● हमदर्द सा कोई ● भाग-९•२
भाग-८ ● हमदर्द सा कोई ● भाग -१०
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"अभी..! देखो ना आसमान से रौशनी कम हो रहा है। शाम होने वाली है। सतीश इतने शाम को ही क्यूँ निकला ! दोपहर का train भी तो पकड़ सकता था। खैर, उधर देखो station के छोर की तरफ। जहाँ train की पटरियाँ गायब हो रही है उसके पीछे के पहाड़ को देखो। जब सूरज उधर डूबेगा तो वह नजारा कितना खूबसूरत दिखेगा !" राजेश रवि से आग्रह करता है।
"अरे यार.., सोंचे थे कि दोपहर में एक घंटा सो लूँगा तो थोड़ी थकान कम हो जाएगी।" रवि राजेश को बोल ही रहा होता है कि बीच मे राजेश intrupt करता है, "जो बीत गया उसे लेकर क्यूँ रो रहे हो ! शाम में सोता कौन है ! अभी इस ढलती हुई शाम का मजा लो। तुम्हें मेरे साथ quality time spend करने का मौका मिल रहा है।"
रवि (फुसफुसाता है):- "ऐसे time को तुम्हारे साथ बिताकर क्या मजा आएगा !"
राजेश:- "क्या बोला तुम ? जरा फिर से बोलना..."
रवि:- "तुम पागल हो।"
राजेश:- "हाँ, बचपन से।(थोड़ी देर रुककर) अपना mobile देना..."
रवि:- "क्यूँ ?"
राजेश:- "मेरा mobile charging पे था तो उसे घर पर ही छोड़ दिए।"
रवि:- "हाँ.., लेकिन किस लिए ?"
राजेश:- "वो.., सतीश को bye नही बोले ना इसलिए बात करने के लिए।"
रवि राजेश को अपना mobile देता है बात करने के लिए फिर बात करते हुए राजेश को इशारा करता है कि वह track के opposite में बेच रहे चलते फिरते चाय वाले से चाय लेने जा रहा है। लड़के होते है ना, जो भी दिखे, सीधा वो काम कर ही देते है। track खाली था, वह overbridge के जगह सीधा track से ही cross कर गया।
राजेश जब सतीश का call cut किया तो देखा कि किसी अंजान no. से 2 missed call घुसा हुआ है। जब वह call cut किया तो उधर से फिर call आया। राजेश को लगा कि कोई important call है शायद, इसलिए call recieve किया। recieve करते ही उससे question पूछा गया, "क्या यह रवि का no. है ?" जब राजेश ने 'हाँ' कहा तो उधर से non-stop खरी-खोटी, गाली-गलौज सुनाना शुरू कर दिया, "...तुमलोग हरामखोरो पढ़ाई करने college जाते या दूसरों के घरों के बहू-बेटियों को फ़साने के लिए।... तुम्हारे घरवालों ने कोई संस्कार दिए है या सालो लावारिश पैदा हुए हो !... आज के बाद अगर कहीं से भी पता चला की तुम मेरी बहन के अगल-बगल भी मंडराए तो तुम्हारा वो हाल करूँगा कि साले महीनों तक bed से नही उठेगा।"
राजेश शांति से ही पूछता है, "जिसके लिए मुझे इतना सुना रहे हो, एक बार उसका नाम तो बता दो। मेरे life में क्या एक ही लड़की है ! मुझे किससे दूर रहना है ये भी तो पता होना चाहिए ना।
उधर से फिर सुनाने को शुरू करता है, "...यही, सालो तुमलोग को तो पढ़ना लिखना होता नही है बस कब कौन सी लड़की को फसाये... साले मैं अग्रिमा की बात कर रहा हूँ।..."
राजेश अभी भी शांत रहकर पूछता है, "अग्रिमा ने शिकायत खुद की है ?"
इसका जवाब मिलता है, "वो complaint नही करेगी तो क्या मुझे पता नही चलेगा ! भाई हूँ उसका, सब पता होता है मुझे। उसके कुछ कहने से पहले उसके सारे problem solve कर देता हूँ।"
राजेश बोलता है, "आपकी मैंने इतनी गालियां सुन ली। अब 5 min. मेरी बात सुनोगे ? Tension मत लो, मैं गालियां नही दूँगा।"
उधार से गुस्से से ही reply आता है, "बोल बे,..."
