भाग-१०.०
prelude/background setup
By AnAlone Krishna
(अग्रिमा, एक लड़की के माध्यम से उसके व्यक्तिगत जीवन में चल रही घटनाओं के कारण उसके मन में चल रहे विचारों, भावों, और फिर उसके स्वाभावों के माध्यम से किसी के भी life की individuality को समझाने की लेखक की एक कोशिश)
(अग्रिमा, एक लड़की के माध्यम से उसके व्यक्तिगत जीवन में चल रही घटनाओं के कारण उसके मन में चल रहे विचारों, भावों, और फिर उसके स्वाभावों के माध्यम से किसी के भी life की individuality को समझाने की लेखक की एक कोशिश)
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खैर, अग्रिमा के दिल को ऐसा अहसास हुआ कि-
आगे तो बढ़ना है, हाँ पता है मुझे।
पर मेरा जो आज है पहले उसे तो जी लूँ।
क्या पता कल का सूरज कैसा हो !
यह जो ढलता हुआ शाम है,
पहले मैं यह शाम तो जी लूँ॥
फिर वह अपने चारो और नजर दौड़ाई। ढलता हुआ शाम, लौटते पंछी, झील का किनारा, लगभग शांत सड़क, मानो उसे यह कह रही हो कि,
"मत कर चाहत उसकी
जिसे कद्र नही तेरा।
आजा बैठ और कर
मेरे साथ इंतजार तुम।
कोई तो होगा जिसे
कभी तेरा कद्र होगा।
वह ढूंढता फिरेगा तुझको
तब तक रह मेरे साथ गुम॥"
वह bicycle को side में खड़ा करके सामने ही किनारे पे बैठ गई। It's better to give some time to own self in loneliness for realise the actual situation, analyse the real problem, come over from pain, and find out the solution, then make step to re-start/come-back/fight-again/live again in this life. वह अपने मन में सोंचने लगी, जो कुछ भी आज उसके लम्हें बीते हैं। पूरा दिनभर का हाल नहीं, बस अभी कुछ समय पहले जो tution से निकलते वक़्त बीता।
prelude/background setup
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राजेश कोमल को चिढ़ाते हुए बाहर निकला। क्या हुआ था... यह आपको आगे पता चल जाएगा। Institute के opposite में road के किनारे राजेश अपनी bike park किया था। जिसमें वे दोनों एक ही साथ आते जाते थे। घर जाने के लिए वे दोंनो road cross कर ही रहे थे कि सामने रूद्र की bike अचानक से रूकी।
"क्या करते हो यार ! Break नहीं लगता और तुम्हारे ऊपर चढ़ जाता तो..." रूद्र रोब दिखाते हुए राजेश को बोला।
राजेश बोला, "ये topic फिर कभी, पता है आज कोमल के साथ क्या हुआ ?"
Bike के पीछे से हिमाद्रि बोली, "ये सब बाद में। पहले मुझे drop करके आओ। वैसे राजेश का excitement बता रहा है कि इतनी जल्दी यह बात इसके पेट में पचने वाली नहीं।"
राजेश पेट में हाँथ रखकर हँसते हुए बोला, "हाँ, जाओ। जल्दी आना।"
Road cross करने के बाद मैंने उनसे कहा, "अरे राजेश भैया, सतीश भैया आपको wait करने बोले हैं।"
राजेश बोला, "अच्छा ! लगाओ फिर तब तक दो जगह धूस्का(भारत के झारखंड राज्य में बाजारों के ठेलों में बिकने वाला एक तरह का स्वादिस्ट व्यंजन, जिसे टमाटर पुदीना की चटनी के साथ अगर खाओ तो आनंद ही आ जाता है)।"
इन्हें दोने (पत्तों के बने bowl) में मैंने दिया ही था की सतीश और राजेश भी आ गए, "अरे भैया, बस इन्हें ही दोगे क्या ! हमें भी भूख लग रही है।"
राजेश पूछा, "अरे आज तुम दोनों का practicle बहुत जल्दी खत्म हो गया ?"
