Wish The Happy Endings
the bilingual story written by AnAlone Krishna.
(Before continuing this story, be sure you know the previous stories of "हमदर्द सा कोई". Read or revise the previous parts from this blog.)
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एक थैले में कुछ सामान लिए Mr. Mehta अपने घर आ रहे थे। तभी उस गली में उनके पीछे से काले रंग की एक बड़ी सी गाड़ी गुजरी और थोड़ा आगे जाकर रुकी। Mr. मेहता हमेशा की तरह इन चीजों को ignore करते हुए उस गाड़ी के बगल से गुजरते हुए आगे बढ़ने जा रहे थे, कि गाड़ी का शीशा नीचे हुआ और अंदर से आवाज आई, "अरे मेहता, मेरे डर से कहीं घर से भाग रहे हो क्या ?"
Mr. मेहता उसको बोलते हैं, "नहीं मालिक। आपके स्वागत सत्कार के लिए ही सामान खरीदने market गए थे।"
Car से वो आदमी दरवाजा खोलते हुए Mr. Mehta को बोलते हैं, "आओ अंदर बैठो। और घर का रास्ता बताते चलो driver को।"
Mr. Mehta गाड़ी के अंदर बैठते हैं। गाड़ी से आया वह अमीर आदमी Mr. खन्ना है। पहले वह बैंक मैनेजर था, साथ ही एक शुगर mill का मालिक भी। पर जब एक बार उसके mill में आग लगी थी और workers के दंगे भी हुए थे, तो उसके बाद उसने अपनी पत्नी की support के साथ नई शुरुआत की। अब वह उससे भी ज्यादा अमीर आदमी बन गया। अब उसके कई जगहों पर अलग-अलग कारखाने हैं। साथ ही वह अब उस private bank का maximum shares खरीदकर उसका board member भी है। अपने कई multiple business को देखने के लिए अब वह किसी particular bank manager बन कर नहीं रहा सकता था, इसलिए अब वह किसी post में नहीं, बल्की इससे ऊपर की चीज है। Mr. मेहता और Mr. Khanna बहुत पुराने मित्र है। पर Mr. मेहता कभी-कभी Mr. Khanna के तरक्की के बाद उसे मजाक में मालिक बोलकर छिढ़ाते हैं।
Mr. खन्ना के साथ पहुंच कर Mr. Mehta अपने घर का door bell बजाते हैं। कोमल दरवाजा खोली, उसे सामने Mr. खन्ना दिखे। Mr. खन्ना बगल से सामने आकर कोमल से पूछे, "इन्हें पहचानी, ये कौन है ?"
कोमल पीछे खड़ी car और उसमें बैठे driver को देखी। फिर Mr. खन्ना को गौर करते हुऐ बोली, "आप तो वही uncle हो ना जो बचपन में मेरे teddy को पैर से कुचल कर गए और फिर कभी डर से मेरे घर में वापस नहीं आए।"
Mr. खन्ना यह सुनकर समझ जाते हैं कि यह कोमल ही है। वह उसे जवाब देते हैं, "माफ़ी मांगने के लिए उसके जगह पर दूसरा teddy तो भिजवाएं थे।" फिर Mr. मेहता को देखकर, "मेहता, अपने favorite students को scholarship देने के लिए मेरी बच्ची का teddy रास्ते में ही बेच दिए क्या ?"
कोमल बोलती है, "आप तो 6ft का teddy भिजवाएं थे।"
Mr. Khanna बोलते हैं, "अच्छा, तो तुम्हें मिला, पर मुझे तो फिर भी आज तक माफी नहीं मिला। अभी भी 15 साल पहले की गलती के लिए घर में घुसने नहीं मिल रहा है। आज भी तुम मुझे अंदर आने नहीं दे रही हो।"
कोमल बोलती है, "हां तो उस time बड़ा teddy मैं क्या करती ? मुझे तो अपना teddy ही चाहिए था।"
इतने में मेहता धीरे से दरवाजे से अंदर की तरफ खिसकने लगते हैं और यह देखकर खन्ना बोलते हैं, "अरे मेहता, बच्ची को समझाओ यार। मुझे यहीं से भागोगे क्या ?"
