Dear Readers,
I, Krishna, present you here, my literary works. I hope, I shall plunder your heart by these. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.
Thanks...!
A Dying Consciousness
Get link
Facebook
X
Pinterest
Email
Other Apps
If it is possible then I shall write a novel for you(to the readers) with Title this after 11th part of "हमदर्द सा कोई".
-AnAlone Krishna.
Get link
Facebook
X
Pinterest
Email
Other Apps
Comments
Reader's mostly visited literary works in last 30 days:-
हमदर्द सा कोई | Is it a proposal ? Chapter 2:- Is it called to be a proposal ? (एक लड़की किसी ऐसे लड़के को पसंद करती है जो single रहना पसंद करता है, पर वह ऐसा situation ही create कर देती है कि वह उसके सामने बहाने नहीं बना पाता। जरूर पढ़ें और अगर पसंद आये तो share करें।) By AnAlone Krishna. Chapter 1 | Chapter 2 | Chapter 3 Is it called to be a proposal ? शम्पा के uncle के reception के दो दिन बाद मेहक अपने पिता को लेकर सतीश के घर आई। सही बात है, मेहक को सतीश के घर का address कैसे पता ! मेहक को नहीं पता, but शम्पा को है। अब ठीक है ? तो ठीक है। मेहक को उसके पिता और uncle के साथ सतीश के घर शम्पा लाई है। मगर आने की इक्षा मेहक की ही थी। क्यों..! तो वह आगे बढ़ने पर समझ जाओगे। "तुम शराब regular लेते हो या occasionally ?" सतीश के घर की balcony में खड़ी मेहक सतीश से पूछी। सतीश यह सवाल सुनकर हैरानी से पूछा, "क्या ?" मेहक फिर पूछी, "तुम शराब कब-कब पीते हो ? Occasionally या regular ?" सतीश जवाब में बोला, "मैं शराब नहीं पिता।" फिर हैरानी से प...
• शाम की लालिमा • (खोए हुए अजीज शख्स के उसके साथ बिताए सारे हसीन यादों के साथ लौटने के एहसास में) कृष्ण कुणाल की लिखी कविता- • शाम की लालिमा • यूँ हर लम्हा जिसकी यादों में खोए रहो तुम। क्या होगा अगर उसका दीदार अचानक हो जाए ? यूँ हर लम्हा जिसको वापस पाने की सपने सँजोये हो तुम। क्या होगा अगर खतम वो सारी इंतजार अचानक हो जाए ? यह सब कुछ बिल्कुल वैसा ही है- जब दिख रहा हो अंत खुद का और वापस जिंदगी मिलने के जैसा ही है। उम्मीद से परे, हकीकत के जैसा। यकीन ना हो, बिल्कुल सपनों के जैसा। पर कमबख्त यह जिंदगी ऐसा भी मंजर दिखाती है। टूटकर जीना तो सिखाती है, साथ ही, पाकर तन्हा रहना सिखाती है। गम में रोना कौन नहीं चाहता ! खुशी में हँसना कौन नहीं चाहता ! यह भरे आँसुओं में मुसकुराना और भीड़ में अकेला रहना सिखाती है। जब किसी बंद कमरे से समय देखे बिना बाहर निकलो। चारों तरफ छाई हुई लालिमा एक खूबसूरत शुरुआत का एहसास करा दे। फिर अचानक याद आए कि यह सुबह नहीं शाम है। खोते हुए पल की विदाई के नाम है॥ यह सब कुछ बिल्कुल वैसा ही है- जब दिख रहा हो अंत खुद का और वापस...
• अधूरी ख्वाहिश • (किसी ख्वाहिश के छूट जाने और पूरे ना हो पाने के याद में) ,कृष्ण कुणाल की लिखी कविता ( "शाम की लालिमा" की अगली कड़ी ) • अधूरी ख्वाहिश • एक ख्वाहिश दिल में है ऐसा जिसे पूरा करने का तलब था, एक ख्वाहिश है अधूरा जिसकी चाहतों में ये लब था, मेरी उल्फत थी कि पाऊं उसको सोने से पहले, लफ्ज़ बेचारा था हलक पे एक बार तो कह लें ॥ वो ख्वाहिशें तो आयी बाहर पर आँख थक के सो गया । लफ्ज़ हलक पे रहा ना ठहरा पर नींद हावी हो गया ॥ वो जो शाम मिला था मुझे अनचाहा सा मेरे नाउम्मीदी के बाद भी । जब धोखे में था कि है नई सुबह मेरी, मुझे याद है वो आज भी ॥ बीता हुआ वो कल नहीं मेरा, बस बीत गया मेरा आज है । वो बात मेरे जो सोने से पहले की मुझे नींद में भी याद है ॥ डर था मुझको कि मेरी कल की सुबह जाने कैसा पल लाए । बस एक बार जब मैं सोता तो मुझे सुकून वाला नींद आए ॥ वो आवाज, वो लम्हें, जो एक बार फिर दोबारा मेरे मन में फिर एक बार बस आखरी बार गूंज जाता । बेख़ौफ़ होकर मैं अपने कल की फ़िक्र को भूल आज रात तो सुकून से कम से कम सो पाता ॥ क्या पता,...
