भाग-४
यह समंदर को जो भी देखेगा, एक पल के लिए शांत हो जाएगा। कुछ वादिया होते है ऐसे कि हमें अपनी ओर खिचते रहते है। एक बार अगर किसी को इनका चस्का लग गया , फिर कोई बस मौका ढूंढता है इसमें दो पल बिताने के लिए। कोमल अपने मंगेतर हर्ष के साथ समय बिताने लगी , राजेश को कामीनी का नया भूत चढ़ गया। अब फिर से बचे सतीश और रवि, अकेले और तन्हा। दोनों जब साथ होते तो ऐसे शांत होते जैसे किसी सुदूर क्षेत्र का वो पर्वतीय शिखर जहां की हवाएं अपने चलने का राग सुनती है, और कोई कुछ बोले तो तुरंत ही चारों तरफ गूंज जाए। रवि सतीश का पढ़ाई में मदद किया करता और कभी-कभी शाम के समय दोनों समुद्र के किनारे आकार बस यूं ही निहारा करते। और आपस में आशा भरी बातें किया करते। और सतीश रवि के सामने बीच-बीच में अपनी शायरी बेहतर करने का कोशिश किया करता।
"ये कैसा है मँजर वीराना सा,
कुछ दिखता नहीं पर खींच ही लेता।
ना स्थल है कहीं, जहां पाव रखे हम,
पर इंसान इसमें भी चलना सीख ही लेता॥"
और रवि इसपर अपना विचार देने का कोशिश किया करता।
"जीवन की यही तो सच्चाई है, बस चलते जाओ, चलते जाओ। कही कोई पता नहीं, आगे क्या होगा। लेकिन देखा जाए तो समय यही है, हमें चलना ही होता है। कुछ हसीन यादें, कुछ दर्द भरे नगमें। जैसा भी है, बहुत खूबसूरत है यह जिंदगी।"
सतीश रवि को एक टक देखने लगता है। जैसे की उसे घूर रहा हो। रवि का जब इसपर ध्यान जाता है, तो रवि के चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ जाती है। रवि सतीश को दाहिने कंधे पर धीरे से प्यार भर मुक्का मारता है, जैसे की बाकी दोस्त सभी आपस में करते हैं। और फिर दोनों normal होकर समुद्र को देखने लगते है।
तभी उन्हें अपने पीछे एक bike आकर खड़ा होने का realisation होता है। दोनों पीछे मुड़कर देखते हैं तो राजेश कुछ दूरी पर अपना bike खड़ा करके सतीश और रवि की ओर बढ़ा चला आ रहा होता है। राजेश आकार दोनों के बीच में बैठने लगता है तो, दोनों थोड़ा-थोड़ा किनारे हो जाते है, जिससे सतीश आसानी से दोनों के बीच बैठ पाए। राजेश बैठने के साथ ही सतीश के कंधे पर अपना माथा रख देता है, और उसके आँखों पर आँशु पूरी तरह ड़बड़बाये होते हैं। रवि यह देखते ही राजेश की आँखों की ओर अपना हाँथ जैसे ही बढ़ाता है, तो उसकी आँखों से आँशु धीरे-धीरे बहने लगते हैं, और रवि उन्हे पोंछ देता है।
रवि सतीश को देखकर पूछता है, "तब सतीश !, कोमल भी आने वाली थी.........?"
