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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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Is it called to be a proposal ? | bilingual story by AnAlone Krishna

हमदर्द सा कोई | Is it a proposal ?

Chapter 2:-

Is it called to be a proposal ?

(एक लड़की किसी ऐसे लड़के को पसंद करती है जो single रहना पसंद करता है, पर वह ऐसा situation ही create कर देती है कि वह उसके सामने बहाने नहीं बना पाता। जरूर पढ़ें और अगर पसंद आये तो share करें।)


Chapter 1 Chapter 2 | Chapter 3
Is it called to be a proposal ?

शम्पा के uncle के reception के दो दिन बाद मेहक अपने पिता को लेकर सतीश के घर आई। सही बात है, मेहक को सतीश के घर का address कैसे पता ! मेहक को नहीं पता, but शम्पा को है। अब ठीक है ? तो ठीक है। मेहक को उसके पिता और uncle के साथ सतीश के घर शम्पा लाई है। मगर आने की इक्षा मेहक की ही थी। क्यों..! तो वह आगे बढ़ने पर समझ जाओगे।

 

"तुम शराब regular लेते हो या occasionally ?" सतीश के घर की balcony में खड़ी मेहक सतीश से पूछी।

सतीश यह सवाल सुनकर हैरानी से पूछा, "क्या ?"

मेहक फिर पूछी, "तुम शराब कब-कब पीते हो ? Occasionally या regular ?"

सतीश जवाब में बोला, "मैं शराब नहीं पिता।" फिर हैरानी से पूछा, "मगर तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि मैं पीता हूँ ?"

मेहक बोली, "वो जो अमायरा की शादी के time तुम जो सबके सामने बोल रहे थे..."

सतीश शर्माकर नजरें झुकाकर बोला, "वो मैं थोड़ा emotional हो गया था।"

मेहक बोली, "वही तो समझ नहीं आया। हमेशा idealistic बातें करने वाला लकड़ा अगर इस तरह के act perform करेगा, तो किसी को भी लगेगा कि तुम्हें चढ़ी हुई है।"

सतीश बोला, " देखो, मेरे अंदर भी feelings होतीं है। मैं भी हर चीज feel करता हूँ। बस मेरी habit नहीं है इसलिए मैं express नहीं कर पाता, या मुझे यह करना नहीं आता। लेकिन जब यह ज्यादा हो जाता है तो ऐसे ही overflow होता है। मुझे खुद पता नहीं चलता कि क्या बोल रहा हूँ, क्या कर रहा हूँ, बस हो जाता है, unconsciously."

मेहक सतीश को देखकर मुस्कुराई। जिसे देखकर सतीश पूछा, "तुम इतना मुस्कुरा क्यूँ रही हो ?" जिसका मेहक ने कुछ जवाब नहीं दिया और सतीश के द्वारा अमायरा की शादी में कही उन बातों को याद करने लगी।

 

Wait a minute. Sorry, sorry, sorry. मैं तो बीच से ही शुरू हो गया। जब मेहक proposal लेकर सतीश के घर आई, शम्पा उसे लेकर आई, तो family interaction कैसा रहा। सतीश की माँ(पूर्वी), पिताजी(महेश) और उसकी मौसेरी बहन(सृष्टि), जो इनके साथ रहती थी, इन सभी पर इसका क्या impression पड़ा, ये सब तो मैंने बताया ही नहीं। मुझे माफ़ करना। तो शुरूआत से शुरू करते हैं। लेकिन कहाँ से शुरू करूँ..! तो, शम्पा मेहक और उसके father को सतीश के घर पर लेकर आई हैं। सतीश के घर पर अभी सतीश, सतीश के माता-पिता, उसकी बहन सृष्टि, शम्पा, मेहक, मेहक के पिता उदयशंकर हैं।

 

जब शम्पा के knock करने पर सृष्टि दरवाजा खोली तो सतीश पीछे से पूछा कि, "कौन है ?" जिसके बाद शम्पा जवाब दी और आने की वजह बताई तो सृष्टि बिना कुछ कहे ही अंदर चली गई। Living hall में सतीश, शम्पा, मेहक, उड़य, महेश बैठे हुए हैं। अंदर से पूर्वी आई और इन्हें देखकर पूछी, "आपलोग..." कि बीच में शम्पा बात काटते हुए बोली, "ये मेरी friend मेहक है, और यह इनके पिता।"

पूर्वी फिर पूछती है, "हाँ पर आपलोग यहाँ... कैसे ? मतलब क्यूँ..?"

इसपर ध्यान ना देते हुए शम्पा पूछी, "सृष्टि कहाँ गई ?"

पूर्वी शम्पा के सवाल का जवाब दी, "वह अपना study करने गई और कह कर गई है कि उसे कोई disturb ना करे।" फिर उड़य के तरफ मुड़कर पूछी, "आपने यहां आने का कारण नहीं बताया..?"

उड़य शम्पा से पूछे, "तुमने इन्हें नहीं बताया ?"

शम्पा बोली, "बताए तो थे सतीश को। लेकिन शायद इसने घर में नहीं बताया।"

सतीश बोला, "मुझे लगा कि तुम मजाक कर रही हो।"

मेहक अपने माथे पे हाँथ रखती है। फिर उसे हटाते हुए बोलती है, "Aunty मैं सतीश को like करती हूँ।"

पूर्वी हैरान होते हुए पूछती है, "इसका क्या मतलब ?"

महेश बोलते हैं, "ये लोग हमारे सतीश के लिए proposal लेकर आये हैं।"

मेहक खींचते हुए बोलती है, "हाँ..।" फिर अचानक अपने बात को बदलती है, "पर नहीं।", "मतलब हाँ भी और नहीं भी।"

पूर्वी confuse होते हुए पूछती है, "क्या मतलब हाँ भी और नहीं भी ?"

शम्पा समझाती है, "इसका कहना है कि यह सतीश को पसंद करती है। बस यही बताने के लिए यहाँ आई है।"

पूर्वी पूछती है, "ऐसे ?"

शम्पा बड़बड़ाती है, "हाँ यह अजीब तो है।"

महेश बोलते हैं, "हमारे समय में तो किताबों में letters रखा जाता था। वो भी डर-डर कर।"

उड़य बोलते हैं, "अब तो social media का जमाना है।"

सतीश बोलता है, "मैं कुछ बोलूँ ?" सबलोग शांत हो जाते हैं। फिर वह आगे बोलता है, "चलो यह बात तो समझ में आ गई कि तुम मुझे पसंद करती हो। लेकिन इसके आगे क्या ? मतलब इसके आगे क्या चाहती हो ?"

शम्पा tease करने की कोशिश करती है, "शादी। और क्या ?" जिसपर मेहक 'ना' में अपना मुंडी हिलाती है और उसे देखकर शम्पा उससे पूछती है, "नहीं। तो फिर यहाँ आई क्यूँ हो ? इससे यह बात directly अकेले में भी तो मिल कर या call करके तुम बोल सकती थी।"

मेहक बोलती है, "सतीश तुम्हारा भाई है, इसलिए तुम इसे अच्छे से जानती होगी। मैं अगर ऐसे ही इससे अपने दिल की बात कहती तो यह हज़ार बहाने बनाता। इसलिए uncle aunty के सामने यह बात रख रहीं हूँ। ताकि यह ज्यादा आना-कानी ना करें, और सीधा अपने मन की बात बोले कि यह मेरे बारे में क्या सोंचता है।"

सतीश बोलता है, "ऐसे कैसे बोलूँ ? अभी परसो ही हम मिले और तुम आज अपने father को लेकर आ गई। ना मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूँ, ना समझता हूँ।"

मेहक बोलती है, "हाँ तो इसी के लिए तो आई हूँ। कि तुम मुझे जानो और समझने की कोशिश करो। नहीं तो you're a single na, with your choice..!"

पूर्वी पूछती है, "तो यह बात ऐसे family के बीच करने की क्या जरूरत थी ? मतलब, आज तुम्हें यह पसंद है, कल शायद नहीं होगा। ऐसे guardians के सामने इस तरह से व्यवहार करना तुम्हें awkward नहीं लगता ?"

मेहक बोलती है, "Aunty, I'm an ambitious girl. मेरे अपने ख़्वाब है, goals हैं। पहले तो मुझे लगा कि इन सबको पाने के चक्कर में मैं जिंदगी भर कुँवारी रहूँगी। मुझे कोई वैसा मिलेगा नहीं अपने life में। सतीश से मिलकर मुझे ऐसा लगा कि अगर यह जिंदगी में साथ होगा तो अपने ख्वाबों को पूरा करने का अपने goals achieve करने का मजा दुगुना-चौगुना हो जाएगा। वैसे तो मुझे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। पर जिंदगी भर मुझे अकेलापन तो खलता ही। But, जैसा कि मैंने अभी अपने बारे में आपको बताया, I'm an ambitious girl. So, मैं यह temptation में रहना नहीं चाहती कि यह मानेगा या नहीं मानेगा। तो मैं सीधा अपना जवाब find करने यहाँ आ गई कि मुझे इसके लिए ढलते हुए आगे बढ़ना है या अकेले इन emotions को दबाकर इनसे बिना distract हुए आगे बढ़ना है।"

शम्पा अपनी हाँथो को ऊपर-नीचे करके मेहक को इशारा करती है, "थोड़ा साँस ले लो..."

पूर्वी उदय से पूछती है, "आपकी बेटी पागल है ?"

जिसपर उदय जवाब देते हैं, "यह ऐसी ही है।"

मेहक फिर बोलना शुरू करती है कि, "Aunty आपको लग रहा होगा कि मैं बहुत ज्यादा बोलती हूँ। लेकिन मैं बहुत ज्यादा नहीं बोलती हूँ। बस दिल की बातें दिल में रखने की आदत नहीं है ना मेरी इसलिए जो कुछ भी मन में आता है बोल देती हूँ।"

शम्पा फिर से मेहक को अपना हथेली दिखाकर इशारा करती है, "बस, हो गया, अब रुक जाओ।"

महेश समझ गए कि इससे बात करके कोई फायदा नहीं। इसलिए वह बोलते हैं, "सतीश, मेहक को ऊपर ले जाओ। हमें आपस में कुछ बात करनी है।"

सतीश और मेहक उठते हैं। पर शम्पा बैठी रहती है। जिसे देखकर पूर्वी बोलती है, "तुम भी..।"

शम्पा excuse देने की कोशिश करती है, "मैं इनके बीच क्या करूँगी ?"