मेहता बोलते हैं, "इसपर मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। यह घर इसकी और इसकी मां की है। अगर इनके खिलाफ़ गए तो ये दोनों मुझे ही घर से निकाल देंगी।"
तब कोमल हंसते हुए Mr. खन्ना के हांथ पकड़कर उन्हें अंदर लाती है।
राजेश और रवि drawing room से यह सब आवाज सुनकर हुए आश्चर्य और जानने की इक्षा के साथ sofa से उठते हुए बाहर hall की तरफ़ झाँकने की कोशिश करते हैं। Mr. खन्ना की नज़र इनपर पड़ी, तो वह धीरे से बोले, "राज..."
यह सुनकर मेहता को यह पूछने का रहे थे कि "तुमलोग एक दूसरे को जानते हो ?" और कोमल यह कहने ही जा रही थी कि, "राज नहीं, इनका नाम राजेश और रवि है।"
इससे पहले राजेश धीर से बोलता है, "Dad." और फिर Mr. खन्ना और राजेश को छोड़कर बाकी तीनों इन्हें घूरने लगते हैं। अग्रिमा kitchen से निकलते हुए बोली, "Kitchen साफ हो गया। अब मैं घर निकलती हूं।"
तो Mr. खन्ना को लगा कि वह नौकरानी है। वह बोले, "जाने से पहले हमारे लिए चाय बनाने हुए जाना।"
तब कोमल को लगा कि misunderstanding हो रही है। इसलिए वह सभी को introduce करवाती है, "Uncle ये रवि है, पापा आप तो जानते हैं। ये अग्रिमा है, मेरी friend; आपसे कई बार इसके बारे में बात हुई है पापा। राजेश को तो आप जानते ही हो। और, रवि और अग्रिमा (Mr. खन्ना के तरफ इशारा करते हुए) ये खन्ना uncle है, पापा के पुराने दोस्त और राजेश के father."
रवि shock में पूछता है, "राजेश के father ?"
Mr. Khanna बोलते हैं, "Nice to meet you Beta."
फिर Mr. खन्ना रवि का और अग्रिमा का और introduction लेते हुए drawing room के sofa में बैठते हैं और अग्रिमा उनके सवालों से बचने के लिए कोमल की kitchen में help करने के बहाने धीरे से खिसक लेती है।
Mr. मेहता बताते हैं कि कैसे कोमल के खराब health और मालती के busy schedule के time राजेश इनका help किया।
Mr. खन्ना बोले, "अच्छा, यह तो बहुत अच्छी बात है। अपने साथ साथ अपने समाज की care करना, मुझे यह जान अच्छा लगा कि तुम अपनी responsibilities को इतनी कम उम्र में समझ पा रहे हो।"
मेहता हैरान होते हुए पूछते हैं, "तुम्हें यह पता नहीं था ?"
Mr. खन्ना जवाब देते हैं, "Actually हमारी आपस में बहुत कम बात होती है।"
इसपर राजेश कहता है, "दरअसल होता ही नहीं है, Dad बहुत busy रहते हैं।"
Mr. खन्ना बातें किस मोड़ पर जा रही है। वह बात को घुमाने के लिए बोलते है, "तुम्हें याद है मेहता, जब मेरे mill में आग लगी थी, workers दंगे कर रहे थे, मुवावजे की मांग कर रहे थे, मुझे loan नहीं मिल रही थी, और कर्जदाता अपना पैसा वापस मांग रहे थे..?"
