(Part-9•1)
कई situation ऐसे होते हैं, जो judgmental नहीं होते। आप जो कुछ भी कर लो, लोगो को गलत ही लगेगा। लोग आपको गलत ही समझेंगे, क्योंकि वह उस situation को जी नही रहे होते इसलिए वह आपकी situation को समझ नही पाते। आप अपने जगह पर बिल्कुल भी गलत नहीं होगे, क्यूंकि आपके पास और कोई choice ही नहीं होगा। आप बस उस situation को जी रहे होगे, जिसपर आपका कोई control नही होगा। वहाँ पर सही और गलत की कोई अहमियत नही होती, बस अहमियत होती है तो इस बात की कि 'जरूरी क्या है?' So, don't think more about the people. Let do, which you understand right.
-AnAlone Krishna.
सतीश, राजेश और रवि railway station के bench पर बैठे हुए थे। train आई और 2 min के लिए रुकी। सतीश अपना bag उठाया और अपने compartment में जाने लगा। रवि पीछे से उसके seat तक गया। राजेश वहीं पे बैठा रहा। रवि के वापस आने पे उसने देखा कि राजेश platform पर एक banch पर बैठा हुआ है। वह भी वहाँ पर जाकर बैठ गया। train आधी सामने से पार हो चुकी थी।
राजेश उदास मन से रवि को पूछा, "उसने कब तक वापस आने को बोला।"
रवि जवाब दिया, "बोला कि confirm नही है। बस कुछ दिन घर पर relax करना चाहता है।"
राजेश के पास 'lays' का packet Ravi के तरफ बढ़ाते हुए, "तो, आगे का क्या plan है ?"
रवि पूछता है, "क्यूँ, तुम्हें घर नही जाना क्या ?"
राजेश बोलता हैं, "मैं career की बात कर रहा हूँ।"
रवि बोलता है, "तुम कब से career के बारे में सोंचने लगे।"
राजेश पूछता है, "क्यूँ, मैं क्यूँ नही सोंच सकता ?"
रवि बोलता है, "तुमको फिक्र करने की जरूरत ही क्या है ! Uncle-aunty तो तुम्हारे लिए कमा ही रहे हैं। तुम बस ऐश करो, घूमो-फिरो, लड़कियों से छेड़खानी करते फिरो..."
राजेश बीच में intrupt करता है, "तुम्हें मेरे life style से इतना चिढ़ क्यूँ है यार..?"
रवि बोलता है, "चिढ़..! तुम अभी यहाँ कर क्या रहा है ? आते-जाते लड़कियों को ताड़ रहा है। सतीश को भी छोड़ने नही गया।"
राजेश बोलता है, "तुम्हें इस बात का जलन होती है ना, कि maximum time तुम उसके साथ रहते हो फिर भी उसके करीब मैं तुमसे ज्यादा हूँ ? उसे कोई बात अगर share करनी होती है तो वह तुमसे पहले मुझे याद करता है ।"
Ravi says, "What can he seems, don't know. For what, he use to spend his precious time with you."
Rajesh बोलता है, "English मुझे भी आती है। हर शख़्सियत की एक कहानी होती है। उसके वैसे बनने के। जानना चाहोगे ? (अपने शरीर को तानते हुए) वैसे भी मुझे यहाँ पर वक़्त बिताने का मन कर रहा है।"
रवि बोलता है, "और मुझे उसके जाने के बाद मन नहीं लग रहा। इसलिए सुना ही दो।"
राजेश झुक कर उसे देखता है और फिर धीरे से smile देता है।
Intresting.., or not ? Two person have sitted on a bench, facing same situation at present, their dearest friend leaved them for some couples of days. One is clown and one is sincere. One says, he wants to spend time there; and one says, he is not feeling well. The observation of most of the people is- one have not care of anything, he loves to what he want; and another having attention of anything, he thinks about the others. But, you know what.., what is I seeing in this situation. Both having same problem of loosing someone, and also both are realising it. But one is stepping for come over from it while another is weeping his realisation and not thinking about how he will come over from it.
