• शाम की लालिमा •
(खोए हुए अजीज शख्स के उसके साथ बिताए सारे हसीन यादों के साथ लौटने के एहसास में)
कृष्ण कुणाल की लिखी कविता-
• शाम की लालिमा •
यूँ हर लम्हा जिसकी यादों में
खोए रहो तुम।
क्या होगा अगर उसका
दीदार अचानक हो जाए ?
यूँ हर लम्हा जिसको वापस पाने की
सपने सँजोये हो तुम।
क्या होगा अगर खतम वो सारी
इंतजार अचानक हो जाए ?
यह सब कुछ बिल्कुल वैसा ही है-
जब दिख रहा हो अंत खुद का
और वापस जिंदगी मिलने के जैसा ही है।
उम्मीद से परे,
हकीकत के जैसा।
यकीन ना हो,
बिल्कुल सपनों के जैसा।
पर कमबख्त यह जिंदगी
ऐसा भी मंजर दिखाती है।
टूटकर जीना तो सिखाती है,
साथ ही, पाकर तन्हा रहना सिखाती है।
गम में रोना कौन नहीं चाहता !
खुशी में हँसना कौन नहीं चाहता !
यह भरे आँसुओं में मुसकुराना
और भीड़ में अकेला रहना सिखाती है।
जब किसी बंद कमरे से
समय देखे बिना बाहर निकलो।
चारों तरफ छाई हुई लालिमा
एक खूबसूरत शुरुआत का
एहसास करा दे।
फिर अचानक याद आए
कि यह सुबह नहीं शाम है।
खोते हुए पल की विदाई के नाम है॥
यह सब कुछ बिल्कुल वैसा ही है-
जब दिख रहा हो अंत खुद का
और वापस जिंदगी मिलने के जैसा ही है।
उम्मीद से परे,
हकीकत के जैसा।
यकीन ना हो,
बिल्कुल सपनों के जैसा।
-AnAlone Krishna.
15th September, 2018 A.D.
Wow! it's really great
ReplyDeleteक्या कमाल लिखा है आपने
बिल्कुल एहसासों का सौंदर्य
Thanks
Nd keep it
Post a Comment
I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