भाग-११ ॥ हमदर्द सा कोई ॥ पद्य-१
भाग-१२
(Final Part)
Bilingual story written by AnAlone Krishna.
• The Imperfect Ending •
"एक वक्त था, जब मैं बहुत छोटा था, वहीं लगभग जब मैं १२-१३ साल का रहा होऊंगा। उस वक्त मुझे अपनी जिंदगी बहुत बोझिल लगने लगा था। मेरी ख्वाहिशें तो छोड़ो, मेरी जरूरतें तक मेरी family पूरी नहीं कर पा रही थी। मुझे लगता था कि ऐसी जिंदगी जीने से अच्छा है कि यह जिंदगी ही ना रहे। तो मैं हमारे शहर के hill पे चढ़ गया। मैं नीचे देखा तो सोंचा, कि अगर मैं नीचे कूद जाऊं, और अगर मैं बच जाऊं, बस मेरी हड्डी पसली टूटे और अगर मैं अपाहिज़ बन जाऊं, तो... मेरी वह जिंदगी मेरी इस जिंदगी से भी बुरी होगी। मेरी आंखों में आंसू आ गए, कि मैं इस जिंदगी से छुटकारा भी नहीं पा सकता हूं। तो मैं आँहें भरते हुए नीचे एक पत्थर पर बैठ गया। मेरे सामने दूर - दूर तक सूखी धरती, बंजर जमीन, और मई की गर्मी में गर्म बहती हवाओ के बीच शाम 5 बजे की तिरछी धूप में कच्ची ईंटें बनाने का काम करते हुए नीचे खेतो के बीच मजदूर दिख रहे थे। दो पुरुष बलुआ मिट्टी को पानी से गूंथ रहे थे, एक मिट्टी गूंथने के लिए पानी ला रहा था, तीन महिलाएं मिट्टी को सांचे में ढालकर ईंट बना रही थी और पांच मुझसे भी छोटे-छोटे बच्चें सूखे ईंटो का होड़ा लगा रहे थे। मैं उन बच्चों को देखकर सोंचा कि अगर मेरी जिंदगी इन बच्चों की तरह होती तो मेरे लिए और कितना बुरा होता। मैं तो अभी भी इनसे बेहतर जिंदगी जी रहा हूं। जब शाम हुई, मैं hill से नीचे उतरा तो मुझे कुछ मजदूर अपना काम करके घर लौटते हुए मिले। मैं भले ही hill से नीचे उतर चुका था, पर वह hill का किनारा होने के कारण उस रास्ते के बीच में चढ़ाई थी। मजदूर अपनी cycle से उतरकर उसे धकेलते हुए आ रहे थे। उन्हें मैंने देखा, वो मुझसे ज्यादा बड़े नहीं थे, ज्यादा से ज्यादा तीन से चार साल ही बड़े होंगे। वो मुझसे खैर खबर लिए और last में बोले कि उन्हें पढ़ना काफी पसंद था, पर उनकी family condition ऐसी थी कि उन्हें पढ़ाई छोड़कर काम ढूंढना पड़ा। वो मेरे लिए दुआ किए कि मैं पढ़ लिख कर life में कुछ अच्छा करूं।
वो अंजान लोग मेरी बेहतर जिंदगी की दुआ कर रहे थे। इसलिए मुझे भी मन करने लगा कि मैं भी अगर अपने life में इनके लिए कुछ कर पाऊं तो...। इससे मुझे अपने जीने का वजह मिल गया। अगले दिन मेरे school में किसी NGO के through health camp लगा, जिसमें हम सभी बच्चों का health check up किया जाना था। जब मैंने NGO के कार्यशैली को जाना, तब मेरे मन में एक idea आया कि ऐसे लोग जो अपने life में किसी कारण असमर्थ है, उनका भी मुफ्त health check up हो। पर अगर चाहूं भी तो यह मैं अकेले नहीं कर सकता हूं। मतलब मेरे सामने Doctor, Nurse, Pharmacist, Social Workers, Teachers, School Management, etc. सभी साथ मिलकर काम कर रहे थे। मुझे भी group चाहिए था। इसलिए मैंने बहुत सारे दोस्त बनाए, और मैंने उन्हें इस reunion का hope दिया। इस उम्मीद में कि जब हम अपने-अपने life में कामयाब होकर वापस लौटे, तो हम मिलकर ऐसे किसी organisation को form कर सकें जिससे हम बाद में जरूरतमंदों की मदद कर सके।
पर आज जब मैं तुम सभी को देखता हूं, तुमलोग मुझसे बातें करते हो, मुझे अपने life में ध्यान देने की सलाह देते हो, selfish बनने को कहते हो, मैं इससे टूट जाता हूं। मैं यह समझ सकता हूं कि तुमलोग जो मुझे सलाह दे रहे हो, समय आने पे तुमलोग वही करोगे। तुमलोग समाज से पहले खुद का भला सोंचोगे, तुमलोग मेरा साथ नहीं दोगे। फिर भी मैं reunion करवाकर तुम सभी से किया अपना वादा पूरा कर रहा हूं। उम्मीद करता हूं कि अब हम फिर कभी ना मिले।"
