(इस कहानी के माध्यम से आपको यह समझाने की कोशिश की गई है कि जो हम जानते हैं वह बस हमारा assumption होता है जो हम देखकर, सुनकर, या समझकर बनाते हैं। वह complete सच नहीं होता। इसलिए अपनी knowledge and understanding को हमेशा grow करने की कोशिश करते रहें।)
झील के किनारे बैठा सतीश राजेश को बोला, "जानते हो- इस दुनियाँ में अलग-अलग सभ्यताओं ने अलग-अलग तरह से खुद के अकेलेपन, यूँ कहूँ तो अधूरेपन को दूर करने का तरीका खोजा है। मगर आज फिर भी हम सभी सभी के होने के बावजूद इतना अकेलापन महसूस करते हैं।"
Sketching करते हुए राजेश बोला, "हाँ, बस इसी बात का तो अफ़सोस है।"
रवि बोला, "तुम्हें नहीं लगता, कि (इशारा करते हुए) यहाँ यह line थोड़ी टेढ़ी होनी चाहिए थी..?"
राजेश डाँटा, "तुम्हें करनी है sketching ?"
रवि, "नहीं ।"
राजेश, "तो तुम मेरे काम में मुझे disturb मत करो।"
कोमल उठते हुए बोली, "जरा देखूँ तो कितना बनाया अभी तक..।"
राजेश और रवि दोनों उसे रोकने की कोशिश करते हुए बोले, "तुम वहीं रहो, frame खराब हो जाएगा..।"
कोमल बोलते हुए sketching board के सामने आई, "अरे मैं बैठ जाऊँगी ना same जगह पे...।" उसकी नजर राजेश के द्वारा sketch कर रहे white sheet पर पड़ा तो वह दोनों के कान खींचते हुए बोली, "यही सब करने के लिए हमलोग को बिठाया था ?"
सतीश हैरानी से पूछा, "क्या हुआ ?"
कोमल उसे बताई, "यह हमारी sketching नहीं कर रहा। बल्कि बगल में खड़ी वो लड़की दिख रही है, यह उसकी sketching कर रहा है और हमें झुट्ठो बिठा कर रखा है। (उसे आवाज देते हुए) ऐ लड़की सुनो..।" तब तक सतीश भी उठ कर आ गया।
वह लड़की सामने आई और बोली, "बोलो, क्या बात है ?"
कोमल आँखों से उसे sheet देखने का इशारा की, वह देखी और बोली, "मेरी तस्वीर बिना मेरे concern के बनाने के लिए मैं माफ कर सकती हूँ, अगर मुझसे तुम यह वादा करो कि complete करने के बाद इसे तुम मुझे दोगे।"
रवि बोला, "इसके लिए तुम्हें दोबारा वैसे ही जाकर खड़ा होना होगा।"
वह लड़की बोली, "कोई जरूरी नहीं है। Structure तो मिल ही चुका है, बाकी यह कलाकार imagine करके अपने ख्वाबों से रंग भर लेगा। क्यूँ, इतना तो कर ही सकते हो ना ? (आँख मारकर बोली) मेरे लिए..."
राजेश संकोच करते हुए बोलने की कोशिश किया, "हाँ, मगर..."
वह लड़की पूछी, "मगर..?"
राजेश बोला, "तुम्हें कुछ कीमत चुकानी होगी।"
वही लड़की राजेश का हाँथ उठाकर उसमें अपना contact no. लिखकर बोली, "जब complete हो जाये तो contact कर लेना।" यह बोलकर वह जाने लगी।
उसे जाते देख पीछे से राजेश बोला, "अपना नाम तो तुम बताई नहीं।"
वह लड़की बोली, "जो भी दिल को अच्छा लगे, रख दो।(मुस्कुरा कर बोली) प्यार से...।" और वह चली गई।
कोमल हैरान होकर बोली, "ये क्या था..?"
