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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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हमदर्द सा कोई : भाग-३ | story by AnAlone Krishna.

भाग-३

राजेश का मसखरापन उसकी सबसे बड़ी कमजोरी में से एक थी। वह सबके साथ मसखरी करता, और लोग उसकी ओर आकर्षित होते। यह आम बात थी। इसी वजह से उसकी लड़कियों से भी दोस्ती आसानी से हो जाती थी। राजेश की उसकी last-girlfriend से जब झगड़ा हुआ, तब कामीनी बीच में टाँग अड़ाई। वह राजेश का call receive कर लेती, और राजेश को उसकी girlfriend से बात करने नहीं देती थी। उलटा वह इसका दिमाग़ चाटती थी। जब राजेश के बर्दाश्त के बाहर हो गया, तब वह सतीश के साथ कामीनी को बुरा-भला सुनाने चला गया। उस वक्त राजेश की girlfriend वहीं पर थी । वह राजेश को रोक दी और बोली, "हमारे बीच जो था, वो महज एक ख्वाब सा था। जो की अब टूट ही गया है। मैं तुम्हारे साथ रहकर देख चुकी हूँ । अब नहीं रह सकती। मेरे पिता मेरे लिए रिश्ता देख रहे हैं। तो तुम मेरा पीछा अब अगर छोड़ दोगे तो बड़ी मेंहरबानी होगी। आज के बाद मेरी जिंदगी में वापस लौट कर मत आना।"

इतना सुनते ही राजेश उदास हो जाता है, और वापस लौट आता है। उसके पिछे-पिछे सतीश भी वापस आ जाता है  । जहां कोमल रवि के साथ दोनों का इन्तज़ार कर रही होती है। सतीश राजेश के कंधे में हाँथ रखकर पुछता है, "तुम ठीक तो हो ?"
राजेश अपना कंधा झुकाकर सतीश का हाँथ सरकाते हुए बोलता है, "ठीक हूँ, ये सब मेरे साथ पहले भी कई बार हो चुका हैं। कुछ देर ऐसे ही रहूँगा, फिर ठीक हो जाऊँगा।"
सतीश साँस लेते हुए बोलता है, "तब ठीक है, वरना मुझे तुम्हारे बारे में चिंता हो रहा था।"
तब राजेश के मुख से अनायास ही निकल जाता है,-
"चंद लम्हा ढूंढ़ता हूँ मैं, ताकी जीयूँ इस जिंदगी को।
वो मौका ढूंढ़ता हूँ मैं, जब सुधारूँ अपनी गलती को।।
ना आस बुझी, ना मुक़द्दर मिला।
ना प्यास बुझी, ना समंदर मिला।।"

यह सुनते ही कोमल को आश्चर्य हुआ, और पूछी, "अब इसे क्या हुआ ?"
फिर रवि बोला, "हाँ यार, आज इसका मिज़ाज खराब है !"
जब सतीश उन्हें सारी बात बताना शुरु ही करता है, कि तभी राजेश का call आता है, "hello राजेश ! देखो निराश मत हो। यह है  ही  ऐसी लड़ाकी, जो लड़को को अपने आगे पीछे घुमाती है। तुम इसका पीछा छोड़ दो।"
राजेश यह बात सुनते ही फिर से ताव में आ जाता है। वह आवाज से समझ जाता है कि यह call कामीनी का ही है। वह किसी को बिना कुछ बताये वहाँ से चला जाता है, और जाकर कामीनी को दो झाँप खींच कर देता है। और अपनी girlfriend के तरफ मुड़कर गुस्से से बोलता है, "देखो मैं तुम्हें नहीं मार पाऊँगा। तुम मुझे छोड़ दी, तो एक बात अच्छे से समझ जाओ । आज के बाद ना तुम मुझसे संपर्क बनाने की कोशिश करना, ना किसी और से करवाने की कोशिश करना। तो अच्छा होगा।"
और वहाँ से चल देता है। रास्ते में आते वक्त कुछ समौसे खरीद लेता है।

सतीश राजेश को आते देख उससे बोलता है, "कहाँ चले गये थे बिना बताये ?"
राजेश बीच में ही बात काट देता है, और बोलता है, "मेरे लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। मैंने कहा ना कि मैं ठीक हूँ।"
सतीश फिर पुछता है, "तो फिर कहाँ गए थे ?"
रवि राजेश की हाँथो की ओर इशारा करके बोलता है, "और ये हाँथ में क्या है ?"
राजेश जवाब देता है, "समौसा ।"
कोमल आश्चर्य करते हुए बोलती है, "समौसा !"
तब राजेश सबको बोलता है, "आज मेरा दिल 💘  टूटा ना, चलो garden में party करते हैं ।"
कोमल फिर आश्चर्य करते हुए बोलती है, "party ?"
इसपर राजेश बोलता है, "कैसे दोस्त हो यार ........! मेरा मिज़ाज ठीक करने के लिए मेरे मातम में सरीख नहीं हो सकते ?"
उसके बाद सभी college के garden में party करते हैं।