यह कहकर रुद्र के आंखों से आंसू बहने लगते हैं और वह mic छोड़कर stage से नीचे उतर जाता है। उसे राजेश गले लगाकर सहारा देता है। और वह reunion party, जो अभी तक काफी अच्छा जा रहा था, रुद्र के इस speech से सब खत्म हो गया। इससे पहले जो भी stage में चढ़े, वो उनके बीच की अच्छी यादों को नहीं बल्कि अपनी कामयाबी के किस्से सुनाने लगे। इस बीच जो नाश्ता उन्हें मिलना था, वो तो उन्हें मिल ही चुका था। बस party को closer देने के लिए रुद्र stage पे चढ़ा, और ऐसा कुछ कहकर उतर गया। अब सब खत्म, सभी अपने-अपने घर को चले गए।
1 minute, कहीं आपको ऐसा तो नहीं लगा अब कहानी खत्म हो गया ? अभी सिर्फ रुद्र का speech पढ़े हो, अभी राजेश के बारे में तो कोई बात ही नहीं हुई, कोमल के बारे में बात नहीं हुई, रवि का कोई जिक्र नहीं हुआ, और सतीश जिसके साथ "हमदर्द सा कोई" का शुरुआत हुआ उसे भी भूल गए क्या ? This is a final chapter of "हमदर्द सा कोई" and are you not curious to know the closer of the other characters ? वैसे यह तो याद है कि मैं कौन हूं ? and कृष्ण को लिखते वक्त "fourth wall" break करने की आदत है... तो चलो, सभी characters को closer देते हैं।
जबतक reunion party चल रहा था, और रुद्र stage में चढ़ा भी नहीं था, उससे पहले ही राजेश आज शाम की party के लिए अपने दोस्तों को अपने घर पर invite कर चुका था। वैसे तो राजेश को अपने पिता की कमाई पर घमंड और दिखावा करने का आदत नहीं था। पर आज जब वह किसी और की उंगली पकड़कर कम उम्र में कामयाब हुए classmates को stage में चढ़कर इसपर उड़ते हुए, दिखावा करते देखा, तो उससे रहा नहीं गया। वैसे भी मालती की बात मानकर अपने पिता की company join किया उसे, राजेश को आज ढाई साल बीत चुके हैं। तीन माह पहले उसे अपने पिता की parent company में सभी senior employees की voting से MD बना दिया गया था। राजेश को अपने दोस्तों को इस चीज के लिए party भी देना था। कई लोग रुद्र की speech सुनने के बाद बहाने बनाकर वहां से चले गए। पर जो राजेश को अपना दोस्त मानते थे, वो रुके और राजेश उन्हें अपने साथ लेकर अपने घर चला गया। अब राजेश कोमल के यहां as a paying guest नहीं रहता है। बल्कि अब वह 3.5 एकड़ में बना उसका पुराना मकान में रहता है। वैसे तो उस मकान को बेचने के लिए उसके पिता ने किसी broker को कहा था, पर उन्होंने कभी खबर नहीं ली कि वह बिका भी या नहीं। जब राजेश company join किया और कुछ महीनो बाद हिसाब देखने के लिए सीखने लगा। उसे solid asset के रूप में उस जमीन के papers दिखे, जिसपर काम में busy होने के कारण Mr. खन्ना का कभी ध्यान नहीं गया। Mr. खन्ना को लगा कि land broker उसके घर को बेचकर अपना profit ले लिया होगा शायद इसलिए वह कुछ वक्त के बाद कभी खन्ना से मिलने नहीं आया। जबकि property काफ़ी महंगा होने के कारण उस छोटे से शहर में उसे कोई खरीददार नहीं मिला। Mr. खन्ना का accountant उसका दोस्त था, इसलिए भरोसा करके Mr. खन्ना accounts कभी कभार जरूरत पड़ने पर ही देखते थे। उसका दोस्त नहीं चाहता था कि Mr. खन्ना का विरासत किसी और के हांथ में जाए, इसलिए वह इस बात को दबा दिया। वह नहीं चाहता था कि कभी कोई जिक्र हो, खन्ना का उसपर ध्यान जाए और वह उसे बेचने के लिए किसी और broker को ढूंढे। पर जब राजेश की नज़र papers पर पड़ी, ज़िक्र हुआ, राजेश अपने दादा-दादी की विरासत को खोना नहीं चाहता था। इसलिए वह इस बड़े से घर को renovate करवाया और उसमें shift हो गया। उसके साथ उसकी मां और उसकी बहन भी घर में shift हो गई। फिर कुछ समय बाद Mr. खन्ना भी वही permanently shift हो गए। और फिर वह बस किसी business purpose से बाहर जाने या रहने लगे।
शाम हुई, Mr. खन्ना office से आकर fresh होकर घर के पीछे decorated garden में आकर वहां चल रहें party के बीच लोगों से मिलने और बात करने लगे। वहां कुछ office staffs और खन्ना के closed ones भी आए हुए थे। उन्हीं में से एक Mr. Pradeep भी थे, जो शिवि के पिता थे।
Mr. Pradeep खन्ना से पूछे, "राजेश के MD बनने से किसी को कोई दिक्कत नहीं हुआ ?"
Mr. खन्ना पूछे, "किसे क्यों दिक्कत होगा ?"
