Yes, I'm single, with my choice. ● Bilingual story by AnAlone Krishna.

Yes, I'm single, with my choice.

(अपने choice से single रहने वाले लड़के को परखने के लिए और reason जानने की curiosity को शांत करने के लिए उसे propose करने के trick के दौरान किसी लड़की से हुई उसकी बातचीत के रूप में अपनी इक्षा से single रहने वाले लोगो की ideology को समझाने के लिए लेखक की एक छोटी सी कोशिश।)
Bilingual story by AnAlone Krishna.
Act 1 is a split story part
between भाग-९ and भाग -१० of
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● Yes, I'm single, with my choice. ●

Act 1| Act 2 | Act 3

Yes, I'm single, with my choice.

Plot:-

सतीश graduation final year का semester exam  देकर vaccation के लिए घर, अपने गाँव आया हुआ है। इसके पड़ोस की अमायरा सतीश की गाँव की ही एक cousin शम्पा की बहुत अच्छी friend थी। दोनों सतीश की हमउम्र और batchmate थी। साथ ही दोनों सहेलियों के बीच की closeness को देखकर इनके बारे में कहाँ जाता था कि दोनों दो जिस्म और एक जान है। अमायरा सतीश की पड़ोसी होने के कारण सतीश की छोटी और फुफेरी बहन सृष्टि जो कि उसके घर पर ही रहा करती थी, उसकी भी बहुत अच्छी friend थी। शम्पा के छोटे uncle की शादी थी। आज सभी सगे-संबंधियों के लिए reception की arrangement की गई थी। क्यूँकि सतीश भी घर पर ही है, इस मौके पर सभी उस occasion में मिलने वाले हैं। चलिए देखते हैं, आगे क्या होता है...
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Scene 1:-

सतीश उसकी फुफेरी बहन सृष्टि के साथ शम्पा के घर reception में जाने की तैयारी कर रहा है।


सृष्टि: भैया, दीदी अभी तक 4 बार call कर चुकी है कि उनका लाडला भाई अभी तक पहुँचा क्यूँ नहीं और आप तो लड़कियों से भी ज्यादा समय लगाते हो तैयार होने में, 9 बजा दिए, और कितनी देर करोगे आप ?
सतीश: अरे जैसे तैसे पहुंच जाएंगे तो शम्पा फिर मजाक उड़ाएगी मेरा।अपनी सहेलियों के सामने अपना गवांर भाई बताकर।
सृष्टि (सतीश का हाँथ पकड़ कर कमरे से बाहर ले जाते हुए): तो आप चिढ़ते क्यूँ हो ? वो आपको चिढ़ाती है क्यूँकि आप चिढ़ते हो।
सतीश (drawing रूम में अपना हाँथ छुड़ाते हुए): अच्छा ठीक है जूते तो पहनने दो। या फिर खाली पैर ही घसीट कर ले जाने का इरादा है मुझे ?
सृष्टि: भैया..., आप इतना lazy क्यूँ हो ? अमायरा भी 1 घण्टे पहले ही चली गई। मुझे पता होता कि आप इतना late करोगे तो मैं उसी के साथ चली जाती।
सतीश (shoe-lace बांधते हुए): अमायरा अभी तक गई नही ?
सृष्टि: हाँ..। उसे शम्पा पहले ही बताकर रोक कर रखी थी ना... और उसका बेटा.., उसका बेटा बहुत प्यारा है।
सतीश: उसकी शादी बहुत जल्दी हो गई। लगा नहीं था कि इतनी जल्दी हो जाएगा उसका।
सृष्टि: लड़कियों से उनकी अर्जी सुनी ही कहाँ जाती है भैया, कि वो क्या चाहती है। बस मर्जी पूछी जाती है, उसमे भी अगर ना कह दो तो 50 तरह के पैतरे अपना कर मना लिया जाता है। 
सतीश: हो गया, चलो।

सतीश आहिस्ते से दरवाजे को लगाते हुए सृष्टि के साथ निकल गया।
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Scene 2:-

शम्पा के घर पर reception party हो रही है। Side में एक sofa पे बैठकर शम्पा, अमायरा, और उनकी कुछ सहेलियां- मेहक, वंशिका, सानिध्या, कलश, निध्याना आपस में गप्पे कर रही हैं।


वंशिका: तुम्हारा बेटा कितना प्यारा है...
शम्पा: इसका बेटा ?
अमायरा: नहीं, मेरा बेटा नहीं है। यह इसी का बेटा है।
मेहक: इतना भी हक़ मत जताओं शम्पा, अमायरा के बेटे पे। सिर्फ बोलने से हो जाएगा क्या ? अमायरा भी अब तुम्हारी थोड़ी रही।
शम्पा: सिर्फ मेरी, और तुमलोग की नहीं ?
कलश: हमारी यह कभी थी ही कहाँ ! तुम कभी हमें इसपे हमारा हक़ जताने दी है ?
सानिध्या: हमेशा अपना हक़ जताते रहती थी शम्पा।
निध्याना: अच्छा अब शम्पा का हक़ नही है अमायरा पे तो फिर किसका है ?
कलश: इसके सुमन जी का...
शम्पा: वैसे हमारे जीजा जी कहाँ है अमायरा..?
अमायरा: क्यूँ, उनसे तुम्हें क्या काम रे ?
मेहक: ओहो, jealousy ...
शम्पा: सच में क्या..?
अमायरा: अरे ये हमेशा तंग करते रहती है उसको।
मेहक: इतना तो हक़ बनता है हमारा। तुमपे अब भले ना हो, मगर उनपर तो है।
कलश: अच्छा शम्पा, वो तो तुम्हारा भाई, सतीश है ना ?