सतीश बोला, "हुआ नहीं है, जल्दी आए हैं। कुछ बात करनी है।"
रूद्र भी हिमाद्रि को drop करके आ गया, "पता नहीं क्या जादू है भैया के हाँथो में, इनके ठेले के सामने आते ही मुँह में पानी आने लगता है। भैया एक जगह मुझे भी देना।"
Oops..!, थोड़ा confuse हो रहे होगे। उस वक़्त मैं अग्रिमा के साथ था और अभी ये लोग मुझसे बातें कर रहे हैं। उस वक़्त मैं इनकी कहानी सुना रहा था, अभी मैं ठेले वाला हूँ। अरे मैं तो समय हूँ ना। मैं हर जगह हूँ। हर एक character से किस्मत के लिखे play को मैं ही तो act करवाता हूँ। हर किसी से जो बोलना हो, करना हो, सब मैं ही तो करवाता हूँ। सब मैं ही तो बोल रहा हूँ और सब मुझसे ही तो बोल रहे हैं। खैर, आप मुझे इस time ठेले वाले भैया का character मानकर आगे बढ़ सकते हो। आसान रहेगा। Now, come back to the story.
राजेश बोला, "कोमल को आज एक लड़के ने propose किया।"
रूद्र excitement के साथ, "सच में ?"
कोमल, "क्यूँ, मुझे कोई propose नहीं कर सकता ?"
सतीश पूछा, "फिर आगे ये क्या की ?"
राजेश बताया, "कोमल ने कहा कि, she have a boyfriend. बताओ यार, कौन है इसका boyfreind ? कोई यकीन करेगा ?"
रुद्र पूछा, "तो इसमें इतना हँसने वाली क्या बात है ! बेकार में कोमल को awkward कर रहे हो।"
राजेश बोला, "वह तो मुँह लटका के निकल गया। लेकिन उसके पीछे एक लड़की आई और कोमल को धमका के गई कि 'तू साली बाहर निकल फिर बताती हूँ।' बताओ यार... एक लड़की दूसरी लड़की को धमका रही है। इसको बोलने से पहले कुछ तो सोंचना चाहिए था। किसे यकीन होगा इसकी बात पे ?"
कोमल अपने माथे से हाँथ हटाते हुए बोली, "अबे वो उसकी मुँह बोली बहन है तो चिढ़ेगी नहीं ? उसके भाई को कोई ऐसे मुँह पे reject करेगी तो..."
राजेश बोला, "इतना तरस आ रहा है तो फिर proposal accept कर लेती ना। reject क्यूँ की ?"
कोमल बोली, "चल हट। I'm not interested in come into relationship. जिंदगी में बरसो बाद इतना free-free महसूस हो रहा है, मुझे पागल कुत्ते ने काटा है क्या जो relationship में आके फिर से limitations में फसूं। पापा को, खुद को जो promise किये है, उसको पूरा करने से पहले ये सब के बारे में सोंचना ही नहीं है। और तुम कैसा दोस्त है ? सतीश इतनी मेहनत करके पापा को मनाने में मेरी help किया और तुम मुझे भटकाने की कोशिश कर रहा है..।"(इसे भाग-८ में और कोमल की desire को जानने के लिए कविता "पिता के नाम पत्र" पढ़े)
राजेश बोला, "मैं तो बस यह देख रहा था कि तुम कितना खुद को control में रखती हो। कि अगर कोई बहकायेगा तो..."
कोमल बोली, "हे प्रभू, आप मेरी ऐसी परीक्षाएं कृपा करके ना लें। मैं अगर भटक गई तो..?"
रुद्र बोला, "सतीश है ना..। यह वापस तुम्हें ले ही आएगा। तुम tension मत लो।"
सतीश बोला, "यह हमेशा possible नहीं हैं।"
एक लड़की ताव में आके बोली, "साली तू अपने-आप को समझती क्या है ? तू कुछ भी बहाना मारेगी और हम मान लेंगे क्या !"
वो लड़का जो कोमल को propose किया, आया और उस लड़की को खींचते हुए ले जाते हुए बोला, "यार जाने दे ना बात को। तू चल यहाँ से।"
वह गुस्से में अपना हाँथ छुड़ाते हुए बोली, "नहीं। तुम्हें reject करने का इसके पास एक particular reason कम से कम होना चाहिए। कोई इसका boyfriend हैं, यह बहाना नहीं चलेगा। (कोमल को घूरते हुए) वैसे कौन है तेरा boyfriend ?"