मत पलटो पन्ने मेरी जिंदगी के... (उन सभी को उत्तर, जो पूछते रहते हैं कि "तेरे दिल का हाल क्या है ? तुम्हारे ऐसे होने का राज क्या है ?" अपनी गलती से किसी को खोने के गम में पछताते हुए अहसास के साथ।) - कृष्ण कुणाल के द्वारा ● मत पलटो पन्ने मेरी जिंदगी के... ● मत पलटो पन्ने मेरी जिंदगी के और..। जितने खुले हैं उतने ही पढ़ लो तुम। ये जो हाँथ में है, यह बस एक हिस्सा है मेरी जिंदगी की छोटी सी। किताबें ढूंढनी शुरू कर दोगे तुम वो सारे, जिन्हें मैंने अपने दिल के अंधेरे कमरों में छुपा रखे हैं। वो दर्द, वो मर्ज, और वो अर्जियां सारे...। जो मिले, रहे, और ना सुने उसने कभी बेपरवाही में। दफ़न रहने दो जो गुजर गया। खोए रहने दो जो टूट गया था। उन बेजान अहसासों से तकलीफ़ होती है अब। उन अधुरेपनों में उसकी कमी खलती है अब। हाँ, मैं भी चाहा था किसी को टूट कर कभी। हाँ, मुझे भी छोड़ा था किसी ने रूठ कर कभी। खैर इन पुरानी बातों को याद करना अब अच्छा नहीं लगता। अब इन बातों से आगे बढ़ जाना ही अच्छा लगता है। अक्सर मैंने देखा है शुरू-शुरू में रवैया मुझे सुनने वाले लोगों का। वो हमदर्दी जताते और ज्ञान दे जाते कि...
"सलोनी की खुशबू" The split story part of "Life की परछाई" , which is also place on the literary world of "हमदर्द सा कोई" written by AnAlone Krishna (यह कहानी एक तरह का social satire है। जो आपको तभी समझ आयेगा जब आप इसे एक बार में ध्यान से पढ़ोगे।) --------------------------- सच को ना कहने से शक पैदा होता है। शक को दूर ना करने से गलतफहमी होती है। गलतफहमी में जब बातें बनने लगती है तो अफवाह फैल जाता है। अफवाह की जब चर्चा होने लगती है तो वह किस्सा बन जाता है। फिर उस किस्से का लोग कहानी बना देते हैं। और फिर वह कहानी अगर कोई सामने खड़े इंसान से जुड़ा हो तो लोग इसे सच मानने लगते है। पर यही state जहां पर लोग यह तय ही ना कर पाए कि क्या सच है और क्या झूठ, उसे ही मिथ्या कहा जाता है- सच और झूठ के बीच की बारीक line. इस कहानी की पढ़ते समय आपको एक बाद ध्यान में रखना होगा, आप जो बोओगे वही पाओगी। लोग अपने भविष्य का निर्माण जाने-अनजाने खुद ही करते है। --------------------------- बाहर मुर्गा बोला। सलोनी की आँखें खुली। वह जैसे-तैसे अपने खटिए में अटकाए लकड़ी के सहारे उठकर बैठी।...
॥ हमदर्द सा कोई ॥ ● Life की परछाई ● By AnAlone Krishna ( Theme b ased on; Explaining the concept of, "Whatever we choose in our life, we will always go with their circumstances. May we choose to live as we like to, may we choose to live adjusting with our families, or may we rebel with our families, we will struggle in our life. So, it is in our hand to decide that which type of life we choose to live- in which we will take our own decisions by self, or in which someone other will take the decisions of our life." ) Prelude | Chapter 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 This story continue after "Hope Without Hope" ● Life की परछाई ● Prelude : "Loose her before you loose everything for her." Sunday का दिन था। अभिलाषा सुबह के सारे काम निपटा कर drawing room के sofe में बैठी। उसके आगे table पर बहुत सारे photo a...