राजेश बोलता है:-
एक दिन tea-stall के पास एक लड़के को उसके एक दोस्त ने बताया कि उसकी बहन एक लड़के के साथ किसी restaurant में काफी देर तक थी। उस लड़के ने तुरंत बहन को call करके पूछा कि, "छोटी, रास्ते से गुजरते वक़्त मैंने तुम्हे college के पास वाले restaurant में किसी लड़के के साथ देखा था।" उसकी बहन बोली, "भैया, वह classmate है। वह class में attentive रहता है। उससे class के topics को clearly deal कर लेते हैं । अब ऐसे ही तो कोई बताएगा नहीं ना, बस इसलिए छोटी सी treat... लेकिन मैं अकेली तो नही थी। मेरे साथ मेरी बाकी सहेलियाँ नही दिखी आपको ?" वह लड़का बोला, "अच्छा शाम में घर आकर बात करता हूँ।" और तुरंत call काट दिया। फिर, अपने दोस्त के कंधों को प्यार से पकड़ कर उसे सामने लाया फिर खींच कर उसे दो झाप दिया। उसके बाद उसके collar को ठीक करते हुए बोला, "देख भाई बुरा मत मानना, पर यह इसके लिए था ताकि अगली बार मेरी बहन के बारे में कुछ सोचो भी तो अच्छे से जाँच-परख कर सोचना, तब कुछ बोलना।" भैया, आपका अपनी बहन को लेकर चिंता बिल्कुल जायज है। पर आपकी बहन को और उसके character को आपसे बेहतर दूसरा और कोई भी नही समझ सकता। क्योंकि दूसरा कोई भी बस उसे और उसके आज को देखता है, पर आप बचपन से हर एक पल को उसके साथ जिए हो। उसके साथ पले-बढ़े हो। आप अगर third person की बात मान रहे हो ना, वो भी अपनी बहन से एक बार भी पूछे बगैर, इसका मतलब की आपको आपकी बहन पर trust नहीं है। आपको मैं खुद पर भरोसा करने के लिए भी नही बोल रहा हूँ। मैं आपको आपकी बहन पर भरोसा करने बोल रहा हूँ। हो सकता है कि जो लड़का आपकी बहन के साथ हो वह उसे फ़साने की कोशिश ही कर रहा हो, लेकिन एक possibility यह भी तो है कि वह सरीफ हो और उसका ऐसा कोई ख्याल ना हो। और गलती से ऐसा हुआ की वह बस अच्छा दोस्त हुआ, उनकी दोस्ती बस हँसी-मजाक तक और पढ़ाई में एक दूसरे के help तक ही हुआ, फिर तो जो आपने अभी किया उससे उनके दोस्ती के बीच दरार ला ही दोगे और अपनी बहन की छवि किसी और के नजर में खराब कर ही दोगे आप। अभी आप गुस्से में हो इसलिए यह बोलोगे कि उसे इसके लिए किसी लड़के से दोस्ती करने की जरूरत क्या है, वह लड़कियों से भी तो अपनी जरूरतें पूरी कर ही सकती है। लेकिन, इस तरह अपनी बहन को कब तक safe रख सकोगे untill वह खुद ही खुद के ख्याल रखने के काबिल ना बने ? लोग कैसे हैं, कैसे-कैसे लड़के life में आते है ये जानने समझने के लिए भी तो उनसे दोस्ती करके उनके करीब जाने की जरूरत होती है। रही बात आपकी बहन को लेकर आपके चिंता की तो उसे हमेशा आपके सुरक्षा की जरूरत क्यूँ है ? वो अपने-आप को हमेशा खुद safe क्यूँ नहीं रख सकती..? खैर, मैं रवि नहीं हूँ, और मेरा दोस्त आपकी बहन पर try नहीं मार रहा। फिर भी मैं अपने दोस्त को समझा दूँगा कि वह आपकी बहन से दूर रहे। अब अगर मेरी बात पर भरोसा ना हो तो मत करो। बस इतना जान लो कि मेरे दोस्त को अगर दस लोग मिल कर मरोगे तो ऐसा नहीं होगा कि हम एक को भी ना मारे। रही बात आपके बहन की, अगर मेरा दोस्त अच्छा लड़का नही होता तो आपकी बहन उसे घास तक नहीं डालती। अपनी बहन को आप मुझसे ज्यादा अच्छा से समझ सकते हो। अब फिर भी मेरी बात अगर आपको समझ मे नही आई तो, जो लड़का अपनी बहन के character पे ऐसे ख़ुद लांक्षन लगाता हो, जान लो कि भाई चाहे बड़ा हो या छोटा, बेटा मुझसे जरूर किसी दिन कुटायेगा तू।
जब रवि चायवाले से चाय लेने के बाद मुड़ा तो उसे आते हुए train की आवाज़ सुनाई दी। उसने देखा कि एक side से train आ रही है। राजेश उस समय रवि के हिस्से के phone पर गालियाँ सुन रहा था। उसने वैसे ही रवि को इशारा किया overbridge से होकर आने के लिए। रवि जबतक राजेश के करीब पहुँचा, call cut हो चुका था।
रवि राजेश को चाय का मटका हाँथ में थमाते हुए बोला, "काफी लंबा बात चला..।"