एक सप्ताह के बाद।

"आने में इतनी देर क्यूँ लगा दिए ?" आते हुए सतीश को देखकर रवि पुछता है ।
राजेश मसखरे अंदाज में बोलता है, "मुझे लगा था कि यह कोमल के साथ आयेगा।"
सतीश शांत मन से दोनों को बोलता है, "देर आने के लिए sorry....., पर ज्यादा तो देर हुआ नहीं ?"
रवि इसका जवाब देता है, "देर तो हमें लगेगा ही ना......। इतनी देर में हम दोनों अंदर कम से कम दो समौसा खा लेते ।"
"हाँ तो खा लेते ना ....!" सतीश तुरन्त उत्तर देता है।
इसपर रवि प्रति-उत्तर देता है, "ऐसे कैसे खा लेते ? जब तुम आ ही  रहे थे। तो हम तुम्हारा इन्तज़ार नहीं कर सकते थे क्या ? तुम हमारी जान हो यार।"
"तुम्हारी इसी दोस्ती पर मरता हूँ यार.......।" इतना कहता ही है कि सतीश की नजर राजेश पर जाती है। और वह पुछता है, "आज हमारा राजेश खन्ना उदास क्यूँ बैठा है। गालो में हाँथ लिए। Bike की handle पर अपना कुहनी रखे । किसी की याद में खोया-खोया सा ।"
"बस, बस । पूरा व्याख्या करने की जरूरत नहीं हैं। मैं बताता हूँ।" रवि सतीश को बीच में ही रोक देता है, और आगे बोलता है, "बेचारा को कोई मिलने के लिए बुलाई थी। यह वहाँ जाने को छोड़कर यहाँ आया है तुमसे मिलने।"
सतीश आश्चर्यजनक होकर पूछता है, "कौन ?"
राजेश इसका जवाब देता है, "कामीनी ।"
सतीश तब बनावटी ढंग से बोलता है, "ओह हो, बेचारा उससे मिल नहीं पाया । बेचारी का दिल टूट जाएगा। तुम्हें उससे जाके मिलना चाहिए था ।"
यह सुनते ही राजेश ताव में आ जाता है। और बोलता है, "रवि, तुम उतरो इस bike से । मैं जा रहा हूँ कामीनी से मिलने।"
रवि इधर bike से उतर ही रहा होता है कि सतीश उधर bike की चाभी निकाल लेता है। और गुस्से में बोलता है, "अबे वो कामीनी, कमीनी है सालीं। तू उससे मिलने के लिए हमें छोड़कर जा रहा है........? अभी सप्ताह पहले मेरे साथ जाकर उसे सुना कर आया था। और अचानक अब उसके लिए तुम्हारे दिल में जज्बात कब से जाग गया ......?"
इसपर राजेश सहजता के साथ जवाब देता है, "मैं जानता था तुम ऐसा ही कुछ कहोगे। इसलिए मैं वहाँ जाने के बजाए, यहाँ तुमसे मिलने के लिए आ गया।"
इसके बाद सतीश का गुस्सा शांत हो गया और रवि राजेश  की प्रेम-कहानी सतीश को बताने लगा।

College  से घर जाने के बाद, राजेश को फिर कामीनी का call आता है। वो पहले राजेश से माफी माँगी, फिर उसे बहलाई और फुसलाई । जब आंधी में कमजोर पौधे झुक जाते हैं तो उन्हें  सहारे की जरूरत होती है। राजेश बेचारा उदास था इसलिए कामीनी की सहानुभूति ठुकरा नहीं रहा था। कामीनी अचानक ही राजेश की जिंदगी में आई, फिर दिल 💘 में । सतीश बेचारा जान भी नहीं पाया। लगभग लोगों को जो दुःख के समय साथ देते हैं, उन्हें वो अपने दिल में जगह दे देते हैं। राजेश भी उस वक्त वहीं किया। किसी के लिए उस समय यह बात मायने नहीं रखता कि साथ दे रहा शख्स औरो के लिए भला है या बुरा। बस एक ही बात उस समय दिमाग़ में आता है कि सामने वाला शख़्स दर्द समझ रहा है, मतलब हमदर्द है।