"आना तो चाह रही थी लेकिन कब तक आएगी यह मैं कैसे बोल सकता हूँ.......?" सतीश शांत स्वर में उत्तर देता है।
"तुमने उसे क्यूँ बुलाया.....?" राजेश अपने आँशु पोंछते हुए बोला जो की लगातार बहते ही जा रहे थें।
तब सतीश बताने लगा, "जब तुम फोन करके मुझे यहाँ रवि के साथ बुला रहे थे, उस वक्त मैं, रवि, और कोमल तीनों conference के जरिए आपस में बात कर रहे थें। उसने syllabus का नया topic के बारे पूछा था। मुझे बताने में difficulty हो रहा था, इसलिए मैं रवि का मदद ले रहा था। तभी तुम्हारा call आया। जब तुमने बताया की तुम्हारा फिर से breakup हो गया, तो उसने भी सुना। तुम्हारे फोन काटने के बाद उसने कहा की वो भी आएगी। पर पता नहीं क्यू late कर रही है।“
“अच्छा अभी तो हमारा रिजल्ट भी नहीं आया है, फिर अभी से आगे की तैयारी........?” राजेश फिर से आँशु पोंछते हुए पूछता है।
“रिजल्ट तो आता ही रहेगा, पर उसका wait करने में हमें अपना कीमती समय नहीं गवाना चाहिए। किसी धर्मात्मा ने कहा है न कि कर्म करो फल की ईक्षा मत रखो।“ सतीश राजेश को समझाते हुए बोलता है।
तभी बीच में रवि उसे रोकता है, “अरे, कम से कम स्थिति को तो देखा करो । फिर से तुम अपना lacture देना शुरु कर दिए।“
“sorry........, गलती हो गया।“ सतीश अपने सीने में हाँथ रखते हुए बोलता है।
"है समंदर, और कुछ ये मंजर,
लगते अपना सा, जैसे हमदर्द है कोई।
कुछ यूँही अचानक जाग जब जाती,
देख के थी जो अरमान अब तक सोयी ॥"
राजेश अब बोलना शुरू करता है । तभी अचानक पीछे से आकार तीनों के सामने एक लड़की खड़ी हो जाती है। जब तीनों अपना माथा ऊपर उठाते हैं, तो वो पाते हैं कि वह कोमल है। कोमल के चेहरे पर हल्की सी खिचती हुई मुस्कुराहट होती है, मगर आंखे कुछ और ही बयां करना चाह रही थी। वह बस इतना बोली ही थी कि, "क्या मुझे बीच में जगह मिलेगा ?" और उसके चेहरे के ऊपर से आँसू छलक गए। सतीश जरा सा और खिसक जाता है, और कोमल बीच में बैठ जाती है। अब सतीश के कंधे में कोमल अपना सर रख कर आँशु छलकाने लगी और, राजेश रवि के कंधे में । सतीश कोमल से बैठने के तुरंत बाद ही पूछ बैठता है कि, "अब तुम्हें क्या हो गया...?"
कोमल अपने आँशु पोंछते हुए बोलती है, "बताती हूँ, पहले इस आवारा-शायर- मजनूँ की कहानी पूरी हो जाए, उसके बाद।" और राजेश उन्हें बताने लगता हैं-
मैं कामिनी के साथ घूमने जाने वाला था। इसके लिए मैं उसके हाँस्टल के नीचे उसका wait कर रहा था। तभी कहीं से मेंरी ex आयी, बाहर से। मुझे देखी तो वह रुक गई। और बोली, "तो तुम अब कामिनी के साथ relationship में हो...?"
मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "क्यूँ...? तुम्हें जलन हो रहा है...! पछतावा हो रहा है...!"
उसने कहा, "तुम्हें छोड़ने का मेरे पास यह बहाना नहीं
था कि मेरी शादी होने वाली थी, बल्कि मैं तुमसे ऊब गई थी..."
"तो आखिर सच बाहर आ ही गया।" मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया।
"तुम्हारे मुख से मेरे लिए यह सब निकलना, मेरे लिए कोई हैरानी की बात नहीं है। तुम तब भी वैसे थे जैसे कि अब हो। तुम्हें कभी भी मेरा कद्र करना आयेगा ही नहीं। इसलिए मैंने तुम्हें छोड़ दिया।" वो आगे बोलती गई।
अब मैं उससे उब गया और बोला, "हो गया, अब चल निकल।"
राजेश की इन बातों को सुनकर रवि से अब रहा नहीं गया और बोला, "तुम्हें यह पहले ही कह देना चाहिए था। बेकार का उससे बात करता रहा।"
"अरे मैं कामीनी का wait कर रहा था, तो late थी ना, इसलिए इसके साथ time paas कर रहा था।" राजेश जवाब दिया।
तब कोमल बोली, "तो इसलिए तुम इतने दूःखी हो..."