मेहता बोलते हैं, "वो काफी tough time था तुम्हारे लिए।"
Mr. खन्ना राजेश को बोलते हैं, "उस वक्त तुम पैदा भी नहीं हुए थे।" और रवि को बताते हैं, "उस वक्त मेहता और मालती का शादी भी नहीं हुआ था। उस वक्त यह यहां मालती के घर में paying guest की तरह रहता था। या शायद उसके बाद यहां shift हुआ था।"
मेहता बोलते हैं, "और तुम भी तो यहां आने के बहुत बहाने खोजा करते थे।"
Mr. खन्ना बोलते हैं, "यह घर अंदर से पूरा का पूरा वैसा ही है। बस बाहर में बहुत कुछ बदल गया है। यहां तक कि paint तक वही है।"
कोमल trey में चाय लाकर देते हुए बोलती है, "मैं कितनी बार अलग paint करवाना चाहती थी, पर मां कभी करवाने ही नहीं दी।"
Mr. खन्ना बोलते हैं, "तुम्हारी मां के सामने मेरी हिम्मत नहीं हुई कुछ बोलने की तो मेहता क्या बोलेगा ! तुम्हारा कमरा भी आजतक वैसा ही है क्या ?"
मेहता बोलते हैं, "उस कमरे में अब राजेश रहता है।"
Mr. खन्ना यह सुनकर अचानक रुक जाते हैं। वह पूछते हैं, "कब से ?"
मेहता बोलते हैं, "बस महीना भर हुआ है।"
खन्ना राजेश को घूरते हैं, राजेश बोलता है, "जी Dad."
दो पल सोंचकर खन्ना बोलते हैं, "तुम्हारी pocket money कम कर रहा हूं मैं।"
राजेश परेशान होता हुआ पूछता है, "पर क्यों Dad ?"
खन्ना बोलते हैं, "तुम्हें room rent की जररूत ही क्या है ! अब अपने बच्चे से भी मेहता पैसे लेगा क्या ? आखिर ये और मालती मेरे पैसों पे बहुत ऐश किए हैं। अब मौका मिला है सूद-ब्याज के साथ वसूलने का।"
मेहता बोलते हैं, "मालिक किस जमाने की बात आप कब कर रहे हैं। और मुझे कहां ऐश करने का मौका दिए हो ? आप तो मालती को ना देते थे।"
खन्ना बोलते हैं, "पर मालती तो तुम्हारे ऊपर ही उन पैसों को लुटाती थी ना, अपने जान के साथ-साथ ?"
रवि बीच में टोकता है, "Uncle, आप बता रहे थे कि आपका बहुत loss हुआ था, फिर आप वापस कैसे बड़ा आदमी बने ?
अब खन्ना serious हो गए अपना कहानी बताने के लिए। वह बोले-
"मैंने जितने भी पैसे कमाए थे, उन्हें मैं खर्च करता गया था। तरक्की करने के लिए ढेर सारे कर्ज भी लिए। जब आग लगी तो बैंक के कर्ज़ insurance से cover हो गया पर मुझे bank से निकाल दिया गया। बाकी अधिकांश कर्ज मैंने open market से उठाए थे, उन्हें चुकाने के लिए, मुझे अपनी उन properties को बेचनी पड़ी, जिन्हे मैंने खरीदा था। फिर मेरे पास एक ही उपाय था, mill को दोबारा चालू करके कारोबार को फिर से किसी भी हाल में खड़ा करने का। Workers दोबारा काम पे आए, और mill दोबारा चालू हो इसके लिए मुझे घर गिरवी रखना पड़ा। कई workers मुझे छोड़कर चले गए। पर कई उस वक्त भी मुझपर भरोसा करके मेरे साथ खड़ा रहे। देखो बेटा, जो तुम्हारे अच्छे पल में साथ रहे उन्हें भले भूल जाओ, पर जो तुम्हारे बुरे पलों में भी साथ रहे उसको कभी खोना मत। मेरे मन में आया कि मैं भी उनके लिए कुछ करूं। तो पहले मैंने उनके अच्छे सेहतमंद खाने के लिए mill के अंदर canteen खुलवाएं। फिर देखा कि कई लोग दूर से आना जाना करते है, रात को आने जाने में खतरा रहता है, कुछ लोग mill के आसपास झोपड़ी बनाकर रहते हैं, इसलिए उनके रहने के लिए पहले मैंने lodge बनाए। फिर देखा कि उसमें वो अपनी families को रखने लगे, तो मुझे quarter का idea आया। इसलिए लिए मुझे पूंजी चाहिए था, तो इसके लिए मैंने और mill खोले। जिससे और ज्यादा workers की भीड़ बढ़ी, तो investors को भी profit का उम्मीद हुआ, और वो दोबारा पहले की तरह ज्यादा से ज्यादा कर्ज देने लगे। फिर रोग फैला तो कभी एक चौथाई, तो कभी एक तिहाई workers एक