सतीश भी हैरानी से बोला, "मुझे भी समझ नहीं आया कि अभी क्या हुआ । मैं कोई सपना तो नहीं देख रहा हूँ !"
राजेश बोला, "इसमें इतना हैरान होने की कोई जरूरत नहीं है। यह होते ही रहता है।"
कोमल बोली, "मतलब तुम हमेशा ऐसे किसी की भी sketch बनाते हो और बिना किसी के concern के ये करने के कारण तुमपर भड़कने के जगह लड़कियाँ तुम्हें अपना no. देकर जाती है ?"
राजेश बोला, "हमेशा नहीं, पर अक्सर।"
रवि बोला, "यह राजेश का काला जादू है। यह इसी तरह लड़किया पटाता है।"
राजेश बोला, "ऐसा नहीं है।"
कोमल बोली, "तो कैसा है ? (सतीश के तरफ मुड़कर) सतीश, और तुम कुछ नहीं कहोगे इसपर ?"
सतीश बोला, "इसमें मैं क्या बोलूँ ? यह तो अक्सर होता ही रहता है। अब पिछली बार जिस लड़की की यह तस्वीर यह बना रहा था, वह colour board के सारे colours sketch-sheet पर फेंक कर sketch खराब करके, और उसको लगा कि कुछ रह गया है तो इसके t-shirt पर फेंककर चली गई। मेरे ऊपर भी फेंकने की कोशिश की, लेकिन तब तक सब colour गिर चुका था तो मेरे ऊपर कुछ छींटें ही आई और मैं बच गया।"
रवि आगे बोला, "और last time जब मैं भी था और जब यह sketch board set कर ही रहा था कि एक लड़की इसको देखकर सामने आके इसको अपना sketch बनाने के लिए बोली।"
राजेश बोला, "अरे वह मेरे भैया की girlfriend की cousin थी।"
रवि उसकी बात ना मानते हुए पूछा, "अच्छा.., तो तुम अपने भैया की सारी सालियों को भी जानते हो या सारी तुम्हें जानती है..!"
राजेश बोला, "अरे उस दिन भैया को भाभी से मिलने जाना था, पर रास्ते में उनके bike की tyre puncher हो गया। तो वह मुझे बुला लिए drop करने के लिए। जब मैं गया तो वह साथ में बैठी हुई थी।"
कोमल बोली, "तो तुम्हें कैसे पता कि वह cousin ही है। कोई और भी तो हो सकती थी...?"
राजेश बोला, "वह अपने बारे में बताई ना...। जब ये दोनों मुझे उसके साथ अकेले छोड़कर वहाँ से चला गया।"
सतीश बोला, "हाँ तो मुझे क्या पता कि कौन तुम्हारी कौन है, या क्या है। कोई relatives हो सकती है, जान-पहचान की हो सकती है, तुम्हारी girlfriends.., वो भी तो कम नहीं है, या तुम्हारी exes... और सबको जानकर मैं करूँगा भी क्या ! जब तक तुम उसका sketch बनाते, हमलोग अपना शाम तो खराब नहीं करते ना..! इसलिए हमलोग निकल गए।"
फिर रवि कुछ बोलने वाला ही था कि राजेश उसे बीच में ही रोकते हुए बोला, "अब मेरी और टांग खींचना बंद करो। तुमलोग के नजर में तो मैं हूँ ही गिरा हुआ लड़का। तो मेरे जैसे लड़के के life में ये सब तो normal ही होता है। तो फिर ऐसे extraordinary reaction देने की क्या जरूरत है !"
इसके बाद राजेश सारा सामान pack करने लगा। जिसे देखकर कोमल बोली, "Sketch तो complete हुई ही नहीं ?"
राजेश जवाब दिया, "मैं घर में जाकर कर लूँगा।"
कोमल आगे पूछी, "तो तुम सच में अपनी यह sketch उस लड़की को इस तरह दान में दे दोगे ?"