राजेश अपना past Ravi को सुनाना शुरू करता हमैं बहुत छोटा, school जाया करता था, जब मेरे Mom-Dad ने मुझे अपने job के कारण अपने साथ रखना छोड़ दिया। शुरुआत में मैं bording school में था। फिर 7th में मैं अपने cousin brother के साथ उसके घर में रहने लगा। मैं पढ़ाई में एक average student से भी कम के स्तर का था। you know, सभी कहते हैं कि, "हमेशा अपने से तेज बच्चो से दोस्ती करो। ताकि उनसे सीख सेो।" सभी यही करते भी हैं। तो बताओ कि मुझसे दोस्ती कौन लोग करते ? Class में जब भी यह पूछा जाता कि मेरा friend कौन है, सब एक दूसरे की तरफ इशारा करते, पर कोई यह नहीं कहता कि वह मेरा दोस्त है। 8th standard में काफी नए students ने अपने class में admission लिया। उन्हीं में से वो दोनों थी, संस्कृति और शिवि। संस्कृति पढ़ाई को लेकर हमेशा serious रहती थी। शिवि को भगवान से संस्कृति जैसी best friend मिली हुई थी, तो उसका किस्मत का पिटारा तो खुलना ही खुलना था। इसलिए दोनों अपनी पढ़ाई के झंडे class गाड़ दी। छुट्टियों के बाद जब class खुलती है तो maximum बच्चे present नहीं होते। पर मैं हमेशा class जाता था, क्योंकि मुझे घर में मन नही लगता था। उसके अगले दिन जब वो दोनों आई तो coincidence से ही शिवि मुझसे previous day का notes मांगी, ताकि पढ़ाई अपना recover कर सेक। जब शिवि notes देख रही थी तो उसे कोई topic में confusion जो मुझे पूछ दी। मेरे दिमाग में तो वैसे भी जल्दी कुछ भी धँसता नही था। बस जो teachers लिखाया करते थे, उसे छापते थे। संस्कृति उसे समझा दी। वो लड़की हमेशा claas में हो चुके पढ़ाई से आगे की भी घर पे पढ़ाई कर लिया करती थी, इसलिए हमेशा आगे रहा करती थी। मुझे उस time लगा की इनसे friendship करना मेरे लिए फायदेमंद रहेगा। मेरे doughts clear hote रहेंगे, पढ़ाई में अगर इनकी help मिल जाएगी तो marks थोड़े अच्छे आने लगेंगे। तो मैंने उनसे दोस्ती कर ली।
उनसे बाकी बच्चे भी दोस्ती करने का कोशिश किये, पर संस्कृति जल्दी सभी से घुलती मिलती नही थी। शिवि इस मामले में उसके opposite थी। वो सभी से बहुत जल्दी घुल मिल जाया करती थी। तो जब शिवि बाकियों के साथ busy होती, मुझे संस्कृति के साथ वक़्त बिताने को ज्यादा समय मिल जाता। उस समय अपना दिमाग इतना develope तो था नहीं कि हर एक चीज की खबर हो। वो कब मेरे दिल के करीब आ गई मुझे पता भी नही चला। बस इतना अहसास हुआ कि, "I'm feeling something. What's it, is it wright or wrong, I don't know. But because of it, Sanskriti became special part of my life, it is confirmed." उस वक़्त मुझे लगा कि friendship में closeness आ रहा है, मतलब हाँ best friend है इसलिए ऐसा feel हो रहा है। उस वक़्त तो मुझे बस यही लगता था कि लड़का किसी लड़की को propose करता है, लड़की मान जाती है तब उनके बीचे फिर love afair शुरू होता है। मुझे क्या पता था कि यह सब प्यार-मोहब्बत की बातें अहसास का खेल है।
हम तीनों- मैं, संस्कृति, और शिवि हमारे 10th के final exams के खत्म होने के अगले monday से ही computer class, typing और reasoning का class करने लगे। ताकि जब अच्छे schools में result के बाद admission के लिए test लिया जाए, तो हम सब आशानी से qualify कर सकें। यह संस्कृति का ही plan था। बाकी हम दोनों तो बस उसे follow कर रहे थे। एक दिन मैं और शिवि थोड़ा जल्दी पहुँच गए। उस वक़्त class करने का अपना ही एक अलग मजा हुआ करता था। तो शिवि को पानी-पूरी खाने का मन हुआ, हम दोनों खा रहे थे। तभी संस्कृति भी आ गई। मैंने संस्कृति को भी offer किया, लेकिन वह मना कर दी। उस दिन वह पूरा class शांत