ही साथ बीमार पड़ जाते। उनके जगह औरों को रखना burden था, और कुछ सप्ताह में वो भी infected हो जाते। इसलिए मैंने सरकार की मदद से Hospital बनवाई। पर इससे उनके रहन सहन में कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। उन्हें अपनी जीवनशैली को बदलने के लिए अच्छी शिक्षा की जरूरत थी, तो इसके लिए school भी खुलवाए। पर आम जनता इतनी समझदार नहीं होती है। वो अपने आय को अपने जररूत की चीजों पर खर्च करने के बजाय, दूसरे जगहों पर खर्च करते हैं। वो क्षणिक सुख खोजते हैं और पैसे बचाते नहीं है। इसलिए सरकारी pension scheme की तरह ही अपने workers के लिए भी लागू किए। इससे मुझे एक idea आया कि क्यों ना मैं workers को money के जगह service ही दे दूं। मतलब जब मैं workers को pay करता, वो उससे अपना rent भरते, इलाज करवाते, बच्चो के school fee भरते। वो जब फिलजूल की चीजों में पैसे खर्च कर देते तो school में teachers को, hospital में doctors को, builder, contractor, हर किसी का chain गड़बड़ाता। Workers की फिर से वही हालत होने लगा जो पहले था। वो उधार लेते और आपस में झगड़ते। इसलिए payment के साथ ही उनके rent और बच्चों की school fee काट लेने की सोचें। पर hospital वाला मामला फिर भी बैठ नहीं रहा था। फिर senior workers के साथ मिलकर इन सबमें विचार करने पर यह बात समझ में आया कि पैसे कटने के नाम पर workers भड़क जायेंगे। उसके जगह उनकी salary ही थोड़ी कम कर दी जाएं, और उन्हें सुविधाएं ही free में दे दी जाएं। जो पैसे उन्हें पहले दिए जाते, फिर सुविधाएं देकर वापस लिए जाते, उन्हें ना देकर सीधा सुविधाएं ही दी जाए। जिसकेचलते less salary and free services का उपाय सही लगा। पर कुछ workers अपने मनपसंद school में बच्चों को पढ़ाना चाहते, और hospital में इलाज करवाना चाहते, इसके लिए अलग से उपाय निकाले गए। इसका और एक फायदा हुआ कि मुझे open market से कम पैसे उठाने की जररूत पड़ने लगी। जो amount workers की pension के तौर पर savings के लिए रखे जाते थे, वो हमारे पास available थे invest करने के लिए। और जबतक workers को यह हमें return देना होता, तब तक इससे हम अच्छी profit भी बना लेने लगे।
यह सब करते-करते, मुझे यह realise हुआ कि short term social service is also a long term business. क्योंकि जब workers के परिवार खुश रहने लगे, तो वो काम मन लगाकर करने लगे और भी ज्यादा जोश के साथ। एक environment ऐसा बन गया कि हमें साथ में काम करने में मजा आने लगा। उनके बच्चें बदलते वक्त के साथ new सीखकर आने लगे और उनकी abilities हमारे firm के growth में काम देने लगा। काबिल लोग वही local में मिलने लगे जब वही के लोकल बच्चें काबिल होने लगे। इससे आसपास बेवजह बाहरी भीड़ कम होने लगी और area साफ-सुथरा रहने लगा, लोग healthy रहने लगे, environment healthy रहने लगा। तो फिर इसी के देखते हुए पुराने भरोसेमंद workers के साथ business को और grow करने की मैंने कोशिश की और अब भी कर रहा हूं। अब यहां का काम यहां के staffs अच्छे से संभाल लेते हैं, बस मुझे बीच बीच में निगरानी के लिए आना पड़ता है। बाकी बाहर के business में नए लोग ज्यादा होते हैं तो उन्हें ज्यादा time देना होता है।"
Mr. Mehta बोलते हैं, "इतना कि अपने पुराने दोस्तों के लिए भी time नहीं होता है। कि जब यहां आए तो एक बार मिल ले।"
राजेश मन ही मन बोलता है, "यहां तक कि अपने बेटे से भी।"
रवि पूछता है, "और आपका घर uncle, जिसे आप गिरवी रखे थे, वो वापस लिए ?"
