I, Krishna, present you here, my 100+ literary works—poems and stories. I hope, I shall plunder your heart by these. Let you dive into my imaginary world. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.

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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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● हमदर्द सा कोई ● भाग-११.० ● Bilingual story written by AnAlone Krishna

भाग-११.० ।  भाग-११.१भाग-११.२

prelude/background setup

the bilingual story written by AnAlone Krishna.

(Before continuing this story, be sure you know the previous stories of "हमदर्द सा कोई". Read or revise the previous parts from this blog.)

____________________

 

राजेश अपने bike को नीचे parking yard में खड़ा करता है, उस scotty के बगल में, जिसके no. plate के बीच में लिखा था-"Love you दादा-दादी"। वह उपर देखता है, फिर उसके बगल की सीढ़ियों को देखता है, और उसे चढ़ने लगता है। 200, 250, 272, 281,... वह पहाड़ी पर उपर चढ़ता है तो उसे किनारे पे मौजूद बड़े से पत्थर के ऊपर बैठी एक लड़की दिखी- loosely tight सलवार पहने, खुले-घने बालों वाली; जिसके बाल ठंढी-ठंढी बहती हवाओं में लहरा रही थी, जिसके गाल ढलते हुए सूरज की लालिमा से टकराकर सुनहरे लग रहे थे, वह बोला- "शिवि..."; वही मुड़ी, उसके होठ गुलाबी; वह उसे देखी, और मुस्कुराई। वह बोला, "मुझे आने में देर तो नहीं हो गई ?" 

वह बोली

"इस खूबसूरत शाम को ढलने में अभी वक्त है
सूरज के डूबने में अभी थोड़ा वक्त है,
अभी वह ठहरेगा थोड़ी देर 
इन पंक्षियो के वापस इनके घोंसले में लौटने तक।
अभी तो रंग भरना बस शुरू ही किया है,
अभी तो नीले आसमान को गुलाबी करना शुरू ही किया है।
अभी तो बस मेरे गालों को फेरा है अपनी किरणों से,
अभी तो बस माथे को सहलाया है इन हवाओं ने,
अभी तो तुम्हारा मुझे अपने बांहों में भरने में वक्त है।
अभी तो हमारे ऊपर कुंहासो का चादर चढ़ने में वक्त है,
अभी तो गुनगुनाना बस शुरु ही किया है कीट-पतंगों ने,
हमें प्यार से अलविदा कहने में आज के दिन को वक्त है।
हां तुमने देर नहीं की, तुम वक्त से पहले पहुंचे हो
अभी हमारे पास ज्यादा तो नहीं, पर थोड़ा वक्त है।"

राजेश अपने कान पकड़कर झुकते हुए शिवि को बोलने की कोशिश करता है, "Sorry... मैं..." कि शिवि उसे बीच में ही रोकते हुए बोली, "कोई बात नहीं, तुम आए यही काफी है मेरे लिए।"


अगर किसी के दिल में सच में कभी किसी के लिए प्यार जगता है, तो फिर उसके बाद कभी अलग होने पर भी प्यार खत्म नहीं होता है। एक बार अपने प्यार को खोने के बाद हो सकता है कि कोई इंसान self-control इतना ज्यादा रखने लगा हो कि वह अपने प्यार के दोबारा सामने होने पर भी अपने emotions को रोक लेता हो, पर यह समझना कि प्यार खत्म हो गया, यह वही लोग मान सकते हैं जिन्हें कभी अपने life में किसी से सच्चा प्यार ना हुआ हो। वो अलग होने के बाद फिर से दोबारा प्यार के emotions में खुद को बहने से भले रोक ले, मगर अपने emotions को कोई आने से नहीं रोक सकता है। अपने expressions को आने से रोक सकता है पर अपने emotions को आने से नहीं रोक सकता है। उसे किसी को खोने का दुःख तो होगा ही, भले वो इसे express ना करता हो। उसको किसी की कमी खलेगी, भले वह इसे किसी से कहता ना हो। वह लोगों के बीच तो बहुत खुश, और हँसता हुआ मिलेगा, पर जब रात में सोएगा और जब उसपर उसका कोई control नही होगा, तो उसके आँखों से भी आँसू बहेंगे, और वह जब सुबह सो कर उठेगा तो उसके भी सिरहाने भिंगे होंगे।