राजेश धीमी आवाज मे कहा, "उसने जाते-जाते कहा कि अगर धोखा खाने से बचना है, तो जब मैं रात को call करूँ तो pick कर लेना।"
"मतलब story अभी पूरा नहीं हुआ...!" कोमल curiosity दिखाते हुए बोली।
राजेश उत्तर दिया, "हाँ, अभी पूरा नहीं हुआ।"
"मैं रात मे जब उसका call आया, recieve नहीं करना चाहता था। लेकिन वो क्या कहना चाहती थी, यह जानने की जिज्ञासा थी। इसलिए call को recieve कर लिया।", राजेश बता रहा था तभी रवि बीच में टोकता है, "तो, क्या बोली वह...?"
"वह कुछ नहीं बोली, बल्कि call करके mobile को कहीं रखा दी होगी। ताकि मैं उनकी बातों को सुन सकूँ। उनकी बातों को सुनकर मुझे पता चला की कामीनी मेरे साथ खेल रही है। उसने मेरे थप्पड़ का बदला लेने के लिए मेरे emotions को target किया। मेरी ex का शादी तो सिर्फ set हो रहा है, लेकिन उसका तो fix है। फिर भी वो मेरे साथ time-pass कर रही है। दिल टूट गया यह जान कर यार। इस बार तो मैं रो भी नहीं पा रहा हूँ ठीक से।", राजेश अपनी बात को पूरा करता है।
सतीश जो की अब तक रेत में अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर गाड़े हुए था, जैसे की हाथों के सहारे पीछे लधक कर बैठा हुआ, सीधा होता है। और बोलते हुआ खड़ा होता है कि, "तो तुम्हारी ex को अब भी तुम्हारी फिक्र है...!
राजेश बोलत है, "हाँ यार...! गलती हो गया ।"
सतीश राजेश का हाथ पकड़ कर बोलत है, "एहसास जब हो ही गया है, तो चलो चल कर रिस्तों को सुधारते हैं।"
राजेश सतीश से हाथ छुड़ाते हुए बोलत है, "छोड़ ना यार, मैं अब इन चीजों से निकलना चाहता हूँ।"
इसपर रवि थोड़ा गुस्से में आ जाता है और बोलत है, "और कामीनी को ऐसे ही जाने दें...? बात किया बाद में उस कमीनी से...?"