Mr. खन्ना बोले, "जब बाहर में ज्यादा रहने लगे तो यहां के घर का maintenance, extra खर्च की तरह हो गया था। इसलिए उसे बेच देना ही सही लगा। अब अपनी संपत्ति को ऐसे रखता हूं कि उसे कभी भी कहीं से भी use कर सकू। और जितना उसकी value आज है, भविष्य में उससे ज्यादा ही मिले पर कम नहीं।"
रवि बोला, "आप क्या बोले यह मेरे पल्ले नहीं पड़ा।"
अग्रिमा आकर बोली, "मेरा काफी late हो गया है। मैं चलती हूं, भाभी call भी कर चुकी है दो बार। नाश्ता तैयार है, (रवि और राजेश को इशारा करते हुए) बस उसे serve करने में कोमल की help कर दो।" और अग्रिमा वहां से चली जाती है।
Mr. खन्ना बोले, "बच्चें काफी बड़े हो गए हैं और वक्त भी काफी बदल गया है। हमारे समय हम कभी अपने दोस्तों के parents के सामने इतने frank नहीं रह सकते थे। हमारी तो डर से हांथ पांव कांपते रहते थे।"
इसपर Mr. Mehta बोलते हैं, "पहले ये भी ऐसे ही थे। वो अब घुल मिल गए हैं, इसलिए हमारे सामने इतने आराम से बैठे हैं। वरना पहले घर के बाहर से ही भाग जाते थे।"
Mr. Mehta आगे बोलते हैं, "वैसे इतने सालों बाद अचानक मुझसे मिलने आए, कुछ विशेष है क्या ?"
Mr. खन्ना बोलते हैं, "तुमसे मिलने के लिए कुछ विशेष होना जरूरी है क्या ?"
Mr. Mehta बोलते हैं, "नहीं, फिर भी। कुछ तो होगा ना।"
Mr. खन्ना बोलते हैं, "यार बहुत मेहनत कर लिए, अब मन कर रहा है आराम करूं।"
इतने में कोमल और रवि नाश्ते के plates लाए, और राजेश पानी। Plate में थोड़ा सा खीर, थोड़ा सा सेवई, दो slice apple, कुछ काजू, कुछ किसमिश, चार slides orange, दो slides Banana cuts थे।
यह देखकर Mr. खन्ना पूछते हैं, "मेज़बानी तो बहुत अच्छा की हो, किससे सीखी हो। मालती तो बिलकुल नहीं सिखाई होगी। वो diet में ध्यान देती है पर serve करने में इतना तो बिलकुल नहीं। मतलब पहले तो वह ऐसा कुछ नहीं की कभी।"
कोमल मुस्कुराकर बोली, "यह अग्रिमा का idea था। उसके घर से call आया तो जल्दबाजी में एक plate ऐसे सजाकर बोल के गई कि सारे ऐसे ही सजाकर serve करके photo click करके send करने के लिए।"
Mr. खन्ना पूछते हैं, "photo click क्यूं ?"
