भाग-६
"तुम्हें नहीं लगता कि दोनों आने में काफी समय लगा रहे हैं।", रवि राजेश को बोलता है।
"अरे कहाँ यार...!, कहाँ कितना late हो ही रहा है? हमारे आए हुए बस पाँच minute ही तो हुए हैं।" राजेश रवि को समझाता है।
रवि और राजेश, दोनों सतीश के आने का wait कर रहे हैं। सतीश इन दोनों को शहर के आखिरी में मौजूद छोटे से बाग़, जहाँ जल्दी कोई आता-जाता नहीं, बुलाया हुआ है। तभी एक बूढ़ा बुजुर्ग वहाँ से गुजरता है। जिसे देखकर राजेश उनसे पूछ देता है, "दद्दा इस आम के पेड़ में एक भी आम नहीं है। ऐसा क्यूँ?"
रवि राजेश को कोहनी मारता है। और बुजुर्ग जवाब देते हैं, "अरे बेटा, school से लौटते वक़्त गाँव के बच्चे इन्हें बचने देंगे तब ना। ठीक से पके भी नहीं होंगे कि उन्होंने सभी तोड़ लिया। खैर, बच्चे ही हैं। आखिर खाने के लिए ही तोड़ा ! वैसे तुम लोग भी यहाँ आम खाने आये हो क्या ?"
रवि जवाब देता है, "नहीं। इस शहर के भीड़-भाड़ वाले शोर से कुछ देर दूर रहने के लिए।"
फिर बूढ़ा आदमी वहाँ से चला जाता है।
उसे बूढ़े बुजुर्ग के जाने के बाद राजेश रवि से पूछता है, "तब रवि , और सब बताओ.... कैसा चल रहा है, तुम्हारा आज-कल ?
रवि जवाब देता है, "कुछ खाश नहीं। तुम्हारी कमी रहती है।"
राजेश पूछता है, "पर रुद्र तो तुम्हारी जिंदगी में आ गया ना...। फिर भी ऐसे नाखुश क्यूँ हो ?"
रवि रुखते हुए जवाब देता है, "मेरे नहीं हमारे। और वो तुम्हारी कभी जगह नहीं ले सकता। उसने सिर्फ मेरे या सतीश से दोस्ती करने की कोशिश नहीं की है, बल्कि पूरे हमारे पूरे group से। और इसमें तुम भी हो , और कोमल भी।"
राजेश उदास मन से बोलता है, "वह हर मामले में मेरे से बेहतर है और..." तभी रवि बीच में ही राजेश को रोक देता है।
रवि बोलता है, "बस, अब इस बारे में और कोई बहस नहीं। तुम खुद को रुद्र से compare क्यूँ कर रहे हो !" जरा सा रुक कर पूछता है, "अपना बताओ। हमारे दो दोस्त हमसे कटके आजकल खूब साथ में घूम फिर रहे है। वैसे तो पता है की तुम दोनों अभी तक नाराज हो हमारे से। लेकिन तुम दोनों के closeness थोड़ा अटपटा लग रहा है। मतलब फिर से कहीं love वगैरह के चक्कर में तो नहीं ना पड़ गया।"
राजेश जवाब देता है, "नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं है। तुम सही समझते हो, उस दिन कोमल के घर में जो कुछ हुआ उसी के चलते हम सतीश से नाराज थें। इसलिए mood ठीक करने के लिए थोड़ा इधर-उधर साथ में घूम लिए। और यार सच्ची-सच्ची बताता हूँ, आजतक मैं जीतने भी afairs में रहा उनसे सच में प्यार किया। उनके साथ जिंदगी बिताने का सोचा। मैंने उनपर भरोसा किया पर टूट गया। और नतीजा तुम्हारे सामने है, मैं हूँ alone, AnAlone Lover की तरह । कभी सच्चा प्यार मिला ही नहीं यार। जब मिला तब पहचान नहीं पाया। लेकिन एक सबसे अच्छी बात बताऊँ, कोमल के लिए कभी वैसा कुछ मन में आया ही नहीं। हमेशा दोस्त ही की तरह मैंने समझा है। No expectation, no delusion, and no heart breaks."
रवि राजेश को समझाता है, "देखो मैं मानता हूँ कि सतीश ने कोमल के साथ उस दिन अच्छा नहीं किया। लेकिन उसका भला ही किया। अब देखो, अगर उस दिन कोमल के माता-पिता को situation के बारे में सतीश ने बताया ना होता, तो ऐसा नहीं होता कि कहीं से कोमल का relationship टूटने का खबर उसके माता-पिता को पता नहीं चलता। लेकिन उस situation में कोमल अकेली महसूस करती और उसके parents confuse रहते कि आखिर उनकी बेटी का problem क्या है।"
राजेश बीच में टोकते हुए बोलता है, "तो कोमल तब भी तो अकेली ही हो गई ना। उसके सबसे अच्छे दोस्त ने उसे धोखा दिया।"
रवि समझाता है, "कोमल कहाँ अकेली है ! उसके साथ उसकी family है। तुम हो। बात को समझने की कोशिश करो राजेश। वैसे हालात में ऐसा नहीं होता की कोमल के माता-पिता चुप बैठते। वो कोमल को happy करने का कोशिश जरूर करते। हो सकता है, की वो हर्ष के साथ फिर से बात चलाते कोमल का। या हो सकता है कोई नई और उस से भी अच्छी जगह ताव में आकर कोमल का रिश्ता चलाते। या हो सकता है की गलतफहमी में सतीश के साथ ही। लेकिन अब देखो वो कोमल को free तो छोड़ दिए ना। वो समझते हैं कि उनकी बेटी को अभी बस पढ़ना है।"
राजेश रूठते हुए बोलता है, "तो कर लेता ना यार..."