 

मैं उम्मीद करता हूं कि आप इससे पहले Krishna का लिखा हुआ "हमदर्द सा कोई : भाग-९" और "Fate becomes by Choices of Our Desires.", stories को पढ़े होंगे। इनकी आपस की कहानी उससे आगे continue होती है। शुरू में तो राजेश शिवि के letter का कोई जवाब नहीं दिया। पर जब वह सतीश की शादी से लौटा, उसके अगले ही दिन वह शिवि को text करके मिलने के लिए restaurant बुलाया। करीब एक घंटे egg rolls, cold drinks, mixed veg. खाते हुए एक दूसरे से बातें की। फिर उसके बाद ये दोनों फिर से एक दूसरे से बातें करने, और मिलने जुलने लगे। पिछली बार राजेश अपनी feelings की वजह से बेकाबू होकर बहक रहा था, और शिवि खुद को रोक रह थी। इस बार शिवि friendship से आगे बढ़कर relationship में आना चाहती है, पर राजेश relationship के चक्कर में इस friendship को फिर से दोबारा खोने और आगे बढ़ने से डर रहा है। किसी ने कहा है-

"If the couples are still friends after breaking their relationship, that means either they never had feelings or they still have feelings for each other."

मैं यहां आपको यह नहीं बताऊंगा कि इन दोनों में से किसके दिल में कभी भी वैसा कोई feelings नहीं था, और किसके दिल में हमेशा से था और अब भी है। आप अपनी समझ से इन्हें समझने की कोशिश करो।

 

इस संसार में जब से लोगों ने प्रेम को समझना शुरू किया है, वो प्रेम के अगर-अलग स्वरूप को समझते और बताते आए है। जिनमें मातृ प्रेम, वात्सल्य प्रेम, भ्रातृ प्रेम, आध्यात्मिक प्रेम, वस्तुनिष्ठ प्रेम, दांपत्य प्रेम,...आदि को उन्होंने समझा और उनके बारे में औरों को समझाने की कोशिश भी की है। इनके बारे में मैं यहाँ नहीं बताऊँगा, आप इसे कहीं और से समझ लेना या कृष्ण से खुद पूछ लेना। हमारे नज़र के सामने हो सकता है कि दो व्यक्ती आपस में एक दूसरे के लिए प्रेम भाव प्रकट कर रहे हो, पर उनके बीच भ्रातृ प्रेम है अथवा दांपत्य प्रेम, वह बस सिर्फ अच्छे दोस्त है या प्रेमी, यह तय करने वाले हम कौन होते हैं..? इसपर ज्यादा ज्ञान नहीं दूंगा। मैं नहीं बताऊंगा कि उन्हें बीच की friendship या एक दूसरे के प्रति feelings अब कैसी है। आपको जो मानना हो, आप story को आगे पढ़कर खुद जो मानना है वो मान सकते हो।

 

राजेश शिवि के पास जाकर बैठता है। शिवि उसके हांथ से कपड़े का थैला लेकर उसे खोलते हुए झांकती है। थैले में दो lunchbox होता है। राजेश बताता है, "Aunty का कल से evening shift शुरू हो गया है। इसलिए वो quarter late से आयेंगी। तो अब से मेहता Uncle evening में dinner बनाकर उनके और कोमल के लिए भेजेंगे।"

शिवि पूछती है, "मेरे लिए कुछ नहीं लाए ? तो फिर ये समौसा और टमाटर चटनी का smell कहां से आ रहा है ?"

राजेश मुस्कुराकर बोलता है, "तुम्हारा नाक तो बहुत तेज है।" फिर वह अपने कंधो से bag उतारता है और उससे समौसे निकालता है, जो वह आते वक्त शिवि के लिए रास्ते पर रुककर किसी ठेले से ले लिया था।

शिवि पूछती है, "कोमल का अब तबियत कैसा है ?"