भाग-९ • हमदर्द सा कोई • भाग-११ भाग-१०.० prelude/background setup By AnAlone Krishna (अग्रिमा, एक लड़की के माध्यम से उसमे व्यक्तिगत जीवन चल रही घटनाओं के कारण उसके मन में चल रहे विचारों, भावों, और फिर उसके स्वाभावों के माध्यम से किसी के भी life की individuality को समझाने की लेखक की एक कोशिश) ____________________ शाम का समय है। अग्रिमा tution से घर लौट रही है। अपने bicycle को हाँथो से धकेलते हुए। नहीं-नहीं, उसकी cycle punchier नहीं है। बल्कि वह थोड़ा उदास है। क्यूँ, क्या हुआ था उसे ? तो... "स्त्रीयां चरित्रों देवो न जानते।" तो फिर मुझे कैसे पता होगा ! यह सिर्फ एक ही इंसान बता सकता है और वह है AnAlone Krishna, उसी के imagination की यह story आप पढ़ रहे हो, इन characters को जिन्हें आप पढ़कर समझ रहे हो, तो फिर उसके अलावा किसी और को पता होगा क्या ! फिर मुझे कैसे पता चला कि अग्रिमा उदास है ? यह इसलिए क्यूँकि मिस्टी का चेहरा उतरा हुआ है, वह पैदल चल रही है, उसका अगल बगल में ध्यान नहीं है, और वह अपने में ही खोई हुई सी दिख रही है। Oops, mistake हो गया। अग्रिमा के जगह ...
॥ हमदर्द सा कोई ॥ ● Hope Without Hope ● (इसके माध्यम से आप यह समझोगे कि अगर कोई आपको किसी को लेकर इश्क़ में पड़ने के लिए बहकाये/manipulate करने की कोशिश करे, तो आप कैसे खुद को बहकने/manipulate होने से बचा सकते हो। जरूर पढ़ें, और इसपर अपना टिप्पणी/comment दें, साथ ही पसंद आये तो अपने review के साथ इसे अपने facebook/whatsapp पे share करें।) a bilingual story in Hindi with English text by AnAlone Krishna. Read at least its two previous chapters and then explore the same events and imaginary world i.e., my literary world through the life of a different character. And try to understand my objective to tell you that everyone having their own story in their life which lead by only and only by them. These two chapters are belongs to "Is it a proposal ?"- 1st. " Should it be called a proposal ? " then 2nd. " Is it called to be a proposal ? " ● Hope Without Hope ● by AnAlone Krishna. - - - - - - - - - - Part 1:- Let me introduce myself first. मैं समय हूं। वो BR चोपड़ा...
भाग-९ • हमदर्द सा कोई • भाग-११ भाग -१०.२ Perspected Endings By AnAlone Krishna. (This is continuation of the previous parts "prelude/background-setup" & "From Diary of Agrima" ) ● हमदर्द सा कोई ● भाग - १०.० | भाग - १०.१ | भाग - १०.२ Perspected Endings By AnAlone Krishna. "Agrima, आओ चलो खाना खा लो।" मानी dining table को सजाते हुए अग्रिमा को जोर से आवाज दी। Agrima बाहर garden में आग के सामने बैठ कर अपनी diary में कुछ note कर रही थी। जो कि drawing room के side में मौजूद dining table का preparation करते हुए मानी को वहां से बड़ी सी खिड़की के through एकदम clearly दिखाई दे रहा था। Agrima आई और अपनी diary को बाएं हांथ के सामने रख कर बैठ गई। मानी का ध्यान उसपर गया, मगर उसने उसे कुछ भी कहा नहीं। मिस्टी के father आए, और पूछे, "मनु नहीं है ?" उनके पूछने का अंदाज था कि मनु किधर है ? मानी बताई कि वह कुछ काम से बाहर गया है और देर से घर वापस आएगा। मिस्टी के father कुछ देर बाद मिस्टी से शादी के लिए पूछे, मिस्टी ने...
• बचपन देखो • (बच्चों की नादानियों पर बिना सोचे समझे punishments देते देख, कवि के मन में उठे जज़्बात) *बचपन देखो* कभी हम भी तो बच्चे हुआ करते थें । कभी हम भी तो बेवजह जिद्द किया करते थें ।। कभी हम भी तो मनचाहें काम पूरा ना होने पर रोया करते थें । कभी हम भी तो चीजो को बर्बाद किया करते थें ।। पर अब क्यूँ बच्चो की भावनाओ को नहीं समझते ? बच्चो के जिद्द करने पर उन्हें डाँटा करते हैं । उनके रोने पर भी माँग पूरा करने के बजाय और ज्यादा रुलाया करते हैं । छोटे-मोटे चीजो के नुकसान पर भी बच्चो को मारा करतें हैं । क्या अब तक हम किन्हीं के भावनाओ को समझने के काबिल नहीं हो सके हैं ? या फिर हम कहीं और का गुस्सा बच्चो पर उतारा करते हैं ? पर क्यों ? वो तो नादान हैं । उन्होंने तो अभी जानना शुरू किया हैं । फिर वो कैसे सहीं और गलत का फैसला कर सकते हैं ? Be friendly to children.... One time you was also a child..... Support happiness society. Best environment makes better generation. Better generation gives more satisfaction to society. . -AnAlone Krishna. May 16, 2015
Comments