रवि बोलता है, "भरोसा नहीं है हमलोग पर उसको।"
कोमल बोलती है, "इसका कहने का मतलब है कि हमलोग नही ना करते इतना मेहनत ऐसे plate को सजाने में। इसलिए proof के तौर पर।"
Mr. खन्ना बोलते हैं, "अच्छा।"
Mr. Mehta पूछते हैं, "अच्छा तुम कुछ बोल रहे थे, आराम या retirement के बारे में।"
खन्ना बोलते हैं, "हां, सोंच रहा हूं कि business किसी और को सौंपकर retirement ले लूं।"
राजेश उदास आंखो से खन्ना को देखता है।
मेहता पूछते हैं, "तो क्या सोचें हो, किसे सौपोगे ?"
खन्ना बोलते हैं, "और किसे, एक ही तो बेटा है मेरा ?"
राजेश खुद को रोक नहीं पाता है, "इतनी जल्दी क्यों ? मैं कैसे संभालूंगा ?"
खन्ना बोलते हैं, "आज अभी थोड़ी दे रहा हूं। आने वाले 8-10 सालों में। तब तक सीख लो।"
मेहता बोलते हैं, "यह थोड़ा जल्दबाजी नहीं हो गया ?"
खन्ना बोलते हैं, "इसलिए तो तुमसे सलाह लेने के लिए call करने के बजाय specially मिलने आया हूं। कि राज से पहले मैं तुमसे इस मसले को face to face मिलकर समझ लूं। पर यह सामने है तो सामने ही बात कर ली जाएं तो बेहतर है।"
राजेश बोलता है, "पर मुझे अपने life में कुछ करना है, खुद को साबित करना है।"
खन्ना rudely पूछते हैं, "किसके सामने साबित करना है ? क्यों साबित करना है ? कौन बोल रहा है तुमको साबित करने ? तुम्हें कुछ भी किसी के सामने साबित करने की जरूरत नहीं है। तुम मेरे बेटे हो, बस काफी है।"
राजेश बोलता है, "मुझे आपके business में कभी कोई interest रहा भी नहीं है। फिर मुझे क्यों चुन रहे हो आप ?"
खन्ना बोलते हैं, "क्योंकि तुम मेरे बेटे हो।"
राजेश बोलता है, "कोई ऐसा इंसान जो उस चीज को पाने के लिए खुद की काबिलियत साबित करने की कोशिश कर रहे हैं, आप उनके जगह मुझे मौका दे रहे हो यह तो गलत बात है।"
खन्ना बोलते हैं, "यह गलत बात कैसे है ? कोई भी इंसान जन्म से काबिल होता है क्या ? मैं अगर दूसरों को सीखने और आगे बढ़ने का मौका दे रहा हूं तो मैं अपने बच्चें को सीखने और काबिल बनने का मौका क्यों ना दूं।"
राजेश बोलता है, "वो उसी के लिए मेहनत कर रहे हैं, वो पाना चाहते हैं, और मुझमें ईक्षा ही नहीं है फिर भी आप मेरे ऊपर..."
खन्ना समझाते हैं, "यहीं तो problem हैं ना कि बाकी सब अपने life में grow करना चाहते हैं। उन्हें जब वो मकाम मिल जायेगा जो वो पाना चाहते हैं, तो वो रुकेंगे नहीं। वो और grow करना चाहेंगे।"
रवि बीच में बोलता है, "पर आप भी तो यही किए हो uncle."