महेश उड़य के तरफ इशारा करते हुए बोलते हैं, "हमें आपस में कुछ बात करनी है।"

पूर्वी शम्पा को बोलती है, "तुम इनपर नजर रखोगी।"

शम्पा अपना कान खुजलाती है और धीरे से मन में बड़बड़ाती है, "अब इन्हें कौन समझाए कि अगर इन्हें मौका ना दिया तो ये लोग कुँवारे मरेंगे।" और वह उनके पीछे जाती है।

 

पूर्वी sofa में बैठते हुए पूछती है, "आपने उन्हें अकेले बात करने भेज क्यूँ दिया ?"

महेश उन्हें समझाते हैं, "देखो वो जिस उम्र में है, वो हमारी बात को नहीं समझेंगे। तो अच्छा होगा कि हम parents पहले आपस में बात कर लें। फिर decide करें कि इनका क्या करना है।"

पूर्वी उड़य से पूछती है, "आप अपनी बेटी की हर ख़्वाहिश ऐसे ही पूरा करते हो ?"

उदय समझ नहीं पाते और पूछते हैं, "क्या मतलब ?"

पूर्वी अपना question समझाती है, "जैसा कि शम्पा ने बताया- आपकी बेटी को मेरा बेटा पसंद आया, इसके बारे में यह आपको बताई और आप तुरंत हमसे मिलने भी आ गए। आप अपनी बेटी की हर ख़्वाहिश ऐसे ही पूरा करते हो ?"

उदय बड़ी सरलता से जवाब देते हैं, "वैसे भाभी जी, मुझे मिलने का मन था उस लड़के से जिसने मेरी ambitious बेटी को आकर्षित कर दिया।"

महेश हैरान होते हुए पूछते हैं, "जब आपकी बेटी सतीश के बारे में बताई तो आपको इससे कोई फर्क नहीं पड़ा ?"

उदय question को अच्छे से समझने के लिए पूछते हैं, "किस तरह का फर्क ?"

पूर्वी उदाहरण देती है, "आपके संस्कार, इसकी मर्यादा..."

 

उदय question समझ आने पर जवाब देते हैं, "अच्छा..। जरा इस चीज के different possibilities जो हो सकते थे, उन्हें समझने की आपलोग कोशिश कीजिए-

1. यह आपके लड़के को पसंद करती और उसे date करती। जिसके बारे में जब मुझे बाहर से पता चलता, तो मुझे बुरा लगता। मुझे शायद यह लगता कि यह भटक गई और शायद इसपर मैं गुस्सा भी हो सकता था।

2. यह आपके लड़के को पसंद करती और उसके साथ date करती। यह आप सभी से इसको मिलवाता, फिर आपलोग हमें और हमारी family के बारे में enquiry करते, और हमसे मिलने आते। मैं वैसे condition में मना तो नहीं कर पाता, लेकिन मेरी नाराजगी तो इसपर होती ही।

3. यह आपके लड़के के साथ date करने के बाद पसंद ना आने पर उसे छोड़ देती। लेकिन आपका बेटा इसपर रीझकर इसके सहमती के बिना आप सभी को मेरे पास लेकर आता। हालांकि इसमें इसकी कोई गलती नहीं होती, मगर फिर भी मैं इसपर गुस्सा होता क्यूँकि इसने आपके बेटे को भाव दिया।"

महेश बीच में बात काटते हुए बोलते हैं, "हमारा बेटा ऐसा कुछ नहीं करता, हमें भरोसा है। यह हमारी सहमती के बिना कोई बड़े फैसले नहीं लेता।"

उदय मेहक पर proud feel करते हुए आगे बोलते हैं, "तब तो शायद मेरी बेटी का पसंद शायद सही ही है। और...

4. इन सभी के जगह मेरी बेटी को जब आपका लड़का पसंद आया तो उसके बारे में सबसे पहले इसने हमें बताया। कोई कदम बढ़ाने से पहले यह हम सभी की सहमती लेना चाही। अब बताइए, कि इसकी समझदारी पर मुझे गर्व करना चाहिए या इसके जगह गुस्सा करना चहिए ?

मुझे तो नहीं लगता है कि इसने अपने संस्कार छोड़े हैं और ना ही अपनी मर्यादा लांघी है।

 

पूर्वी बोलती है, "आप बाकियों से बहुत अलग सोंचते हो। कोई पिता अपनी बेटी के इस तरह के हरकत बर्दाश्त नहीं करेगा। कोई भी उसकी परवरिश ऐसे नहीं करेगा।"

 

उदय इसपर अपने अतीत को याद करते हुए गंभीर होकर 

बोलते हैं

"मेरा एक दोस्त है। उसकी एक बहन हुआ करती थी। जब हम सभी college में अच्छे friends हुआ करते थे। वह सभी के साथ बहुत friendly थी, पर अपने संस्कार और मर्यादा में बंधी हुई। उसे कई लड़को ने propose किया था, but उसने सभी को यह बोलकर reject कर दिया कि वह अपने परिवार के against कभी नहीं जाएगी। हमारे graduation के last year उसकी शादी set हुई, और हुई भी। उस लड़के के बारे में बताया गया था कि वह अच्छा दिखता है, अच्छा कमाता है, अच्छे परिवार से belong करता है, उसका स्वभाव भी काफी बढियाँ हैं। पर उनके शादी के एक महीने बाद उस लड़के के  किसी दोस्त ने मेरे दोस्त की बहन के past के relationship के बारे में उस लड़के को बताया। क्योंकि वह उसका बहुत अच्छा दोस्त था, उसने मान भी लिया। उन दोनों husband and wife के बीच झगड़ा हुआ। क्योंकि वह लड़का बाहर काम करता था तो यह बात घर तक नहीं पहुँची। पर मेरे दोस्त को उसकी बहन बुलाई और सारी बात बताई। मेरे दोस्त ने उस लड़के के दोस्त को पकड़कर उससे पूछा कि वह ऐसा झूठा अफवाह क्यूँ फैला रहा है, क्यूँ इनकी अच्छी life को खराब कर रहा है। उसने कहा कि उसके पास पास proof है, और एक तस्वीर दिखाई। कमाल की बात यह थी कि उसकी बहन के साथ उस तस्वीर में मैं था, जिसे हमने उस वक़्त ली थी जब मैं, मेरा दोस्त, और उसकी बहन, उसकी बहन के birthday पर उसे treat देने के लिए ले गए थे। जिस तस्वीर को खींचा भी मेरा दोस्त ही था। यह जो कुछ भी problem create हुआ उसमें गलती किसकी थी ? हमारी, क्योंकि हमनें अपने उस खूबसूरत moment को snapshot में कैद करने की कोशिश की ? या उस लड़के के दोस्त कि, जिसे बस वैसा लगा और उसने अपने दोस्त के घर में आग लगा दिया ? या उस लड़के की जिसका trust पर अपनी पत्नी पर इतना कमजोर था कि अपने दोस्त के गिरे हुए नज़रिया को सुनकर उसका अपनी पत्नी के ऊपर से भरोसा टूट गया। मैं और मेरा दोस्त गए और उससे मिले। उस लड़के को समझने की कोशिश किये, but उसने हमसे भी झगड़ा कर दिया और उसकी बहन के बारे में अनाब-सनाब बोलकर गंदी-गंदी गालियाँ दी। इसके बाद भी वह उसकी बहन से daily झगड़ा करता था। हमारे आने के कुछ दिन बाद वह लड़का पागल हो गया, और दो महीने mental hospital में भी रहा। वहाँ से लौटा तो भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। वह हमेशा ही उसे mentally harass करता ही था। अंत में तंग आकर उसकी बहन suicide कर ली।"

 

पूर्वी confuse होते हुए पूछती है, "पर ये सब आप हमें क्यूँ बता रहे हो ?"

उदय आगे बोलते हैं, "उस लड़के के बारे में बताया गया था कि वैसा लड़का, ढूँढने से नहीं मिलेगा। बहुत पछताओगी अगर उसे मना की तो...। उस वक़्त हम भी अपने से बड़ो का विरोध नहीं किया करते थे। हमें संस्कार ही वैसे दिए जाते थे। हमें भरोसा था अपने parents पर। पर उनके mistakes हमारे life को कैसे destroy किया, इसका अहसास उन्हें कभी नहीं होता। बाद में जब मेरे दोस्त के घरवालों को पता चला तो उसके अपनो ने भी उसपर भरोसा नहीं किया। उन्होंने अपनी बेटी के character पर भरोसा नहीं किया। क्यूँकि किसी लड़के की सोंच गिरी हुई तो हो ही नहीं सकती, गिरी हुई तो लड़कियाँ होतीं है।"

महेश समझाने की कोशिश करते हैं, "किसी के साथ अगर बुरा हुआ तो जरूरी नहीं कि वह हर किसी के साथ हो।"

उड़य बोलते हैं, "होनी भी नहीं चाहिए। इसलिए मैंने अपनी बेटी को ऐसी परवरिश दी है कि उसे किसी पर depended होकर जीने की जरूरत नहीं। उसे संस्कार और संस्कृति के limitations में बंधने की जरूरत नहीं। वह जैसे चाहे वह वैसे रह सकती है, ख़्वाब देख सकती है और उसे पूरा करने की कोशिश भी कर सकती है। उसे किसी से पूछने की जरूरत नहीं कि क्या सही और क्या गलत है। उसे सही-गलत की समझ है, वह अपने life के decisions खुद ले सकती है। यह उसके समझदारी का ही result है कि जिसे वह हमारे पीठ पीछे कर सकती थी, जिसका हमें वह भनक भी नहीं पड़ने देती, उसने हमसे इजाजत लेना सही समझा।"

पूर्वी पूछती है, "पर आपके दोस्त की बहन की story से इसका क्या संबंध ?"