सतीश अपनी बहन सृष्टि के साथ पहुँचता है।
मेहक: इसके साथ वो लड़की कौन है ?
शम्पा: उसकी cousin है।
कलश: नाम...
अमायरा: सृष्टि।
निध्याना: और जिससे hand shake कर रहा है, वह कौन है ?
वंशिका: खबरदार, उसपे नजर मत लगाना...
निध्याना: क्यूँ रे ?
कलश: वो अमायरा के सुमन जी है।
सानिध्या: पहले बताना चाहिए था ना रे... तब से इधर देखे जा रहे थे। मुझे लगा कि...
शम्पा: लगा कि.., क्या ?
अमायरा: तुम थोड़ी देर शुभम को रखो ना। मैं आती हूँ।
मेहक: ये इसके पास आएगा ?
कलश: आएगा कैसे नहीं। इसी का जो बेटा है।
शम्पा (शुभम को अपनी गोद में लेते हुए): आ बेटा अपनी मम्मा के पास। छोड़ अपनी मौसी को।
निध्याना: अरे...
वंशिका: सोंच लो अमायरा, शम्पा बिगाड़ देगी तेरे बेटे को।
अमायरा: बिगाड़ने दो। 6 महीना भी ठीक से हुआ नही है, कितना बिगड़ेगी !

अमायरा जाकर अपने पति सुमन, सतीश और सृष्टि से बाते करने लगी। इधर शम्पा, मेहक, कलश बातें करने लगी और वंशिका, सानिध्या, निध्याना शुभम को खेलाने लगी।
मेहक: सतीश अभी भी single है ?
कलश: तुम्हें इससे क्या करना है रे ?
मेहक: उससे related कुछ भी बोलती हूँ तो तुम इतनी चिढ़ती क्यूँ हो ?
शम्पा: I'm 100% sure, वह single ही होगा।
मेहक: sure..? यानी कि confirm नहीं हो ?
कलश: 100%...! क्यूँ ? तुम्हारा भाई है इसलिए ?
शम्पा: मुझे उसपर खुद से ज्यादा भरोसा है।
मेहक: उसका मन किसी को तो पसंद करता होगा...
कलश: हो सकता है कोई उसे पसंद करती हो...
शम्पा: इससे क्या फर्क पड़ता है ? जरूरी नहीं कि हर पसंद ख़्वाहिश बने। आप बस उनकी ख़्वाहिश करने से खुद को रोक नही पाते जिनकी आपको जरूरत महसूस हो। उसे पता नही कि अभी उसको जरूरत किस चीज की है। इसलिए वह किसी को अपने close नही आने देगा। कभी भी।
मेहक: इतना control, खुद पर..?
कलश: कोई उसे तो पाने की कोशिश जरूर की होगी।
शम्पा: (तेज आवाज में) सतीश...। (सतीश देखा तो उसे इधर आने का इशारा करने के बाद मेहक और कलश से) अब वो खुद आएगा तो उसी से पूछ लेना इसके बारे में। (शुभम से) बेटा.., बताओ मम्मा कहाँ है ? इधर या उधर ?

कुछ देर बाद सभी मिले। वंशिका, सानिध्या, निध्याना अमायरा और सुमन के साथ खाने के लिए चली गई। मेहक और कलश सतीश से कुछ बात करना चाहती है यह बता कर सतीश को उनके साथ बिठा कर शम्पा भी सृष्टि के साथ पीछे से खाना खाने आ ही रही थी कि एक लड़का आया जो शम्पा से बात करना चाह रहा था। सृष्टि, शम्पा और वो लड़का दूसरी ओर एक खाली table पे बैठे।

मेहक: तुम्हारी कोई girlfriend है ?
सतीश: नहीं।
कलश: या कभी थी, जिसकी याद में तुम...
सतीश: क्या मतलब ?
मेहक: देखो, आमतौर पर लड़के 2 ही reason से single होते हैं- पहला या तो बहुत ज्यादा रूढ़िवादी हो जिसे कोई आसानी से भटका नही सकता, या फिर दूसरा यह कि वह किसी को पसंद करता था और जो कि उसे नहीं मिली इसलिए अब उसकी याद में इतना खोया रहता है कि किसी पर ध्यान ही नहीं देता।
सतीश: तुम्हें क्या लगता है ?
कलश: पहला वाला।
मेहक: मुझे तो दूसरा लगता है।
कलश: नहीं, नहीं। मुझे पक्का यकीन है, पहला वाला ही सही reason है।
सतीश: 1 min. ये हो क्या रहा है ? सीधा मुद्दे की बात करो ना... आखिर मेरी enquiry तुमलोग ऐसे ले क्यूँ रही हो ? क्या शम्पा ने कहा है, मतलब मेरी खबर लेने के लिए ?
कलश: नही, नहीं, वो क्यूँ बोलेगी।
मेहक: वैसे तुम्हें ऐसा क्यूँ लगा ?
सतीश: क्योंकि मैं उसे बचपन से जानता हूँ ना, इसलिए..
मेहक: अच्छा.., अच्छा तो तुम उसे बचपन से जानते हो इसलिए... वैसे यह बात अधूरा सच है।
सतीश: क्या मतलब।
कलश: हमें तुम्हारे बारे में जानने की curiosity हो रही थी, तो वह बोली कि सीधा तुम्हीं से पूछ लेने के लिए।
सतीश: अच्छा, तो यह बात है। वैसे क्या जानना था मेरे बारे में ?
मेहक: तुम्हारा relationship status.
सतीश: मगर क्यूँ ?
मेहक: दरसल बात यह है कि...
कलश: I like you. And she wants to be mine.

