सब खत्म | Hindi poem by AnAlone Krishna
सब खत्म
(Move on करने की कोशिश में लिखा गया कविता)
Witten by AnAlone Krishna
सब खत्म
चल अब सब खत्म करते हैं हम
हांथ छोड़ते हैं हम हमारी यादों का
और अपने-अपने रस्ते आगे बढ़ते हैं हम
अब मिलेंगे फिर तो मिलेंगे इस संसार के पार जाकर
अब फिर कभी भी किसी मोड़ नहीं मिलते हैं हम।
जहां टकराएंगी हमारी राहें
वहां खड़े होकर इंतजार
ना तुम करो और ना मैं करूं
लौट कर इन गलियों में दोबारा
हमें याद ना तुम करो और ना मैं करूं
खोकर अपने-अपने जीवन में
हम इस कदर सबकुछ भूल जाए
चल सच में सबकुछ भूल जाते हैं
और अपने-अपने रस्ते आगे बढ़ते हैं हम
अब मिलेंगे फिर तो मिलेंगे इस संसार के पार जाकर
अब फिर कभी भी किसी मोड़ नहीं मिलते हैं हम।
टकरायेंगी निगाहें हमारी
कभी किसी मोड़ पर अगर
तो तुम भी किसी अजनबी की तरह
मुझे पहचानने से इंकार कर देना
कोई पूछे मेरे बारे में
मुझे तुमसे जानने को अगर
तो तुम भी गैर-करीबी की तरह
मुझे जानने से इंकार कर देना।
चल अब सब खत्म करते हैं हम
हांथ छोड़ते हैं हम हमारी यादों का
और अपने-अपने रस्ते आगे बढ़ते हैं हम।
जब पल-पल की ख़बर रखा करता था, मैं
बड़ा ही बेचैन रहा करता था।
चैन तो तब मिली मुझे, जब
मैं बेख़बर रहने लगा हूँ।
अब बन ना पाऊँ अगर तुम्हारी मुस्कुराहट, मैं
कभी तुम्हारी आँशुओ की वजह ना बनूँ
तो चल अब सब खत्म करते हैं हम
हांथ छोड़ते हैं हम हमारी यादों का
और अपने-अपने रस्ते आगे बढ़ते हैं हम।
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