उड़य जवाब देते हैं, "मेहक को उसकी तरह हमारे decisions को आँख मूँदकर मानने की जरूरत नहीं। वह ऐसा कभी करेगी भी नहीं, वह हमारी कई mistakes को जानती है। इसलिए वह इस बात को समझती है कि गलतियाँ हमसे भी होती है। We're not superheroes, जो हमेशा सही ही करे। साथ ही वह इतनी strong भी है कि अगर रिश्ते में trust and loyalty ना हो तो वह संस्कृति और समाज के against जाकर आपके बेटे को छोड़ दे। वह झुकती है क्योंकि वह स्वभाव सेविनम्र है। वह इसलिए कभी नहीं झुकेगी ऐसा उसे culture करने को कहता है, फिर चाहे वह गलत ही क्यों ना हो।"

 

इसपर महेश चिंता जताते हुए पूछते हैं, "और समाज..? आपको समाज के बारे में भले आपको चिंता नहीं ? लेकिन समाज तो इसे accept नहीं ही ना करेगा..।"

उदय सरलता से बोलते हैं, "मैं बोल दूँगा कि मुझे आपका लड़का और आपलोग पसंद आ गए, आपलोग को हमलोग। लड़का-लड़की ने भी हामी भर दी। फिर भी आगे चलके कोई problem ना हो इसलिए इन्हें एक-दूसरे को समझने के लिए time दिए है। हमें कोई जल्दी नहीं है, बस बच्चे एक दूसरे को अच्छे से जान ले। तब तक हम भी आपस में थोड़ा घुल-मिल जाएंगे तो दोनों family को एक-दूसरे को जानने समझने का मौका मिलेगा।"

पूर्वी इसपर हैरान होते हुए पूछती है, "आप लोगों से झूठ बोलोगे ?"

उड़द मुस्कुराते हुए बोलते हैं, "यही अगर कोई अगुआ बनकर बात छेड़ता तो हमें आपस मे मिलाने के लिए ना जाने कितना कुछ बढ़ा-चढ़ाकर हमें बताता। वो लोग, जो इस तरह का काम करके दो family को मिलाते हैं और बच्चों का भविष्य खराब करते है झूठ बोलकर, उन्हें मनाकर, उनके साथ ऐसा झूठ बोलने में क्या गलत है !"

तब महेश हल्की मुस्कान भरते हुए बोलते हैं, "मगर यह- घर में मिलने वाली बात जंचेगी नहीं। कुछ और सोंचना होगा।"

उदय उनकी बात पर सहमति जताते हुए बोलते हैं, "ठीक है, जैसी आपकी मर्जी।"

पूर्वी confuse होते हुए पूछती है, "एक minute. आपलोग क्या बातें कर रहे हो ? Family पसंद आ गई, वक़्त दिए हैं ?"

महेश भी अपनी संतुष्टि के लिए पूछते हैं, "हाँ वैसे, आप शादी की ही बात कर रहे हो ना..?"

उड़य उन्हें अस्वाशन देते हैं, "हाँ, लेकिन पहले यह एक दूसरे के साथ time spend करके अच्छे से समझ ले तब ही।"

पूर्वी चिंता जताते हुए बोलती है, "आपकी सोंच तो सही है। लेकिन पहले engagement वगैरह कुछ हो जाये तब सही है। नहीं इस तरह affair करने वालो के बारे में लोग उल्टी-सीधी बातें करते हैं।"

महेश उसके परेशान होते मन को स्थिर करने की कोशिश करते हुए बोलते हैं, "लोगों का क्या है ! अगर engagement करवाने के बाद भी लंबे समय तक इनकी शादी नहीं करवाओगी तो उसमें भी उल्टा-सीधा बात करना शुरू कर देंगे। लोगों की इतनी परवाह मत करो, वो बातें करेंगे ही। हमें बस अपने बच्चों पर भरोसा होना चाहिए।"

पूर्वी तब उनकी बातें सुनकर परेशान होते हुए बोलती है, "आप रहने दीजिए। आप कुछ नहीं समझते हैं। भाई साहब आप बेटी के पिता हैं। कम से कम आप तो समझिए।"

 

उड़य समझाने की कोशिश करते हैं, "भाभी जी,

Boyfriend-girlfriends are upgraded versions of fiancé who come into a relationship for understanding each other and decide either they have to get married or not. बस अंतर इतना होता है कि एक में घरवालों के ढूँढे options में किसी एक को partner choose करना होता है और एक में एक दूसरे को choose करने के बाद उन्हें घरवालों से मिलाते हैं। बस... मैं समझता हूँ कि अगर जिंदगी इन्हें जिनी है, तो इसमें interfere मैं क्यों करूँ। इनका खुद का choice हो कि किसके साथ जीनी है या कैसा life इन्हें चाहिए। मैं बस इन्हें यह समझने में मदद कर सकता हूँ कि आगे इनके decisions का इनपर या इनके life पर क्या असर होगा। लेकिन मैं यह दोष अपने ऊपर नहीं लूँगा कि मैंने अपना decision इनपर थोपकर इनके life को खराब किया है।"

पूर्वी दोनों से dissatisfied होते हुए बोलती है, "तब रहने दीजिए आपलोग। मैं सतीश से बात कर लूँगी। वह मेरी बात को जरूर समझेगा।"

उड़य परेशान होते हुए बोलते हैं, "वैसे काफी late हो गया उनके गए हुए।"

महेश मुस्कुराते हुए बोलते हैं, "अभी-अभी ही तो गए हैं वो। आपकी चिंता मैं समझ सकता हूँ। धीरज रखिये, आ जाएंगे।"

 

"यह लड़की, अमायरा, जिसकी शादी आज हो रही है। यह मेरी बस दोस्त ही है। लेकिन यह मेरे life में कितनी अहमियत रखती है, यह आपलोग नहीं समझ सकते। यह अपने life में कुछ बनने का ख्वाब देखती थी, और हमें भी कुछ बनने को motivate and inspire करते रही है। जब भी अपने life में भटकने लगा, यह मुझे distract होने से रोकी। अपनी ख्वाहिशें, अपनी खुशियाँ, हर चीज को sacrifice कर दी सिर्फ इसलिए कि life में कुछ बनना है। ताकि uncle and aunty, आप दोनों इसपर proud feel करें। यह life में कुछ बनने का ख्वाब भी देखती थी, इसके अंदर उसे पाने की लगन भी थी, और काबिलियत भी। मगर आपलोग, आपलोगों ने इसे वो करने का मौका नहीं दिया। इसका life चाहे इसकी शादी से कितना ही अच्छा क्यूँ ना हो, यह अपने life में चाहे कितनी ही खुश क्यूँ ना हो, लेकिन मैं हमेशा आपको blame करूँगा। एक बार अगर यह मुझसे साथ माँगती तो मैं इसके लिए सबसे झगड़ जाता। मगर इसने आप लोगों के ख्वाहिशों के लिए झुक गई, हार मान ली। इसने खुद को sacrifice कर दिया आप लोगों की खुशी के लिए। इसने अपना वह मौका गवां दिया, जो यह बन सकती थी, आप लोगो के कारण। इसके लीए मैं आप लोगों को कभी माफ नहीं करूँगा।"

सतीश के द्वारा अमायरा की शादी में कहीं इन बातों को याद करके मेहक बोली, "तुम कभी किसी लड़की को support करने के लिए सभी के against जाना चाहते थे। पर वह तुमसे तुम्हारा साथ नहीं ली। आज मैं तुमसे तुम्हारा साथ माँग रही हूँ। क्या मुझे तुम्हारा साथ मिलेगा ?"

सतीश पूछता है, "पर तुम तो मुझसे सीधा शादी ही करना चाहती हो।"

मेहक मुस्कुरा कर बोलती है, "जो मुझे मेरे ख्वाबों को पूरा करने में मेरा साथ दे, उसका साथ सिर्फ एक ही ख़्वाब को पूरा करने के लिए क्यूँ माँगू ? उसका साथ मैं जिंदगी भर के लिए क्यूँ ना चाहूँ ? अपनी जिंदगी के हर ख़्वाब को पूरा करने में उसका साथ क्यूँ ना चाहूँ ?"

सतीश पूछता है, "पर यह तो मैं तुम्हारा दोस्त बनकर भी कर सकता हूँ। फिर मुझसे शादी करने की क्या जरूरत ?"

मेहक जवाब देती है, "उसमें priorities बदल जातीं है। उसमें तुम्हारी 1st priority तुम्हारी life होगी। मगर इसमें, इसमें तो तुम्हारी life ही मैं होऊँगी।"🤷🏻 और मुस्कुराती है।

सतीश उसे देखता है, और उसकी चतुराई को देखकर मुस्कुराता है। 1min., मैं तो फिर से ज्यादा आगे बढ़ गया। कोई बात नहीं। वापस पीछे आते हैं।

 

सतीश मेहक को सीढ़ियों से ऊपर ले जा रहा था, कि नीचे से शम्पा आवाज दी, "रुको मैं भी आ रही हूँ।" ऊपर चढ़ने के बाद छत को देखकर बोली, "amazing.., यहाँ का तो पूरा decoration ही change हो गया।"

सतीश बोला, "हाँ, मेरे जाने के बाद सृष्टि सबकुछ अपने हिसाब से कर दी।"

शम्पा पूछी, "सबकुछ ?"

सतीश जवाब दिया, "हाँ । यहाँ तक कि मेरे कमरे को भी।"

मेहक confuse होते हुए पूछी, "क्या मतलब तुम्हारे जाने के बाद ?"