खन्ना समझाते है, "मेरे और उनमें intension का अन्तर होगा। जबतक मैं grow करना चाहता था, मैं कामयाब हुआ, और फिर बर्बाद भी हुआ। मैं अपनी कामयाबी को संभाल नहीं पाया। और मैं नहीं चाहता हूं इतना मेहनत से खड़ा किया हुआ business मेरे आंखो से सामने बर्बाद हो।"
कोमल बोलती है, "पर uncle, जैसे आप बाद में संभाल लिए और इतना grow किए, कोई ना कोई आपके बाद भी संभाल ही लेगा। आप किसी पे भरोसा ही नहीं करोगे तो यह कोई कैसे करेगा ?"
खन्ना समझाते हैं, "देखो, जब तक मैं अपने growth के बारे में सोच रहा था, मैं बुरी तरह हारा। जब मैं अपनी जगह अपने साथ काम करने वालो के बारे में सोच कर उनके growth और उनके साथ कामयाब होने के intension से मेहनत करना शुरू किया , उसके बाद कितनी परेशानियां आई - गई यह मुझे पता भी नहीं चला। जब कोई अपने growth के बारे में सोंचेगा, उसे कामयाबी मिलेगी, पर वह रुकेगा नहीं। वो उसपर निर्भर करने वाले तमाम लोगों के बारे में ना सोंचकार सिर्फ अपना growth के लिए औरों के प्रति अपनी responsibilities को अनदेखा करेगा। जो सबको साथ लेकर चलना जाने, मैं किसी वैसे के ही भरोसे अपने business सौंपना चाहता हूं।"
राजेश बोलता है, "पर मुझे business के बारे में कुछ भी नहीं आता है और आप अचानक इतनी बड़ी responsibility सौंपने के बारे में बात कर रहे हैं।"
खन्ना बोले, "तुम क्यों लगता है कि तुम्हें मैं इतनी बड़ी responsibility ऐसे ही सौंप दूंगा ? तुम बस फिलहाल business join करो और बाकियों की तरह ही ground से शुरू करोगे। बस अन्तर यह होगा कि जब हम उनके काम से impress होते हैं तब उन्हे promotion देते हैं, तुम्हें जैसे जैसे लगेगा कि तुम और responsibility उठा सकते हो, तुम वो कर सकते हो। Salary भी उतना ही मिलेगा, जितना तुम काम करोगे। और board members तुम्हारे growth को analyse करेंगे।" वो रवि को बोलते हैं, "बेटा तुम भी इसके साथ join कर सकते हो। अगर तुम इसके साथ होगे तो इसका self doubt दूर होगा।"
तब मेहता बीच में रोकते हैं, "खन्ना, तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो। अभी बच्चें ठीक से पढ़ाई भी complete नहीं किए है और तुम अभी से। अभी इनकी उम्र ही क्या है ! अभी थोड़ा जी लेने दो, इश्क विश्क करने दो। ये पल जो इनके पास है वो वापस थोड़ी लौट कर आयेगा।"
रवि खन्ना को जवाब देता है, "आपके offer के लिए thanks Uncle. But मैं आपके offer को accept नहीं कर पाऊंगा। मेरा शुरू से civil service में जाने का ख्वाब है। मेरी family भी इस ख्वाब को पूरा करने में मेरी मदद करते आई है। अब अचानक अगर ऐसे track change करूंगा तो सभी को shock लगेगा। इसलिए मैं इसी में खुद को focus करूंगा। जबतक कि मैं पूरी तरह से हार ना जाऊं।"
गाड़ी का दो बार horn बजता है, Mr. खन्ना घड़ी देखते हैं और बोलते हैं, "अब मुझे निकलना होगा, मुझे time पर वापस भी पहुंचना होगा।"
वो खड़े होते है और कुछ कदम चलते हैं कि फिर से दो बार horn बजता है।
Mr. मेहता हँसकर बोलते हैं, "लगता है तुम्हारा driver time का काफी पाबंद है। बार बार alarm बजा रहा है।"
मेहता main door जैसे ही खोलते हैं, सामने मालती खड़ी होती है, अपनी नज़रे झुकाए अपना शादी झाड़ रही होती है। वह door bell की तरह अपना हांथ बढ़ाते हुए अपना माथा ऊपर करती है तो वह सामने Mr. खन्ना को देखती है, उसे घूरते हुए।
वह खन्ना को बोलती है, "मेरी गाड़ी का horn सुनकर जल्दी से जल्दी भागने के फिराक में हो क्या ?"