"मैंने उसके बाद कामीनी का no. block list मे डाल दिया। अब नहीं बात करनी है मुझे उस से कभी।" राजेश आराम से आहें भरते हुए बोलता है।
सतीश माहौल को ठीक करने का कोशिश करता है-
"जगमग टिमटिमाते तारों में हमनें,
अपनों को तलाशने की कोशिश थी की।
ना लगा हमें अपनेपन का एहसास,
हुआ बस इतना कि गलती है की।"
"तभी हमें कहीं से एक टूटता हुआ तारा दिखा,
हमारे डूबते हुए उम्मीदों को सहारा दिखा,
समझ गए हम यह कि यह चाहतों से नहीं मिलते हैं,
अपने और उनका प्यार बस किस्मतों से ही मिलते है।", राजेश सतीश कि बात को आगे बढ़ाता है।
कोमल सतीश का हाथ खीच कर वापस बैठा देती है। और बोलती है कि, "अब मेरी बारी है।"
कोमल अपनी बात सुनाना शुरू की, "जब मैंने राजेश को upset सुना तो मैं भी मिलने आ रही थी। मैंने आते हुए रास्ते में दो प्रेमी कॉ लड़ते हुए देखा।"
"तो तुम इसलिए उदास हो कोमल...! तुम बहूत ही sensitive हो।", रवि बीच में टोकता है।
"नहीं मैं उसके लिए उदाश नहीं हूँ।", कोमल उत्तर देती है।
"तो फिर...?", राजेश पूछता है।
कोमल आगे बताती है, "मैंने जब करीब जाकर देखा तो वो लड़का हर्ष था।"
"unbeliveable, मतलब वो कैसे....! अगर उसका किसी और के साथ afair है तो वो शादी...", राजेश आश्चर्य करते हुए बोलता है।
"सतीश को पहले से पता होगा। तभी तो यह अभी ऐसे ही कुछ नहीं बोल रहा।", इतना बोलने के साथ ही कोमल के आँखों मे फिर से दो बूंद भर जाते हैं। और उसे वह पोंछते हुए सतीश की तरफ देखती है। लेकिन सतीश कुछ भी नहीं बोला।
"हर्ष ने कहा कि वह उसकी hostel time की love है। और वो दोनों कभी अलग नहीं होंगे। वो शादी करना चाहते हैं। और..., और मैं उसे भूल जाऊँ।", इतना कहते ही कोमल खुद को रोक नहीं पाती है और रोने लगती है।
यह सब देख कर रवि सतीश से पूछता है, "तो तुम्हें सच में यह सब पहले से पता था ?"
सतीश समझाने की कोशिश करते हुए बोलता है, "कोमल खुश थी यार..., और मुझे हर्ष पर भरोसा था कि वह कुछ गलत नहीं करेगा।"
तब राजेश भड़क जाता है और बोलता है, "वह इसके दिल के साथ खेल रहा था, क्या यह गलत नहीं था तुम्हारे लिए...? और कौन सी खुशी की तुम परवाह कर रहे थे, उसकी जो महज एक झूठ था और एक ना एक दिन पता चलना ही था...?"
कोमल राजेश के कंधे में हाथ रखते हुए बोलती है, "छोड़ जाने दे ना राजेश, यहाँ तो अपने ही नकाब पहने गैर निकाल रहें है। गलती तो मेरी ही थी, कि इतना किसी पर भरोसा कर रह थी। मुझे ही इतने बड़े-बड़े ख्वाब नहीं देखने चाहिए थे।"
"मैं तुम्हारी चंद लम्हें को सुकून दे रही खुशियों को नहीं छिनना चाहता था। सोचा कम से कम कुछ दिन तो दिल खोलकर जियोगी, इस जिंदगी को।" सतीश कोमल को समझाने का कोशिश करता है पर कोमल के चेहरे के भाव से असफल महसूस करता है।
राजेश विरोधी भाव से बोलता है, "ऐसा क्यू होता है कि तुम्हें हमेशा excuse देना होता है सतीश।"
कोमल अब इन चीजों से चिढ़ते हुए बोलती है, "चल हटा ना इन बातों को राजेश। इन चीजों की वजह से हम आपस मे लड़ रहे है। मुझे लगता है कि हमें अब नई शुरुआत करनी चाहिए। बीती बातों को भूलकर।"
सतीश कोमल से पूछता है, "इस बारे मे तुम अपने घरवालों को बतायी ?"