Mr. Pradeep बोले, "आपके साथ काम कर रहे पुराने लोगों को। वो लंबे समय से आपके साथ काम कर हैं, उन्हें भी तो अपनी promotion की उम्मीद होगी। ऐसे में कोई nepotism के कारण उनका boss बन जाए, तो उनके मन में भी कहीं ना कहीं इससे विद्रोह का भाव आता ही होगा।"
खन्ना प्रदीप को देखकर मुस्कुराते हैं।
प्रदीप आगे बोलते है, "जब मेरा बेटा company join किया था तो इससे नाराज होकर मेरे कुछ पूराने staff मुझे छोड़कर चले गए और आज वो मिलकर अपना खुद का business कर रहें हैं मेरी rivary में।"
Mr. खन्ना बताते हैं, "जब मैं अपने बेटे को company में लेकर आया तो सबसे पहले उसे समय दिया हमारे साथ काम करने वाले पुराने लोगों के साथ घुलने मिलने का, फिर उसे अपने काम और व्यवहार से सभी का दिल जीतने का। ख्वाब को देखना और ख्वाब को पूरा करने की कोशिश में सहायक होना, कामयाबी की राह में गिरते-संभलते चलकर आगे बढ़ना और इस सफ़र में कामयाब होना, सब अलग बात है। वो सभी बहुत काबिल है, पर जो vision मैं देखकर आज यहां तक पहुंचा हूं, मुझे उनमें वो vision नहीं दिखता है। वो अपनी मेहनत से company को बहुत profit दिलवाएंगे, but यह company आज इस मुकाम पे profit की वजह से नहीं है बल्कि इससे जुड़े लोगों, उनका एक दूसरे को अपनी family का हिस्सा मानना, उनके relations की वजह से है। मैं किसी के profit ambition के चलते ये सब बर्बाद नहीं करने दे सकता हूं। तो मैं उन्हें ख्वाब देखने, बुनने, मेहनत करने, और उसे पूरा करने का मौका दे रहा हूं। मैं अपने साथ काम कर रहे सभी लोगों को साथ में grow करने का मौका दे रहा हूं। मैं बहुत जल्द substitute company खोलने वाला हूं। जिसमें उन्हें अपने हिसाब से company को develope करने का मौका मिलेगा। जिससे अगर कोई किसी substitute company को grow करेगा तो उसे इसका पूरा credit मिलेगा, साथ ही इससे सभी को फायदा होगा। But अगर loss होगा तो इसका negative impact बाकियों पर ज्यादा नहीं पड़ेगा। इसके लिए उन्हें team की ज़रूरत होगी, जिसके लिए उन्हें अपने हिसाब से नए लोग heir करने और उन्हें trained करने की छूट है। जब यह काम पूरा करेंगे तो वो सिर्फ़ company में higher position ही नहीं बल्कि profit shares भी hold करेंगे। एक तरह से देखो को मैं उन्हें promotion के जगह partnership करने का मौका दे रहा हूं। इससे कई और post खाली होगा और कइयों को promotion पाने का मौका भी मिलेगा।"
Mr. खन्ना को सतीश दिखता है, वो उसे आवाज देकर बुलाते हैं और राजेश के बारे में पूछते हैं।
सतीश उन्हें बोलता हैं, "पता नहीं uncle, इधर ही कहीं होगा।"
हां, राजेश के पिता Mr. खन्ना सतीश से इससे पहले भी मिल चुके हैं। एक बार राजेश सतीश को अपने घर लेकर गया था। उस वक्त Mr. खन्ना भी घर पर ही थे। राजेश अपने पिता के सामने सतीश को introduce किया। इसके साथ ही सतीश को company join करने का offer भी दिया। पर सतीश उस offer को यह कहकर refuse कर दिया कि वह राजेश या किसी के favour में कोई चीज पाना नहीं चाहता है, बल्की वह अपनी खुद की काबिलियत पर कुछ बनकर दिखाना चाहता है। राजेश समझाने की कोशिश करता है कि वह सतीश की काबिलियत को समझते हुए ही offer दे रहा है, पर सतीश नहीं माना। Business का एक rule हैं, कि भरोसेमंद पर ही भरोसा करो। इसलिए अक्सर लोग जो अपने/रिश्ते में होते हैं उन्हीं पर भरोसा करके अपने साथ रखते हैं और उन्हें काबिल बनने में मदद करते हैं, या जो काबिल होते हैं उनके साथ रिश्ता बनाकार उन्हें बांधने, अपना बनाने की कोशिश करते हैं, ताकि वह भरोसेमंद बना रहे। राजेश के अंदर अभी यह गुण नहीं आया है, ना ही Mr. खन्ना को अपने business में यह कूटनीति करना पसंद है। पर बात है अब उस विरासत को किसी और के हांथ में सौंपने की, जिसे बनाने में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी सौंप दी। बाकी और कोई भी राजेश और सतीश से ज्यादा काबिल थे, पर उनका objective of hard labour खुद को साबित करना, grow करना या पैसे कमाना रहा है। राजेश और सतीश नए खून थे, अपने उस उम्र में जब वो ख्वाब बुनना बस शुरू ही किए थे। इनके अंदर अभी पैसे की लालच, खुद को बहुत ज्यादा काबिल समझने का अहंकार, दूसरों से आगे निकलने की ईर्ष्या नहीं पनपी थी। जिसके चलते यह possibility अभी भी थी कि ये दोनों Mr. खन्ना की विरासत के rightful heirs बन सकते थे। Mr. खन्ना अपने काम को कामयाबी या पैसे/profit से नहीं तौलते थे। बल्कि वह समाज के प्रति अपनी social responsibility समझकर कड़ी मेहनत करते थे। ताकि उनके organised firm में काम करने वाले और उनसे जुड़े प्रत्येक लोगों की life, उनकी जीवनशैली बेहतर हो। Mr. खन्ना अपने बेटे से इसे आगे continue करने की उम्मीद कर रहे थे, और राजेश अपने पिता के भरोसे पे खरा उतरने के लिए अपने भरोसेमंद दोस्त का इसमें साथ चाहता था।
कोमल, रुद्र और हिमाद्रि party में कहीं खड़े होकर एक side बातें कर रहे हैं।
कोमल : तब जी रुद्र, मैंने सुनी हूं कि तुम हिमाद्रि की अच्छी खासी शादी तुड़वा दिया ?