राजेश बोलता है, "पहले से better."

शिवि पूछती है, "तो फिर उसे uncle घर क्यों नहीं ले आते ?"

राजेश मुस्कुराकर पूछता है, "तुम्हें उससे जलन हो रही है ?"

शिवि थोड़ा शर्माते हुए बोलती है, "नहीं, Hospital के environment में वह काफी लंबे समय से है। बाहर निकलती तो थोड़ा fresh air मिलता।"

राजेश बताता है, "पिछले कई बार वह discharge होने के कुछ दिन के बाद ही तुरंत बीमार पड़ गई। घर में तुरंत medical facilities available नहीं होता, और as a doctor aunty की responsibility अपने मरीजों के प्रति भी है। इसलिए aunty hospital के staff quarters में shift हो गई। ताकि जब भी कोमल को medical support की ज़रुरत हो, तुरंत उसके लिए available भी हो जाए, aunty बीच बीच में routine check up भी करती रहेंगी, और nurses भी कोमल पर नजर रखेंगे, साथ ही साथ Aunty अपना duty भी बिना फिक्र के कर सकती है।"

शिवि पूछती है, "कोमल को आखिर हुआ क्या है ? मतलब ऐसा कौन सा बीमारी है जो वह खुद को उससे recover नहीं कर पा रही है।"

राजेश शिवि को छेड़ते हुए पूछता है, "Are you jealous with her ?"

शिवि चिढ़ते हुए बोलती है, "No. वह इतने लंबे time से बीमार है ना...। Last time दो महीने पहले मिली थी मैं उससे, तब भी दो सप्ताह से वह बीमार थी।"

राजेश बोलता है, "Medical check up में तो वैसा कोई report में नहीं मिला है। वह physically बिलकुल ठीक है। पर psychologically वह बहुत बीमार है। उसके अंदर किसी भी चीज को लेकर कोई excitement नहीं है, ऐसा जैसे कि उसके अंदर का hope मर रहा हो। वह पहले की तरह मुस्कुरा नहीं पाती है, जैसे की वह अंदर से बहुत उदास हो। सुबह शाम जब वह other patients के साथ बाहर garden में walk पर निकलती है, बच्चों के साथ खेलती है, थोड़ा बहुत मुस्कुरा लेती है। पर जब वो सभी वापस चले जाते हैं, और sisters भी कोमल को वापस उसके room छोड़ने जाती है तो वह फिर से पहले की तरह हो जाती है।"

शिवि ताना मारते हुए राजेश को बोलती है, "कैसे friend हो तुम ? तुम्हारे होते हुए तुम्हारी इतनी अच्छी दोस्त का अपने life से interest मर रहा है, और तुम उसे दोबारा जीना सिखाने के बजाय, बस उसे खुद को खोते हुए देख रहे हो ? क्या हुआ अगर एक hope खो गया तो, उसे अब भी हर एक पल में तुम जीना सिखा सकते हो। तुम उसे हर एक बीतते लम्हें में जीना सीखा सकते हो।"

यह सुनकर excitement में राजेश के दोनों हांथ ऊपर उठ गए कि वह शिवि के दोनों गालों को अपनी हथेली से पकड़कर उसे चूम ले। पर शिवि यह देखकर पहले ही अपने कंधों को पीछे करती है और राजेश बीच में ही रुक जाता है। 

शिवि समौसे का bite लेते हुए राजेश से पूछती है, "वैसे ऐसा क्या हो गया कि कोमल का life से interest ही खत्म हो गया ? मैं तुम्हारे life में वापस आ गई इसलिए ? या किसी government job के eligibility test में fail हो गई इसलिए ?"

राजेश सोंचते हुए बोलता है, "पता नहीं। मुझे तो कभी ऐसा feel नहीं हुआ कि वह मुझे एक अच्छा दोस्त से ज्यादा कुछ मानती भी हो। उसके दिल में अगर मेरे लिए कोई feelings होंगे भी तो वह मुझे भाइयों वाले ज्यादा लगते हैं।"

शिवि समौसे का अगला bite लेते हुऐ पूछती है, "तो कोई और...?"