शम्पा: बोलो, क्या बात करनी थी। 5 min से देख रही हूँ, कुछ बोलने की कोशिश करे हो पर बोल नहीं पा रहे हो।
सृष्टि: अच्छा आप अपना नाम ही बता दो पहले।
लड़का: Hey, I'm Veer. And you're so cute छोटी।
शम्पा: ओ hello, यह हो क्या रहा ?
वीर: मैं आपको काफ़ी time से notice कर रहा हूँ, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं आपको पसंद करने लगा हूँ।
शम्पा: थोड़ा confusion हो रहा है। तुम इसे बोल रहे हो या मुझे बोल रहे हो ?
वीर: Ofcourse आपको ही बोल रहा हूँ। यह तो छोटी बहन जैसी है।

कलश: मैं तुम्हें पसंद करती हूँ।
सतीश: और यह चाहती है कि मैं तुम्हारा हो जाऊँ ?
मेहक: actually यह कहना यह चाहती है कि यह तुम्हें चाहती है और यह चाहती है कि तुम इसके हो जाओ। बस बोलने में थोड़ी nervous हो गई और nervousness में थोड़ा उल्टा पुल्टा बोल रही है।
सतीश: 
खुद को शांत रखने की कोशिश करता हूँ,
घने जंगल के बीच किसी झील की तरह...
लोग आते है और कंकड़ फेंककर कहते हैं-
देखो इसकी लहरे समंदर सी छूती हुई लगती है॥
मेहक: क्या..!!
सतीश: Cast क्या है तुम्हारा ?
कलश: excuse me..!
सतीश: मैंने पूछा कि तुम किस cast की हो...
मेहक: मतलब तुम conventionalist ही हो।
कलश: किस जमाने में जी रहे हो तुम ! Cast की इतनी tension मत लो। मैं अपने घरवालों को मना लूँगी और तुम्हारे भी घरवाले इतने ज्यादा कट्टरपंती तो होंगे नहीं जो अपने बच्चे की खुशी से ज्यादा इन orthodox mentality को मानेंगे। सीधा बोलो, हाँ या ना...
सतीश: क्या..? किस चीज के लिए हाँ या ना..?
कलश: मैं तुम्हें पसंद करती हूँ। boyfriend बनोगे या नहीं..?
मेहक: अच्छा, अगर यह same cast की होती तो तुम मानते ?
सतीश: मैंने यह कब कहा कि other cast होने पर मैं relationship में नही आऊँगा ? वैसे भी तुम्हें देख कर तुम्हें कौन reject करेगा ! मुझे भी तुम अच्छी ही लगती हो।
कलश: मतलब तुम्हारी हाँ है ? Yes..! अब शम्पा को बताऊँगी कि तुम्हारा भाई इतना भी शरीफ नहीं है।
सतीश: पर मैंने हाँ भी कब कहाँ ?
मेहक: तुम अपनी बात को घुमा रहे हो। तुम साफ-साफ क्यूँ नही कहते कि तुम चाहते क्या हो ?
सतीश: Cast, culture, society, religion से कितना attachment है इससे यह पता चलता है कि किसी की perspective, personality, thinking, ideology कैसी है, और इससे हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि इस या किसी भी relationship में जो दो लोग होंगे, उन दो लोगों के बीच adaptability, adjustments, acceptance कितना अच्छा हो सकता है। यूँ कहे तो reltionship कितना healthy होगा।
मेहक: तुम एक साँस में जो बोला, मेरे ऊपर ऊपर गया। समझाओगे कि अभी तुम क्या बोले ?
कलश: अब पीछे हटने के लिए बहाने मत बनाओ। मैं जा रही हूँ शम्पा को बताने... (वह वहाँ से शम्पा की ओर जाने लगी और पीछे से सतीश अपना माथा ठोकता है)
मेहक: तुम्हारी बात सुनकर मैं confuse हूँ। तुम या तो हाँ बोल सकते थे या तुम उसे सीधा ना बोल सकते थे।
सतीश: अगर मैं उसे सीधा मुँह पे reject करता, उसे बुरा नही लगता ? उसका ego hurt नहीं होता ?
मेहक: तुमने जिस तरह बात को घुमाने की कोशिश की, उससे वह तुम्हारी बात को उल्टा ही समझ ली।
सतीश: मैं बस उसे यह समझाने की कोशिश कर रहा था कि मैं किसी relationship के बारे में क्या सोंचता हूँ। ताकि जब मैं उसे 'ना' कहूँ तो वह मुझे समझे और उसे बुरा ना लगे। वह मेरे rejection को negatively ना ले।
मेहक: किसी भी relationship के लिए ज्यादा सोंचने की क्या जरूरत है ? बस  पसंद आनी चाहिए, एक दूसरे के बीच ज्यादा से ज्यादा love feel आनी चाहिए या फिर वक़्त के साथ तो यह आ ही जाता है, और एक दूसरे को accept करने की जरूरत होती है, बस..।