सतीश जवाब दिया, "जब मैं अपने heighr study के लिए घर छोड़कर गया।"

शम्पा balcony के तरफ इशारा करते हुए पूछी, "यहाँ एक side तुम्हारे cricket kits हुआ करते थे, और दूसरे side carom जिसे हम- मैं, तुम, अमायरा और सृष्टि गर्मियों भर छुट्टियों में खेल करते थे। यहाँ उन्हें हटाकर गुलदस्ते सजा दिया गया।"

सतीश बोला, "अब उन्हें यहाँ वैसे खेलने वाला कोई नहीं ना..।"

शम्पा excited होकर बोली, "और तुम्हारे कमरे में क्या changes की है ?" और उधर जाने लगी।

सतीश उसे रोकते हुए बोला, "वह कमरा अब उसका है। अब वहाँ वो रहती है।"

शम्पा हैरान होकर पूछी, "तो तुम कहाँ रहते हो ?"

सतीश बोला, "T.V. वाले room को वह guest room बना दी। मैं भी वहीं रहता हूँ।"

शम्पा थोड़ा नाराज होते हुए पूछी, "तुम उसे कुछ कहा नहीं ? तुम्हारा सामान इधर-उधर की वह।"

सतीश बोला, "वो अब बड़ी हो गई है। उसे personal space चाहिए था। वह अब मम्मी के साथ नहीं सोती।"

शम्पा बोलती है, "फिर भी तुम्हारा सामान guest room में..।"

सतीश मुस्कुराकर कहता है," हाँ तो वैसे भी मैं सिर्फ त्योहारों में आता हूँ ना, guest की तरह..। और सामान मेरा वहाँ नही। की। कपड़े तो मैं साथ ले गया था। बाकी books को Almira से निकालकर study room में कर दी। Computer को भी वहीं कर दी। बाकी जो छोटे-मोटे सामान थे, उन्हें भी।"

शम्पा आगे curious होकर पूछती है, "तो तुम्हारे study room को वह store room बना दी ?"

सतीश जवाब दिया, "नहीं। Study room में computer, किताबें और बाकी मेरे gadgets and toys, मेरे crafts को सजाकर और भी खूबसूरत बना दी।"

मेहक खाँसकर इन्हें disturb की, और बोली, "हमें यहाँ एक दूसरे से बात करने के लिए भेजा गया है। लेकिन.., तुम दोनों को नहीं लगता कि हमें मिले कीमती वक़्त को तुमलोग बर्बाद कर रहे हो ?"

शम्पा हँसते हुए मेहक को बोलती है, "हाँ सब समझती हूँ कि तुम क्यूँ हमारी बात सुनकर ऊब रही हो।" वह सतीश को बोलती है, "जानते हो सतीश, मैं इसके घर गई थी। यह चीजों को जैसे तैसे रखती है। Towel chair पर होता है, Glass-plate and mug table पे, किताबे bed पे..। सब इधर-उधर ।"

मेहक बोलती है, "मैं तुम्हारी तरह बच्ची नहीं हूँ जो teddy bear को अपने bed पे सुलाऊँ। मुझे किताबो से प्यार है। मैं इतनी बड़ी होकर भी बचकानी हरकत नहीं करती।"

शम्पा इसका कुछ जवाब देने ही वाली थी कि सतीश इशारा करके रोक उसे दिया। तो वह सतीश से पूछी, "क्या ? तुम कहना क्या चाहते हो ?"

सतीश बोलता है, "ऐसे किसी को भी बुरा लगेगा ना..। तुम ये सब जो मेरे सामने इससे बोल रही हो।"

मेहक शम्पा को जाने का इशारा करते हुए बोलती है, "तुम्हारा बस हो गया। अब तुम हमें free space दो, और जाओ।"

शम्पा गुस्से से मेहक को घूरती है, कि सतीश शम्पा के कान में बोलता है, "इसे देखकर सृष्टि का mood खराब होते हुए मैं notice किया था। तुम जाकर उसे देख लो।"

शम्पा मेहक को अपना गुस्सा वाला look दिखाते हुए वहाँ से चली गई, और सतीश और मेहक balcony की ओर।

 

Shampa entered Shristi's room. वह देखी की सृष्टि अपने table के पास बैठकर पढ़ाई कर रही है। वह उसके करीब गई और पूछी, "क्या पढ़ रही हो ?" सृष्टि अपना माथा उठाई और बोली, "कुछ नहीं। बस regular study course के।" शम्पा उसके सामने की chair खींची और उसपर बैठ गई। मगर यह क्या ! शम्पा देखती है कि सृष्टि की आँखे लाल है, और होंठ उदास, बहुत उदास। शम्पा पूछी, "क्या हुआ ?" और सृष्टि की साँसे तेज हो गई, उसका सीना फूलने लगा, सिसकने लगी, लेकिन वह अब भी अपने आँखों से आँसुओं को पोंछते हुए खुद को रोने से रोक रही थी। शम्पा इधर-उधर नज़र दौड़ाई, उसे bed के बगल में stool के ऊपर ढँका हुआ jug दिखा और साथ में उल्टा रखा हुआ glass भी। वह chair से उठी और उस glass में भरकर सृष्टि को पानी दी। सृष्टि जब पानी पीने लगी तो शम्पा वापस सामने वाली chair पर बैठकर उसके पीठ को सहलाने लगी।

 

Balcony के पास railing के सहारे खड़े होकर एक दूसरे को समझने के लिए सतीश और मेहक बातें कर रहे हैं।

सतीश मेहक से पूछता है, "तुम मुझे कब से like करती हो ?"

मेहक सोंचते हुए जवाब दी, "कहना थोड़ा मुश्किल है। अमायरा की शादी में तुम्हारे उस act की वजह से तुम थोड़े अजीब लगे। मतलब अच्छा ही वाला अजीब। तुम वक़्त पसंद तो नहीं आये, लेकिन तुम मुझे औरों से different लगे। But परसो शम्पा के घर से लौटने के बात तुम्हारी कही बातों के बारे में सोंच रही थी तो मुझे ऐसा लगा, कि तुम्हारे जैसे person का साथ life में होनी चाहिए। वैसे तो मैं whole life अकेली रह सकती हूँ। मगर अगर तुम्हारे जैसे person का साथ life में मिले, तो बुरा ही क्या है !"

सतीश पूछता है, "इतनी जल्दबाजी में तुम्हारा लिया फैसला, कहीं तुम्हारे life की सबसे बड़ी गलती ना साबित हो जाये। क्या पता मैं बाद में वैसा ना निकलूँ, जैसा तुम मुझे assume कर रही हो।"🤷🏻

मेहक थोड़ा गुस्सा होते हुए बोलती है, "मुझे तुम डरा रहे हो ?"

सतीश मुस्कुराकर बोलता है, "नहीं, मैं तो बस यह समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि पहले मुझसे दोस्ती करके अच्छे से समझ लेती, फिर कोई decision लेती तो अच्छा होगा।"

मेहक ताव में बोलती है, "मुझे लगा ही था कि तुम ऐसा ही करोगे। बस इसलिए मैं यह decision ली।"

सतीश confuse होकर पूछा, "क्या मतलब ?"

मेहक बोलती है, "देखो, मैं नई-नई adult हुई 11-12th की immature बच्ची नहीं हूँ। जो मैं पहले तुम्हारा attention खींचू, फिर interest जगाऊँ, फिर तुम्हें attract करूँ, फिर तुम्हें impress करूँ, फिर satisfied. मेरे पास इतना फालतू में time waste करने के लिए time नहीं है। मैं mature लड़की हूँ। मैं तुम्हें पसंद करती हूँ। अगर तुम्हें कोई interest नहीं तो सीधा बोल दो। ये, इस तरह की आना कानी तुम ना करो इसलिए पापा को लेकर family के सामने बात करने आई हूँ। अगर कोई और है तुम्हारे life में तो बोल दो। अगर किसी को पसंद भी करते हो तो बोल दो। मैं अपने life में कोई complications नहीं चाहती। मैं पीछे हट जाऊँगी। मैं उन लड़कियों जैसी नहीं हूँ जो fairy tales का ख्वाब सजाए बैठी रहती है कि उसका prince charming आएगा और उसे ले जाकर अपनी सल्तनत की queen बना देगा। मैं हकीकत में जीती हूँ, और मुझे पता है कि अपने ख़्वाब कैसे पूरे किए जाते हैं। इसलिए मेरे पास इन फालतू चीजों के लिए time है नहीं।"

 

कमरे में शम्पा सृष्टि के थोड़े normal होने के बाद पूछती है

"क्या हुआ ?

आज तुम्हारे ख्वाबों से सजी आँखों में आँसू क्यूँ है ?

क्या हुआ ?

आज तुम्हारी शरारती लबें इतनी शांत क्यूँ है ?

क्या हुआ ?

जो हर वक़्त मुस्कान रखने वाला होंठ आज सूख गया...

क्या हुआ ?

जो फूलों सा खिला रहने वाला चेहरा मुर्झाया पड़ा है...

क्या हुआ ?

आज तुम्हारा यह दिल चहकने के जगह उदास क्यूँ है ?"

सृष्टि अपने नम आँखों में ही अपने होंठो पर मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए पूछती है, "यह गलत बात नहीं है ?"

शम्पा समझ नहीं पाती और पूछती है, "क्या गलत है ?"

सृष्टि समझाती है, "कृष्ण अपनी कहानी के किसी भी character से कभी भी poetry करवा देता है। अभी आप भी कर रही हो।"

शम्पा हँसकर पूछती है, "क्यूँ, यह गलत क्यूँ होगा ?"

सृष्टि आगे जवाब देती है, "ऐसे थोड़ी ना किसी भी कहानी का हर character इस तरह romantic हो सकता है। हर किसी का different attitude होनी चाहिए ना...?"

शम्पा जवाब देती है, "Well, होनी तो चाहिए। वैसे इस बात को समझो कि एक writer की लिखी हर story के question उसके मन के thoughts and उसके answers उस writer की understanding होती है। इस कृष्ण को लगता है कि हर इंसान के अंदर थोड़ा-बहुत romance तो कम से कम होता ही है। यह इसपर फर्क पड़ता है कि वह कब और कहाँ दिखेगा। हाँ वो अलग बात है कि किसी को इसे express करने का हुनर आता है और किसी को नहीं आता तो अपने आप उनके actions में show हो जाता है।"

सृष्टि ऊबे हुए अंदाज में बोलती है, "उसके ऐसे करने से लगता है कि जब तक वह अपनी stories में दो-चार poetries के lines add करता, उसे कहानी incomplete लगती है। उसे satisfaction नहीं मिलता।"

शम्पा हँसकर बोलती है, "हाँ, वो तो है। पर तुम यह बाताओं कि तुम रो क्यूँ रही थी ?"