राजेश बोलता है, "वैसा तो कोई था नहीं। College से ही सबसे close तो मैं ही था। मुझसे ज्यादा किसी को close कभी आने भी नहीं दी।"

शिवि बोलती है, "जो जिंदगी में हो, जरूरी है कि दिल में भी सबसे करीब वो ही हो ? अगर कोई भी नहीं था तो वह वजह क्या था कि तुम, जिसके लिए college में इतनी लड़कियां मरने के लिए तैयार थी, उसे वह अपना भाई जैसा treat करती रही है ? क्या लगता है, वह अपने दिल के सारे राज तुमसे share करती थी ?"

राजेश मन में सोंचता है, "वैसा तो कभी लगा भी नहीं, कि वह कभी मेरे साथ अपनी secret share की हो।"

शिवि आगे बोलती है, "हम कभी अपना secret किसी से share नहीं करतीं है। वैसे कब से health खराब होना शुरू हुआ था ?"

राजेश बोलता है, "वैसा तो कुछ खास हुआ नहीं था उसका life में। Last, सतीश का शादी भी दो-ढाई साल पहले हुआ था, exam तो वह दी भी नहीं थी। Exam का date तक announce नहीं हुआ था।"

शिवि समझ गई कि एक कारण कौन हो सकता है, पर वह इसके बारे में कोई बात नहीं की। मिट्टी में बीज पहले डलता है, पर नज़र तब आता है जब वह अंकुरित होकर अपना अंश जमीन से बाहर निकलता है। कोमल के बीमारी का एक कारण सतीश हो सकता है, पर उसे बीमार करने में हो सकता है कि काफी वक्त लगा हो, इसलिए इतनी आसानी से वह heal नहीं हो पा रही है शायद। ऐसा शिवि को लगा।

 

शिवि आगे राजेश से पूछती है, "तुमने तो कहा था कि मालती Aunty को hospital में doctors की head incharge बना दिया गया है।"

राजेश बोला, "हां, यह offer Aunty को बहुत पहले से ही मिल रहा था, पर वो पहले family में ध्यान देना चाहती थी इसलिए इस offer को ठुकरा दे रही थी। पर जब कोमल रात में बीमार पड़ी, और तुरंत medical facilities मिलता देख वहां बैठे बाकि patients के relatives हंगामा करने लगे, तो उस वक्त तो उन्हें किसी तरह शांत कर दिया गया। But Aunty को यह realise हुआ कि medical support की और doctors की अब भी बहुत कमी है। वो अपनी family को ध्यान देने के बहाने से अपने professional responsibility को अनदेखा कर रही है। तो वह offer को accept कर ली।"

शिवि आगे पूछती है, "तो फिर salary तो अच्छी मिलती होगी ? उन्हें अब भी 18-18 घंटे काम करने की क्या ज़रुरत है ?"

राजेश बोलता है, "बाकि doctors जो पिछले कुछ सालों में भर्ती हुए हैं, वो hospital late आते हैं और जल्दी चले जाते है।"

शिवि पूछती है, "Hospital में time को लेकर कोई rules नहीं है क्या ?"

राजेश बोलता है, "है। मेरा मतलब है कि entry time के last में और duty off होते ही पहले से ही तुरंत भागने में रहते हैं।"

शिवि पुछती है, "हां तो इसमें गलत क्या है ?"

राजेश हैरानी से पूछता है, "Doctors की first priority मरीजों के प्रति होनी चाहिए, अगर मरोजों को उनकी जरूरत है और उन्हें over time के लिए extra salary भी तो मिलती है, तो भी उन्हें जल्दी भागने की जरूरत क्या है ?"