शम्पा: दुनियाँ में इतनी सारी लड़कियाँ है। तुम्हें सिर्फ मैं ही पसंद आई, इसका कोई खास reason..?
वीर: नापसन्द करने की reason हो सकती है, पसंद करने की क्या reason दूँ ? फिर भी, तुंहरी personality मुझे बहुत अच्छी लगी। इसलिए तुम्हारे करीब आने का दिल करता है। तुमसे बात करने का दिल करता है। तुम्हारी कद्र करने का दिल करता है। तुमसे प्यार करने का दिल करता है।
शम्पा: अबे ए, मजनू की औलाद... देख बेटा ऐसा है, I'm single, with my choice. तो जा जाके किसी और पर chance मार। और सबसे पहले तो मेरे नजरों से तुरंत दूर हो जा, वरना तुम्हारे जैसे अतिथियों का स्वागत करना मुझे बहुत अच्छे से आता है। (कलश की ओर इशारा करते हुए) वो लड़की दिख रही है जो वहाँ buffer के सामने खाना लेने के लिए खड़ी है, जाके उसपर try कर। वो शायद मान जाए।
सृष्टि: (वीर के वहाँ से जाने के बाद) क्या दीदी, कैसे कैसे लोग हैं दुनियाँ में..? वैसे आपकी वो सहेली उतनी देर से सतीश भैया से किस बारे में बात कर रही है?
शम्पा: वो, वो हमारे भाई के साथ setting करने और हमारी भाभी बनने की कोशिश कर रही है।
सृष्टि: दीदी जब आप खुद bf-gf relationship पसंद नही करती हो, फिर आप भैया को ये सब में फ़साने की कोशिश क्यूँ करती हो ?"
शम्पा: मुझे पता है कि सतीश कभी ऐसे relationship में नहीं आएगा। किसी भी हाल में नहीं। मुझे पूरा भरोसा है उसपर। लेकिन मुझे उसे इस तरह से परेशान करने में मजा बहुत आता है। इसलिए तंग करती हूँ उसको।

सतीश: अच्छा एक बात बताओ... मैं अपनी पूरी efforts लगाकर अपने life में success वाली achievement लूँ, ताकि उस achivement को देखकर कोई बाप या भाई किसी beautiful and talented लड़की का हाँथ मुझे सौपें और साथ में इनाम में अच्छा दहेज दे ; या कोई prince charming मेहनत कर रहा होगा ताकि वो तुम्हें पाए और तुम्हें ले जाकर खूब सारा प्यार करे, तुम्हारे ख्याल रखे, तुम्हारी जरूरतों को पूरा करे और तुम्हारी हर इक्षाओं को भी..; क्या ये thought/concept एक materialistic orthodox नहीं है ?
मेहक: इसमें गलत क्या ? समाज में यही तो होता है। यही तो हमारा culture है।
सतीश: क्या लड़कियाँ कोई trophy होती है जो किसी लड़के को life के game में जीतने के बाद में मिले एक अच्छा खास इनाम के check के साथ ? क्या लड़के सिर्फ किसी लड़की की care करने के लिए ही पैदा होते हैं और desire पूरा करने के लिए गधों की तरह मेहनत करने के लिए ?
मेहक: तो ठीक है तुम ही बता दो कि अगर यह गलत है तो सही क्या है ?
सतीश: Parents हमारी care करते हैं, भाई-बहन साथ देते हैं, दोस्त समझते और समझ देते हैं, teachers ज्ञान देते हैं, समाज हमें जिम्मेदारियाँ सिखाता है और साथ में limitations भी समझाता है। लेकिन जब हमें अपनी duties and responsibilities को अपने limitations में रहकर पूरा करने की बारी आती है तो हमें अकेलापन महसूस होने लगता है। क्योंकि ये जितने लोग भी लोग होते हैं वो हमारे life में बहुत important होते हैं फिर भी वो इन duties को पूरा करने में हमारे साथ नहीं होते, हमारी responsibilities उनकी नहीं होती। इसके लिए हमें एक partner की जरूरत महसूस होती है जिसके साथ जिये और life की हर चीज चाहे वो duties, responsibilities, रिश्ते, हर experience, और भी बहुत कुछ, वो एक दूसरे के साथ बांटे। पर हर किसी की life में desire और अपने partner से expectations same नही होती। इसलिए यह जरूरी है कि वो पहले खुद को समझे, अपनी इक्षाओं को समझे, अपने emotions को समझकर उसे अपने control में रखे ताकि वो अपने आने career के दो part- social and personal दोनों का आधार अपने सही चुनाव या सही decision के साथ करे।
मेहक: तुम फिर उलझा रहा है। Emotions पे किसी का control नहीं होता, यह बस जिसके लिए जब होना होता है, हो जाता है।
सतीश: Ofcourse इसपे किसी का control नही होता। मगर the question is- what is love ? Love is nature. जिसके लिए 2 लोगों की जरूरत होती है। अगर हम self-love की भी बात करें तो इसमे 'मैं' यानी कि subject 'खुद से' यानी की object से love कर रहा हूँ। मतलब यहाँ भी two person है। क्या हम यह नही समझ सकते कि हम ये सब क्यूँ कर रहे हैं ? और जो लोग समझ सकते हैं, क्या वह भी इन पर अपना कुछ हद तक भी control नहीं कर सकते ?
मेहक: देखो,अब मुझे भी लग रहा है कि तुम दिमाग खा रहे हो। तो रहने दो, मुझे बख्श दो।
सतीश: अच्छा मेरे एक सवाल का जवाब दो- किसी भी social relationship में love होना जरूरी है या materialistic expectations एक दूसरे से ?
मेहक: Love.
सतीश: और ऐसा क्यूँ ?
मेहक: Love में लोग एक दूसरे को समझते हैं, उनकी परवाह करते है, उनकी फिक्र करते हैं। लेकिन, expectations की वजह से कोई सामने वाले को समझना नहीं चाहता, उसे परवाह होती है तो सिर्फ खुद की और खुद की इक्षाओं को किसी भी हाल में पूरा करने की कोशिश करते हैं।
सतीश: Exactly.
मेहक: क्या मतलब ?
सतीश: जब बात eternal love की आएगी तो वहाँ understanding, caring, sharing of each other and other's duties, problems, experience either which gives happiness or sadness होती है। But बात जब orthodox mentality से बने materialistic love की होगी तो वहां सिर्फ एक दूसरे से desire and expectations होंगी, और dissatisfactions and complaints.