सृष्टि झुठलाती है अपना नाक पोंछते हुए, "मैं ? मैं कहाँ रो रही थी ?"

शम्पा घूरते हुए बोलती है, "तो अभी यह क्या था ? आँखों में कचड़ा जाने से सिर्फ आँखे नम होती है।" वह आगे दबे होंठ सिसकने की acting करते हुए बोलती है, "ये क्या था ?"

सृष्टि जवाब देती है, "I was feeling worst and lonely."

शम्पा छेड़ते हुए पूछती है, "क्यूँ ? तुम जिस उम्र में हो, 9-10th में, इस teenage में लगभग हर किसी को किसी की चाहत हो ही जाती है। कोई है क्या ?"

सृष्टि चिढ़ती है पर गुस्सा नहीं होती, बल्कि उसका मिजाज खुशी वाला हो जाता है। वह अपनी मुस्कुराते चेहरे से उसे घूरती हुई बोलती है, "No... क्या आप हर बात पर मजाक करना शुरू कर देती हो ?"

शम्पा straight-forward होकर पूछती है, "तुम किस बात को लेकर इतनी परेशान हो। क्या तुम्हें इतना annoying लग रहा है ?"

सृष्टि झुँझलाकर बोलती है, "भैया की हरकतें... पहले कितने अच्छे, loving and caring थे। लेकिन इस बार जब से आये हैं अजीब-अजीब हरकते कर रहे हैं। कभी लगता है कि बदल गए, कभी बिगड़ गए। कभी लगता है कि वह समझते नहीं है, या कभी वह समझने की कोशिश ही नहीं करते। उट-पटांग हरकते करते है, तंग आ जाती हूँ। कभी-कभी तो लगता है कि वह मुझे जान-बूझकर सताते हैं।"

शम्पा धीरे से दबे मुँह बोलती है, "ओह...। तो तुम अभी तक अपने भाई के असली रूप से अंजान हो। तुम्हें पता ही नहीं कि वह reality में कैसा है।"

यहाँ पर ध्यान दीजिएगा, यहां पर Alexa-complex show हो रहा है। जो कि यह कहता है कि एक स्त्री का attachment किसी पुरुष के प्रति अधिक होता है। वह स्त्री कोई भी हो सकती है, पुरुष कोई भी हो सकता है, उनके बीच के संबंध कुछ भी हो सकता है। जैसे कि एक माँ का बेटे से, बहन का भाई से.., etc. इससे यब show होता है कि सतीश और सृष्टि के बीच भाई-बहन का रिश्ता कितना गहरा है।

 

सतीश और मेहक balcony में एक-दूसरे से बातें कर रहे हैं।

सतीश मेहक से पूछता है, "आमतौर पर किसी भी बच्चे को, खासकर के लड़कियों को देखता हूँ कि वह घरवालों के against नहीं जाते और उनकी शादियाँ घरवाले चुपचाप कर लेते हैं। तुम arrange marriage करने के बजाय love marriage क्यूँ करना चाहती हो ?"

मेहक जवाब देती है, "जब कोई चीज आसानी से बिना मेहनत किये अगर मिल जाये तो हम उसकी अहमियत नहीं समझ पाते, उसकी कद्र नहीं कर पाते। Arrange marriage में आमतौर पर मैं देखती हूँ कि family के हर member अपने में अपने गुरुर में खोए रहते हैं, खुद को औरों से great समझते हैं, खुद को बड़ा और सामने वाले को छोटा दिखाने की कोशिश करते हैं, एक-दूसरे से unnecessary expectations रखते है जिसके टूटने पर वह अपने क्रोध को रोक नहीं पाते और एक दूसरे की निंदा करते हैं, सामने वाले person को समझते नहीं है और उन्हें खुद के अनुसार ढालने या बदलने की कोशिश करते हैं। यह वह एक-दूसरे के साथ करते हैं पर खुद को बदलना या situation के according adapt करने की कोशिश नहीं करते है।"

सतीश पूछता है, "तो यह सब तो love marriage में भी होगा, और arrange marriage से ज्यादा होगा।"

मेहक जवाब देती है, "मुझे औरों की नहीं परवाह। मैं बस खुद को हर रिश्ते की अहमियत समझ कर उन्हें कद्र करने के लायक बना पाऊँ, मैं बस यह चाहती हूँ।"

सतीश पूछता है, "तो यह तुम arrange marriage में भी तो कर सकती हो..।"

मेहक बोलती है, "एक मुलाकात और चार दिन बात करके कोई कैसे भला किसी का character समझ सकता है ! इसमें तो सभी खुद को अच्छा दिखाने की कोशिश करते है। किसी इंसान के स्वभाव, उसकी सोंच, उसकी आदतों को समझने के लिए तो वक़्त लगता है।"

सतीश आगे पूछता है, "तुम्हे अपने parents पर भरोसा नहीं, कि वह तुम्हारे लिए एक अच्छा लड़का ढूंढेंगे ?"

मेहक कटाक्ष करती है, "वो क्या देखकर किसी को मेरे लिए choose करेंगे ? उसके look, उसके profession, उसकी achievements, उसकी family and background, उसकी property को देखकर ? Character जो उसका वो लोग देखेंगे वो उनके सामने वैसा बनने की कोशिश कर रहा होगा ताकि मेरे parents उसके हाँथ में मेरा हाँथ दे दे।"

सतीश बोलता है, "ऐसा कैसे नहीं समझने का मौका मिलेगा ? Parents सबकुछ अच्छे से सोंच-समझकर ही करते हैं।"

मेहक बोलती है, "शादी जल्दबाजी में होती है। अगर समझने का मौका भी मिलता है तो वह fixed होने के बाद। उसके बाद अगर समझ भी जाओगे तो क्या कर लोगे ! मना तो आसानी से कर नहीं सकते और आपने छोटे-मोटे reasons कोई सुनेंगे नहीं। फिर झेलो उसे जिंदगी भर।"

सतीश आगे पूछता है, "अच्छा तुम लोगों में ऐसा क्या देखती हो जो तुम्हें पसंद नहीं आता है ? जो तुम शादी से पहले यह सब तुम समझना और परखना चाहती हो ?"

मेहक अपनी सोंच उसके सामने रखती है, "Achievements और काबिलियत के कारण लोग egoistic हो जाते हैं(अहं), जरूरत से ज्यादा wealth के कारण वो लापरवाह होकर फिजूल-खर्च करने लगते हैं और भोग-विलास में खो जाते हैं(काम), वो अपने look and accessories से दिखावा करने की कोशिश करते हैं कि वो कितने high-figh हैं और बाकियो को जलाने की कोशिश करते है, पर अगर दूसरों के पास उनसे ज्यादा हो तो खुद जलते हैं और उनसे और ज्यादा दिखावा करने की कोशिश करते हैं(लोभ और ईर्ष्या), वो दूसरों के बीच खुद को अधिक priority पाने की चाहत करते हैं और अपनी expectations को छोड़ नहीं पाते(मोह), और जब इन सबके कारण उनके मन को ठेस पहुँचता है तो वह दुसरो पर गुस्सा करते हैं(क्रोध)। इन्ही सबके कारण जब कोई अपना उन्हें समझाने की कोशिश करता है तो उनका विरोध नहीं कर पाता, क्यूँकि वह डरता है उनके स्वभाव से कि कहीं उनके बीच के रिश्ते में कोई आँच ना आ जाये।(भय)"

सतीश बोलता है, "तुम बहुत ज्यादा ethical नही हो रही हो ? यह सब तो थोड़ा बहुत हर इंसान में होता ही है।"

मेहक बोलती है, "हाँ होती है। पर किस इंसान में किस चीज की मात्रा कितनी है, यह कुछ ही पल में कैसे पता चलेगा जबतक कि उसके साथ time spend ना किया जाए ?"

सतीश बोलता है, "तुम जिस तरह की सोंच को बनाई हुई हो, तुम्हें कोई satisfied नहीं कर सकता।"

मेहक बोलती है, "मैं बस ऐसे इंसान को चाहती हूँ जो इन चीजों को समझे। ताकि अगर उससे कोई गलती हो तो उसे समझ में भी आ जाये।"

सतीश फिर पूछता है, "Family के हर member एक जैसे नहीं ना हो सकते हैं, फिर तुम क्या करोगी ?"

मेहक बोलती है, "मुझे बस कम से कम एक person वैसा चाहिए जिससे मेरी शादी हो। बाकी अगर ना भी हो, तो वो तो कम से कम होगा ना मुझे support करने के लिए।"

सतीश बोलता है, "हाँ तो, ये तो तुम्हारे घरवाले उस इंसान में देख ही सकते हैं ना...? इतना तो वह समझ-बूझ कर ही तुम्हारा रिश्ता किसी के साथ करवाएंगे।"

मेहक arrogant होकर बोलती है, "जिंदगी भर मुझे उसके साथ रहना है, उन्हें नहीं। क्या लगता है, girlfriend-boyfriend जैसा मेरे पापा या भैया उसके साथ घूमेंगे, बात करेंगे, और उसे समझने की कोशिश करेंगे ? वह इतना time देगा इनको ?"

 

सतीश के पास इस सवाल कोई जवाब नहीं होता। वह दो पल के लिए खामोश हो जाता है, और आँहें भरते हुए बोलता है,

"मैंने तोड़ा है प्याला

मैखाने में बहुत,

अब डरता हूँ गुजरने से

कहीं चुभ न जाये मुझे।

हर उस अक़्स को 

मुझसे नफ़रत हुई होगी,

जब बेरहमी से मैंने

कभी तोड़ा था उसे॥"

मेहक मुस्कुराकर बोलती है, "तो तुम्हें डर लग रहा है ?"