कोमल गुस्साते हुए बोलती है, "उन्हें मैं बिल्कुल नहीं बताऊँगी। मैं अभी शादी नहीं करना चाह रही थी फिर भी माँ ने अपनी सहेली से मेरी बात चलायी। वो तो हर्ष का behaviour अच्छा लगा वरना, मैं अभी बिल्कुल नहीं करना चाहती हूँ। रहने दूँगी उनको भी इसी तरह गलतफहमी मे।"
राजेश कोमल को रोकते हुए बोलता है, "शांत, शांत। तुम बहूत ज्यादा ही भाऊक हो रही हो। मुझे लगता है कि हमें छोटा सा breakup party करनी चाहिए।" और राजेश के चेहरे में अब हल्की सी मुस्कुराहट आ जाती है।
अब कोमल का चेहरा भी थोड़ा खिलने लगता है, और बोलती है, "हाँ, हमें करनी ही चाहिए। लेकिन सतीश को बिल्कुल नहीं देंगे। इसको सब पहले से पता था, फिर भी हमें धोखे में रखा।"
रवि रंग मे भंग मिलाने के लिए बोलता है, "कम से कम मुझे तो मिलेगा ना...?"
कोमल चिढ़ाते हुए बोलती है, "तुम्हें भी नहीं मिलेगा। तुम हमेशा इसकी परछाई जैसे साथ देता है ना..., अब खामियाजा भूगतों ।"
कोमल राजेश को ice-cream वाले के तरफ इशारा करते हुए बोलती है, "चलो party करके आते हैं।" फिर दोनों खड़े हो जाते हैं, और दोनों को बोलते है, "हमारा wait करना हम वापस आएंगे।" और दोनों ice-cream खाने चले जाते हैं।
"यह लड़की लेकिन अंदर से strong है।", रवि सतीश को बोलता है।
"हाँ, वरना expectations टूटने के बाद कौन आसानी से खुद को संभाल पाता है । अपने राजेश को ही देख लो।", सतीश प्रतिउत्तर देता है।
"तुम लेकिन कोमल को अंधेरे मे रखकर उसे धोखा दे रहे थे। उसके साथ तुमने गलत किया।", रवि सतीश को बोलता है।
"कभी-कभी हमें दुनियाँ के सामने गलत बनना पड़ता है यार, इसी में सबकी भलाई होती है।", सतीश रवि को समझाता है।
"तुम्हें क्या लगता है...? कोमल कब तक यह बात राज रख पाएगी ?", रवि जिज्ञासु ढंग से पुछता है।
"तुम अच्छा याद दिलाया।", रवि यह बोलते हुए अपना mobile निकाला।
"तुम किसे call कर रहे हो...?", रवि पूछता है।
"कोमल के पापा को।", सतीश जवाब देता है और phone में बात करने लगता है।
"hello, Mr. Mehta...?"
"yes..., who is this...?"
"नमस्ते uncle, मैं कोमल का दोस्त बोल रहा हूँ।"
"कौन सतीश...?"
"जी uncle, uncle मुझे ना आपसे कुछ बात करनी है कोमल के बारे में।"
"बोलो..."
"uncle आपने जो लड़का देखा था कोमल क लिए, हर्ष..., उससे कोमल का रिश्ता तोड़ दीजिए..."
"यह बोलने वाले तुम कौन होते हो...? मेरी बेटी के लिए क्या सही है और क्या गलत यह मैं अच्छी तरह समझता हूँ।"
"बेशक समझते होगे sir, but आपकी बेटी का हर्ष से शादी नहीं करने का मन होने के बावजूद अगर वो आपसे बोल नहीं पा रही है, तो मैं समझता हूँ कि आपकी परवरिश कहीं ना कहीं हारता जा रहा है। उसे अपने दिल की बात सबसे पहले आप लोगों से share करनी चाहिए। अगर वो यह हमारे साथ कर रही है, मतलब कहीं ना कहीं वो हमपर आप लोगों से ज्यादा भरोसा करने लगी है।"
"साफ-साफ कहोगे...? कि कहना क्या चाह रहे हो..."