शिवि समझाती है, "देखो, किसी भी इंसान की first priority उनके खुद की life की होती है। कोई भी इंसान physically and mentally अपने service को over time देने लिए capable है या नहीं, यह वह decide कर सकता है। इसके अलावा उसे अपने family और friends को भी time देना होता है। अगर कोई लगातार किसी काम को करने लगे, तो औरों को उससे उम्मीदें बढ़ जाती है। फिर किसी दिन अगर वह जल्दी छुट्टी मांगेगा तो उसे अजीब तरह से response मिलेगा। इसलिए वो ऐसा करके यह जताते हैं कि उनके time की भी अहमियत है। जिस दिन उनकी सच में ज़रुरत हो, उससे अगर पूछा जायेगा और अगर वह over time कर सकता है, तो जरुर करेगा।"

राजेश शिवि को देखता है, पर उसे कुछ बोल नहीं पाता है।

शिवि आगे बोलती है, "हां वो अलग बात है कि कुछ doctors अपना private clinic खोल कर रखते है और वहां time देने के चक्कर में hospital में कम ध्यान देते हैं।" फिर राजेश को देखकर बोलती है, "Aunty भी तो 12 घंटे दे सकती है। उन्हें इतना ज्यादा मेहनत करने की क्या ज़रुरत ?"

राजेश मुस्कुराकर बोलता है, "जब aunty से मिलोगी तो खुद ही पूछ लेना। तुम उनकी छोड़ो, हमारी बात करो। तो जब अब हमारी फिर से friendship हो गई है, तो इस बार हमारी friendship कितना आगे तक बढ़ेगी ? मतलब only just as a casual friends,(एक आंख मारते हुए) classmates or batchmates से तो आगे हम बढ़ ही चुके हैं, सिर्फ अच्छे दोस्त, या closed friends,..."

शिवि अपनी प्यारी सी smile के साथ तुरंत reply करती है, "Best-friends."

राजेश उसे छेड़ते हुए बोलता है, "Sorry देवीजी, Best-friend का post अभी खाली नहीं है, Girl-friend का खाली है, पर vacancy अभी निकला नहीं है, जब निकलेगा तो तुम्हें बता दूंगा।"

शिवि राजेश के shoulder में चींटी काटते हुए पुछती है, "कोई source/पैरवी/direct बहाली का chance नहीं है ?"

राजेश खुश होकर पूछता है, "तुम कहीं मेरी girlfriend तो बनना नहीं ना चाहती हो ?"

शिवि आँख दिखाते हुए बोलती है, "मैं, और तुम्हारी girlfriend ? वो तो बस इसलिए पूछ रही थी ताकि अगर कोई होगी तो मैं उसे बता दूं।"

राजेश शिवि को छेड़ते हुए पूछता है, "तो तुम उसे जानती हो ? कौन है वो ?"

शिवि शर्माते हुए राजेश के कंधे पे एक हथेली जोर से मारते हुए उसे पीछे धकेलती है। राजेश खुद को गिरने से बचाता है।

 

वह plastic के थैले से आखरी समौसे को उठाता है और खाते हुए बोलता है, "तुम बेकार में अपना दिमाग job के पिछे खपा रही हो। तुमको अपना family business join कर लेना चाहिए।"

शिवि चिढ़ते हुए जवाब देता है, "अच्छा, तुम मुझे अपनी ही तरह नालायक समझता है क्या ? जो family business join कर लूं।"

राजेश समझ जाता है कि गलत topic छेड़ दिया। शिवि आगे बोलती है, "मेरी जगह तुमको अपना family business join कर लेना चाहिए। वैसे भी पढ़ाई में तो मन लगता नहीं है तुम्हरा, बस इधर-उधर भटकते रहते हो और (राजेश का lunch box वाला थैला उठाकर दिखाते हुए) delivery man बनते घूमते रहते हो।"

राजेश समझ गया कि झगड़ा होने की संभावना है, वह situation संभालते हुए बोलता है, "वो तो मेरी बनती नहीं ना है अपने family से...। और क्या बोलूंगा उनको कि मैं इतना नालायक हूं कि मुझे कहीं काम भी नहीं मिलेगा इसलिए मुझे job की भीख दे दो।"