राजेश गुस्साए हुए चेहरे के साथ बोला, "अग्रिमा का भाई का call आया था। अच्छा खासा गालियाँ page में लिखकर तैयारी करके सुनाया है और तुमको अग्रिमा से दूर रहने का धमकी दिया है।"
रवि उदास होकर bench पे बैठ जाता है, और बोलता है, "यार अग्रिमा अच्छी लड़की है। दिल की साफ है। उसे अगर मैं बिना किसी reason के ignor करने लगूँ, तो क्या वह मुझे समझ पाएगी ? उसे क्या बुरा नही लगेगा ? वह भी तो यह जानने के लिए परेशान होगी ना कि आखिर उसने ऐसा क्या कर दिया जो मैं उसे पसंद नही करने लगा और दूरी बना रहा हूँ... और वैसे भी तो हम बस friends ही तो थें।"
राजेश रवि के कंधे पे हाँथ रखकर बोलता है, "देख यार, तुम ये सब के बारे में ज्यादा सोंचकर परेशान मत हो। बस अपने बारे में सोंच। Before loving anyone love yourself and the most important thing career... अगर तुम काबिल होंगे तभी तुम किसी का ख्याल रख पाओगे, अगर नही होगी तो हर वो इंसान जिन्हें तुम दिल मे रखते हो, तुम्हारे कंधे पे उनकी जिम्मेदारियां तुम्हे बोझ के जैसे लगेगी। तुम ये मत सोच वह क्या सोचेगी, या उसे कैसा महसूस होगा। अगर वह भी तुम्हें दोस्त मानती होगी तो यह बात समझ जाएगी कि तुम दोस्ती से ज्यादा नही बढ़ना चाहते इसलिए उससे दूरी बना रहे हो। And, If mutual feeling is not there plz leave that relationship... चाहे वो relationship friendship का ही क्यूँ ना हो। Friendship को भी long term के लिए निभाने के लिए proper mutual understanding and एक दूसरे पे trust की need होती है। Never love those whom you love.. Love those who loves you.. तुम्हारे parents, siblings, friends, relatives, etc.
देख रवि, तुम डर मत। तुम अकेला नही है, तुम्हारे साथ हमलोग है ना... always...
Relationship ko wahi log successful kr skte h jisme dar na ho ...ek baat k pakke insaan ho..."
रवि चिढ़ कर रोष में बोलता है, "अरे यार ज्यादा पका मत मुझे। जब बोल रहा हूँ बस दोस्ती है फिर भी ज्ञान बाँटकर मेरा दिमाग खराब कर रहा है..!"
राजेश मुस्कुराते हुए प्यार से रवि का माथा सहलाते हुए बोलता है, "भाई शांत हो जा। चाय पी, ठंढी हो रही है।"
रवि एक घूँट चाय पीता है, चाय already ठंडी हो चुकी होती हैं। रवि गुस्से में मटके को पीछे फेंक देता है, और बोलता है, "यार, गलती किससे नही होती है! जब तक समझ नही आता, हम नादानी तो करते ही हैं। अग्रिमा, किसी की feelings hurt ना हो इसलिए proposal accept नहीं की पर friendship कर ली। लेकिन धीरे-धीरे close आते-आते उस लड़के के लिए वही friendship relationship बन गया। जब इसका realisation अग्रिमा को हुआ कि जो हुआ, सही नही हुआ, और breakup करना चाही, तो लड़का नखरा करने लगा। अग्रिमा इससे निकले के लिए मुझसे मदद मांगी तो उसका भाई मेरे पीछे पड़ गया। यार, हम लड़को का अपने feelings पर control नही होता। समझते नही की सही क्या है और गलत क्या है, बस अपने उल्टे-सीधे हरकतों से अग्रिमा जैसी लड़कियों का जिंदगी बर्बाद करते रहते हैं।"
राजेश समझाता है, "देख यार, अग्रिमा कैसी लड़की है, तुम्हारे साथ उसका connection कैसा है, life के लिए सिर्फ इतना matter नही करता। तुम अग्रिमा को लो या फिर खुद को, चाहे किसी भी person को; वह जब भी हो और जहाँ भी हो; सिर्फ खुद को represent नही करता, बल्कि वह अपने साथ-साथ अपनी family, society, parents की परवरिश, शिक्षकों का ज्ञान, दोस्तो का साथ; life में ऐसे हर एक छोटी-बड़ी चीज भी matter करता है। असल मुद्दे का point यह है कि अग्रिमा के भाई को तुम्हारी अग्रिमा से दोस्ती पसंद नहीं। वह तुम्हारे लिए problem create कर सकता है, जो कि तुम्हारे career के सही नही होगा।"
रवि बोलता है, "yes, you're right. मैं एक लड़की के लिए अपने family के expectations को तो खो नही सकता। हर वो चीज, जो इस रास्ते मे आएगा, उसे scrifice कर दूँगा।"