सतीश कहता है कि, "हाँ..।"

मेहक आगे पूछती है, "कि कहीं मैं बाद में तुम्हारा दिल ना दुखाऊँ या तुम्हे छोड़ ना दूँ ?"

सतीश दबी मुस्कान में बोलता है, "हाँ..।"

मेहक serious अंदाज में पूछती है, "तो क्या सही है ? अगर हमारे बीच understanding ना बने, हम दूसरे को by heart accept ना कर पाएं, फिर भी एक दूसरे के साथ रहे क्यूँकि कभी हमने एक-दूसरे का दिल ना दुखाने और साथ ना छोड़ने का promise की हो ? मुझसे अगर तुम्हारा अधूरापन पूरा ना हो फिर भी मुझे तुम जिंदगी भर झेलो, या मेरे होते हुए कहीं और दिल लगाओ, क्या यह सही है ? इससे अच्छा क्यूँ ना मैं तुम्हें अपने रिश्ते से आजाद कर दूँ !"

सतीश उदास होकर बोलता है, "जब बाद में मुझे छोड़ना ही है, तो अभी क्यूँ मेरे साथ किसी रिश्ते में आना चाहती हो ?"

मेहक समझाती है, "मैं अभी रिश्ते में नहीं आना चाहती। मैं रिश्ते में आने के लिए अभी तुम्हारे साथ time spend करके तुम्हे समझना, तुम्हे परखना चाहती हूँ।"

सतीश फिर पूछता है, "अगर मैं फिर भी पसंद नहीं आया तो..?"

मेहक जवाब ना देकर उल्टा उससे सवाल करती है, "तुम्हें ऐसा क्यूँ लगता है कि हर कोई तुम्हें छोड़ देगी ? तुम किसी को पसंद नहीं आ सकते क्या ? तुम अच्छे नहीं हो ?"

सतीश बोलता है, "तो अब तक किसी ने मुझे पसंद क्यूँ नहीं किया ?" और उसकी आँखें नम हो गई।

मेहक हैरान होकर पूछती है, "किसने पसंद नहीं किया ? किसको चाहते थे कि वह तुम्हें पसंद करें ? तुम किसे पसंद करते थे या हो ?"

सतीश बोलता है, "Leave it. जाने दो इसे..."

मेहक बोलती है, "मैंने तुम्हें पहले ही कहा है, कि अगर कोई है life में तो बोल दो। मैं खुद तुम्हें पीछे छोड़कर चली जाऊँगी। मैं वैसे इंसान के साथ बिल्कुल नहीं रह सकती जिसके आँखों में तो मैं रहूँ लेकिन दिल में कोई और, जिसके सामने तो मैं रहूँ और वह याद किसी और को करे।"

सतीश बताता है, "मैं अब यह समझ चुका हूँ कि वह मेरे life का हिस्सा कभी नहीं बनेगी। इसलिए मैं उसे past मान चुका हूँ।" इस वक़्त सतीश को सिर्फ प्रियदर्शी का ख्याल आया, कोमल की नहीं। मेहक को इनके बारे में कुछ नहीं पता है।

मेहक आगे पूछती है, "तो problem क्या है, किसी को भी अपनाने में, मुझे अपनाने में ?" थोड़ा देर रुकती है और कहती है, "इसलिए तो मैं कह रही हूँ, कि मुझे date करके देख लो। अगर मेरे प्यार में तुम उसे भूल गए तो ठीक, वरना बता देना। मैं बाँध कर नहीं रखूँगी।"

सतीश का दिल तो नहीं मान रहा था पर वह अब भला क्या करे ! वह अचता-पछताकर बोलता है, "हाँ, ठीक है।" सतीश को कोमल का ध्यान ही नहीं रहा।

Life में clarity होनी कितनी जरूरी है, वह मैं आपको "हमदर्द सा कोई : भाग-११ के किसी chapter में समझाऊँगा। खैर अभी यहाँ आगे बढ़ते हैं।

 

शम्पा सृष्टि के पास वाले chair से उठती है और bed पर जाकर तकिए को कमर के पास रखकर सिरहाने से लधक कर पैर सीधी करके बैठ जाती है और एक तकिए को अपनी बाँहों में पकड़ लेती है। वह chair से उठते समय सृष्टि से पूछती है, "सतीश ऐसा क्या कर दिया जो तुम्हे ऐसा महसूस होने लगा ?"

सृष्टि शम्पा के तरफ घूमकर बोलती है, "देखिए ना.., भैया पहले कितना understanding and caring हुआ करते थे, कितना प्यार करते थे। मगर अब जब वह आते हैं तो उतना किसी चीज की care नहीं करते, हमारी caring नहीं करते है और बेफिक्र रहते हैं। लापरवाह हो गए हैं।"

शम्पा बीच में टोकती है, "लापरवाह नहीं बेपरवाह…"

सृष्टि पूछती है, "दोनों में अंतर क्या है ?"

शम्पा बताती है, "लापरवाह इंसान किसी चीज की परवाह नहीं करता और ना ही उसके बारे में समझने की कोशिश करता है। जबकि बेपरवाह इंसान हर चीज को जानता-समझता है, बस उसे जो चीज जरूरी नहीं लगते उनकी care नहीं करता।"

सृष्टि बोलती है, "पहले वह समाज के बारे में बाते करते थे। छोटी-बड़ी हर चीज के बारे में समझते थे। मगर अब वह खुद किसी चीज की care नहीं करते और गैर-सामाजिक बातें और actions करते हैं।"

शम्पा पूछती है, "जैसे कि...?"

सृष्टि बोलती है, "उनका हमेशा पता नहीं किसके ख्यालों में खोए रहना। कभी सोंचते हुए मन ही मन मुस्कुराते रहते हैं, कभी बहुत serious रहते है, तो कभी यूँ ही उदास रहते हैं। एक अलग ही दुनियाँ में खोए रहते हैं।"

शम्पा सृष्टि की बातें सुनकर मुस्कुरा रही होती है।

सृष्टि पूछती है, "आप मुस्कुरा क्यूँ रही हो ?"

शम्पा reply देती है, "तुम्हारी बातें सुनकर..।"

सृष्टि जवाब सुनकर उदास हो जाती है।

शम्पा आगे बोलती है, "देखो, पहली बात तो यह समझो कि इस उम्र में लगभग सभी ऐसी ही हरकते करते हैं। यह odd नहीं है। तुम जब हमारी उम्र की होगी तो यह समझ जाओगी। और दूसरी यह कि वह हमेशा से understanding रहा है और अभी भी है। समाज की हर छोटी-बड़ी चीज को जानने समझने का मतलब यह नहीं होता कि हम उन्हें माने ही। हमें बस उन्ही को अपनानी चाहिए जो हमें सही लगते है, और जो सही नहीं है हमें उन्हें मानने की जरूरत नहीं है।"

सृष्टि रूठे अंदाज पूछती है, "तो क्या सही है और क्या गलत है, यह उन्होंने क्यूँ नहीं समझाया ?"

शम्पा जवाब देती हैं, "इस दुनियाँ में जो भी चीजें हैं, किसी के नजर में सही है और किसी के नजर में गलत। यह तुम्हें खुद परखना और सही होगा कि तुम्हारे लिए क्या जरूरी है और क्या तुम्हारे लिए फालतू है। तुम अब बड़ी हो गई हो, और साथ में समझदार भी। इसलिए ऐसा नहीं कि वह तुम्हारी care नहीं करता, वह अभी भी करता है। पर क्योंकि अब तुम खुद की care कर सकती हो इसलिए वह अब पहले जिनती care नहीं करता ताकि तुम खुद की care करो और साथ ही दूसरों की भी care करना सीखो।"

सृष्टि बोलती है, "और वो बिगड़ गए हैं so..? Party की रात उन दोनो से flirt कर रहे थे और आज उनमें से एक रिश्ता लेकर आ गई। उनसे ज्यादा तो आप बिगड़ गई हो। आप उसे यहाँ क्यूँ लेकर आई ?

शम्पा हँसती है और बोलती है, "सृष्टि यहाँ आओ।"

सृष्टि रोष में बोलती है, "क्या कीजियेगा ? मारियेगा ?"

शम्पा इसकी बातों पर हँसकर बोलती है, "नहीं मरूँगी। यहाँ आओ तो...।"

सृष्टि सामने आती है तो शम्पा अपने हाँथो से उसे झुकने का इशारा करती है। सृष्टि झुकती है तो उसका गाल खिंचती है और मुस्कुराकर बोलती है, "तुम क्या चाहती हो, वह जिंदगी भर कुँवारे रहे ?"

सृष्टि शम्पा के घुटनों से थोड़ा नीचे एड़ी के तरफ बैठकर बोलती है, "नहीं। पर वह खुद कहते थे कि बिना किसी को जाने-समझे जल्दबाजी में कोई decision नहीं लेनी चाहिए। और खुद... वैसे भी अभी पढ़ना-लिखना चाहिए, अपने career पर ध्यान देना चाहिए। और ये सब..."

शम्पा समझाती है, "देखो यह सब सवाल का जवाब तो तुम्हारा भाई ही दे सकता है। लेकिन अगर उसके कुछ बनने से पहले शादी हो जाये तो problem क्या है ? Economical condition तो इतना भी खराब नहीं है कि शादी के बाद भी career पर ध्यान ना दे सके वह।"

सृष्टि बोलती है, "आप समझ नहीं रही हो। यहाँ बात आर्थिक स्थिति की नहीं है।"

शम्पा पूछती है, "तो फिर क्या है ?"

सृष्टि बोलती है, "यहाँ गाँव में लगभग हर किसी के घरों में देखती हूँ कि जिन्होंने ने भी life में बिना कुछ बने शादी की है, आगे भी ढंग का कुछ नहीं कर पाए। Guardians हमेशा उनसे disappointed रहते हैं। जिसके चलते वो जब उनको सुनाते हैं तो घर में आपसी झगड़े होते हैं।"

शम्पा पूछती है, "तो तुम्हें डर है कि तुम्हारी मौसी और सतीश के wife के बीच झगड़ा होगा ? अगर शादी होगी तो..."