राजेश बोला, "अगर मेरे यह करने से मुझे उसे जानने और करीब जाने का मौका मिल सकता है, तो हर्ज ही क्या है !"
सातीश बोलता है, "मगर इसमें तुम्हारी मेहनत है, तुम्हारी कला है, यूँ कहूँ तो इसमें तुम हो।"
राजेश समझाता है, "देखो मैं यह सब दुनियाँ के सामने खुद को एक artist के तौर पर साबित करने के लिए नहीं करता हूँ। मैं ये सब करता हूँ ताकि मैं खुद को अपनी problems or situations से distract करके खुद को lightly feel करवा सकूँ। अगर मैं इन्हें अपने पास रखता हूँ, और इनसे अपनी attachments को overpower करके इन्हें sacrifice नहीं कर सकता, किसी की wishes पूरी करके उसकी खुशी के लिए, तो ये मेरी weakness बन जाएंगी। मुझे कमजोरियाँ पालन पसंद नहीं, इसलिए मैं कभी attachments भी नहीं बनाता। आखिर इसलिए ना मेरे साथ कोई अभी तक टिक नहीं पाई और सभी ने मुझे एक वक़्त के बाद छोड़ दिया।"
सातीश राजेश के कंधे पर अपना हाँथ थपथपाता है। और फिर सभी वहाँ से चले जाते हैं।
राजेश दरवाजा knock करता है, और सतीश उसे खोलता है। सतीश देखता है कि राजेश के हाँथ में एक painting है। वह उसे देखने के लिए अपना हाँथ बढ़ाता है कि राजेश उसे पीछे खींच लेता है और बोलता है, "अभी हमारे पास ज्यादा time नहीं है। जल्दी तैयार हो, हमें कहीं जाना है।"
सतीश बोलता है, "हाँ, पर पहले दिखाओ तो...। या मुझे इसे दिखाना ही नहीं है ?"
राजेश सतीश के बात को मानकर painting खोलकर उसे दिखाता है, जिसपर सतीश अपना expression देता है, "beautiful...! पर यह तो वो नहीं है जो उस दिन तुम बना रहा था।"
राजेश बोलता है, "उसे वो नहीं चाहिए जो मैं उसकी बना रहा था। उसे कोई और चाहिए था।"
सतीश बोल ही रहा होता है, "मगर ये तो..." कि राजेश उसकी बात बीच में काटते हुए बोलता है, "मुझे बनाने का मन किया तो मैंने यह बना दिया, मगर इसे मैं घर में नहीं लगा सकता। इसलिए उसे दे रहा हूँ।"
इसके बाद सतीश अपने कपड़े change करके तैयार होता है। जूते पहनता है, बाल झाड़ता है, book shelf से अपना purse उठता है, रुमाल लेता है, एक pocket कंघी और lip wax अपने pocket में रखता है, कुछ chocolates भी भर लेता है, और कमरे की चाभी उठाकर राजेश के साथ बाहर आता है। सतीश दरवाजे को अच्छे से lock करता है और राजेश के साथ सीढ़ियों से नीचे उतरता है। वह main gate को खोल ही रहा होता है कि पीछे से उसकी मकान मालकिन आवाज देती है, "market जा रहे हो ?"
जिसपर सतीश जवाब देता है, "नहीं aunty, बस घूमने जा रहा हूँ।"
मकान मालकिन फिर बोलती है, "अच्छा आते वक़्त मेरे कुछ सामान लेते आना ना..."
सतीश इसपर बोलता है, "लेकिन aunty, वापस आने में काफी late हो जाएगा।"
जिसपर मकान मालकिन बोलती है, "अच्छा ठीक है, मैं किसी और को बोलती हूँ।"
सतीश की मकान मालकिन ऐसे ही अपने दैनिक जरूरतों के काम उनके घर के rent पे दिए कमरों में रहने वाले बच्चों से करवाती थी। सतीश राजेश के साथ main gate को सटाकर चला गया।
राजेश और सतीश किसी restaurant के अंदर गए। वहाँ वह अंजान लड़की अकेले बैठी हुई थी। उसे देखकर राजेश बोला, "तुम अकेली हो ! मुझे लगा कि तुम किसी के साथ आओगी।"
वह लड़की बोली, "तो तुम इसलिए इसे अपने साथ लाए हो..? उसे company देने के लिए ?"