शिवि राजेश को सांत्वना देते हुए समझाती है, "खुद को तुम इतना कम भी मत आंको। मैं देखी हूं, तुम सभी friends की बहुत अच्छे से care करते हो, और सभी के साथ friendship को बहुत अच्छे से manage भी करते हो। तुम अपने skills पर work करोगे तो तुम अपनी family business को बहुत अच्छे से lead कर सकते हो।"

राजेश बोलता है, "मेरे parents हमेशा ही मुझसे ज्यादा business को priority दिए है। वो मेरे लिए हर चीज़ भेजते थे, पर मुझे कभी अपना वक्त नहीं दिए, और मुझे इस बात से नफरत है। मैं उनके साथ कभी काम नहीं पाऊँगा।"

शिवि राजेश को समझाती है, "तुम्हारा अपने parents के प्रति तुम्हारी नाराजगी मैं समझती हूं। पर अब तुम्हें भी इस बात को समझना चाहिए वो जो किए तुम्हारे भले के लिए किए, और सिर्फ तुम्हारे भले के लिए ही नहीं बल्कि हर उस employee के भले के लिए काम किए हैं जो भी उनके साथ काम करते हैं।"

राजेश बोलता है, "वो किसी के लिए काम नहीं करते हैं, सिर्फ पैसे के लिए काम करते हैं"

शिवि समझाती है, "नहीं ऐसा नहीं है।"

 

शिवि आगे explain करती है,  "A long term business is also a short term social service. एक आम इंसान जब कमाता है तो सारा कमाई खर्च कर देता है। बहुत से लोग तो दिखावा के चक्कर में उससे ज्यादा खर्च कर देते हैं। वो अपने और अपनी family के लिए, अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए, medical treatments के लिए savings नहीं करते हैं। तुम्हारे parents की firm अपनी employees को रहने के लिए shelter, उनके बच्चों के लिए school, health treatment के लिए hospital, सब provide करवाती है। जिसके कारण ही उनका business model आज इतना successful है और सभी उनकी तारीफ़ करते हैं।"

राजेश बोलता है, "इससे भी उन्हें कुछ न कुछ फ़ायदा होता ही होगा। वरना अपने employees की ही salary ज्यादा कर देते। वो ख़ुद ही अपना ज़रुरत और पसंद के hospital, school, flat के ऊपर खर्च कर लेते।"

शिवि आगे समझाने की कोशिश करती है, "लगता है कि तुम ठीक से समझे नहीं। आम लोगों को ऐसा माहौल और education नहीं मिल पाता है कि वह इतने समझदार हो पाए कि वो अपने पैसों को सही जगह इस्तेमाल करें। वो फिजूल खर्च ज्यादा करते हैं और ज़रुरत की चीज में खर्च नहीं करते हैं। इसलिए तुम्हारी company उन्हें half salary और half service provide करती है।"

राजेश अपना सिर खुजलाते हुए बोलता है, "तुम्हारी बातें मेरे सिर से ऊपर -ऊपर जा रही है।"

शिवि explain करती है, "देखो, किसी भी firm की profit उसके investment and losses cover करने के बाद निकलता है। तो इसलिए उस firm को उसकी profit अपने shareholders and employees के साथ share करने होते है। जो बड़े-बड़े firms है, जैसे कि हमारी families के firms, वो उस profit के half हिस्से को ही अपने shareholders and employees के साथ share करते है; और बाकी बचे आधे हिस्से को research and development, employees के लिए apartments, उनके बच्चों के लिए schools, hospitals, electricity, water supply, road construction, pension, insurance, scholarship, etc. में खर्च करती है।"

राजेश पूछता है, "पर इनके लिए तो लोग pay करते ही है।"

शिवि बताती है, "तुम सोच कर देखो, कि जितना लोग pay करते हैं, और जितना की service उन्हें मिलती है, क्या दोनों equal है ? क्या hospital के doctors, nurses, school teachers and other staffs, road-building construction workers, materials, contractors, etc. के ऊपर जो खर्च होता है, वो उन लोगों के द्वारा भरे जाने वाले bills से पूरे हो सकते है ?"