रवि आश्चर्य करते हुए बोलता है, "क्या कहा...?"
राजेश रवि को बोलता है, "तो कर लेता ना सतीश कोमल से शादी। क्या दिक्कत है...? कोमल भले सतीश से गुस्सा है, लेकिन हमेशा उसी की बात करती है, उसका care करती है। और सतीश को तुम भी देखा है ना कोमल को कितना समझता है। तो क्या दिक्कत थी यार...?"
रवि हँसते हुए बोलता है, "तुम नहीं समझते सतीश की problem यार। कोई बात है जिसके कारण सतीश किसी का हो नहीं पा रहा है। कोई बात है जो उसे हमेशा रोक देती है। उस दिन तुम्हारे जाने के बाद theater में हिमाद्रि की बात को सतीश agree किया कि कभी उसकी भी कोई crush थी। शायद अब भी उसका असर सतीश के ऊपर से गया नहीं।"
राजेश उदास मन से बोला, "और उसने मेरे साथ भी अच्छा नहीं किया।"
रवि मुस्कुराते हुए पूछा, "उसने तुम्हारे साथ क्या किया ?"
राजेश बोला, "जब सतीश को पहले से पता था कि कामिनी अच्छी लड़की नहीं है, तो उसने मुझे बताया क्यूँ नहीं..."
रवि गुस्साते हुए बोलता है, "अरे कामिनी अच्छी लड़की नहीं थी इस लिए तुम उसके चंगुल से आसानी से बाहर निकल जाते और गए भी। उस समय जरूरी यह था कि तुम जो तड़प रहे थे उस से बाहर निकल जाओ।"
राजेश angre face बनाते हुए बोलता है, "मतलब तुम्हें भी सब पहले से पता था...?"
रवि smile खिचते हुए हामी भरते हुए सर हिलाता है।
"तुम दोनों के दोनों कमीने हो। दोस्ती के नाम पे कलंक हो।" यह बोलकर राजेश रवि को अपने बाजू में भरकर प्यार से मुक्का मारने लगता है। जिसका रवि विरोध नहीं करता। आज दोनों पहले की तरह ही फिर से अच्छे दोस्त बन गए। उनके बीच की कड़वाहट दूर हो गई।
सतीश रुद्र के साथ उसके bike से आता है। राजेश और रवि को देखकर पूछता है, "तुम लोग दोनों लड़ क्यूँ रहे हो...?"
राजेश जवाब देता है, "कुछ नहीं। रवि बोल रहा था कि इसे तुम्हारा तन्हा पन देखा नहीं जाता। तो मैंने इसे कहा कि तुम्हारी setting मैं करवा दूंगा। तो यह कहता है कि मेरी पसंद कच्ची होती है।"
सतीश बोलता है, "तुमलोग दोनों नहीं सुधरोगे...!"
राजेश बोलता है,
"हम सुधर गए जो कभी तो गुस्ताखियाँ कौन करेगा !
धीरे-धीरे करीब आकार कम दूरियाँ कौन करेगा !
अरे तुम भी तो हो उनमें से ही जो खाई यों को पाटने की कोशिश नहीं करते...।
कम से कम हमें तो दिल पर पत्थर रखने दो,
कम से कम हमें तो ठीक करने की पहल करने दो॥"
सतीश बोलता है, "I'm sorry."
राजेश सतीश को गले से लगाता है और बोलता है, "चलो माफ किया।"
रवि रुद्र को देख के बोलता है, "ऐसे इन्हें देख के बहुत अंदर से हँस रहे हो रुद्र..., इतनी बड़ी सी smile दे रहे हो। चलो हम भी शामिल हो जाते है, इस जादू की झप्पी में।"
रुद्र बोलता है, "आगे का भविष्य सोचकर हंसी आ रही है।
तुमको भी गिला होगा,
जब शुरू यह सिलसिला होगा...,
जब आदत पड़ जाएगी मेरी तुम्हें, और वक्त ना दे पाऊँ मैं कभी।
क्या इस तड़प का एहसास पहले भी कभी तुम्हें मिला होगा !"