सूरज ढल गया। अंधेरा हो गया। रवि और राजेश घर चले गए।
"बचपन से, जब भाई शैतानियाँ करता था तो उसे बचाती मैं थी, जब गलतियाँ करता था तो उसे सुधारती मैं थी। मैं ही थी जिसने उसके खिलाफ लोगों के complaints में उसको बचाने के लिए सामने आई। वो मैं ही थी जिसने भाई के आवारगी के बाद घर के जिम्मेदारियों को समझा, उसे संभाला। फिर मुझे अपनी जिंदगी अपने choice से जीने का हक़ क्यूँ नही है ? जो अपने कपड़े तक ढंग के choose नही कर सकता मुझसे पूछे बिना, जिसे घर के लोगो के दिल का हाल नही पता, जिसे अपनी भुनाई दुनियाँ से बाहर निकलने का वक़्त नही होता है, जिसे नही समझ आया कि उसके अपने उससे क्या उम्मीदें करते है और पड़ा रहता है किसी अजनबियों के पीछे, उसे हक़ क्यूँ है मेरी जिन्दगी का फैसला लेने का वो भी मुझसे पूछे बगैर और मुझे क्यूँ नही है at least अपना choice choose करने का ? चलो मान लिया कि मैं कैसे माहौल में रह पाऊँगी, वो घरवाले ही अच्छे से समझ सकते हैं, किसकी मेरा ख्याल रखने की छमता है वह भाई ही पहचान पायेगा। लेकिन, किसके साथ मेरी understanding match करेगा, किसके कौन से nature को मैं accept कर पाऊँगी या फिर उसके साथ adjust कर पाऊँगी, adjust कर पाऊँगी भी कि या नहीं, यह दूसरा कोई कैसे जान सकता है ? फिर मुझे अपने life का descision लेने का हक़ क्यूँ नही है ? कोई मेरी बात क्यूँ नही सुनता ? मुझे कोई नही समझता।" -अग्रिमा
••• story of life doesn't ends always where we imagine.
रवि बोलता है, "yes, you're right. मैं एक लड़की के लिए अपने family के expectations को तो खो नही सकता। हर वो चीज, जो इस रास्ते मे आएगा, उसे scrifice कर दूँगा।"
सूरज ढल गया। अंधेरा हो गया। रवि और राजेश घर चले गए।
"बचपन से, जब भाई शैतानियाँ करता था तो उसे बचाती मैं थी, जब गलतियाँ करता था तो उसे सुधारती मैं थी। मैं ही थी जिसने उसके खिलाफ लोगों के complaints में उसको बचाने के लिए सामने आई। वो मैं ही थी जिसने भाई के आवारगी के बाद घर के जिम्मेदारियों को समझा, उसे संभाला। फिर मुझे अपनी जिंदगी अपने choice से जीने का हक़ क्यूँ नही है ? जो अपने कपड़े तक ढंग के choose नही कर सकता मुझसे पूछे बिना, जिसे घर के लोगो के दिल का हाल नही पता, जिसे अपनी भुनाई दुनियाँ से बाहर निकलने का वक़्त नही होता है, जिसे नही समझ आया कि उसके अपने उससे क्या उम्मीदें करते है और पड़ा रहता है किसी अजनबियों के पीछे, उसे हक़ क्यूँ है मेरी जिन्दगी का फैसला लेने का वो भी मुझसे पूछे बगैर और मुझे क्यूँ नही है at least अपना choice choose करने का ? चलो मान लिया कि मैं कैसे माहौल में रह पाऊँगी, वो घरवाले ही अच्छे से समझ सकते हैं, किसकी मेरा ख्याल रखने की छमता है वह भाई ही पहचान पायेगा। लेकिन, किसके साथ मेरी understanding match करेगा, किसके कौन से nature को मैं accept कर पाऊँगी या फिर उसके साथ adjust कर पाऊँगी, adjust कर पाऊँगी भी कि या नहीं, यह दूसरा कोई कैसे जान सकता है ? फिर मुझे अपने life का descision लेने का हक़ क्यूँ नही है ? कोई मेरी बात क्यूँ नही सुनता ? मुझे कोई नही समझता।" -अग्रिमा
••• story of life doesn't ends always where we imagine.
It continues till our last fame. •••
-AnAlone Krishna
Published on, 19th September, 2019 A.D.
Now either you can continue to the next part of "हमदर्द सा कोई : भाग -१०" for discover the story about Ravi's life, or you continue it from its split story series "Yes, I'm single, with my choice." for discover what happens next in Satish's life.
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॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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Feelingless : Chapter 5
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