोस्त और प्यार हुआ करता था।
फिर क्या हुआ इन चंद सालों में ही
जो वह पूरी तरह से बदल गया ?
क्या हुआ उसकी खूबसूरत दुनियाँ को
जो पूरी तरह से बिखर गया ?
हाँ चंद साल ही तो वह रहा है इनसे दूर।
वो भी नाराज़गी में नहीं, पढ़ाई करने को...
वह गया अगर इन्हें छोड़कर,
तो गया हमेशा के लिए नहीं छोड़कर
बल्कि जिंदगी में आगे बढ़ने, और कुछ बनने को...
फिर क्या हुआ इन चंद सालों में ही
जो वह पूरी तरह से बदल गया ?
क्या हुआ उसकी खूबसूरत दुनियाँ को
जो पूरी तरह से बिखर गया ?
एक लड़का...
...अकेला और तन्हां रहता है !
ये भी वही है, और बाकी सब भी वही हैं।
इसके आपसी रिश्तों के बीच कोई दरार नहीं,
बल्कि सबकुछ पहले के जैसा ही सही है।
हाँ नए माहौल में जाकर यह
नए माहौल में थोड़ा सा ढल गया।
जब छोड़ कर गया पीछे यह अपना गाँव
तो गाँव समय के साथ थोड़ा सा बदल गया।
तो क्या हुआ जो इसका रहन-सहन
और बर्ताव थोड़ा सा बदल गया ?
तो क्या हुआ जो गाँव में लोगों का
रवैया थोड़ा सा बिगड़ गया ?
ये भी वही है, और बाकी सब भी वही हैं।
इसके आपसी रिश्तों के बीच कोई दरार नहीं,
बल्कि सबकुछ पहले के जैसा ही सही है।
तो क्यूँ इसे इनके साथ अब
घुलना मिलना अच्छा नहीं लगता ?
तो क्यूँ इसे अब अपने गाँव का
माहौल में जाना बिल्कुल नहीं भाता ?
एक लड़का...
...अकेला और तन्हां रहता है !
ना इसे नाराज़गी है किसी से कोई,
और ना ही वह कुछ बदलना चाहता है।
यूँ बेवजह वह सबसे दूर जो रहता,
ना जाने उसका दिल क्या चाहता है !
यूँ तो इश्क़ की बातें
उसकी जुबाँ से मैंने कभी सुनी नहीं।
अदा-ए-मोहब्बत मैंने
उसकी आदतों में कभी देखी नहीं।
किसी की चाह में खोना या खोकर रोना,
उसकी आदतों में कभी यह थी ही नहीं।
फिर क्यूँ अब वह किसी से घुलता-मिलता नहीं,
बस अकेला और तन्हां रहता है ?
यूँ बेवजह वह सबसे दूर जो रहता,
ना जाने उसका दिल क्या चाहता है !
एक लड़का...
...अकेला और तन्हां रहता है !
माना कि इसकी सोंच को समझना
अब बाकियों के लिए मुश्किल होगा शायद !
माना कि गाँव के माहौल में ढलना
शहर के बाद इसे दोबारा मुश्किल होगा शायद !
तो क्या हुआ ? यह अपनी बातों को
बाकियों को समझाने की कोशिश कर सकता है।
तो क्या हुआ ? गाँव में आये बदलावों को
वह भी अपनाने की कोशिश कर सकता है।
अगर उसकी सोंच नई पीढ़ी की सोंच है
तो बाकियों को पहले के ही जैसा क्यूँ चाहता है ?
और अगर समझता है वक़्त की जरूरतों को
तो बदलावों को वह क्यूँ नहीं अपनाता है ?
तो क्यूँ इसे इनके साथ अब
घुलना मिलना अच्छा नहीं लगता ?
तो क्यूँ इसे अब अपने गाँव का
माहौल में जाना बिल्कुल नहीं भाता ?
उसे अपने अपनों को समझने की
अब दोबारा जरूरत है शायद !
उसे अपने अपनों के साथ ढलने की
अब दोबारा जरूरत है शायद !
पर उसे इसकी पहल खुद करनी होगी।
पर उसे इस जरूरत को खुद ही समझनी होगी।
एक लड़का देखा है मैंने गाँव में,
जो हमेशा अकेला और तन्हां रहता है।
कोई शिक़ायत तो नहीं उसे किसी से भी,
फिर ना जाने क्यूँ वह अकेला और तन्हां रहता है !
27th June, 2021 A.D.
Pic. clicked and edited by myself and modeling by my cute uncle.
Read the story behind writing this poem in my fb page Diary of AnAlone Krishna. Link is- https://facebook.com/diary.of.an.alone.krishna
For follow me through any social media, just search- an.alone.krishna
Please share with your own comment to your loved ones if it would worthy of stolen your heart.
Thanks...!
Comments