कोमल मुँह खोली ही थी कि, "राजेश..."
वह बोली, "यह छिछोरा..? इसके सिर से शिवि का भूत उतरे तब तो किसी के बारे में सोंचेगा।"
कोमल बोली, "अरे नहीं। पूरी बात तो सुनो पहले। मैं तो राजेश, सतीश और रुद्र से पूछ रही थी कि, यूँ इस तरह सबके बीच ढिंढोरा पीटना सही होगा ?"
वह लड़का बोला, "जाने दो ना इस topic को। बाकियों की तरह इस topic को भी मैं past बना देना चाहता हूँ। क्या फर्क पड़ता है कि कोमल मुझे या किसी और को पसंद करती है या नहीं ! मुद्दे की बात यह है कि उसने मुझसे झूठ कहा, क्यूँकि यह नहीं चाहती कि मैं इसके पीछे पडूँ या इसे दोबारा तंग करूँ। I understand it यार। That's enough for leave her into the past. हर कोई अपनी हर बात हर किसी से share नहीं करते। I understand her privacy. Let's leave it."
कोमल बोली, "Sorry गणेश, मैंने झूठ बोला। But I hope की तुम्हें कोई ऐसी जल्दी ही मिले जो तुम्हें समझे और तुम्हारे दिल की care करे।"
गणेश बोला, "मेरे लिए अगर कुछ 10 sec भी बीत गया, वह मेरे लिए past बन गया। जिसे मैं कभी बदल नहीं सकता। मैं इस चीज को भी भूल कर आगे बढ़ना चाहता हूँ। इसलिए तुमलोग से request करूँगा कि इस topic को past में दफ़न कर दो।" और वह उस लड़की को लेकर वहाँ से चला गया।
राजेश बोला, "तो, let the topic will be changed."
कोमल बोली, "तो बताओ सतीश, हमसे मिलना क्यूँ चाह रहे थे इस तरह ?"
सतीश बोला, "यार मैं काफ़ी पहले से notice कर रहा हूँ, रवि और वो... क्या नाम है उस लड़की का... जिसके साथ जब इसका नजरों से नजरें मिलती थी तो silently इनके बीच emotions होने का अहसास होता था। मगर कल जब इन दोनों की नज़र एक दूसरे पर पड़ी तो यह नजर झुकाकर आगे बढ़ गया और मुझे उसका दिल टूटने का जैसा अहसास हुआ।"
रवि सतीश को बोला, "क्या..! तुम तब से वही बात को लेकर परेशान हो। ऐसा कुछ नही है, हटा ना इस बात को।"
सतीश बोला, "देख यार, हम दोस्त हैं। कुछ बात है तो बता ना... क्या नाम है..? सही समय नाम ही भूल जाता हूँ।"
कोमल जोर से आवाज दी, "अग्रिमा..."
सतीश बोला, "हाँ -हाँ वही।"
मगर तभी सतीश को यह ध्यान आया कि कोमल किसी को आवाज दे रही थी। वह पीछे मुड़कर देखा तो अग्रिमा road cross कर रही थी।
रवि बोला, "सब shorted है। कोई problem नहीं है।"
मैंने कोमल को कहा, "और कुछ चाहिए दीदी ? और आपलोगों को भैया..?"
रवि बोला, "मेरा हो गया। मुझे जल्दी जाना है कुछ काम है।"
सतीश बोला, "देखा कैसे निकल रहा है अब तुरंत।"
राजेश calm down का इशारा किया और बोला, "कोई बात नहीं जाने दो इसे।"
रूद्र बोला, "मेरा भी हो गया। मैं तुम्हें drop कर देता हूँ। मुझे भी जल्दी पहुँचना है। पैसे pay कर देना, पर परसो मैं करूँगा। आज tution fee मिलने वाला है।" और रूद्र मुस्कुराकर एक आँख मारा।
रवि अग्रिमा को देखा। नजर मिली तो उसे झुका लिया और रुद्र की तरफ मुड़ गया। मानो जैसे कि एक उम्मीद की किरण हो अग्रिमा के आँखों में, जो कि रवि के इस बर्ताव से अचानक से खो गई। रूद्र bike पे ही बैठा हुआ था। रवि उसके हाँथ से दोने को लेकर dustbin में डाल दिया। फिर अपना हाँथ धोया और रूद्र के भी हाँथो को धुलाया और फिर वहाँ से चला गया।
इधर कोमल ने 2 समौसे लिए, अग्रिमा ने एक समोसा-एक धूस्का, सतीश और राजेश भी same.