"कोमल अभी शादी नहीं करना चाहती है। हर्ष किसी और को love करता है। यह बात जानने के बाद कोमल ने हर्ष को good bye कर दिया। लेकिन वह आपसे यह बात कहना नहीं चाहती, क्यूंकि उसे लगता है कि आप लोग उसका शादी कहीं और set करने लगोगे।"
यह बोल कर सतीश लंबी-लंबी साँसें लेने लगता है। और उधर कोमल कि माँ Mr. Mehta को पूछती है की वह किससे बातें कर रहें हैं।
"सतीश से मालती...", Mr. Mehta बोलते हैं।
"लेकिन कोमल तो उसी से मिलने गई है। क्यू...? वह उसके साथ नहीं है क्या...?", मालती की यह बात सुन कर Mr. Mehta को आश्चर्य होता है। और वो सतीश से पूछते हैं-
"मेरी बेटी तुम्हारे साथ है...?"
"जी uncle, वो राजेश के साथ ice cream खाने गई है।"
"मैं चाहता हूँ की तुमलोग आज शाम का dinner हमारे यहाँ करो। तुमलोग आ रहे हो..."
"जी uncle..."
सतीश call disconnect करता है। और रवि उखड़े मन से सतीश को बोलता है, "तुमने यह ठीक नहीं किया सतीश।"
सतीश रवि के कंधे में हाथ रख कर बोलता है, "यही जरूरी है यार।"
रवि डांटते हुए बोलता है, "किसी की जिंदगी का फैसला तुम नहीं कर सकते। उसके लिए क्या सही है, क्या गलत है इसका फैसला उन्हे खुद लेने दो। तुम interfare मत करो।"
सतीश आराम से बोलता है, "उनकी जिंदगी का फैसला मैं कहाँ ले रहा हूँ यार...! वो तो ऊपर वाला ले रहा है। मैं तो बस वो कर रहा हूँ, जो मुझे करना चाहिए।"
रवि समझाने की कोशिश करता है, "जरूरी नहीं कि जो तुम्हें सही लगे वो हमेशा सही ही हो। वो सबके लिए गलत भी हो सकता है।"
सतीश रवि को अपनी बात समझाने की कोशिश करता, "इसका फैसला मैं लोगों पर नहीं बल्कि भगवान पर छोड़ता हूँ। हो सकता है की वो मुझसे वही करवाना चाहते हो। वरना ऐसा माहौल क्यू बनेगा कि मुझे वही सही लगेगा।"
रवि चेतावनी देता है, "कोमल को यह बात पता चलेगा तो पता नहीं वो क्या करेगी।"
सतीश रवि को आस्वास्थ करता है, "इसकी चिंता मत करो यार, वो शुरू मे गुस्साएगी फिर जब intention का पता चलेगा तो शायद माफ कर देगी।"
"किस intension की बात हो रही है जालिमों, अब क्या कर दिया तुम दोनों ने।", कोमल आते हुए मस्त मिजाज मे पूछती है।
रवि अंदर से ही दोहराता है, "जालिमों...!"
सतीश बोलता है, "तुम्हारे मम्मी-पापा हमें आज खाने पे बुलाए हैं , मैंने हाँ कह दिया।"
कोमल थोड़ा गुससते हुए बोलती है, "तुमने हाँ कह दिया...?"
राजेश जल्दबाजी दिखाते हुए बोलता है, "यह पकड़ो तुम दोनों ice-cream, मैं जा रहा हूँ घर।"
सतीश राजेश को रोकते हुए बोलता है, "तुम कहाँ चल दिए मजनू ...? वो हम सभी को बुलाए है।"
रवि ice-cream लेते हुए बोलता है, "तुम दोनों तो हम दोनों को नहीं खिलाने वाले थे...?"
कोमल चिढ़ाते हुए बोलती है, "तरस आ गया तुम दोनों पर, इसलिए ला दिए।"
रवि धीरे से अंदर ही अंदर बोलता है, "करता कोई और है, और भुगतना किसी और को पड़ता है।"
फिर सभी कोमल के घर चले जाते हैं ।
कोमल के घर मे सभी dinning table के चारों ओर बैठे हुए हैं। Guardian chair पर Mr. Mehta, left side पर कोमल और बगल में सतीश, right side में कोमल की माँ और बगल में रवि सतीश के सामने, और सामने राजेश सतीश-रवि के बीच में।
Mr. Mehta सबसे पहले कोमल को खाने पर से नजर उठाकर देखे उसके बाद फिर मालती की ओर देखकर बातचीत शुरू करते हुए बोले, "तो हर्ष के माता-पिता से बात हो गई...?"