वीर: Hey..!
कलश: क्या ?
वीर: Are you single ?
कलश: Yes, I'm single. तो ?
वीर: Will you be my girlfriend ?
कलश: देख बेटा ऐसा है, मैं अपनी मर्जी से single हूँ और तू अपनी मजबूरी से। इसलिए बेकार का मेरा time खराब मत कर। अगर इतनी ही तुझसे तेरी जवानी control नहीं हो रही ना तो ऐसा कर, अपने माँ-बाप को बोल, वो तेरा कल्याण कर देंगे। एकदम permanent solution रहेगा। 
वीर: छोड़ के जाने वाली तो उसमे भी छोड़ के जाती है।
कलश: Possibility कम है ना बेटा..। लड़की तुझे धोखा देकर कभी किसी और के साथ भागेगी नही अगर तू उसे ठीक से संभाल लिया तो..।
वीर: अच्छा कैसे ठीक से संभाला जाता है, उसी का trainning दे दो। भगवान भला करेगा, मनवांछित वर देगा।
कलश: अबे, कैसा छिछोरा लड़का है बे तू ?
वीर: बस कुछ दिन के लिए girlfriend बन जाओ। मुझे संभालने सीखा दो, फिर जब मन भर जाए तो छोड़ कर चली जाना।
कलश: हद है। चल निकल... निकल मेरे सामने से वरना तू बहुत पिटायेगा आज।

मेहक: अच्छा इसे side में रखो, तुम love marriage करेगा या arrange ?
सतीश: मेरे नजरिये से- 'Girlfriend-boyfriend relationship' is a step next to come into 'marriage relationship'. It is upgraded version of fiance. ये सब मेरी नजर में गलत नहीं है। मगर हर चीज का एक सही समय होता है।
मेहक: तुम किसी भी सवाल का सीधा-सीधा जवाब क्यूँ नहीं देता। इतना घुमाना जरूरी है ?
सतीश: अब मैं सीधा जवाब क्या दूँ ? तुम सवाल ही ऐसा पूछ रही हो तो... 
मेहक: मैं पेचीदा सवाल पूछ रही हूँ ?
सतीश: इसलिए तो मैं अपना thinking कहो या perspective या फिर mentality, इसको समझाने की कोशिश कर रहा हूँ। ताकि तुम यह समझ पाओ कि my every sentence is valid for limited time period with certain terms and conditions.
मेहक: तो इसके लिए क्या terms and conditions है ?
सतीश: इसके लिए पहले तुम्हें एक story सुनना होगा।
मेहक: Story के अंदर story ? Readers पगला नहीं जाएँगे ?
सतीश: मेरी बात को समझने के लिए जरूरी है।
मेहक: अच्छा सुनाओ...
सतीश: एक लड़का और एक लड़की adult जब हुए तब उनको किसी को पाने की तलब होने लगी। लड़की बेचारी family के इज्जत का ख्याल करके खुद को limitations में तो रखती थी, मगर मन की बेचैनी किसी के भी actions में तो दिख ही जाएगी ना..; और लड़के तो इधर उधर मुँह मारना शुरू कर ही देते हैं। उनके parents ने उनकी शादी करवा दी। अब बताओ- क्या वो लडक़ी उसका duties fulfil करने में मदद कर लेगी जिसे खुद अपनी responsibilities का होश नहीं है ? या, क्या वो लड़का जिसे किसी की feelings को समझना नही आता, यहाँ तक कि वो किसी लायक भी नहीं,  वो उस लड़की की expectations और desires को पूरा कर पाएगा ?
मेहक: मतलब तुम love marriage करना चाहता है ?
सतीश: नहीं। मैं बस इससे पहले chat or date करके अच्छे से जानना-समझना चाहता हूँ। ताकि यह समझ सकूँ कि हम एक दूसरे के लिए कितना acceptable और adjustable रहेंगे। चाहे इसके लिए जितना भी वक़्त लगे। ताकि वह रिश्ता कभी भी टूटे ना। बस...

