पहली दिल्लगी - गहराई में मोती ,कृष्ण कुणाल की लिखी कविता

• पहली दिल्लगी - गहराई में मोती •
(प्यार में खल रहे खलिश के अहसास के साथ)
कृष्ण कुणाल की लिखी कविता


*पहली दिल्लगी-गहराई में मोती*

है सदाबहार खुशियों का आलम,
बस उसकी ही मौजूदगी में ।
वह आयी फिर मैं खिल उठा,
भर गयी दुआ मेरी झोली में ।।

पर ऐ जिन्दगी तू मुझको बता,
जो माँगा था मैंने, क्या ये वही है ?
बहुत मुश्किल हो रहा समझना मुझको,
क्या गलत, क्या सही हैं ।।

एक तपीश में मैं जी रहा था,
अब मेरा जिग्यासा है शांत हो गया ।
पर कोई कमी तो अभी भी खल रही है,
ऐ जिन्दगी, तू फिर से एकांत हो गया ।।

हाँ जीने लगा हूँ बस अब उसमें,
पर कुछ तो मुझे खीच है रहा ।
हाँ अब अधुरा नही मैं उसके आने से,
फिर भी, करना बाकि कोई काम है रहा ।।

ऐ जिन्दगी, ये क्या हो रहा ?
खुशिया होते हुए भी मुस्कान खो रहा ।
दिल को बड़े प्यार से रखा है उसने,
और फिर भी मेरे सीने में दर्द हो रहा ।।

-AnAlone Krishna.
14/07/2017
This is fifth phase of this series, 'पहली दिल्लगी'. And also fifth stage.



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