राजेश यह सुनकर कोई जवाब नहीं दिया। बस smile किया और उसे अपनी painting देते हुए उसके सामने के chair में बैठ गया। उसे देखकर सतीश भी देखा-देखी उसके बगल के chair में बैठ गया। उसके बाद वह लड़की waiter को अपना order दी। साथ ही साथ राजेश और सतीश भी order दिया।
वह लड़की waiter से पूछी कि "order serve होने में कितना time लगेगा ?"
Waiter बड़े ही शालीनता के साथ जवाब दिया, "Ma'am, only just 10 to 15 minutes..."
वही लड़की धीमें स्वर में इसे repeat की, "10 to 15 minutes.." और वह painting open करने लगी।
सतीश उससे बोला, "Last time जब हम मिले थे, तुमने अपना नाम क्या बताया था ?"
वह लड़की बोली, "मैंने अपना नाम नहीं बताया था।"
सतीश पूछने ही वाला था कि "तुम्हारा नाम क्या है ?" इससे पहले वह लड़की painting देखकर बोली, "beautiful...!"
सतीश हैरान होकर बोला, "तुम्हारा नाम beautiful है ?"
वह लड़की painting से बिना अपना ध्यान हटाये उसे देखते हुए जवाब दी, "सबका नाम beautiful ही होता है।" फिर सतीश को देखी, फिर राजेश को। फिर नजर झुकार एक बार फिर से painting को देखी और फिर उनकी ओर नजर उठाकर हल्के smile के साथ बोली, "Supriya..., My name is Supriya."
इससे पहले कि आगे ये दोनों कुछ बोलते, वह painting में अपनी उँगलियों को फेरते हुए उसमें की गई मेहनत को महसूस करते हुए बोली, "किसी भी art में artist का छवि बसता है। एक artist खुद को अपने art के through express करने की कोशिश करता है। इसलिए artist के art से उसे और उसके व्यक्तित्व को काफी हद तक समझा जा सकता है। फिर चाहे उसका वह art किसी भी form में हो। Painting, sketching, sculpture, poetry, story, music, etc."
यह सुनकर राजेश मुस्कुराता है, जिसे देखकर सतीश थोड़ा हैरान होकर सुप्रिया को बोलता है, "तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुम इससे राजेश को समझ सकती हो...। क्या तुम इसे समझने या जानने के लिए यह painting माँगी हो ? क्या तुम इसमें interested हो ?"
Supriya बोली, "क्यूँ, interested होना गलत बात है क्या ? हाँ हूँ, पर वैसे नहीं।"
राजेश पूछा, "क्या मतलब ?"
Supriya कहती है, "I'm a student of English Literature, from Women's College,... मुझे characters को जानना, समझना अच्छा लगता है। But जो stories में मुझे पढ़ने को मिलते हैं वो writers की perspective होती है। उनका representation वो अपने हिसाब से करते हैं। उनमें realistic touch होती है, but वो real नहीं होते। इनके अलावा वो सभी उस दौर को represent करते हैं जिस दौर के बारे में writer ने लिखा है। उन्हें अगर आज के वक़्त से compare करूँ, तो वो किसी कल्पना से ज्यादा कुछ भी नहीं। But ऐसे, किसी की painting, sketching, poetry,... के जरिये मुझे उन्हें जानने का मौका मिलता है। यह experience मुझे बहुत खूबसूरत लगता है।
सतीश पूछता है, "किसी बारिश की हल्की बूंदें, ढ़लते शाम की लालिमा, etc. उन खूबसूरत अहसाओ की तरह ?"