शम्पा 2 plate में खाना लेकर आई।
शम्पा: पार्टी खत्म होने को आई और तुम दोनों अभी तक बातें ही करते हो। अभी तक भूख नहीं लगी ?
सतीश: सृष्टि खाना खा ली ?
शम्पा: कब का... और उसको नींद आ रहा था तो अमायरा और उसके husband के साथ घर भी भेज दिए।
मेहक: और अपनी पंटर सब ?
शम्पा: उन्हें room दिखा कर आई हूँ।
सतीश: शम्पा, पानी भी ला दो ना...
शम्पा: (पानी लाने के बाद) अच्छा तुम दोनों के बीच बात आगे कुछ बढ़ा ?
मेहक: तेरा भाई बहुत ज्यादा सोंचता है। जो भी लड़की इसके पीछे पड़ेगी या तो वो पागल हो जाएगी या फिर 2 दिन में ही इसे छोड़कर भाग जाएगी।
सतीश: ऐसा है क्या ? मैं इतना पकाता हूँ ?
मेहक: और नहीं तो क्या ? कलश तो तुरंत ही भाग गई।
शम्पा: कलश बोल रही थी कि तुम उसे बोला कि तुम भी उसे पसंद करता है ? सच है क्या ?
सतीश: अब वह सामने से propose की तो क्या बोलते उसको ?
शम्पा: सीधा reject कर देते।
सतीश: ऐसा करना अच्छा होता क्या ? वो भी तुम्हारी friend को ?
शम्पा: जब relationship में आना ही नहीं है तो सीधा reject क्यूँ नहीं करता किसी को ?
सतीश: मैं relationship में बस नही आना चाहता। लेकिन मैं यह भी तो नही चाहता कि लड़कियां मेरे बारे में गलत राय बनाए, मुझसे नफ़रत करने लगे और मुझे कोई भाव भी ना दे।
मेहक: मतलब तुम इतनी देर से मेरे नजर में अपना अच्छा image बनाने की कोशिश कर रहा है।
सतीश: तो तुम्हें क्या लगा ? क्यूँ तुमसे इतनी सारी और ऐसी बातें कर रहा था मैं ?
मेहक: शम्पा, देख... तुम्हें इसपर इतना भरोसा है ?
शम्पा: 24 carrot gold unstable होता है, इसलिए उसमें impurity मिलाकर 22 carrot बनाकर उसकी durability बढ़ाई जाती है। मेरा भाई 100% pure नहीं है, और मैं इसकी impurities जानती हूँ, इसलिए भरोसा करती हूँ कि इसे अपने झांसे में लाना कोई बच्चो का खेल नहीं है।

वीर उनके सामने आया। मेहक की ओर cold drink offer करते हुए...
वीर: क्या आप भी single हो ?
मेहक: Yes, I'm single, with my choice.
शम्पा: तुम अभी तक गया नहीं ?
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Scene 3:-

सुबह के 2 बज चुके थे। पर शम्पा, सतीश और मेहक की बातें अभी तक खत्म हुई ही नही, इसलिए शम्पा उन दोनों को लेकर बाते करने terrace पे चली गई और बातें करते करते कब कितना वक़्त बीता यह पता भी नहीं चला।