कोमल बोली, "अग्रिमा..."
राजेश खाँसते हुए बात को बीच में काटा और कहा, "ज्यादा discuss करने की जरूरत नहीं है। मुझे पता है कि बात क्या है।(मुझसे कहा) भैया थोड़ा चटनी देना।"
सतीश बोला, "थोड़ा मुझे भी।"
कोमल बोली, "और एक जिलेबी भी।"
सतीश sarcasm किया, "कितना खाएगी भुक्खड़ ! मोटी हो जाएगी एक दिन।"
अग्रिमा पूछी, "तुमलोग किस बारे में बात कर रहे हो ?"
सतीश के mobile में mesaage घुसा, "I also wants to know after my class. -Rudra"
सतीश बोलने वाला ही था कि, "तुम..." और राजेश इशारा करके उसे फिर से रोक दिया।
राजेश बोला, "अग्रिमा के भैया call किए थे रवि को। जिस दिन तुम्हारा train था और हमलोग station पर थे। Just तुम्हारे call काटते ही।(जानने के लिए भाग-९.२ को पढ़े) वो रवि को धमका रहे थे इससे दूर रहने के लिए। And because Ravi gives his priority first to his family, वह इसे ignor करके खुद को इससे दूर रखने की कोशिश कर रहा है। बस किस्सा इतना ही है"
मैं मन ही मन मुस्कुराया उसकी बात को सुन कर। यार किस्सा जितने हम जानते हैं, कहानी सिर्फ उतना ही नहीं होता। बस इसलिए कभी-कभी कुछ चीजें ऐसी हो जाती हैं, जो हमारे लिए unexpected होता है।
कोमल बोली, "वो ऐसा क्यूँ किए ? इस तरह किसी पे भी इल्ज़ाम लगाना..."
सतीश गुस्सा हो गया, "तो तुमलोग यह बात पहले क्यूँ नही बताया..?"
राजेश बोला, "calm down. Everything is shorted. Coincidentally उस time phone मेरे पास था। मैंने बात की थी। इस बात को और ज्यादा बढ़ाओ मत। Leave it."
अग्रिमा के मुँह से अनायास ही निकल गया, "Heartless..!"
सब शांत हो गए और अग्रिमा को देखने लगे। जब उसने गुस्से से नजरें ऊपर की तो सबने अपनी नजरो को हटा लिया। राजेश को लगा कि कहीं उसने 'heartless' उसे तो नहीं कहा। सतीश को लगा कि शायद वह 'heartless' अपने भाई को बोली। Who knows ? "स्त्रियां चरित्रं देवो न जानते।" But कोमल तो एक लड़की थी, फिर एक लड़की अगर लड़की की feelings को नहीं समझेगी तो भला और कौन समझेगा ? कोमल को dought हो रहा था कि अग्रिमा 'heartless' रवि को बोली। Posiblility तो तीनों की reality में exist करने की थी। मगर तीनो के reasons, effects, and result अगल-अलग थें। अग्रिमा के दोने में एक समोसा आधा था, जिसे मन तो किया कि वह उसे फेंक दे। मगर अन्न का अपमान वह कभी नहीं करती इसलिए वह फेंके हुए दोनों के बीच बचा हुआ खाना ढूंढते हुए गली के आवारा कुत्तो के पास गई और दोने को सामने रखकर उसे सहलाई। फिर आयी और हाँथ धोए और पैसे निकालने लगी। कोमल उसको रोकी कि हम दे देंगे लेकिन वह अपना पैसा देकर थोड़ा बगल में खड़ी cycle का lock खोलकर चली गई।
सतीश text type kiya, "Everything is shorted. Don't get worried." Notification आया, "message sent".