मालती खाना शुरू करते हुए बोली, "हाँ, हर्ष की माँ बोली की अगर कोमल को शादी अभी नहीं करनी है तो कोई बात नहीं, रिश्ता तोड़ देना ही बेहतर होगा।"
यह सुनते ही मानो कोमल के गले का पहला निवाला फंस सा गया, कोमल पानी पीते हुए बोली, "तो आपने क्या किया मम्मा...?"
"रिश्ता तोड़ दिया।", मालती सरलता के साथ बोली।
सतीश बीच मे ही टपक जाता है और बोलता है, "हाँ ठीक ही किया aunty, वरना कोमल के लिए थोड़ा मुश्किल होता।"
यह सुनते ही रवि के मन मे थोड़ा भय जाग जाता है, और वह राजेश के पैर पर थप-थपाते हुए इशारा करता है। और राजेश सतीश के पैर को थप-थपाते हुए शांत रहने का इशारा करता है।
Mr. Mehta अपना दूसरा निवाला लेते हुए बोलते है कि, "कोई भी माता-पिता अपने बच्चों की सिर्फ खुशी ही चाहते हैं। हम चाहेंगे कि कोमल का किसी ऐसा लड़के के साथ घर बसे जो कोमल को हमेशा खुश रखे।"
मालती कोमल को बड़ी शालीनता के साथ बोलती है, "हर्ष से बातचीत शुरू होने के बाद से हमने तुम्हें बहूत खुश देखा था, कोमल। अगर तुम चाहो तो उन्हें दोबारा मना सकती हूँ। अभी भी ज्यादा late नहीं हुआ है।"
कोमल खाना को रोकते हुए बोलती है, "नहीं माँ, इसकी जरूरत नहीं है। इस रिश्ता को टूट जाना ही बेहतर है।"
सतीश जिज्ञासु ढंग से पूछता है, "वैसे uncle आप लोगों ने क्या बोल कर रिश्ता तोड़ा...?"
Mr. Mehta जवाब देते हैं, "यही कि अभी मेरी बेटी शादी नहीं करेगी । वो अभी पहले अपना पढ़ाई पूरा करेगी।"
रवि थोड़ा राहत लेते हुए instantly ही बोल पड़ता है, "अच्छा...! वरना हमें तो कुछ और ही लगा था।"
कोमल को यह सुन कर dought होता है, वह तुरंत पूछ देती है, "कुछ और का मतलब...?"
Mr. Mehta बीच में बोलते है, "यहीं कि तुमने हर्ष को किसी और के साथ देखकर रिश्ता तोड़ने का मन बना लिया।"
रवि यह सुनकर भयभीत हो गया, उसका घबराहट फिर से आ गया, कि अब क्या होगा। कोमल पहले रवि की ओर देखी और उसके हावभाव से मामला भाप ली। वह खाना को रोकी और सतीश की ओर देखी और फिर अपने पिता को देखकर पूछी, "आपको यह सब सतीश ने बताया है...?"