Supriya पूछती है, "तुम शायर हो ?"
सतीश घबराकर बोलता है, "नहीं।" वह ध्यान भटकाने के लिए बोलता है, "तो इस painting से राजेश के बारे में क्या पता चला ?"
Supriya उसे भाँप लेती है। पर उसे ignor करते हुए painting में अपनी उँगलियों को हल्के से फेरते हुए बोलती है, "इसके होंठो की पतली lines, caring हो। आँखों की पुतलियों की sharpness, मन के भाव को समझते हो। उलझी बालों के sheds, लड़कियों को काफी ध्यान से देखते हो। गालों के softness, उनके काफी करीब भी जाते हो। कपड़े की dressing sense, उनके पसंद-नापसंद को भी समझते हो। तो बाताओं, तुम्हारी कितनी girlfriends है ?"
यह सुनते ही सतीश की हँसी निकल गई। राजेश बोला, "एक भी नहीं।"
Supriya पूछी, "अभी नहीं, या कभी नहीं ?"
राजेश बोला, "अभी फिलहाल एक भी नहीं।"
सतीश अपनी हँसी को रोकने की कोशिश करता है, और बोलता है, "तुम्हारा सारा assumption सही है। बस शुरु वाले में तुम मात खा गई। राजेश को किसी का भी दिल तोड़ने में कोई हिझक नहीं होती। यह caring नहीं है।"
Supriya पूछती है, "तुम अपने दोस्त को कितने अच्छे से समझते हो ?"
सतीश जवाब देता है, "तुमसे तो ज्यादा ही करीब से...।"
इसपर सुप्रिया बोलती है, "फिर भी देखो, यह मेरा दिल रखने के लिए मेरे किसी भी बात को oppose नहीं कर रहा है। ताकि मुझे बुरा ना लगे। पर तुम बेहिझक कुछ भी बोल रहे हो। फिर चाहे मैं उसपर कुछ भी react करूँ।"
यह सुनकर सतीश शांत हो जाता है, सुप्रिया बोलती है, "तुम्हारी कोई girlfriend है ?"
सतीश मुँह लटकाकर बोलता है, "नहीं।"
Supriya पूछती है, "क्यूँ ?"
राजेश बोलता है, "He call himself, he is feelingless. इसके अंदर कोई feelings नहीं है। यह कुछ भी feel नहीं करता।"
Supriya सतीश के तरफ देखती है, सतीश आगे बोलता है, "मुझे कुछ भी artificially feel करना पड़ता है, तब ही मैं कुछ react कर पाता हूँ। ऐसे में किसी को भी यह बोलूँ कि मैं उसके लिए कुछ feel करता हूँ, तो यह cheating होगा ना...।"
Supriya painting को hold करते हुए पूछती है, "तो तुम्हें कुछ भी feel नहीं होता ?"
सतीश बोलता है, "नहीं।"
Supriya पूछती है, "तो फिर एक बात बताओ, तुम कभी upset भी नहीं होते होगे ?"
सतीश बोलता है, "sometimes... जब मुझे बुरा लगता है, दुःख होता है।"
Supriya पूछती है, "तब तुम क्या करते हो ?"
Waiter आता है, "your order ma'am, and sir." वह surve करके चला जाता है।
तब सतीश आगे continue करता है, "कुछ भी करने से खुद का ही नुकसान होगा ना...। तो कुछ नहीं करता हूँ।"
Supriya समझाती है, "देखो, दुःख पहुँचना, ठेस लगना, is feeling, but गुस्सा करना is an expression."
सतीश पूछता है, "तुम कहना क्या चाहती हो ?"