रुद्र : यह अफवाह तुम कहां से सुन ली ? ये खुद last moment पे अपना शादी तोड़ ली। मैं तो कुछ किया भी नहीं हूं।
हिमाद्रि : नहीं-नहीं, मेरा दिमाग भटकाने के पीछे इसी का हांथ है।
कोमल : अच्छा तुम ऐसा होने क्यों दिया ? बचपन से एक-दूसरे को नोंचते खाते आए हो। फिर भी तुमलोग का एक दूसरे से मन नहीं भरा ? अब तो दोनों एक दूसरे को छोड़ दो, दोनों किसी और को पकड़ो और लड़ो-मरो।
रुद्र और हिमाद्रि दोनों एक दूसरे को मुस्कुराते हुए देखते है, जैसे कि आंखों ही आंखों में एक दूसरे को बोल रहे हो, "तुम बोलोगे, या मैं बोलूं ?"
रुद्र : देखो, मैं जो हूं तुम्हारे सामने, जो भी मैं बना अपने life में उसके पीछे का factors है- मेरे माता पिता से मिला मेरे अंदर का genetic गुण, हमारा परिवार, हमें एक साथ मिला education, जिनके साथ हम grown up हुए वो हमारे friends, जिनसे संघर्ष करते हुए हमने अपनी family को देखा वह समाज, एक दूसरे का मिला साथ जिससे हम हर चीज को बेहतर तरीके से देख और समझ पाए, और सबसे बढ़कर वो aura जिसकी वजह से हालात चाहे जो भी हो उन्हे deal करने का मेरा और इसका attitude क्या या कैसा रहा। इनमें से अगर कुछ भी अलग होता तो हम अलग होते। अगर genes अलग होते तो मेरा attitude अलग होता, हमारा परिवार अलग होता तो हमारी परवरिश अलग हुई होती और हमारा behaviour अलग होता, education अलग होता तो हमारी सोचने समझने की शक्ति और हमारा ज्ञान अलग होता, friends अलग होते तो हमारी habits अलग होते, समाज अलग होता हमें experience अलग मिला होता, हमें एक दूसरे का साथ मिल ना होता तो हमारी perspectives and understandings different होती, और अगर aura अलग होता तो इन सभी के बीच भी हमारी personality अलग होती। किसी को life में मिला इन सारे factors के अलग होने के बावजूद वो same हो सकते हैं, अगर उसका aura same हो। तुम्हें देखने में वो identical लगेंगे कि जैसे वो एक दूसरे के लिए ही बने हो। But यह जरूरी नहीं कि ऐसा ही हो, same auro होने के बाद भी different factors की वजह से उसकी personality अलग भी हो सकती है।
हिमाद्रि (रुद्र के कंधे में हांथ रखते हुए) : इसे confuse क्यूं कर रहे हो ? एक जिसके साथ हमनें लंबे समय से संघर्ष करके understanding बनाई है, और एक के साथ पता नहीं यह करने में कितना वक्त लगे। मुझे इसे चुनना सही लगा। इसके फायदे यह हैं कि हमे अपने life में बाकी couples की तरह अपने relationship को secure and strong बनाने के लिए कई struggels नहीं करने होंगे। जिसके कारण हम अपने life में अपने goals को पुरा करने के लिए, सभी के लिए कुछ करने के लिए खुद को ज्यादा invest कर सकते हैं। वो भी बिना अपने relationship को harm पहुंचाए।
कोमल : तुम दोनों की इस समझदारी और life plan पर तो एक cheers 🥂 बनता है।
रुद्र और हिमाद्रि एक साथ : हम drinks नहीं करते हैं।
कोमल : हां पता है। मैं cold drink की बात कर रही हूं।
रुद्र : यहां कोई waiter नहीं दिखा अभी तक।
कोमल : यहां self service है। खुद जाकर लेना होगा।
वो तीनों cold drinks लेने जा ही रहे थे कि रुद्र को कुछ और friends मिल गए, और वो उन्ही के साथ चला गया। कोमल हिमाद्रि के साथ आगे बढ़ी तो उन्हें Mr. खन्ना मिल गए। वो कोमल को हाथों से इशारा करते हुए बोले, "अपनी मां से भी खूबसूरत लग रही हो।"
कोमल उन्हें 'thank you' बोलते हुए उनका भी तारीफ करती है।
खन्ना बोलते हैं, "तुम्हारे मम्मी-पापा कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं ? अभी तक नहीं आए क्या ?"
कोमल जवाब देती है, "अभी थोड़ी देर पहले मैं call की थी, बोले कि वो घर से थोड़ी देर में निकल रहे हैं। बस आ ही रहे होंगे।"
खन्ना बोलते हैं, "राजेश को बोलो सभी लोग उसका wait कर रहे हैं, जल्दी तैयार होकर नीचे पहुंचे। और मेहमानों को संभाले।"
खन्ना का घर तीन तल्ले का था। राजेश का कमरा सबसे ऊपर था, दो कारणों से- एक तो वह जवान था इसलिए आसानी से सीढ़ियों से चढ़ और उतर सकता था, दूसरा कि वहां उसकी balcony से 170° तक पूरा शहर दिखता था। उसका घर वहां की एक पहाड़ी पर बना था। जो कि अब शहर की घनी आबादी और बने घरों के कारण पता नहीं चलता, पर बाकी शहर से करीब 87m की ऊंचाई में था।
कोमल सोंचती है कि अभी दूसरी मंजिल कौन चढ़े। वो सतीश को washroom से आते देख उसको राजेश के पास भेजती है और खुद हिमाद्रि के साथ कोल्ड drinks लेकर मेहक के पास जाती है।
कोमल मेहक से पूछती है, "तो तुम सतीश के बाकी friends से मिली ?"