खन्ना बोलते हैं, "नहीं तो..।"
मालती बोलती है, "तो फिर दरवाजे में क्या कर रहे हो ?"
खन्ना बोले, "जा रहा हूं।"
मालती बोली, "मतलब फिर आज मेरे डर से भाग रहे हो। एक तो इतने साल बाद आए हो, फिर भी तुरंत जा रहे हो। आज इतने साल गायब रहने का हिसाब होगा तुमसे।"
खन्ना बोलते हैं, "गायब ! मेहता से तो बराबर बात होते ही रहता था call पे।"
मालती बोलती है, "वो हमको नहीं पता। मुझसे बात नहीं हुई, नहीं मिले, बस यही जानती हूं मैं।"
खन्ना बोलते हैं, "इसलिए डर लगता है तुमसे।"
मालती खन्ना का हांथ पकड़कर बोलती है, "चलो 5min तो कम से कम बैठ लो।"
खन्ना बोलते हैं, "नहीं देर, हो जायेगा। अब तो आता जाता रहूंगा। अगली बार आता हूं ना।"
मालती बोलती है, "अगली बार ? पता नहीं फिर कितने साल बाद दर्शन हो।"
खन्ना बोलते हैं, "अरे आऊंगा ना। इतने साल बाद भी मेरी संपत्ति हड़पने की फिराक में हो तुम, अब तो आना ही होगा।"
मालती को कुछ समझ में नहीं आया। मेहता बोले, "राजेश खन्ना का लड़का है।"
मालती राजेश को देखती है, फिर खन्ना को देखती है तो वह कार के दरवाजे के सामने खड़े थे और driver दरवाजा खोल रहा था। खन्ना बोले, "मेरा बेटा चुराओगी तो समझ जाओ कि किसके सामना होगा तुम्हारा।" और खन्ना कार में बैठते हैं।
मालती बोलती है, "गोविंदी को बोलना call करने के लिए।"
Car चली जाती है और मालती मुस्कुराते हुए राजेश का हांथ पकड़कर घर के अंदर ले जाती है। रवि भी कोमल को बोलकर वहां से चला जाता है। राजेश आज मालती के व्यवहार में अलग तरह का अपनापन महसूस कर रहा था। वह बोलता है, "Aunty, लगता है आपलोग गहरे friends हो।"
मालती बोलती है, "हमारी friendship को और explore करना है तो 'गोदान' के पाठ - 7,18,22 पढ़ लो।"
वह थोड़ी देर रुककर बोलती है, "आज hospital में सतीश आया था।"
राजेश जवाब दिया, "हां जानता हूं।"
मालती पूछती है, "तुमलोग मिले थे ?"
कोमल पूछती है, "क्या करेंगे उससे मिलकर ?"
मालती बोलती है, "उससे झगड़ने और रूठने के लिए उसके पास उसकी wife है। अब तुमलोग भी ऐसे नखरे करोगे तो अपना दर्द सुनाने कहां जाएगा बेचारा ?"
कोमल बोलती है, "हां तो उसी के पास जाए ना। हमारे पास आने की क्या जरूरत है उसको !"
राजेश पूछता है, "आप उससे मिली थी ?"
मालती बोलती है, "नहीं, nurse बताई। राजेश तो मिला था। पहले बोली कि राजेश का कोई friend आया था। मुझे लगा कि वही होगा। नाम पूछे तो entry list में नाम देखकर बताई। उससे sure हो गए। वैसे कुछ है खाने को ? बहुत जोरों की भूख लग रही है।"
Finished on 1st April, 2024 A.D.
Published on 3rd April, 2024 A.D.
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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