थी। शिवि को मैंने इशारे से पूछा कि बात क्या है, जिसका जवाब में उसने ना के लिए इशारा किया। उस समय तो मझे समझ में नहीं आया। लेकिन 2-3 दिन लगातार ऐसे ही उसे upset देखे तो शिवि को पता करने के लिए बोले। वह बतायी की संस्कृति का शादी set हो गया है। मैंने पूछा उसे, कि इतना जल्दी... तो उसने बताया कि संस्कति के घर की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है। संस्कृति घर में सबसे बड़ी है। बाकी अगल बगल के लोग भी उसके शादी के लिए रिश्ते लाकर घरवालों को तंग करते रहते हैं। मैंने काह कि मैं एक बार अगर बात करूँ तो शायद वो संस्कृति की इतनी जल्दी शादी ना करवाने के लिए मान जाए। तो शिवि ने मना कर दिया। उसने मुझे समझाया कि ऐसा मैं कुछ ना करूँ। अगर मैं कुछ बोलने गया तो लोग संस्कृति का नाम मेरे नाम के साथ जोडेंगे, और उल्टी सीधी बातें करेंगे। situation और ज्यादा खराब हो जाएगा, इसलिए मुझे शांत रहना चाहिए। result के next week ही संस्कृति की शादी थी। मैं और शिवि admission के लिए दौड़ रहे थे, उधर संस्कृति का घर बस गया और वो विदा ही गई। इस तरह हमलोग बिछड़ गए और अपने-अपने new life में आगे बढ़ गए।"
"तुम ये काल्पनिक sad story मुझे क्यूँ सुना रहा है ?" रवि बोलता है।
"काल्पनिक..!", राजेश उदास होते हुए बोलता है।
रवि उसकी बात पर भरोसा ना करते हुए बोलता है, "और नही तो क्या ! तुम्हारे जैसा छिछोरा लड़का का ऐसा शराफत वाला story, मुझे तो यकीन नही होता।"
राजेश हल्की सी मुस्कान भरते हुए बोलता है, "तुम शिवि को जानते हो।"
रवि surprise होते हुए बोलता है, "कौन, वो- कामिनी की friend..?" (कामिनी के बारे में जानने के लिए 'हमदर्द सा कोई' भाग-३ और भाग-४ पढ़ें।)
राजेश बोलता है, "हाँ, वही।"
रवि बोलता है, "वैसे तो मुझे तुम्हारे बात पर भरोसा नही हो रहा है, पर तुम्हारी कहानी में मुझे intrest जरूर आ रहा है। अच्छा imaginary story बनाते हो, AnAlone Krishna की तरह। आगे बोलो, और कितना imagination सुनाना चाहते हो..."
मैं और शिवि +2 के लिए same college में admission करवा लिए। 1st year कैसे बीता, पता भी नही चला। फिर एक दिन sunday को शिवि मेरे घर morning में ही आ गई। भैया ने शिवि से इतनी सुबह-सुबह आने का कारण पूछा। हमारा result आ गया था और मैं लुढ़कते-लुढ़कते बचा था। शिवि मेरा complaint करने वहाँ आई थी , ताकि भैया मेरी डाँट लागए और मैं पढ़ाई पर ध्यान दूँ। भैया ने उससे कहा कि मैं अभी तक सो रहा हूँ और उसे उठाने के लिए मेरे कमरे में भेज दिया। मुझे उठाने के दौरान शिवि को मेरे मुँह के smell से यह पता चल गया कि मैंने शराब पी रखी थी। वो भी बहुत ज्यादा, इसलिए सुबह 9 बजे भी टुन्न हो रखा था।। उसने मेरे मुँह पे एक मग जोर से पानी मारा। मेरे उठते ही उसने कहा कि, "गधा अभी तक सो रहा है..! जा जाके fresh हो, और मुँह अच्छे से धोना, बास मार रहा है।" जब तक मैं fresh होकर आया, वह भैया के साथ नास्ता तैयार करके उनके साथ break-fast के लिए मेरा wait कर रही थी। जब मैं उनके साथ नास्ते के लिए बैठा तो उसने पूछा, "कब से चल रहा है ये सब ? और भैया आप इसे रोकते नहीं हो ?" Actually मैंने first time शराब संस्कृति के शादी के दिन पीया था। मैं यह बात भैया से share भी नही कर सकता था। इसलिए मैंने उन्हें जो लगा, उस time लगने दिया। लेकिन मैंने बाद में शिवि को सबकुछ सच सच बता दिया। मैंने first time शराब संस्कृति के शादी के दिन पीया था। जब भैया को पता चला तो भैया ने मुझे सुबह मारा भी और फिर समझाया भी। Then after, I was trying to build up control on myself. But sometimes, it rise much more painful under my control. So