सृष्टि जवाब देती है, "अगर भैया life में कुछ नहीं करेंगे और अपनी मर्जी से शादी कर लेंगे तो...।"

शम्पा के माथे पे चिंता की लकीरें थी, वह उसे suggest करती है, "तुम्हें अपने भैया को समझ कर उसपर trust करना सीखना होगा।"

सृष्टि रोष में बोलती है, "अब कहाँ time होगा उनके पास मेरे लिए। अब तो सारा time वो खा जाएगी ना..।"

शम्पा उसे समझाने की कोशिश करती है, "देखो, अभी के लिए यह समझने की कोशिश करो- किसी का भी घर school की तरह होता है। जिस तरह school में हम बहुत कुछ सीखते हैं, उसी तरह हम घर में भी बहुत कुछ सीखते हैं। संस्कार, adaptability, लोगों से अच्छे connections बनाने के लिए अच्छे व्यवहार करना, लोगो की कद्र करना, किसी भी situation में एक-दूसरे का साथ देना, etc.

सृष्टि पूछती है, "अगर ऐसा है तो फिर उनका संस्कार कहाँ जाता है जिनके घरों में अपनी-अपनी महत्वाकांक्षाओ के चलते पारिवारिक झगड़े होते हैं। सभी एक-दूसरे को hurt करते हैं, कई रिश्ते टूटते हैं। क्या उनके घरों में यह सब नहीं सिखाया जाता, और ये सब घर में किसी लड़के के शादी के बाद ही क्यों शुरू होता है ?"

शम्पा समझाने की कोशिश करती है, "देखो, आमतौर पर शादी के बाद लड़कीयाँ एक घर से दूसरे घर में आती है। मतलब एक school से दूसरे school. जब भी ऐसा होता है तो तुम notice करती होगी कि new students को नए माहौल में adapt करने में time लगता है। कुछ teachers class के new students को नए माहौल में ढलने में मदद करते हैं, उनके साथ new students का connection अच्छा बनता है। लेकिन कुछ teachers उनके old school से जलते हैं या वो जहाँ होते है उसे best मानते हैं। वैसे teachers बात-बात पर new students को तंग करते हैं और खुद के school and teachers को best बताने के लिए उस बच्चे के old school की बुराई करते हैं। तुम ही बाताओं, कि किसे पसंद आएगा कि उसके मायके और उसके माता-पिता या बड़े-बुजुर्ग जिनसे वह अब तक प्यार और respect करते आए हो, उनकी कोई बुराई करें ?"

सृष्टि बोलती है, "वह भी तो हमेशा सभी को dissappoint करती है। उसके व्यवहार पसंद नहीं आते तभी तो बड़े कुछ छोटो को बोलते हैं।"

शम्पा समझाती है, "जब भी कोई new school में जाता है, तो वहाँ का माहौल, discipline उसे पता नहीं होता। इन सभी को समझने में साथ देते हैं और मदद करते हैं वहाँ के old students. कुछ students ऐसे मिलते हैं जो उनसे friendship करते हैं और उसे नए माहौल में comfort feel करवाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी होते है जो उसे new place में अकेले पाकर उनको तंग करते हैं। Husband जिसने उसकी खुशियों की care का promise किया है, वह अपनी wife को new place में adapt करने में मदद करता है। लेकिन कई घरों में बाकी लोग, specially देवर और ननन्द उसे बहुत तंग करते हैं।"

सृष्टि बोलती है, "मगर यह तो हमारा हक़ है ना..। हम अगर इतना सा नहीं करेंगे तो हमारे बीच मजाक का रिश्ता कैसा !"

शम्पा समझाती है, "हाँ तो मजाक करने का यह मतलब थोड़ी होता है कि तुम उसकी जिंदगी हराम कर दो। उसकी भी एक limitations होती है ना... तुम्हारे और तुम्हारे भाभी के बीच love connection भी तो होनी चाहिए।"

सृष्टि बोलती है, "ताली एक हाँथ से थोड़ी बजती है। वो भी तो होती है, जो हमेशा अपने गुरुर में होती है। अपने मायके को महान समझती है और ससुराल के लोगो का कोई कद्र नहीं करती।"

शम्पा मुस्कुराती है और जवाब देती है, "New school में admission लेने वाले हर student सीधे और सरीफ थोड़ी होते हैं। इसलिए ना कहती हूँ, तुम्हें अपने भैया पर भरोसा करना चाहिए। वह जिसको भी शादी करके इस घर में लाएगा, उसे परख कर और अच्छे से समझ कर ही लाएगा।"

 

Balcony के पास अभी भी सतीश और मेहक खड़े ही हैं।

सतीश धीमे स्वर में बोलता है,

"हर सुकून मुनासिब होता

अगर तुम्हें साथ में होना मुक़द्दर में होता।

हम तो टूटे जो इन लम्हों के दरमियाँ

तो लोगों के नजरों में उभर गए।

बिखरे जो कदमों के पीछे 

और पहले से सँवर गए।

अब अपनी बेबसी में भी

न जाने क्यूँ मजा आता है।

अब तो बार-बार दिल के तन्हा होने का

जिंदगी में वजह आता है॥"

मेहक इसे सुन लेती है। सतीश को लगता है कि वह इसे नहीं समझी। लेकिन वह बेवकूफ यह नहीं जानता कि जिसे किताबो से बहुत प्यार हो उसे stories and poems से भी तो लगाव होगा ही। मेहक समझ जाती है कि जरूर इसके life में कोई ना कोई तो है या फिर थी। लेकिन यह बात जानने के लिए भी तो उसके साथ उसे time spend करना होगा ना...। वह खुद समझाती है मन ही मन कि "मेहक तू ज्यादा सोंच रही है। Don't be hopeless. Be positive." और सतीश को बोलती है, "तो तुम्हें अभी भी डर लग रहा है कि मैं भी तुम्हें छोड़ दूँगी।" वह मुस्कुराकर कहती है, "चलो मैं promise करती हूँ- मैं तुम्हें नहीं छोडूँगी। जब तक तुम खुद ना चाहो, तुम्हारे life से मैं दूर कभी नहीं जाऊँगी।"

सतीश इसके जवाब में कुछ नहीं कहता। वह बोलता है, "काफी देर शायद हो रही है। हमें वापस लौटना चाहिए।"

जिसके जवाब में मेहक हामी भरते हुए अपनी होंठो को दबाकर अपने माथे को को उपर नीचे हिलाती है। दोनों सीढ़ियों के तरफ जाने लगते हैं, कि तभी मेहक सतीश से रूठे हुए अंदाज में बोलती है, "देखो, मुझे इस तरह चीजें सँवार कर रखने की आदत नहीं है। मैं जैसे रहती हूँ, वैसी ही रहूँगी। तुम उसके हिसाब से adjust कर लेना।"

यह सुनकर सतीश की हँसी निकल जाती है, फिर वह मुस्कुराकर बोलता है, "कमाल है यार...! तुम तो अभी से ही मुझे तुम्हें छोड़ने का बहाने दे रही हो।"

मेहक बोलती है, "मैं ऐसी ही हूँ।"

और वो सीढ़ियों से उतर जाते हैं।

 

कमरे में शम्पा और सृष्टि दोनों bed पर बैठी हुई है।

शम्पा सृष्टि को समझाती है, "आज, या कभी, जब भी कोई सतीश के life में आती है, तुम सभी को उसके साथ अच्छे से co-operate करना होगा। तुम्हें उसकी अच्छी friend बनकर उसे इस घर के माहौल में ढलने में मदद करनी होगी। अगर घर में किसी से भी mistake हो, तो उसे बढ़ाने के बजाय, उसे संभालने की कोशिश करना होगा।"

सृष्टि पूछती है, "मगर मैं क्यूँ ? मैं तो बच्ची हूँ ना..। मैं कुछ नहीं समझती। मैं सब समझ रही हूँ। आपकी friend है इसलिए आप मुझे मनाने की कोशिश कर रही हो।"

शम्पा मुस्कुराती है और बोलती है, "तो तुम इस family के लिए यह नहीं करोगी ? तुम अपने मौसा-मौसी से प्यार नहीं करती ? तुम्हारे भैया का life happy रहे, इसका तुम care नहीं करोगी ?"

सृष्टि रूठे हुए बोलती है, "मैं क्यों करूँ ? वो हमारी care करते हैं ? अब सिर्फ अपने-आप से मतलब रखते हैं।"

शम्पा समझाती है, "ऐसा नहीं है। वह अभी भी care करता है। बस तुमको अब थोड़ा personal space देता है। ताकि तुम उसपे अब depended ना रहो और self-independent खुद को बना सको। अपने problems को खुद solve करने के लिए सीख सको। तुम थोड़ी और बड़ी होगी, तो यह बात भी समझ ही जाओगी।"

सृष्टि बोलती है, "हाँ, बहुत हो गया ज्ञान आपका। जाइये, जिन्हें आपस में आप मिलवाने लाई हो, जाकर उन्हें मिलाइए।"

शम्पा बोलती है, "उसमें तो तुम भी शामिल हो। मेहक को सिर्फ सतीश से मिलना होता तो वह बाहर भी मिल लेती। वह पूरे family से मिलना चाहती है, तुमसे भी मिलना चाहती है, तभी तो यहाँ आई है।"

सृष्टि घूरते हुए बोलती है, "मतलब आप नहीं मानोगी ?"

शम्पा मुस्कुराकर बोलती है, "नहीं। बिल्कुल नहीं।"

सृष्टि बोलती है, "ठीक है। थोड़ा wait कीजिए, मैं fresh होकर आती हूँ।" और वह washroom चली जाती है।

 

पूर्वी, महेश, उड़य hall के sofe में बैठे कर बातें कर रहे हैं।

कि तुम्हें टोकते हुए महेश बोलते हैं, "लो ये दोनों आ गए।"

पूर्वी पूछती है, "शम्पा कहाँ है ?"

सतीश बताता है कि वह सृष्टि के साथ उसके कमरे में है।"

सतीश अपने पिता, महेश को अपने एक हाँथ से इशारा करता है।

महेश उसे समझ नहीं पाते और पूछते हैं, "क्या ?"