मेहक मुंह सिकोड़ते हुए जवाब देती है, "उसके तुमलोग के अलावा और भी friends थे ? मुझे तो यहां झाड़ी के पीछे अकेले लाकर bore कर दिया वो, और किसी से मिलवाया भी नहीं अभी तक।"
हिमाद्रि हैरान होते हुए बताती है, "नहीं-नहीं, class की जान था वो। उसके ना होने का मतलब यह है कि हमारी college life में कुछ बचा ही नहीं।"
मेहक मस्खा लगाते हुए उनको बोलती है, "वो तो तुमलोग ऐसा बोल रही हो। और तुमलोग तो मुझपर ध्यान ही नहीं दे रही हो। सुबह से अभी जाकर मुझसे मिलने और बात करने आई हो। उसके जो friends सुबह मिल थे reunion में उनमें से तो मुझे कोई यहां दिख भी नहीं रहे हैं।"
हिमाद्रि हैरान होते हुए पूछती है, "राजेश की party में सतीश के friends क्या करेंगे ?"
कोमल शांति से बोलती है, "राजेश के friends तो उन्हीं में से कुछ थे, उसके अलावा तो सिर्फ मैं थी। पर मैं भी तो सतीश की friend थी, मतलब उसके अलग से कहां कोई friend था।"
मेहक धीरे से कोमल से पूछती है, "तो तुम और राजेश काफी close थे ?"
कोमल बताती है, "थे ? हैं। He is like my brother from another mother."
हिमाद्रि मेहक से पूछती है, "तुम दोनों के शादी को काफी time हो गया। बच्चों का क्या plan है ?"
मेहक नज़रे चुराते हुए normally बोलती है, "अभी अब वैसा कोई plan नहीं हैं। जब होगा, तब होगा।"
कोमल मेहक को छेड़ते हुए, "उस वक्त नई-नई शादी का जोश था...?"
मेहक मुसकुराते हुए नज़र उठाकर शर्माकर बोलती है, "हां, तुमलोग यही मान लो।"
अगर इनकी last lines समझ में ना आई हो तो पिछला भाग दोबारा पढ़ लेना।
कोमल को शिवि और अग्रिमा साथ आते हुए दिखतीं है।
हिमाद्रि कोमल के कान में पूछती है, "ये दोनों एक साथ आ रही है क्या ?"
कोमल बताती है, "हां। दोनों एक ही coaching से competitive का तैयारी कर रही थी। तब से ही friends है। बस हमें नहीं पता था।"
शिवि और अग्रिमा कोमल, मेहक और हिमाद्रि को join की।
Agrima बोलती है, "I hope कि हमलोग late नहीं हुए।"
कोमल बोलती है, "काफी late हो। तुमलोग के चलते party रुकी हुई है। वरना कब का सभी खा पीकर अपने घर चलें गए होते।"
शिवि पुछती है, "वैसे कोमल, हमारी भाभी का ख्याल रख रही हो या नहीं ?"
कोमल हैरान होते हुए, "(कोमल शिवि और खुद के तरफ उंगली से इशारा करते हुए) हमारी भाभी ?(फिर खुद के और हिमाद्री के तरफ इशारा करते हुए) या हमारी भाभी ? देवरानी जेठानी हो तुम दोनों।"
शिवि कोमल को धीरे से punch करती है।
मेहक बोलती है, "क्या तुमलोग भी same age के होने के बाद भी भाभी-भाभी लगा रखी हो ! मुझे भी as a friend ही समझो।"
हिमाद्रि बोलती है, "हां, लड़को का जैसे special group है, वैसे हमारा भी होना ही चाहिए।"
मेहक शिवि और अग्रिमा से पुछती है, "वैसे तुम दोनों को सुबह reunion में नहीं देखी मैं।"
कोमल बताती है, "ये दूसरे department से थीं।"
मेहक पुछती है, "अच्छा, तुम सभी के बीच एक रवि नाम का भी लड़का था ना, सतीश काफ़ी जिक्र करता था पहले, उससे नहीं मिली मैं। वो नहीं आया है क्या ?"
कोमल और हिमाद्रि अग्रिमा को घूरने लगे।
अग्रिमा इनकी नजरो से खुद का बचाव करते हुए बोली, "डेढ़ साल से बात नहीं हुई हमारी। उसका PCS के exam का result आया, उसके बाद कितना call की मैं, पर उठाया ही नहीं। बाद में institute से पता चला कि वह fail हो गया। फिर उसके बाद उसका वह no. बंद हो गया और आजतक वह मुझे कभी call भी नहीं किया।"
कोमल बोलती है, "हमारे भी touch में नहीं है वो। राजेश के पास बहुत कम time रहता है खुद के लिए, इसलिए उसको पूछती नहीं हूं। वरना वो कुछ ना कुछ information उसके बारे में निकाल ही लेता।"
अग्रिमा को sad होते हुए देख शिवि पुछती है, "तुम उसे miss करती हो ?"