शम्पा: अच्छा सतीश, तुम्हें कभी कोई लड़की पसंद नही आई ?
सतीश:
हर चाहत ख़्वाहिश बने यह जरूरी नहीं।
मगर जिसकी जरूरत हो उसकी ख़्वाहिश होती ही है।
जिनकी चाहत हुई, तो दबा दिया। उनकी ख़्वाहिश नहीं की।
मगर जिनकी जरूरत महसूस हुई 
उनकी ख़्वाहिश करने से खुद को रोक नही पाया।
And they are my friends now.
शम्पा: मतलब तुम्हें कोई सच में पसंद आई ?
सतीश: आई ना, बहुत बार। अभी भी किसी को बहुत पसंद करता हूँ। सिर्फ एक को क्यूँ, बहुतों को पसंद करता हूँ। पर वैसे नहीं जैसे कि बाकी lovers करते हैं।
मेहक: क्या मतलब ?
सतीश: Love instant होता है और किसी limitations को नहीं मानता। इसपर किसी का control नहीं होता। जैसा कि तुम कहती हो, मेहक। पर मेरा control कभी खुद पर से टूटा नहीं। मुझे जब भी कोई पसंद आती है, मैं हमेशा दिल से शायद ही, उससे ज्यादा दिमाग से सोंचता हूँ। और कितना सोंचता हूँ यब तो तुम समझ ही गई होगी। तुम्हें लगता है, इतना ज्यादा सोंचने वाले लड़के को कभी किसी से वैसा प्यार हो सकता है जैसा दुनियाँ करता या समझता है ?
शम्पा: तो तुम जो chat ओर date करना चाहता है, या यूँ ही बस wish करता है कि तुम्हें भी वो मौका मिले ?
सतीश: यह कोहरे या धुंध के बीच बैठ कर किसी का इंतजार करने का जैसा है। हर कोई जब आता है तो ऐसा लगता है कि वही है जिसका मुझे wait है। लेकिन जब करीब आता है तो मन उदास हो जाता है यह जान कर कि यह वह शख्स नहीं है। जब कोई सामने आये और जब उसका चेहरा साफ होने के बाद पता चले कि जिसका इंतजार था, यह वहीं शख्स है। तब मैं तुम्हें बता दूँगा, कि मुझे तुम्हारी भाभी मिल गई।
मेहक: तो तुम किसी के साथ कभी relationship में क्यूँ नहीं आते ? आजमाओगे नहीं, करीब नहीं जाओगे तो चेहरा साफ कैसे होगा ? या इंतजार कर रहे हो कोहरे के हटने का..? मतलब इस काबिल बनने का कि रिश्तों की line तुम्हारे आगे लग जाए...
सतीश: आमतौर पर किसी भी love-affair में लोग लड़की को sympathy देते है और लड़के को culprit बनाते है कि उसने भोली-भाली लड़की को फँसाया है, जब तक कि शादी ना हो। फिर शादी होने के बाद उल्टा हो जाता है, जैसे कि उस लड़के को उस लड़की ने अपने हुश्न के जाल में फंसाया हो। जैसे कि वह लड़का भोला- भाला अपनी माँ का taddy bear और वह अपने daddy's princess, उनकी barbie doll है, जिनके अपने consciousness है ही नहीं। कोई यह नही समझता कि यह उनकी खुद की choice है।
शम्पा: तुम समाज के इस problem में उलझना नहीं चाहता और arrange marriage तुमको materialistic लगता है। तुम कभी relationship में नहीं आएगा ? कभी आएगा कि नहीं आएगा ? या जिंदगी भर कुँवारे रहेगा ?
सतीश: इस problem का एक solution है मेरे पास।
शम्पा: क्या ?
सतीश: किसी भी लड़के को अपने माता-पिता के लिए अपनी इक्षा से कुछ करने के लिए पूरी जिंदगी मिलती है। मगर लड़की को अपनी पूरी उम्र अपने father, brother, और husband के under रहकर, सोंचकर, और पूछ कर अपना कोई भी decision लेना पड़ता है और कुछ भी करना पड़ता है। वह अपनी इक्षा से independently कोई भी decision नही लेती और कोई काम नहीं करती। मैं उसे अपने माता-पिता के लिए independently कुछ करने का मौका दूँगा। इसलिए मेरा wish उसके parents से यह होगा कि जिस तरह relationship में आने के लिए मैं अपनी efforts लगाऊँ खुद को उसके काबिल साबित करने के लिए, वह अपने माता-पिता के life की सबसे बड़ी बोझ, कन्यादान के बोझ से उन्हें मुक्त करे। वह अपनी marriage के होने में जितना भी खर्च आए, वह लड़की अपनी कमाई से अपने दम पर इसका बोझ उठाये। Simple अगर हो तो जितना simple हो, लेकिन वह शादी, सिर्फ उसके side से ही, उसकी खुद की कमाई से हो।
मेहक: तुम जो सोंचता है, वह possible नहीं है। लड़कियों के माता-पिता कितना ख्वाब देखते हैं अपनी बेटी की शादी को लेकर। वो किसी भी लड़की को यह पूरी तरह से करने का मौका कभी नही देंगे।
सतीश: कमाल है यार..! वैसे तो तुम लड़कियाँ हमेशा यह complain करती रहती हो कि लड़कियों को लड़को जितनी independency नही मिलती और जब मैं मौका दे रहा हूँ खुद को साबित करने का कि लड़की किसी भी लड़के से कम नही तो...
शम्पा: शादी का खर्चा, तिलक, सामान, इन सब का खर्च उठाना तुमको इतना आसान लगता है ?
सतीश: क्या कोई भी लड़का जो ऐसी लड़की जो अपने माता-पिता की इतनी बड़ी बोझ को ढोए उससे तिलक की demand करे, या सामान मांगे, क्या वह लड़का कभी उस लड़की को deserve कर सकता है ?
मेहक: वह दुनियाँ का सबसे घटिया choice होगा उसके लिए।
सतीश: मतलब सब कुछ clear है। उसे bas शादी की responsibilities उठानी है, उसे deserve करने वाला लड़का अपनी ओर से और कोई expectations तो रख ही नही सकता। और जो रखेगा वो तो उस लड़की के कभी काबिल ही नहीं होगा।
सतीश: मतलब तुम लड़की को better बनकर best पाने की opportunity देने की बात कह रहा है ?
शम्पा: Does you like him ? इसे झेलना सबके बस की बात नहीं। जितनी देर से तुम इससे बात कर रही हो.., यहाँ तक कि यह भी इस तरह इतना जल्दी किसी से comfort नहीं होता कि इतनी सारी बातें करे।
मेहक: इसे कौन पसंद नही करेगी..? समझदार है और इतनी शराफत से सबके साथ व्यवहार करता है। इतना idealistic है but कद्र भी करता है। किसी को भी life long इसके अपने life में होने की इक्षा होगी। तो मुझे क्यूँ नही होगी..!!
शम्पा: तो तुम्हारे life में सतीश की अहमियत कितनी होगी ? Only just known person, or common friend, or someone who is a good friend...
मेहक: best-friend.
सतीश: Best-friend का post अभी खाली नहीं है। Girlfriend का खाली है, but vaccancy अभी तक निकला नहीं। जब निकलेगा तब बता दूँगा।
शम्पा: बात-बात पर मज़ाक..! और सबके सामने हम झूठ का बदनाम हैं तुमको तंग करने के लिए।
सतीश: देखो, Best-friend sirf कहने या मानने से तो होता नहीं। इसके लिए एक दूसरे के प्रति dedicated रहना भी जरूरी है। एक दूसरे को time देना भी।  बाताओं अगर मैं अपना time किसी एक person के पीछे यूँ ही सिर्फ लुटा दूँ तो अभी जो मेरे पास इतने सारे friends हैं, career में financial independency के लिए struggle करनी है, मेरी cute सी दोस्त जैसी बहन जिसका नाम शम्पा है और सृष्टि भी तो है; तुमलोग को कैसे वक़्त दूँगा ? हर चीज का एक सही वक्त होता है।
मेहक: और यह वक़्त कब आएगा ?
सतीश: जब life में आगे बढ़ते हुए ये सभी मुझसे बिछड़ने लगेंगे और मैं financially अपने पैरों पर खड़ा हो जाऊँगा।
मेहक: वो देखो तो पूरब side, ये हल्की रोशनी, लगता है सुबह होने वाला है।
शम्पा: (घड़ी देखकर) बातों-बातों में सुबह के 4:30 O'clock होने को चले। देख ली ना मैं अपने भाई पे इतना भरोसा क्यूँ करती हूँ... सतीश इतनी आसानी से किसी के हाँथ नहीं आने वाला। अब चलो सोने, सुबह वैसे भी देर तक सोने नहीं मिलेगा यहाँ। कम से कम दो घंटा तो सो लो।
मेहक: सतीश कहाँ जाएगा अभी ?
सतीश: Darkness से Sunrise होने का wait कर रहा हूँ। इस terrace से वो deep light का colourful scenery देख रही हो ? मैं imagine कर सकता हूँ- yellow, orange, purple, blue sky; green, clay, brown धरती बहुत खूबसूरत दिखेगा। बस थोड़ी देर बाद ही। तुमलोग जाओ। मैं दिन निकलने के बाद घर चला जाऊँगा। Get a sweet dreams both of you.