ये सब सुनने के बाद सतीश बोलता है, "देखो यार उसपर भरोसा मत करो। जो लड़की तुम्हें पहले ही धोखा दे चुकी है, तुम उसकी सहेली से उम्मीद लगाने की गलती कर रहे हो। तुमने उसे सब के सामने बेइज्जत किया था। तो क्या वो तुमसे बदला नहीं ले सकती है ?"
इसपर राजेश जवाब देता है, "देखो यार, सब को अपनी गलती सुधारने का एक मौका तो कम से कम मिलना ही चाहिए। उसे मैं वो मौका दे रहा हूँ, ताकी वो अपना आदत  सुधार सके। मुझे मेरी जिंदगी मौका दे रही है, ताकी मैं सँवर सकूँ।"
सतीश फिर समझाने की कोशिश करता है,
"तू टूट गया जो कभी, फिर कैसे तुमको जोड़ेंगे हम ।
तू रूठ गया जो कभी, दुःख कैसे इसका छोड़ेंगे हम।।
तुझे देखकर खुश होते हैं।
तेरी हँसी से, दुःख खोते  है।।"
इसका जवाब फिर राजेश सतीश के कंधों पर हाँथ रखकर बड़ी सरलता के साथ देता है,
"मैं तो पहले से ही टूटा हुआ हूँ दोस्त, सम्हल तो तुझे देखकर गया।
कोई मेरा पहले से ही रूठा हुआ है, अब बस उस दिल को नीलाम कर गया।
 मैं हमेशा ऐसे ही नहीं जीना चाहता हूँ यार, मैं भी अपनी जिंदगी में एक दिशा चाहता हूँ । लोग मेरे साथ हंसी-मजाक तो करते है, लेकिन जब उनसे नजदीकी बढ़ाने का कोशिश करता हूँ तो दिल तोड़ देते हैं।"

"अब कौन तोड़ दिया हमारे हीरो का दिल ?", सुरीली आवाज में कोमल आते हुए बोलती है।
"अरे कोमल !", रवि हैरानी भरें अंदाज में बोलता है।
राजेश बीच में टोकता है, "हाँ तो और कौन ?"
"मुझे लगा था कि तुम आज नहीं आओगी।", रवि बोलता है।
"कमाल है यार! मैं बुलाऊँ, और मैं ही ना आऊँ!", कोमल बोलती है।
रवि फिर हैरानी से पुछता है, "तुमने हमें यहाँ बुलाया है ! राजेश तो यह बोलकर मुझे यहाँ लाया है कि सतीश party दे रहा है।"
सतीश बीच में बोलता है, "हमें यहाँ इसी ने बुलाया है। party भी आज यहीं दे रही है। बताये तो थे राजेश को।"
कोमल और रवि दोनों थोड़ा गुस्सा भरे नजरों से राजेश को देखते है। और राजेश चेहरा में थोड़ा मुस्कान लाते हुए नजरें झुका लेता है।
रवि कोमल की ओर मुड़कर बोलता है, "आज party करने की वजह जान सकता हूँ.......?"
तब कोमल बोलती है, "अरे आज अपने मंगेतर को लूटने आयी हूँ।"
राजेश और रवि दोनों चौक कर बोलते हैं, "मंगेतर !"
फिर दोनों गुस्साते हुए सतीश के तरफ देखते हैं।
सतीश अपने दोनों कान पकड़ते हुए बोलता है, "नहीं बताने के लिए sorry !"
तबतक उनके सामने और एक bike पर सवार व्यक्ति आता है, जिसे देखते ही कोमल के दोनों गाल लाल हो जाते हैं। तीनों यह बात समझ जाते हैं कि बेशक यह कोमल का मंगेतर ही है।
वह व्यक्ति bike से उतरते हुए बोलता है, "तब हमें बातचीत यहीं करनी है क्या ?"
कोमल जवाब देती है, "नहीं, नहीं । अंदर में ।"
"तो चलो ।"
"हाँ, हाँ । चलो ।
और सभी अंदर restaurant में चले जाते हैं ।

कुछ कलिया कैसे खिलती है !
जब सुबह-सुबह का पहर हो ।
महबूबा कैसे शरमातीं हैं !
जब महबूब की उनपर नजर हो ।।
है बारिश में निकलती धूप के जैसा।
जवानी में उभरता रूप है कैसा।।
ना नजर हटे, ना दिल भरे ।
सिर्फ देखते रहें, ना कुछ और करे ।।