अग्रिमा शिवि का हांथ अपने कंधे से हटाते हुए बोलती है, "छोड़ो यार, जाने दो उसे। मैं उसे याद नहीं करना चाहती हूं। (चेहरे पे झूठी smile लाते हुए) भैया मेरे लिए लड़का देख रहे हैं। मैं बहुत जल्द मेरी भी शादी होगी। और तुम सभी को मैं अभी से ही कह रही हूं कि तुम सभी को जरूर आना है। (मेहक को देखकर) तुम दोनों को भी आना है। मैं delivery का भी बहाना नहीं सुनूँगी। मालती aunty करवा देंगी। लेकिन तुमको आना होगा।"
कोमल अग्रिमा के गालों को पकड़कर अंगूठे से उसके आंखों से हल्की आंसू पोंछते हुए, "हां हम सभी आयेंगे। आज राजेश और शिवि का दिन है। अब इनका दिन खराब मत करो।"
राजेश अपने कमरे में dressing table के सामने खड़े होकर खुद का dress up देख रहा था। दरवाजा खुलने की आवाज हुई, वह पीछे मुड़ा तो सतीश अंदर आया।
सतीश बोला, "सभी लोग तुम्हरा wait कर रहे हैं। खन्ना Uncle जल्दी तुम्हें नीचे बुला रहे हैं।"
राजेश बोला, "ठीक है, जा रहा हूं। (सतीश का हांथ पकड़कर उसे अपने मुलायम bed में बैठाते हुए) 2 min. रुको। वैसे मैं कैसा लग रहा हूं ? कपड़े suit कर रहे हैं ना ? (अपनी wardrobe को खोलते हुए) या दूसरी try करूं।"
सतीश हैरान होकर राजेश को देखते हुए बोलता है, "तुम काफी बदल गए हो। यह luxary life, पहले तो तुम्हें इतना नहीं भाता था।"
राजेश बोलता है, "अभी भी नहीं भाता है। पर यह सब चीजें जो मेरे आस पास है, इनके बीच अगर मैं इतना खुद को show ना करूं, तो मेरी company का watchman भी मुझे भाव नहीं देगा। ये सब दिखावा मेरे life का जररूत बन चुका है।"
सतीश बोलता है, "इसलिए मैं ऐसी life में आना नहीं चाहता हूं।"
राजेश सतीश को बोलता है, "As a businessman मुझे अपने company का profit करना है। पर साथ ही पापा जो भी co-workers के लिए आजतक करते आएं हैं, उन social works को भी करते रहना है। इसके साथ कोई इसे हमारी कमजोरी समझकर गलत फायदा ना उठाए, इसलिए professionally strict भी रहना है। अभी सभी लोग help करते हैं, तो मुझे इतना burden नहीं महसूस नहीं होता है। But आगे चलकर मुझे lead करना होगा, burden बहुत ज्यादा होगा। इसके लिए अगर मुझे तुम्हारा साथ मिलता तो मेरे लिए अच्छा होता।"
सतीश राजेश को बोलता है, "तुम जानते हो कि मैं यह नहीं कर सकता हूं।"
राजेश सतीश से बोलता है, "मुझे याद है कि तुम क्या चाहते हो। तुम government job करना चाहते हो। पर इस बात के कई साल बीत चुके हैं, तुम already private school में पढ़ा रहे हो। जब तुम corporate school में time दे ही रहे हो तो हमें join करो। हम उससे कहीं अच्छा package देंगे।"
सतीश बोलता है, "तुम समझ नहीं रहे हो। मैं मानता हूं कि शादी का मतलब हमेशा साथ रहना जरूरी होता है। सिर्फ अगर शादी करके बच्चे पैदा करके अलग-अलग रहना है और सिर्फ phone call में बात करना है, तो शादी करने की जरूरत ही नहीं है। शादी करने का मतलब है कि एक-दूसरे के साथ रहकर एक-दूसरे का साथ देना और ख्याल रखना सबसे important है। तुम अपने ही माता पिता को देख लो, तुम्ह अपनी पढ़ाई एक जगह stable रहकर पूरी कर सको इसलिए वो तुम्हें तुम्हारे cousin के साथ छोड़ दिए। पर वो हमेशा एक-दूसरे के साथ रहे और एक-दूसरे का ख्याल रखते आए हैं।"
राजेश बोलता है, "तो मैं तुम्हें मेहक से अलग होने को कहां कह रहा हूं। तुम उसे यहां अपने साथ लाकर रख सकते हो।"
सतीश बोलता है, "मेरी पूरी बात को सुनो और समझने की कोशिश करो। अगर हम दोनों की government job होती है तो heighly possible है कि हमें अलग-अलग जगह रहना पड़े। जिसे हम relationship के लिए सही नहीं मानते हैं। ऐसे में हममें से किसी एक को अपना job sacrifice करना पड़ जायेगा। पर मेहक इस job को लेकर बहुत dedicated है, इसलिए मैं नहीं चाहता हूं कि वो अपना job opportunity को sacrifice करे। वैसे भी corporate job में महिलाओं को पुरुषों के compare में आमतौर पर कम salary मिलती है, और वो मेरी तरह कोई भी काम को किसी भी situation में easily कर नहीं पाएगी। जबरदस्ती का जानबुझकर struggle लेने का जरूरत ही क्या है ! Gov. job में maternity leave उसे मिलेगा और salary भी। मुझे ना तो maternity leave मिलेगा, और ना corporate में उसे salary. तो इसलिए अगर वो government job करे और मैं corporate तो यह हम दोनों के लिए बेहतर है। इससे हम दोनों हमेशा साथ रह पाएंगे।"
राजेश बोलता है, "जब तुम corporate में आ ही रहे हो तो हमें join करने में दिक्कत क्या है ?"