that time, I release myself for doing the things which I desire. मैं संस्कृति को बहुत ज्यादा miss करता था। I wasn't sure, does I have love for her. But, it is sure that, I was addicted of her friendship. मुझे पढ़ाई में क्या, किसी भी चीज में मन नही लगता था और मैं class में बन रहे नए-नए दोस्तों से भी काम ही मिलता था। ऐसे हालात में दोस्त तो कई बने मेरे। कईयों ने मेरे साथ हमेशा रहने का वादा भी किया। लेकिन एक point पर आकर सभी यह अहसास दिला जाते थे कि वो मेरे हमसफ़र तो हैं मगर हमदर्द नहीं। जब भी ैमं उनसे इस बात की discuss करना चाहूं कि what does I feel, they should tried for change the topic and start giving lacture. "उल्टा सीधा चीज पर ध्यान मत दो। भटको मत। मोह माया से दूर रहो", वगैरह वगैरह.. सब मुझे सलाह तो देते, मगर किसी ने मेरे इन feelings को समझकर इनसे मुझे उभरने में मदद नहीं की। बस शिवि को छोड़कर।
उस दिन के बाद से शिवि maximum time मेरे साथ spend करती । अपने उटपटांग तरीको से मुझे उन चीज़ों से उभारने में मदद करती। उसने कहा कि, "देखो अपने चारों तरफ, कितनी सुन्दर सुन्दर लड़कियां है। किसी पे तो नजर डालो, शायद दोबारा किसी में मन लग जाए।" पर मुझे था कि कोई पसंद आती ही नहीं थी। फिर उसने एक दिन कहा, "अच्छा कोई पसंद नहीं आती है ना सही, मेरे लिए, सिर्फ मेरे किसी लड़की को देखो तो सही और उसकी तारीफ करो। तुम्हें उसके लिए कोई feel ना आए, it doesn't matter. Just praise her. लेकिन सच, जो उसको देख कर तुम्हें लगता है, कोई झूठ नहीं।" नज़रों के सामने एक लड़की की ओर इशारा करके बोली, "देखो, सामने अनु दिख रही है.., उसकी तारीफ करो।" "उसकी beautiful evergreen looking smile देखकर कोई भी अपना सारा tension भूल जाए और उसका दिल उसमें खो जाना चाहे।" बस इतना ही तो सुनना था शिवि को कि बस, अनु को आवाज़ देकर बोल दी कि, "अनु, राजेश का दिल तुम्हारे smile में खोना चाहता है।" अब वह बोल दी तो अपने बात से मुकर सकते नहीं थे इसलिए जो कुछ भी बोले थे, उसके सामने accept कर लिए। लेकिन बाद में फिर उससे दूरी बनाने की कोशिश करते देख शिवि मुझे इसके बारे में पूछी। मैंने जो भी महसूस किया, उसे सच सच बता दिया। Actually, जब मैं अनु के साथ होता था, उससे बातें करता था, उसकी smile, हर चीज... मैं होता तो उसके था मगर मुझे ऐसा लगता था कि मेरी आंखो में संस्कृति का चेहरा घूम रहा हो। मैं होता तो इसके साथ था, मगर महसूस मैं उसे करता था जिससे मैं निकलने की कोशिश कर रहा था।
फिर एक दिन एक लड़की मुझसे कुछ help माँगी। मैंने उसे कहा कि मैं उसकी मदद नहीं कर सकता। तो उसने confirm होने के लिए पूछा कि मैं उसकी उस time सच में help नहीं कर सकता था या मुझे उसकी help करने का मन नहीं था। शायद, उसे लगा हो कि अगर मन ना हो तो वह मुझे help करने के लिए मनाने की कोशिश करे। मैंने शिवि के तरफ देखा, वह अपने भौहों हो ऊपर नीचे लचकाकर मुझे चिढ़ा रही थी कि मैं अब क्या करूँगा। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसे इसका rudely से reply दिया। बाद में शिवि ने मुझे समझाया कि, "तुमने निधि के साथ अच्छा नहीं किया।" इसलिए उसने मुझसे कहा कि मुझे अपने आप पर control रखने के लिए सीखना ही होगा। पता नहीं क्यूँ, लेकिन उस वक़्त मुझे किसी भी नई/अंजान लड़की का मेरे close आना या फिर मुझसे प्यार से बाते करना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था। मुझे अजीब सी घुटन होने लगती थी, उनपे बेवजह ही गुस्सा आ जाता था। फिर उसके बाद एक दिन फिर से शिवि ने मुझे देकर कुछ notice किया और कहा, "क्या बात है ? आजकल