मालती जवाब देती है, "तुम्हें तो अब हमपर भरोसा रहा नहीं कि हम तुम्हारा भला ही चाहेंगे। कम से कम इस लड़के को तो फिक्र है तुम्हारी।"
कोमल खाना को आगे धकेलते हुए बोलती है, "तुमने यह अच्छा नहीं किया सतीश। तुमने मेरा भरोसा तोड़ा।" और वह खाना को बीच में ही छोड़ कर चली जाती है।
Mr. Mehta रोकने की कोशिश करते हैं, "अरे पहले खाना तो पूरा कर लो..." पर यह लड़की किसी की सुने तब ना।
Mr. Mehta कोमल की नादानी को देखकर मुसकुराते हुए सतीश को देखकर बोले, "तुम्हें जाकर उसे मनाना चाहिए।"
सतीश समझदारी दिखाते हुए बोलता है, "नहीं। यह काम आप लोगों को करना चाहिए। उसकी हर सुख-दुख में साथ आपलोगों का होना चाहिए, तभी वह आपसे कोई बात नहीं छुपाएगी।"
यह सुनकर Mr. Mehta और मालती दोनों आश्चर्य से सतीश की ओर देखने लगते हैं कि एक छोटा लड़का ऐसी-ऐसी बातें कर रहा है। सतीश आगे बोलता है, "देखिए यह अच्छी बात है कि आप अपनी लड़की के लिए किसी ऐसे लड़के का साथ चाहते हैं जो उसे खूब प्यार करें। लेकिन परिवार में सिर्फ पति-पत्नी ही नहीं होंगे, बल्कि सास-ससुर, देवर-ननंद-ज्येठ-बाकी सभी होंगे। इसलिए किसी ऐसे को ढूंढिए जो इसके साथ-साथ सभी का कद्र करना जानता हो।"
Mr. Mehta अब खुद को रोक नहीं पाते हैं, और अब बोलते है, "तुमने सही कहा। सभी आपस में मिल जुल कर रहेंगे तभी पूरा परिवार खुशहाल रहेगा। इसलिए कोमल के लिए हमें ऐसे जीवनसाथी की तलाश करनी चाहिए जो सब का खुशी चाहता हो। जो सब के लिए हो हमदर्द सा, कोई ऐसा शख्स।"
मालती का ध्यान रवि और राजेश पर पड़ता है, जो की यह सब देखकर शांत बैठे थे, बिल्कुल हक्के-बक्के होकर। उनके मन में एक तरह का डर पनप रहा था, कि कहीं सतीश आज उन्हें यहाँ पिटवा ना दे। वह बोलती है, "अरे तुमलोग ऐसे ही क्यूँ बैठे हो...! खाना खाओ।"
दोनों एक साथ बोलते हैं, "जी aunty, जरूर-जरूर।"
सतीश खाना खाते हुए मन ही मन सोचता है,
"काश की मुझे भी हमदर्द सा कोई, कभी,कहीं पर मिल जाए,
मेरे मन के मुरझाए फूल, काश की फिर से खिल जाए,
मैं किश्ती में बैठा हूँ, कि दूर जाऊँ इस साहिल से,
चलूँ मैं अब वहाँ, जहां मेरा अब दिल जाए।"
सभी dinner करने के बाद कोमल के माता-पिता का खाने के लिए धन्यवाद कहकर विदा लेते हैं। जब कोमल के घर के चौखट के बाहर तीनों निकलते हैं, राजेश तेजी से आगे बढ़कर पीछे मुड़ते हुए रवि, और सतीश को रोकता है। और सतीश से पूछता है, "क्या तुम्हें पहले से इसका अंदाजा था कि मेरे साथ ऐसा कुछ होगा?"
सतीश झूठी मुस्कान दिखाते हुए, जो कि साफ-साफ पता चल रहा था, जवाब देता है, "किसी के साथ तुम दुश्मनों जैसा कभी सबके सामने बुरा बर्ताव करो, और वो तुम्हारे साथ इस तरह हमदर्दी से पेश आए, थोड़ा अटपटा लगता है।"
यह सुनकर राजेश का मन उतर जाता है, और रवि उसको दिलासा देता है। फिर तीनों अपने-अपने मंजिल कि ओर चल देते हैं।
~भाग समाप्त~
-AnAlone Krishna
Published on, 3rd March, 2018 A.D.
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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