सतीश बोलता है, "उसकी कहां posting होगी इसका मुझे कोई idea नहीं है। जहां होगी, वहां तुम्हारी reach होगी या नहीं, यह पता नहीं। जैसा कि मैंने कहा कि मुझे हमेशा उसके साथ रहना है। तो मुझे बहुत सोचने के बाद teaching ही एक ऐसा profession लगा जो मैं कहीं भी आसानी से ढूंढ और कर सकता हूं, और जिसे करते हुए उसके साथ भी रह सकता हूं। इसलिए मैं उसके लिए खुद को अभी हर तरह से skilled and trained करने की कोशिश कर रहा हूं।"
राजेश पूछता है, "पर अगर लंबे समय तक उसका job नहीं हुआ तो ?"
सतीश बोलता है, "तो मैं तुम्हें join कर लूंगा। पर जैसे ही job हो जायेगा तो मैं छोड़ भी दूंगा।"
राजेश सतीश के कंधे में हांथ रखकर कहता है, "चलो, ठीक है।" और अपने जूते पहनने लगता है।
सतीश पूछता है, "अच्छा रवि से कोई contact है क्या ? उसका no. भी नहीं लगता है और वह सुबह reunion में भी नहीं दिखा। सोंचे वह तुम्हारी party में तो कम से कम आयेगा पर यहां भी नहीं आया अभी तक।"
राजेश जूता पहनकर खड़े होते हुए बोलता है, "उसके PCS के exam में उसके poor performace को देखकर उसके father रवि से disappoint हुए और यहां से उसका बोरिया बिस्तर उठाकर घर ले गए। अब वह उनकी दुकान में बैठता है और शर्म के चलते हममें से किसी से भी contact नहीं करता है।"
कोमल को लगा था कि राजेश को खबर नहीं होगा, पर राजेश अपने busy life के बावजूद रवि का खबर निकाल ही लिया। पर उसकी खराब हालत के चलते किसी को बताया नहीं।
इसके बाद दोनों कमरे से निकलते हैं।
Mr. Mehta के साथ मालती आती हैं, और राजेश की मां, गोविंदी से मिलते हैं। वो कुछ लाए थे जो गोविंदी को देना चाहते हैं, पर गोविंदी यह कहते हुए मना कर देती है कि, "अभी तुम ही रखो।"
गोविंदी Mr. मेहता के पास ले जाते हुए उनसे कहती है, "NGO वाले काफी नाम लेते हैं कोमल की।"
मालती पूछती है, "अच्छा कहते हैं या बुरा ?"
गोविंदी बोलती है, "तुम्हारी बेटी है। अच्छा ही बोलेंगे।"
मालती बोलती है, "मेरे बारे में तो कभी अच्छा नहीं बोलती थी तुम।"
मेहता बोलते हैं, "अब प्रेमचंद की कहानी चुराने का इल्ज़ाम लगवाओगी क्या तुम कृष्ण पर ? Readers को 'गोदान' पढ़कर ये जानने दो।"
गोविंदी बोलती है, "वैसे भी पुरानी बातों पे मिट्टी डालो। उन्हें याद करके हम आज का मजा भला क्यों खराब करें..!"
मेहता और मालती खन्ना से मिलते हैं। फिर Mr. खन्ना प्रदीप के साथ stage में चढ़ते हैं। दोनों mic लेकर बोलना शुरू करते हैं।
खन्ना : हमे अपना मानने वाले, इतना प्यार देने वाले और यहां आकार हमारी इस शाम को यादगार बनाना वाले हमारे साथियों, I'm greeting you all.
सभी धीरे-धीरे करके stage के सामने जमा होने लगते हैं।
प्रदीप : आप हम दोनों को जानते ही होंगे। हम हमेशा से एक-दूसरे के competitors रहे हैं।
नीचे से कोई चिल्लाया, "आपको भी हमें अपने बारे में बताना पड़े, आपकी पहचान इतनी छोटी तो नहीं है।"
खन्ना : Business में हमेशा इन्होंने हमें कड़ी टक्कर दी।
प्रदीप : पर हर बार इनसे हारने के बाद हमें कुछ नया सीखने को और पहले से बेहतर बनने को मौका मिला।
खन्ना : और हर एक जीत के बाद अगली बार कहीं हार ना जाएं, इसलिए कुछ नया करने की कोशिश करते रहे हैं और खुद को हम भी बेहतर करने की कोशिश करते रहे हैं।
प्रदीप: इनका competition हमें साथ में grow करने का मौका दिया।
खन्ना: और हमें वो सब करने का मौका दिया जिससे आज हम इस ऊंचाई पे हैं।
प्रदीप: पर अब हमें इनकी आदत हो चुकी है।
खन्ना: इसलिए अब जनाब हमारे सामने रहना नहीं बल्कि हमारे साथ होना चाहते हैं।
प्रदीप: पर जैसा कि आपलोग पहले से ही जानते हैं कि ये ख़ुद ही कई टुकड़ों में टूट रहे हैं, तो हमारी उसमें जगह क्या होगी !