फिर सतीश अपने बाएं हाँथ की हथेली से उठने का इशारा करता है और मेहक के पिता, उदय के साथ बैठने का बैठने का इशारा करता है। महेश उसे घूरते हुए उठकर महेश के साथ बैठ जाते हैं। सतीश और मेहक एक ही sofe में बैठ जाते हैं। जिसे देखकर उदय मन ही मन मुस्कुराते हैं और पूर्वी अंदर ही अंदर गुस्सा होती है, कि अभी से ये लोग...।

पूर्वी बोलती है, "मुझे तुम दोनों से बात करनी है।"

मेहक बोलती है, "जी बोलिये।"

पूर्वी बोलती है, "मैं आजकल के bf-gf कुछ नहीं जानती और ना जानना चाहती हूँ। तुम्हें एक दूसरे के साथ आगे बढ़ने है तो पहले engagement करनी होगी।"

मेहक बोलती है, "Engagement, वो भी इतनी जल्दी ? नहीं aunty."

सतीश भी बोलता है, "हाँ मम्मी । आप बहुत जल्दबाजी कर रही हो, अभी तो हम एक-दूसरे को ठीक से जानते भी नहीं।"

उदय पूछते हैं, "तो इसका मतलब मैं ना समझूँ ?"

सतीश बोलता है, "नहीं।" फिर लगता है कि सब कहीं गलत ना समझ जाएं इसलिए वह clear करता है, "मेरा कहने का मतलब यह है कि पहले एक दूसरे को अच्छे से जान और समझ लूँ तब तो...। ऐसे कैसे किसी को एक ही meeting में हाँ या ना कह दूँ ?"

महेश बोलते हैं, "तो आगे क्या करना चाहते हो ?"

सतीश बोलता है, "Chat and date करके एक-दूसरे को पहले हम समझेंगे, फिर कोई decision लेंगे कि इसे पीछे हटना है या मुझे इसे accept करना है।"

मेहक सतीश की बात सुनकर मुस्कुराती है और बोलती है, "तो तुम्हारा इरादा बदल गया ?"

सतीश बोलता है, "तुम जिस तरह से situation को create की हो, I'm impressed. कम से कम एक मौका का तो तुम हकदार हो ही।"

पूर्वी जिद्द करती है, "हाँ तो पहले engagement फिर कुछ।"

सतीश समझाता है, "मम्मी बात को समझने की कोशिश कीजिये। अगर आप हमारी engagement करवाती हो तो आप समाज को इसके लिए invite करोगी, सभी को inform करोगी। जिसके कारण अगर बाद में हमारा आपस में ना बने तो हम आसानी से एक-दूसरे को छोड़ नहीं सकते। क्योंकि इससे समाज में अच्छा impression नहीं बनेगा। लोग बातें बनाएंगे, हम दोनों के character के बारे में। खासकर किसी लड़की और पूरी family के character पर कोई सवाल उठाए यह मुझसे सहन नहीं होगा। इसलिए ना चाहते हुए भी हम अलग नहीं हो होंगे।"

पूर्वी परेशान होते हुए बोलती है, "तुम अभी नहीं समझ रहे हो। अगर तुम ऐसे एक-दूसरे को date करोगे तो लोग और ज्यादा तुमलोग के बारे में बोलेंगे।"

सतीश समझाता है, "उन्हें पता होगा तब ना..। हम एक-दूसरे date कर रहे है यह बस हमें पता होगा। हम यह बात किसी से कहेंगे ही नहीं। किसी को पता ही नहीं होगा, किसी को कुछ जानने ही नही हम देंगे तो लोग हवा में कहाँ किसपर तीर चलाएंगे !"

पूर्वी रूठे हुए अंदाज में बोलती है, "तो फिर हमारे बीच यह सब बात क्यूँ कर रहे हो। करते बाकियों कि तरह हमारे भी पीठ पीछे जो करना था..।"

मेहक बोलती है, "Aunty मैं families के पीठ पीछे यह सब नहीं करता चाहती थी। मैं आप सभी के permission के साथ step लेना चाहती थी। आप लोग से छुपाकर आप लोग को धोखा नहीं देना चाहती थी।"

पूर्वी पूरी तरह से उदास हो जाती है और बोलती है, "जब मेरी बात सुननी ही नहीं है तो जाओ जो करना है कर लो। मैं तो मर गई हूँ जो मेरी कोई कद्र ही नहीं है, मेरे बात की कोई अहमियत ही नहीं है अब।"

सतीश अपनी माँ की नौटंकी देखकर मुस्कुराता है। मैं बता दूँ कि वह उनके emotional drama को बचपन से देखते आया है, इसलिए अब mentally इतना strong हो गया है कि किसी भी emotional trauma में नहीं फँसता। आमतौर पर ऐसे लोगो को heartless कहा जाता है। जो feelings को खुद पर हावी नहीं होने देते। जैसे सतीश अभी अपनी माँ के प्रति sensitive नही हो पा रहा। इसे मैं बाद में "Feelingless" में समझाऊँगा।

 

शम्पा hall में enter करती है सृष्टि के साथ। वह इस तरह पूर्वी को रोती हुई देखते है तो पूछती है, "क्या हुआ ?" और सृष्टि पूर्वी कोई संभालने और आँसू पोछने चली जाती है।

मेहक जवाब देती है, "Aunty मना कर रही है और सतीश उनके against जा रहा है।"

सतीश बोलता है, "वैसा कोई बात नहीं है। मम्मी तो बस ऐसे ही बात-बात में drama करने लगती है।"

शम्पा सतीश के इस reply को सुनकर surprised रह जाती है। वह पूछती है, "तब आगे क्या ?"

मेहक बोलती है, "अगर aunty की तरफ से ना है, means no. मैं इन्हें hurt करके इनके life में नहीं आना चाहती।"

इसपर महेश समझाते की कोशिश करते हैं, "मैं इसे मना लूँगा। तुम इसकी चिंता मत करो। हमारे लिए मायने यह रखता है कि तुम आपस में एक दूसरे को पसंद करते हो या नहीं।"

इसपर मेहक बोलती है, "नहीं uncle. जब मैं इस घर में आऊँगी तो सिर्फ सतीश के लिए नहीं आऊँगी। मेरा रिश्ता आप सभी के साथ भी होगा। इसलिए जरूरी है कि इसके साथ-साथ आप सभी भी अपने दिल से मुझे accept करो। वरना जहाँ लोग मुझे पसंद ही नहीं करेंगे, वहाँ मैं happy कैसे रह सकती हूँ !"

शम्पा पूछती है, "तो क्या मैं proposal rejected समझूँ ?"

मेहक बोलती है, "हाँ, reject ही समझो।"

शम्पा पूछती है, "तो अब तुम क्या करोगी ?"

मेहक बोलती है, "Wait करूँगी, सही समय का।"

 

लगभग सबकुछ सही ही जा रहा था। लेकिन last में थोड़ा गड़बड़ हो गया। ध्यान रहे कि पूर्वी मेहक को reject नहीं की है, बस उसे love-afair पसंद नहीं। जबकि महेश जो शुरू में impressed हो गए थे। सतीश 'ना' तो मेहक को कह नहीं पाया, मगर हाँ भी उसने अपनी इक्षा से नहीं की थी। वो तो मेहक ने ऐसा situation ही create कर दिया था कि बेचारा मना नहीं कर पाया। सृष्टि तो पहले से ही इस रिश्ते को पसंद नहीं कर रही थी। लेकिन ये आजकल के बच्चे..। क्या लगता है ? घरवालों के permission के बिना एक-दूसरे को date नहीं कर सकते क्या ? जैसा कि उदय ने महेश और पूर्वी से कहा था- मेहक बिना बताए भी सतीश के पीछे पड़ सकती थी, लेकिन वह घरवालों को बताना choose की। Permission नहीं मिला तो क्या secretly date नहीं कर सकती ? बिल्कुल कर सकती है। साथ ही साथ बीच-बीच में ये सभी मान जाए, इसके लिए भी वह और सतीश दोनों मिलकर try कर लेंगे।

 

••••This is end of the only chapter.
Story still continue on the next.•••••

Note:-
• ऐसा कोई मुझसे नहीं बोलेगा कि मैं अपने पिछले story में कहा है कि लड़कियाँ कभी अपने दिल की बात जुबाँ पर नहीं लाती, कभी स्पष्ट रूप से नहीं कहती, बस expect करती है कि सामने वाला खुद समझ जाए।
• ऐसा open-hearted and straight-forward स्वभाव किसी का भी हो सकता है, अगर उसे माहौल वैसा मिला हो, उसकी परवरिश वैसी हुई हो, कि वह जो भी उसके दिल में आये उसे किसी के भी सामने express कर दे।
• आप अपने life में कुछ बन गए, इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप अपने हर रिश्ते को निभाने के लायक हो गए। किसी रिश्ते को सही से निभाने के लिए proper maturity and understanding develop करने की जरूरत होती है। जिसका ना तो कहीं कोई course करबाया जाता है, ना तो कोई certificate मिलता है, या ना तो कोई achievement पाने से यह मिलता है। इसको अपने अंदर अपनी मेहनत और लगन से खुद develop करना होता है।
• मैं ना ही arrange marriage की बुराई करता हूँ, ना ही love marriage को promote करता हूँ। मैं बस लोगों को डराता हूँ। ताकि वह खुद को इस काबिल बनाये कि अपने life के सही decisions ले सके।
• अगर situation आपके लिए favourable ना हो उसे अपने लिए favourable बनाइये या बनाना सीखिए। अगर आप किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे तो आपको मौका कभी नहीं मिलेगा। किस्मत भी test लेता है कि जिसकी आप ख़्वाहिश कर रहे हो उसे पाने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हो या किस हद तक जा सकते हो।
• बाकी और कोई point आपको लगता है कि इस story में है, तो आप comment कर सकते हो।

-AnAlone Krishna.
Published on, 28th May, 2021 A.D.


Chapter 1 Chapter 2 | Chapter 3

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Timeline:-
Is it called to be a proposal ?

 

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