अग्रिमा बैठी हुई है। सामने झील है। अंधेरा धीरे धीरे करीब आ रहा है। उसे महसूस हुआ कि कोई उसके बगल में बैठा हुआ है। अग्रिमा के मुँह से निकला, "रवि...।" उसने अग्रिमा के हाँथो को अपने हाँथ में लिया, उसके जुल्फ सँवारें और अग्रिमा के गाल पे हाँथ रखकर कहा-
"कहाँ गया तुम्हारा खिलखिलाता चेहरा..,
वो मुस्कान जिसमें मैं खो जाता था ?
क्यूँ सूना है तुम्हारी सपनों की दुनियाँ..,
ये आँखे जिनमें कभी मैं खो जाता था ?
तुम हँसती थी तो हँसी में मैं
अपने दुःखों को भूल जाता था।
तुम्हारी आँखों से झलके सपनों में मैं
अपने आप को भूल जाता था॥
तुम्हारे माथे पे बन रही चिंता की लकीरों से
कितना बेचैन मैं होने लगा हूँ।
तुम्हारे होंठों की उदासी को देखने के बाद
मैं अपनी खुशी को खोने लगा हूँ॥"
अग्रिमा अपनी आँखों को रवि के उसके गाल पे हाँथ रखते ही बंद कर ली थी। उसे पानी में "छपाक" की आवाज सुनाई दी। शायद कोई मेंढक होगा जो पानी में कूद गया होगा। उसने अपनी आँखों को खोला तो उसके सामने कोई नहीं था। वह यहाँ पर अकेली थी। रवि, बस उसका एक वहम था। उसे महसूस हुआ कि शाम में झील के किनारे पर लगे हुए street light के lamp से जो कि रोशनी का प्रतिबिम्ब पानी में बनता हुआ, और उसकी किरणे अग्रिमा के चेहरे को सेंकते हुए, उससे यह कह रही हो कि,
"क्यूँ तड़प रही हो तुम इस कदर जान..,
आओ न तुम्हारे दिल को मैं सुकून देता हूँ।
क्या हो गया अगर कुछ खो दिया है तुमने..,
आओ न तुमको मैं फिर से पाने की जुनून देता हूँ॥
क्या करोगी तुम यूँही मायूष बैठे रहकर ?
आओ न मिलकर फिर से एक सफर शुरू करते हैं।
फिर चली जाना तुम अपने रास्ते में...।
आखिर क्यूँ लोग नई शुरुआत करने से डरते हैं !!"
[Above lines taken from the poem , "करो नई शुरुआत" written by AnAlone Krishna]
थोड़ी देर में वह उठी और अपने घर को निकल गई। उसके दिल की बात हम भले ना समझ पाए हो। लेकिन, उसके मन में क्या है उसे पता लगाया जा सकता है उसके diary को पढ़कर। अब आप कहोगे कि किसी के personal diary को पढ़ना गलत बात है। पर dear readers, आप एक बात शायद भूल रहे हो कि अग्रिमा AnAlone Krishna की create की हुई fictional character है। साथ ही इससे जुड़ी हर एक चीज Krishna का life experience from different sourcers और उसकी understanding का representation है। तो मैं किसी का भी personal diary नही पढ़ने जा रहा। बल्कि मैं Krishna के art of different writing styles का नमूना, अग्रिमा के diary के रूप में पढूँगा।
रात हो चुकी है। खाना का तैयारी अग्रिमा की भाभी कर रही है। December का महीना है। ठंढ है। घर से बाहर garden में लगे पेड़ के पत्ते, जो सुख कर नीचे झड़ गए थे, उन्हें जमा करके और कुछ सूखे लकड़ियों को बेंच के सामने जलाकर सेंकते हुए अग्रिमा अपने मन में उमढ़ रहे भावनाओं को लिख रही है। अपनी diary में।
----- भाग समाप्त -----
Story continue in the next part, "From Diary of Agrima" which would published on 13th February, 2020 A.D.
-by, AnAlone Krishna.
Published on, 9th February, 2020 A.D.
Completed on, 9th January, 2020 A.D.
Last edited on, 18th February, 2021 A.D.
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॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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