खन्ना : यह हमारे company के कई sub groups में टूटने की बात कर रहे हैं।
प्रदीप : काश यह ये पहले किए होते। तो हम भी सीख कर idea पर चलते, तो हमारे लोग हमें छोड़ कर नहीं गए होते।
खन्ना: और हमारे भी अपने कहीं हमें छोड़कर ना चले जाए, इसलिए यह सबक हमनें इनकी गलतियों से ही सीखा है।
प्रदीप: पर यह करके इससे सभी को grow करने और खुद को साबित करने का मौका दे रहे हैं।
यह सुनकर सभी तालियां बजाने लगते हैं।
खन्ना: इसलिए हमारा एक होने का अब हमारे पास एक ही तरीका है।
प्रदीप: कि हम अपने बच्चों की आपस में शादी करा दे।
सभी guest खुशी में चिल्लाने भी लगते हैं।
खन्ना: हमें शिवि पसंद है।
प्रदीप: और हमें राजेश।
दोनों शिवि और राजेश को ऊपर stage में आने का इशारा करते हैं, और बोलते हैं, "पर हम अपनी ख्वाहिश अपने बच्चों पे नहीं थोपेंगे।"
खन्ना : दोनों एक दूसरे के अच्छे friends हैं।
प्रदीप: इसलिए हम चाहते हैं कि अब दोनों couples बन जाएं। अगर ये चाहें तो...।
दोनों एक साथ : पर अगर ये चाहें तो मना कर सकते हैं। कोई pressure नहीं है।
शिवि : अभी हम शादी के बारे में नहीं सोच रहे।
राजेश : यह कुछ ज्यादा ही जल्दबाजी नहीं हो गया ?
शिवि : अभी मेरा exam अटका हुआ है।
राजेश : अभी तो मैं stable भी नहीं हुआ हूं।
खन्ना: तो क्या तुमलोग मना कर रहे हो ?
प्रदीप: एक-दूसरे को पसंद तो करते हो ना ?
शिवि "papa" बोलकर छोटी बच्ची की तरह प्रदीप के गले से चिपक गई।
राजेश : हमें थोड़ा वक्त चाहिए।
प्रदीप : सोचने के लिए या शादी के लिए ?
शिवि उनके गले से अलग होते हुए : शादी के लिए।
खन्ना: तो engagement तो कम से कम अभी तुमलोग कर सकते हो ना ? देखो, सभी guest इस चीज को vitness करने के लिए कितना excited हैं।
राजेश : ऐसे अचानक ?
खन्ना : यह surprisingly होने की वजह से ही इतना अच्छा लग रहा है सभी को।
भीड़ से कोई चिल्लाया, "हां बोल दो। ऐसा मौका जाने मत दो।"
मेहता और मातली 💍 ring 💍 लेकर ऊपर stage में आते हैं और पीछे से कोमल राजेश की मां और बहन का हांथ पकड़कर stage में लाती है।
राजेश : तो यह आप सभी का मिल के बनाया हुआ plan था ?
मालती : Plan तो बहुत पहले से ही था। बस मौका आज मिला, तो हम exicute कर दिए।
राजेश : अगर शिवि की भी पूरी family यहां होती तो अच्छा होता। इसलिए मुझे लगता है कि यह हमें फिर कभी करना चाहिए।
प्रदीप: जरा नीचे एक बार नजर घुमाओ, देखो सभी यहीं तो हैं।
शिवि की भी family भीड़ से आगे सामने आती है। रूद्र, हिमाद्री और अग्रिमा उन सभी को भी पकड़कर stage में लाते हैं।
शिवि कोमल को गले से लगाती है। कोमल अपनी मां से rings का डब्बा लेकर एक अपने पास और एक राजेश की बहन को देती है। दोनों राजेश और शिवि के सामने जाते हैं। फिर दोनों-राजेश और शिवि एक दुसरे को rings पहनाते हैं।
फिर हुआ इस story ka happy ending. आपको सच में ऐसा लगा क्या ? बस 2min और रुक जाइए। राजेश की मां, गोविंदी mic लेकर सभी के सामने बोलती है, "Mr. मेहता और मालती हमारे पुराने मित्र हैं। एक वक्त था जब हमारा बहुत बुरा वक्त था। तब इन्होंने हमें संभलने में मदद की थी। जिसकी वजह से आज हम सभी आपके सामने खड़े हैं। मैं दिल से इन्हें thanks कहती हूं हर उस चीज के लिए जो भी इन्होंने हमारे लिए किया। और जो आज भी कर रहे हैं।"
इसपर मेहता बोलते हैं, "ऐसे सिर्फ thanks बोलने से काम नहीं चलेगा। जैसे हम सभी इस event को कामयाब बनाने में आपकी मदद किए हैं, आपको हमारी बेटी के time करना होगा।"
इसपर खन्ना हंसते हुए बोलते हैं, "चलिए, कोमल की शादी की पूरी responsibility हमारी होगी।"
मालती बोलती है, "सोंच, लीजिए खन्ना साहब। बाद में मुकरिएगा नहीं।"
गिविंदी बोलती है, "आपकी बेटी, हमारी बेटी, दोनों एक ही है। दोनों की responsibility हमारी है। आपलोग बस आज के जैसे ही सहयोग कीजिएगा।"
मेहता घूरते हैं, और गिविदी मुस्कुराती है, और फिर सभी हँसने लगते हैं।"
अंत में खन्ना mic में बोलते हैं, "Listen this announcement please, सभी खाना खाकर जरूर जाइयेगा।"
Stories by AnAlone Krishna.
Finished and published on 24th June, 2024 A.D.
भाग-११ ॥ हमदर्द सा कोई ॥ पद्य-१
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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