तुम्हारी नजरें कृति पर बहुत जाती है।" कृति एक ऐसी लड़की थी, जिसके अच्छे खासे friends थे। लड़की और लड़के सभी। वह उनके साथ खूब enjoy भी करती। पढ़ाई में भी अच्छी, teachers नाम लेते थें। और तो और हर एक-डेढ़ घंटे में उसके घर से कॉल भी आता रहता था। कभी उसकी माँ का, कभी उसकी बहन का, कभी उसकी भाभी का, कभी भाई का तो कभी father का। इतने loving and caring family and friends सब के होते हुए भी जब वह class में बैठती थी, उदास रहती थी। जब class में सभी students teachers की बातों को ध्यान से सुना करते थे, उसकी नजरें तो board पर होती थी मगर चेहरे के भाव से ऐसा महसूस होता था कि वह bore हो रही हो। शिवि ने मुझसे कहा,
"तुम्हारा दिल को भी दर्द बहूत होता है,
उसका दिल भी उदास बहुत रहता है।
शायद एक दूसरे का दर्द कम कर जाओ,
शायद एक दूसरे का हमदर्द बन जाओ।"
मैंने कहा, "घंटा ! मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैंने दुनिया का ठीका नहीं ले रखा है। मैं अपनी feelings को और खुद को control में रखने का कोशिश कर रहा हूँ ना, तो उसे भी करनी चाहिए। मैं उसके close नहीं जाने वाला।" मगर शिवि कभी मेरी बात सुनती कहाँ थी। उसने हालात ही ऐसा पैदा कर दिया कि कृति से दोस्ती हो गई। पर जो कुछ जैसा दिखता है, वैसा होता नहीं। कृति उदास बस इसलिए रहती थी क्यूंकि जगह नया था और लोग भी नए थे। उसे यहां पर addopt होने में बस वक़्त लग रहा था। तो मेरा उसके साथ भी कुछ खास नहीं जमा। फिर एक दिन एक दोस्त ने पूछा कि शिवि मेरी सिर्फ दोस्त है या girlfriend. वैसे भी हम दोनों बहुत close थे, एक दूसरे का कद्र किया करते थे, ख्याल भी रखते थे और एक दूसरे की फ़िक्र भी करते थे। मैंने उस समय उससे कह दिया कि सिर्फ दोस्त ही है। यूं समझ लो कि बहन जैसी। मगर बाद में realise हुआ कि, I'm missing something. मुझे लगा कि मेरे अंदर के अकेलेपन को कोई अगर भर सकती है तो वह बस शिवि है। मैंने उससे इस बारे में बात की तो पहले उसने मना कर दिया, कि हम बस अच्छे दोस्त हैं। मगर बाद में मेरे जिद्द करने पर वह मान गई।
किसी भी relationship को निभाने के लिए 3 rules का होना बहुत जरूरी है।
1. Give respect and make comfort with yourself by feels safe with you.
2. Always trust and also be loyal with your partner.
3. Give individuality and always support in growing.
जब हम relationship में आये तो friends हमेशा कुछ ना कुछ टोकते रहते थे। कभी चिढ़ाते, कभी बेमतलब का सलाह देते, तो कभी taunt मारते। अपने mind को peacefully maintain रखे रहना इतना आसान नही है। लोग सामने दाँत फाड़कर smile देंगे और पीठ-पीछे उल्टी सीधी बाते बनाएंगे। अफ़वाह उड़ाएंगे। ऐसे समय में अक्सर जलन उन्हें होती है जो दिल के करीब होते हैं, जिनपे हम भरोसा करते हैं, हमारे दोस्तो को। सभी को अच्छे friends मिले, सही सलाह दें, यह जरूरी नहीं। वो हमें उकसाने के लिए और जलाने के लिए अपने किस्से सुनाते रहेंगे कि मैंने ये किया, मैंने वो किया। उनको गुस्सा दिखाकर भले शांत कर दो, मगर जो अशांति वो मन मे कर के जाते है उसको शांत करना इतना आसान नहीं होता ना। उनकी बातों ने मुझपर असर करना शुरू कर दिया। जब भी मै शिवि के close रहता, एक मदहोशी सा महसूस करता। फिर पता नहीं कैसे, कुछ ऐसा करता जो अजीब हो। एक दिन मैंने शिवि के कमर पर हाँथ रख दिया। शिवि गुस्सा गई और वहाँ से चली गई। उस दिन first rule टूटा। उसके बाद दोस्तों ने फिर मुझे भड़काया। क्या हो गया, बस कमर पे हाँथ ही तो रखा था। उस वक़्त मुझे उनपे इतना गुस्सा आया, कि उन सालो को मैं जम के धोऊँ। Because I feel, it was my fault.