अंदर जाने के बाद पाँचों एक साथ बैठे। कोमल और उसका मंगेतर साथ में, और सतीश, राजेश और रवि साथ में उनके सामने। कोमल की मुसकुराहट चेहरे से जा ही नहीं रहा था। राजेश  बैठने के साथ ही टेबुल से कोहनी टिकाए, हाँथो में गाल लिए, एक टक कोमल को देखने लगा। तुरन्त कोमल के मंगेतर की नजर राजेश की इस हरकत पर पड़ीं। तब राजेश बोला, "महाशय, आप बड़े ही सौभाग्यशाली हैं। अगर मेरी नजर कोमल की इस अदा पर पहले पड़ीं होती, तो आप हाँथ मलते रह जाते।"
यह सुनकर सतीश पहले राजेश को देखा। फिर कोमल के मंगेतर को। उसका जज़्बात भांपकर राजेश को सीधा करते हुए बोला, "इसका आदत ही है हमेशा मसखरी करने की।"
रवि सतीश की मदद करता है और आगे बोलता हैं, "तब कोमल ! तुम हमें आपस में पहचान कराओगी या हमें खुद  होना पड़ेगा ?"
तब कोमल का मंगेतर बोलता है, "हाँ, हाँ । पहचान कराओ...........।"
कोमल तीनों के बारे में बताती हैं, फिर अपने मंगेतर के बारे में बताती हैं, "इन्होंने अपने मैंट्रीक की परीक्षा के बाद  पाॅलटेकनीक की और अभी कुछ ही सप्ताह पहले जाॅब लगा है। अरे, नाम तो बताना भूल ही गई। इनका नाम हर्ष है।"
रवि और राजेश दोनों नाम को दोहराते हैं, "हर्ष...!"
हर्ष सतीश को मुसकुराता देख, उसकी ओर इशारा करते हुए बोलता हैं, "हम एक दूसरे को पहले से जानते हैं। हम बचपन के दोस्त हैं।"
"बचपन के.........!", कोमल हैरान होकर बोलती है। और रवि-राजेश सतीश के तरफ देखने लगे ।
सतीश तीनों का जिज्ञासा शांत करते हुए बोलता है, "इसके माता-पिता का तलाक हो गया था। और इसे बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया गया था।"
हर्ष खुश होकर बोलता है, "तो तुम्हें सब याद है !"
तब सतीश बोलता है, "नहीं, सब नहीं।
कुछ यादें पुराने धुँधले से हैं।
कुछ ख्वाबें रातों के अधूरे से हैं।।
जाने कब पूरे होंगे यह।
जाने कब पूरे होंगे यह।।"
"वाह यार, सतीश के मुख से शायरी बहुत कम ही सुनने को मिलता है।" ऐसा कोमल बोलती है।
तब हर्ष बोलता हैं, "मेरे सामने यह बहुत शायरी झाड़ता है।"
तब-तक वेटर order लेने पहुंच जाता है। जिसे देखकर रवि बोलता हैं, "अरे कोई कुछ मंगायेगा भी कि सिर्फ बातें  ही करोगे। मुझे तो बहुत जोरों की भूख लग रही है।"
सतीश order देता है, "पाँच जगह समौसा।"
हर्ष बीच में तपाक सा बोलता है, "समौसा नहीं। आज मेरा बिछड़ा हुआ दोस्त मिला है। आज  party मेरी ओर से। जो चाहे वो खाओ, अगर पीने का मन है तो वो भी मंगाओ।"
राजेश फिर अपनी कोहनी को table पर रखकर अपने गालों को हथेली पर ले जाते हुए बोलता हैं, "वैसे तो हम पीते नहीं, पर आपकी मंगेतर को देखकर नशा सा चढ़ रहा है। और आप जनाब ?"
इतने में सतीश दायीं ओर से और रवि बायी ओर से राजेश को एक कोहनी एक साथ मारते हैं। और कोमल रवि के आगे से राजेश को धीरे से एक थप्पड़। राजेश नौटंकी करते हुए बोलता है, "हाँय...........! मार डाला रे ।"
वैटर order लेता है और चला जाता है।