राजेश बोलता है, "जब ऐसी बात है तो सबकुछ पूरा ही free में क्यों नहीं कर देते है ?"

शिवि समझाने की कोशिश करती है, "लोग नहीं समझते है कि जो चीज उन्हें free में मिल रही है उसके पीछे भी indirectly उन्ही का पैसा खर्च हो रहा है। इसलिए वो free में मिलने वाली चीजों की कद्र नहीं किया करते है। और इसलिए छोटा ही सही, पर एक amount उनसे भी charge किया जाता है, ताकि वो इसका कद्र करे।"

 

राजेश यह सब सुनकर सोंच में पड़ जाता है अब वह इसका जवाब क्या दे..। वह बोलता है, "मुझे ये सब कुछ भी समझ में नहीं आता है। पर तुम जैसा बोल रही हो, मुझे लगता है कि तुम business भी करोगी तो लोगों का भला करोगी। मैं फिर से पूछता हूं, तुम अपना family business क्यूं नहीं join करना चाहती हो ?"

शिवि बोलती है, "मैं अपने पापा और भैया के बाद अपने पति की परछाई में नहीं जीना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरी खुद की identity हो। मेरी खुद की काबिलियत की कद्र हो। मैं अपने life में जो रहूं, अपने दम पर रहूं। अपनी family business छोड़कर अगर मैं खुद का भी startup करूंगी तो लोग मेरे idea में सिर्फ इसलिए invest करेंगे कि अगर मेरा idea flop होता है तो मेरी family से उनको उनके loss का recover मिल जायेगा। इसलिए अगर मुझे बिना किसी पे depend हुए खुद को साबित करना है तो इसके लिए last option सिर्फ government job ही है मेरे पास। (फिर राजेश के कंधे में हांथ रखकर) मेरे पापा के पास मेरे भैया हैं, तुम्हारे पापा के पास कोई नहीं है, वो अकेले हैं। तुम उन्हें join भले ना करो। पर उन्हें वक्त दो, उन्हें समझने की कोशिश करो, और उनकी कद्र करो।"

राजेश बोलता है, "पर उनके पास मुझे देने के लिए वक्त कहा है ?"

शिवि बोलती है, "वक्त किसी के पास होता नहीं है, निकालना पड़ता है। तुम उन्हें join कर लो, फिर तो उन्हे indirectly ही सही पर तुम्हे वक्त देना ही होगा।"

राजेश बोलता है, "इतने सालों में उन्होंने कभी मेरे लिए वक्त नहीं निकाला, अब मैं उनके पास गिड़गिड़ाने जाऊं। मैं उनके पास नहीं जाऊंगा job की भीख मांगने। मैं भी पहले अपने life में कुछ बन के दखाऊंगा, खुद को साबित करुंगा, तब उनके पास जाऊंगा। अब चलो, अंधेरा भी होना शुरू हो चुका है।"

उसके बाद दोनों एक साथ पहाड़ी से नीचे उतरते है, राजेश अपना bike और शिवि अपना scooty start करके अपने-अपने घर चले जाते हैं।

 

'ये क्या बस इतना ही ?'

जानता हूं आप यही कहोगे। साथ में यह भी कि, "कृष्ण कब से इतनी छोटी stories लिखने लगा !" तो लगता है कि आपने कृष्ण की सिर्फ लंबी stories को ही अभी तक पढ़ा है। सारे stories को शायद अभी तक आप पढ़े नहीं हो। खैर, यह भी लंबी ही है। यह तो इस अध्याय का prelude है, story तो अब शुरू होगा। बस अगले हिस्से का आप wait करो..।

 

----------this is not the end,
this is beginning of the story.

Story continue on next.----------

 

Story by AnAlone Krishna.
Finished on 29th January, 2024 A.D.
Will be published on 16th February, 2024 A.D.

 


॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :-  |  |  |   |  |  |  ९•० | ९•१ | ९•२ १०.० | १०.१ | १०.२ ११.० ११.१ ११.२ १२


Timeline:-
हमदर्द सा कोई : भाग-११.०

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