इसके बाद शम्पा मेहक के साथ सोने चली गई और सतीश वहीं खड़ा होकर उगता हुआ सूरज देखने लगा। उगता हुआ सूरज, जो कि उम्मीद का प्रतीक है और उसकी खूबसूरती, खूबसूरत ख्वाब के पूरा होने की। सतीश उगता हुआ सूरज देखकर प्रियमणि को याद करता है और कुछ पंक्तियां उसके मन में बनने लगती है- 
 "हां, गलतियां कई की थी मैंने पहले।
  मगर तू,  तू मेरे दिल की आखिरी फरमाइश थी।
तुम्हें चाहना मेरे दिल की गलती नहीं,
  तुम मेरी सोची-समझी ख्वाहिश थी॥"
  (Lines of the poem "आखरी ख़्वाहिश" by AnAlone Krishna.)
  

••••• one's end is another's beginning •••••

This was a split story part between भाग-९ and भाग -१० of  हमदर्द सा कोई। Check हमदर्द सा कोई page. For continue in this story series, go to

Note:-
•  कुछ लोग single इसलिए नहीं होते कि, वह लोग रूढ़िवादी होते हैं, या उन्हें किसी से भाव नहीं मिलता, या किसी ने उनका दिल ऐसे तोड़ा होता है कि फिर बाकी सब से नफरत हो जाती है। कुछ लोग single इसलिए अपनी choice होते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि, उनकी अपनी life के प्रति, और इस life से जुड़े हर किसी के प्रति क्या responsibilities है। वह तलाश/wait करते है कुछ भी करने के लिए- सही समय, सही मौका, सही जगह, और सही इंसान की। खुद के लिए।
•  जब भी आपकी पसंद ख़्वाहिश बनने लगे तो खुद से सवाल करें- पसंद क्यूँ है ? कब तक रहेगा ? क्यूँ चाहिए ? क्या करोगे ? और कब तक के लिए ? इन सभी के जवाब मिलने के बाद- क्या यह सही है ?
•  अगर कोई आपको ना कहता है तो इसका मतलब ना ही होता है। Everyone have their unique and own choice, what to choose or what to accept, what to desire and what to do.
•  जिस तरह आप चाहते हो कि लोग आपकी choice की लोग कद्र करे, उसी प्रकार हर कोई चाहता है। इसलिए लोग हमारी choice की कद्र करे इसके लिए हमें भी लोगों की choice की कद्र करनी चाहिए।
•  Be polite and straight forward, जिससे आपकी बातों में सटीकता हो।
•  लोग हर किसी को और उनकी बातों को समझ नहीं पाते। लोग बस उतना ही समझ पाते हैं जितना उनका ज्ञान होता है।
•  लोग ना तो ढंग का सवाल पूछते हैं और ना हीं सही सवाल सुनना चाहते हैं। वह वही सुनना चाहते हैं जो उन्हें पसंद होता है। इसलिए वैसा ही सवाल पूछते हैं जिससे उनके मन मुताबिक जवाब उन्हें कोई दें।
•  यह एक काल्पनिक कहानी है। मेरे द्वारा लिखे इस story को पढ़ने से हो सकता है कि कई जगह आपको male dominate perspective का आपको इसमें influence लगा हो। मैं feminine life से learn कर सकता हूँ, उन्हें समझने की कोशिश कर सकता हूँ, but मैंने वो life कभी जिया नहीं है इसलिए मैं पूरी तरह से gender equality शायद ना दिखा पाऊँ और शायद दोनों के characters के साथ justify ना कर पाऊँ। अगर मेरे द्वारा लिखे इस story से किसी भी प्रकार से आपके दिल को ठेस लगा हो, इसके लिए मैं आपसे क्षमा प्रार्थी हूँ।

And at last, इस line को आप पढ़ रहे हो मतलब आपने मेरी मेहनत को अपने patience के साथ पढ़ा। आप मेरी मेहनत की कद्र करते हो, और यूँ ही मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हो, इसलिए मैं आपसे कहना चाहूँगा कि-
Thanks...! And, I love you.

"Before expecting from somebody that s/he can love you, learn how to love yourself first."

-AnAlone Krishna.

Published on 27th July, 2020 A.D.

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