"तुम तो बड़े रँगीला मिज़ाज के मालूम होते हो। कोई है कि  नहीं.......?", हर्ष राजेश को पुछता है।
राजेश बात को छिपाते हुए बोलता है, "अब क्या बताये आपको, इस दिल का क्या हाल है।"
रवि राजेश के माथे पर धीरे से मारता है। और कोमल बोलती है, "कुछ दिन पहले इसका दिल टूट गया।"
रवि बीच में बोलता हैं, "लेकिन अभी फिर से कोई है।"
तब सतीश बोलता है, "इसे कोई न कोई मिल ही जाती है।"
"और तुम सतीश ?"ऐसा हर्ष पुछता है।
इसपर कोमल जवाब देती है, "तीन साल से  देख रही हूँ इसे। यह कभी लड़कियों की तरफ ध्यान नहीं देता।"
राजेश बोलता है, "मुझे लगा था कि हमारे जैसे सिर्फ आखिरी साल से ।"
इसपर सतीश बोलता है, "हम +2के समय से एक दूसरे को जानते हैं।"
"सुनने में आया था कि तुम्हारे माता-पिता फिर  से एक हो  गए थे। तो तुम वापस क्यूँ नहीं आये ?", सतीश हर्ष से पुछता है।
हर्ष जवाब देता है, "मैं अपने घरवालों से तंग आ गया था। इसलिए दूर ही रहना चाहता था। वैसे तुम्हारे भाई के बारे में सुना तो बुरा लगा।"
यह सुनकर राजेश बोलता है, "लगता है काफी राज दबाया है सब ने ।"
रवि बोलता है, "लगता तो ऐसा ही है।"
राजेश फिर मसखरे अंदाज में बोलता है, "तब जनाब आप लोग कहिए। इतनी जल्दी शादी करने का ख्याल कैसे आया ?"
कोमल बोलती है, "घरवालों ने कहा अच्छा लड़का है। एक बार मिल लो। बाद में फैसला करना। तो वही, एक दूसरे को समझने का कोशिश कर रहे हैं।"
राजेश, "अच्छी बात है, वरना जिंदगी सिर्फ समझौतों में ही  गुजरती है।"

सभी आपस में ढेर सारी बातें करते हैं। अंत में हर्ष पैसे देने जाता है। और कोमल की तरफ इशारा करते हुए बोलता हैं, "कोमल……………………."
सतीश बीच में ही बात को काट देता है, "सिर्फ दोस्त हैं, बाकी की तरह। तुम तो मुझे जानते ही हो। मै कभी कोमल का बुरा नहीं चाहूँगा।"
हर्ष पुछता है, "और प्रिया........?"
"वो अतीत, जिसे मैं भूलना चाहता हूँ।"
तभी एक और लड़की वहाँ पैसे चुकाने आ जाती है, और सतीश को कहती है, "तुम्हें खुश देखकर अच्छा लगा।"
तब सतीश के मुख से अनायास ही निकल जाता है,
"मेरी जिंदगी शुरू हुई थी, जब तू मिली,
जब तू गई तो मेरी जिंदगी खतम ।
लम्हा ये मेरा गुजर तो रहा है,
पर कैसे बताऊँ इस जिंदगी का सितम ।"
यह सुनते ही हर्ष दोनों को घुरने लगता है पर कुछ नहीं कहता।
वह लड़की बोलती है, "अपने काम में दिल लगा लो। तो तुम्हारे लिए अच्छा होगा।"
सतीश बोलता है,
"लगा तो लूँ ये दिल,
पर पहले यह वापस मिले तो सहीं।
बिछा दू दिलबर के राहों में,
पर बाग में कलिया खिले तो सहीं।।
तुम निकलती नहीं हो सीने से,
जो दूँ किसी और को यह दिल।
भुला दूँ तेरी यादों को,
हसीना कोई ऐसी मिले तो कहीं।।"

उस लड़की के जाने के बाद हर्ष सतीश से पुछता है, "यह कौन थी ?"
सतीश बोलता है, "प्रिया ।"
हर्ष बोलता है, "मैं तो इसे पहचान ही नहीं पाया ।"
सतीश इसका उत्तर देता है, "समय के साथ यादें धुँधली हो जाती है। होता है, ऐसा कभी-कभी।"
तब तक बाकी सभी भी आ जाते हैं। कोमल पुछती है, "बिल चुका दिया ?"
हर्ष जवाब देता है, "हाँ चुका दिया।"
और सभी वहाँ से चले जाते हैं।

-------+++++-------
Story continue on its next part, "हमदर्द सा कोई : भाग - ४"

-AnAlone Krishna
11/12/2017(date 📅 of publishing)
08/12/2017-11/12/2017(date 📅 of writing)
This is third part of earlier chapters of this album 'हमदर्द सा कोई' ।

Moral-अगर दोस्त हो तो किसी से भी introduce करवा सकते हो।


॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :-  |  |  |   |  |  |  ९•० | ९•१ | ९•२ १०.० | १०.१ | १०.२ ११.० ११.१ ११.२ १२


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