संस्कृति की यादों से मैं उभरा, तो मुझे पहले की तरह किसी से भी दोस्ती करने में hasitate नहीं होने लगा। जो भी प्यार से बात करती, मैं भी करता। जो भी मेरे close आती, मैं आने देता। मुझे सबकुछ पसंद आने लगा। दुनिया बहुत ही खूबसूरत लगने लगी। मेरा शराब का नशा तो छूट गया, लेकिन मुझे लोगो का नशा हो गया। शिवी ने मुझे समझाया कि सभी से इतना ज्यादा घुलना मिलना ठीक नहीं है। पर मैंने उसपर trust नहीं किया। जिसका बाद में मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा। मुझे addction हो गया flirt करने का, time pass करने का, मौज मस्ती करने का। मगर एक चीज मैं भूल गया कि हर एक चीज की एक limit होती है। मैंने उस limit को पार कर दिया था। मैं बातों को छिपाने और झूठ बोलने, दोनों लगा। और 2nd rule भी टूट गया।
जब हम 12th के बाद यहां graduation के लिए आए। तो friendzone फिर से बदलने लगा। मेरा तो दोस्ती लड़कियों से था ही उसका भी दोस्ती शुरू से ही था। पर अब जो नए दोस्त उसके बनने लगे, मुझे उनसे जलन होने लगा। फिर इस बात पे हमारी बहस भी हुई। सबसे बड़ी बात यह है कि, कहीं भी कोई जब कुछ करता है, एक group की जरूरत होती है, जिनके साथ हम सीखते है, आगे बढ़ते है, compedite करते हैं। Group में कैसे लोगो की हम जरूरत महसूस करते हैं, कौन हमें grow करने में मदद करेंगे, किनसे हमें दूरी बनानी चाहिए जो हमारे growing में influence ला सकते हैं, यह बस हम खुद ही समझ सकते है और कोई नहीं। इस कारण से हमारे reltionship में 3rd rule भी टूट गया। मै उसे support नहीं, बल्कि उसके रास्ते की रुकावट बन रहा था।
इसके बाद जो कुछ भी हुआ वो तो पता ही है तुम्हें। मेरे साथ शिवि का situation और भी ज्यादा खराब हो गया। हालत भी कुछ ठीक नहीं थे। फिर भी उस वक़्त भी शिवि के लिए दिल में इतनी अहमियत थी कि उसके खिलाफ़ एक शब्द नहीं सुन सकते थे। जिसके चलते कामिनी पे हाँथ भी उठा दिए थे। मगर बाद में सोंचे, यार हम दोंनो कभी lovers थे ही नही। हम तो सिर्फ good friends थे। हमनें relationship में आके गलती किया। Actually मैंने गलती किया। क्योंकि मैंने ही तो जिद्द किया था। वो बेचारी तो मुझे मना कर रही थी।
रवि बोलता है, "सोंच रहा हूँ कि तुम्हें क्या बोलू। तुम्हे appreciate करूँ या ताली बजाऊँ।"
राजेश पूछता है, "क्यूँ, मैंने ऐसे क्या कह दिया ?"