Supriya चम्मच उठाती है और उन्हें भी खाने का इशारा करते हुए बोलती है, "You're not feelingless or heartless, you're a emotionless. Feelings- जो हम महसूस करते हैं, emotions- जो हम express करते हैं। तुम अपनी feelings को अपने emotions के through express नहीं कर पाते हो।"
सतीश बोलता है, "मैं सच बोल रहा हूँ। मुझे लड़कियों को लेकर कुछ भी feel नहीं होता। मैं वैसा कुछ भी feel नहीं करता हूँ, जैसा बाकी expressions देते हैं।"
Supriya पूछती है, "तो तुम्हें कैसा महसूस होता है ?"
सतीश बताता है, "मुझे गुस्सा आता है, बस यहीं सोंचता हूँ कि कब वह मुझसे दूर जाए। मन करता है कि उसके पेट में चाकू घुसा दूँ।"
Supriya अपना expression देती है, "Oops, अभी मेरे पेट में भी भी चाकू घुसाने का मन कर रहा है क्या ?"
सतीश बोलता है, "Confuse हूँ, वैसा कुछ अभी feel क्यूँ नहीं हो रहा।"
Supriya समझाने की कोशिश करती है, "देखो, हो सके तो मेरे बात को समझने की कोशिश करो। तुम्हारा unconsciously यह habit बन चुका है कि जब भी तुम्हें यह डर महसूस होता है कि कोई तुम्हारे करीब आने की कोशिश कर रहा है तो तुम्हारा दिल उससे distance बनाने की कोशिश करने लगता है। क्योंकि वह किसी को अपने करीब आने नहीं देना चाहता। तुम feelingless नहीं हो, तुम्हारा दिल डरता है किसी के करीब जाने से। या फिर वह already किसी का है इसलिए किसी को अपने करीब नहीं आने देना चाहता।"
इस बार राजेश की हँसी निकल गई, "बिल्कुल सही पकड़ी हो। इसकी बात कभी बनी नहीं, पर यह आज भी बस उसी का है।"
Supriya समझाती है, "देखो, मेरा एक suggestion मानो, meditation करो और अपने दिमाग को शांत करके खुद को समझने की कोशिश करो। अगर जरूरत है तो उससे move करो, जैसे life में आगे बढ़ गए हो, वैसे ही emotionally भी...।"
सतीश इसपर कुछ नहीं बोलता है, वह कुछ देर चुप रहकर बोलता है, "पर राजेश के बारे में वो बात सच में गलत है।"
Supriya समझाती है, "देखो, हर किसी का perspective अलग होता है। वह वही assume करता है जो देखता, सुनता और समझता है। एक ही इंसान एक ही वक़्त में अलग-अलग इंसान के साथ और अलग-अलग वक़्त में एक ही इंसान के साथ अलग-अलग तरह से पेश आता है। तो तुम इसके बारे में सिर्फ वो जानते हो, जो सिर्फ अब तक जानने को मौका मिला।"
वह finish करके washroom जाने के लिए इन दोनों को excuse करती है। पीछे ये आपस में खुशुर-फुसुर करने लगते हैं। वह वापस आती है और राजेश को painting के लिए thanks बोलती है। पीछे से waiter आता है और बड़े ही शालीनता के साथ "I'm happy to serve you ma'am and sir." बोलता है। सतीश bill के बारे में पूछता है। जिसपर waiter बताता है कि "Ma'am ने pay कर दिया है।" सतीश थोड़ा upset होने वाला expression बनाता है, जिसे देखकर Supriya मुस्कुराकर बोलती है, "इस खूबसूरत painting को यह छोटी सी कीमत चुकाकर लेकर जा रही हूँ। Don't feel sad for me. इसमें फ़ायदा मेरा ही हुआ है।" और वह "bye. See you." बोलकर वहाँ से चली गई।
••••••••One's end is always
Someone's beginning.••••••••••
Note :-
• We doesn't have right to judge any other.
• Our assumption are based on only our experience.
• हम जितना काबिल होते हैं, हम बस उतना ही समझ पाते हैं।
Continue you reading through "हमदर्द सा कोई :
भाग-९•१"
Published on 22nd October, 2021 A.D.
Finished on 19th October, 2021 A.D.
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