रवि बोलता है, "लोग तुम्हारी इस बात को सुनेंगे तो जरूर sympathy देंगे। खासकर लड़कियाँ। बहुत ही अच्छी कहानी गढ़ते हो। मैं तो बिल्कुल इसमें डूब ही गया था। पर, पर मैं तुम्हारी बातों में नही आने वाला। क्योंकि मैं तुम्हे जनता हूँ, और तुम्हारे किस्सो को भी।"
राजेश बोलता है,
"सच वो नही होता जो लोग बताते हैं।
ना ही कहानी सिर्फ उतना होता है जो हम जानते है।
कुछ किस्से होते हैं जो लोग बताते हैं।
तो कुछ लोग बढ़ा चढ़ा कर इसे पेश करते हैं।"
रवि बोलता है, "सतीश की बातें तो कुछ हद तक समझ में भी आती है। तुम्हारी तो पता ही नहीं चलता कि हाँथ कहाँ है और पैर कहाँ।"
राजेश बोलता है, "जो तुम मेरे बारे में जानते हो, वो उनका नजरिया है जिन्होंने तुम्हें मेरे बारे में बताया है। जो मैं बता रहा हूँ वो मेरा नजरिया है। मगर तुम्हारा नज़रिया.., वो तो तब बाहर आएगा ना जब तुम दुसरो के नजरिये से मुझे justify करने जगह पर तुम खुद से मुझे समझोगे।"
राजेश आगे continue करता है-
मैंने संस्कृति और शिवि से दोस्ती की, लोगो को पसंद नही आया, दोस्त छूट गए। क्या करता, उनसे दूरी बनाता सिर्फ इसलिए कि वह लड़कियाँ थी? संस्कृति के शादी में रुकावट डालना चाहा, मैं गलत था। तो क्या करता, अपने दोस्त के सुनहरे भविष्य को बर्बाद होते देख कर भी मैं कुछ react नही करता ? संस्कृति के शादी के बाद मैं शराब पीने लगा। तो क्या करता, दर्द में खुद को तड़पाता रहता ? जब शिवि ने किसी और पे दिल लगाकर संस्कृति को भूलने का suggestion दिया तो मैं शिवि के ही पीछे पड़ गया। तो क्या करता, जिन्हें मेरा दिल अपने करीब तक आने नही देता, उन्हें दिल में जगह देता ? शिवि का साथ भी मैं निभा नही पाया और मैंने उसे बचाने की भी कोशिश नहीं की । तो क्या करता, उसको धोका देता ? उससे तो कभी मुझे प्यार था ही नही। हम तो बस friends थे। हमने relationship में आकर गलती की थी। तुम बताओ, जो मैंने किया वो अगर गलत था, तो जो इसके opposite में choice था, वो क्या सही था ?
"सही ! सही वो था जो सतीश ने किया। कोई लड़की उसके जिंदगी में भी आई। पर उसको वह अपने दिल के उतने करीब नहीं आने दिया जो तुम्हारे जैसा हाल हो। अभी भी उसको इतना चाहता है कि किसी को अपनी जिंदगी में उसकी जगह लेने नही देता। इतना कि वह कोमल से भी दूरी बनाता है। और अभी भी वह जो कर रहा है वह इसलिए कर रहा है कि खुद को उसके लायक साबित कर सके।" रवि बोलता है। (सतीश की जिंदगी को पढ़ने के लिए "हमदर्द सा कोई" भाग-७ "हमदर्द सा कोई" भाग-७ पढ़े।)
"सतीश ! सतीश का actual mental state पता है तुम्हें ? वह अभी
भी प्रिया को इतना miss करता है कि रात को जब वह सपने में उसे देखता है तो सांसे तेज हो जाती है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, वह चौंक कर नींद से उठता है और हांफने लगता है। फिर जब दोबारा सोने की कोशिश करता है तब उसके आंखो से धीरे धीरे बहने लगते है। मैंने देखा है उसे। वह कई बार हमारे घर पर रुका है मेरे साथ। जब रास्ते में चल रहा होता है तो उसके ख्यालों में खोया रहता है। वह day dreamer hai, खुली आंखों से सपनों में खो जाता है।( इस किस्से को पढ़ने के लिए "हमदर्द सा कोई" भाग-६ पढ़ें) मेरा हाल तो इस मामले में कम से कम उससे अच्छा ही है। मैं लोगो के नज़रों मै भले जैसा भी हूं, मुझे इस तरह का mental disorders नहीं है।" राजेश बोलता है।
"पर तुम इतनी सारी लड़कियों में से भी एक साथ fix हो सकते थे..?" रवि पूछता है।
राजेश मुस्कुरा कर जवाब देता है, "actually सच यह था कि मैं कभी संस्कृति के यादों से बाहर आया ही नहीं। मैं उनके साथ वक़्त बिताता था क्योंकि मैं उनमें संस्कृति को महसूस करता था। उनकी smile, उनकी बातें, उनके भाव, उनके अंदाज, हर किसी में मैं बस संस्कृति को महसूस करता था। और इसलिए मैं बस उन्हीं के करीब भी जाया करता था। यूँ समझ को कि मैं थोड़ा-थोड़ा हमेशा dose लिया करता था ताकि मेरा जो उसकी आदत थी वो मुझपे हावी होकर मुझे out of control न कर दे। मेरा भी हाल सतीश जैसा ना हो जाए। और शिवि मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी इसलिए मैं नहीं चाहता था कि झूठे relationship में रहकर, जिसका आधार ही टूट चुका हो, वह अपना जिंदगी खराब करे। और इसलिए मैं खुद को इस हद तक गिराया कि वह खुद मुझे छोड़ दे। क्योंकि मैं अगर उसे छोड़ता तो उसे ठेस पहुँचती। वैसे भी..."
रवि आगे continue करता है, "सच वो नही होता जो लोग बताते हैं। ना ही कहानी सिर्फ उतना होता है जो हम जानते है। वो तो बस एक नज़रिया होता है। सच का बस एक छोटा सा हिस्सा। और नज़रिया.., वो तो तब बाहर आएगा ना जब हम दुसरो के नजरिये से किसी को justify करने जगह पर खुद से किसी को समझेंगे।"
रवि पूछता है, "तो तुम्हारा अब शिवि के साथ कैसा है ?"
राजेश खुश होकर जवाब देता है, " we're good friends यार। बिगड़े हुए रिश्ते को सुधरने में वक़्त जरूर लगता है, पर सुधर ही जातें हैं। अगर सच्चे हो तो..। वैसे भी हमनें जो गलती की उसको सुधारने का यही एक सही तरीका था। पर अब यह गलती दोबारा नही होगी। हम friends थे और हमेशा friends रहेंगे। लोग कहते हैं कि एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नही हो सकते। मगर मैं कहता हूँ कि बिल्कुल हो सकते हैं अगर उनकी नियत में कोई खोंट ना हो, अगर उनका ईमान सच्चा हो। बल्कि अगर एक लड़का और लड़की दोस्त हैं तो वह दुनियां को, समाज को और भी अच्छे से समझेंगे। क्योंकि वो दोनों ना ही सिर्फ एक पुरूष या स्त्री के नजरिए से दुनिया को देखेंगे, बल्कि वह इसके साथ-साथ सामने वाले को समझेंगे भी। जिससे एक पुरूष और एक स्त्री, दोनों को एक-दूसरे की समझ होगी, उनकी feelings का कद्र करेंगे और एक-दूसरे का सम्मान करेंगे। मुझे यह महसूस होता है कि असली में married life भी बस उन्ही की succes होती है जो husband-wife के साथ-साथ एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी हो। उस बहन के लिए भाई सबसे ज्यादा अजीज होता है जो अपनी बहन का एक अच्छा दोस्त भी हो।"
रवि बोलता है, "तुम्हारी point सोंचने वाली है।"
राजेश इसपर मुस्कुराता है।
•••• यह तो बस एक किस्सा था, story will continue on next part with one another way of perspective •••••
Moral:-
कई situation ऐसे होते हैं, जो judgmental नहीं होते। आप जो कुछ भी कर लो, लोगो को गलत ही लगेगा। लोग आपको गलत ही समझेंगे, क्योंकि वह उस situation को जी नही रहे होते इसलिए वह आपकी situation को समझ नही पाते। आप अपने जगह पर बिल्कुल भी गलत नहीं होगे, क्यूंकि आपके पास और कोई choice ही नहीं होगा। आप बस उस situation को जी रहे होगे, जिसपर आपका कोई control नही होगा। वहाँ पर सही और गलत की कोई अहमियत नही होती, बस अहमियत होती है तो इस बात की कि 'जरूरी क्या है?' So, don't think more about the people. Let do, which you understand right.
-AnAlone Krishna
Published on, 4th September, 2019 A.D.
For read whole parts click on, "हमदर्द सा कोई"
Next part of this story is भाग-९•२
Note:- सभी लड़के एक जैसे नही होते। हर लड़का ना ही ईमानदार होता है, ना ही शरीफ, और ना ही भोला। इसलिए अपने boyfriend को इस कहानी के पात्र से compare करके trust ना करें। यह बस एक नज़रिया है, किसी खास perticular angle से। ऐसे लड़के दुर्लभ होते हैं। इसलिए आपकी जिंदगी की सुरक्षा, आपकी खुद की जिम्मेदारी।
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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Feelingless : Chapter 5
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So pleased to see you accomplishing great things in your story Krishna bhaiya...
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