सतीश रुद्र की और देखता है और बोलता है, "इतना मत सोचो रुद्र। हम सभी unexperienced बच्चे नहीं है।"
तब राजेश बोलता है, "क्या हुआ रुद्र...,
इस मुस्कुराते हुए चेहरे के बीच इन आँखों में चमक कैसी है !
मिठी सी मुस्कान से भरे होंठ के साथ आँखों में नमक कैसी है ?"
रुद्र जवाब देता है, "कुछ नहीं यार, बस तुमलोग का आपस में प्यार देखकर दिल भर आया।"
रवि बोलता है, "मतलब जो तुम्हारे बारे में सुना था वो सही था।"
रुद्र surprisingly पूछता है, "क्या सुना था ?"
सतीश जवाब देता है, "यही की इस दिलदार मसखरे रुद्र के अंदर एक मासूम और तन्हा रुद्र भी है।"
राजेश चौकते हुए बोलता है, "really...!"
रवि बोलता है, "हमें हिमाद्रि ने बताया था कि रुद्र को समय के साथ ढलने में काफी समय लगा। और आज यह चीज झलक भी रहा है।"
रुद्र परेशान होते हुए बोलता है, "उसे बोलता हूँ कि मेरे past life के बारे में किसी के सामने जिक्र ना करे लेकिन वो..."
राजेश curiosity दिखाते हुए बोलता है, "तब तो मैं तुम्हारी आप-बीती कहानी तुम्हारी जुबानी सुनना चाहूँगा।"
रुद्र बोलता है, "लेकिन हम यहाँ सतीश का past-love-story सुनने के लिए आए हैं।"
सतीश बोलता है, "वो हिमाद्रि का wish है और वो अभी तक आई नहीं है। तब तक शुरू हो जाओ।"
रुद्र बोलने की कोशिश करता है, "लेकिन..."
रवि रुद्र का बात काट देता है, "लेकिन-वेकीन कुछ नहीं, चलो शुरू हो जाओ..."
इस समय अपना बस ना चलता देख और इन्हें ना मानते देख आखिर रुद्र को हार मानना पड़ता है। और वो अपना बीती जिंदगी के बारे में बताने लगता है।
रुद्र के पिता वीर प्रताप army में थे। वो जब एक माह के छुट्टी के बाद वापस camp पहुचे तब उनके commander ने उन्हें पहले ही दिन फटकार लगाई। commander का आरोप था कि रुद्र के पिता घर से वापस लौटने के बाद practice में अपना ध्यान focous नहीं कर पा रहे हैं। रुद्र के पिता एक कुशल सैनिक थे। अपने शुरुआती समय से ही उनका प्रदर्शन हमेशा बेहतर रहा। लेकिन एक कुशल सैनिक को इस तरह से टूटा हुआ कमजोर देखकर commander ने रुद्र के पिता से अपने दिल कि बात को हल्का करने को कहा। रुद्र के पिता ने उन्हें बताया कि रुद्र कि बुआ हेमलता का रिश्ता, जिसका कार्ड भी छप चुका था, टूट गया। लड़के ने समय के हिसाब से ही शादी करनी चाही, पर रुद्र की बुआ ने समय मांगा। ताकि वह अपने परिवार की स्थिति को पहले संभाल ले फिर शादी करे। वह असहाय हो चुके अपने भैया को पहले संभालना चाहती थी। वह सूत खो चुकी अपनी भाभी को पहले संभालना चाहती थी। और अपने बेटे की तरह परवरिश कर रहे रुद्र को पहले संभालना चाहती थी। रुद्र के पिता को छुट्टी पे आए अभी दो सप्ताह भी नहीं बीते थे कि उनके के साथ एक बहुत बड़ा दुर्घटना घटित हो गया। वे लोग जिस 12 मंजिले इमारत के 7वें floor पर रहते थे वह ढह गया था। उस समय सारा परिवार उसी इमारत मे थी। पर उपर वाले के असीम कृपा से उनकी जान बच गई। पर परिवार को काफी छति हुई। प्रताप की बात सुन कर commander ने उन्हें एक महीने का और छुट्टी देने का प्रस्ताव रखा ताकि रुद्र के पिता मानसिक तौर पर भी ठीक होकर वापस लौटे। क्योंकि जिस सैनिक की रण में मन ना लगे वो खुद को देश के लिए समर्पित कैसे कर पाएगा। लेकिन प्रताप ने इनकार कर दिया। उन्होंने इस हालत से लड़ने का हौसला दिखाया।
रुद्र सतीश, रवि और राजेश को अपनी बीती जिंदगी के बारे में बताता है-
पापा के salary और माँ के कुटीर उद्योग से कमाए पैसे को मिलाकर माँ और बूआ ने new colony के 12 एक बड़े से इमारत में flat खरीदा था। उसके 6 महीने बाद पापा घर आए थे छुट्टी पे। तभी एक आपदा आया और पूरी इमारत कमजोर नीव के कारण ढह गया। उस जगह पर आपदा प्रबंधन ने सिर्फ 8 मंजिल तक का इमारत बनाने का permission grant किया था। लेकिन ठेकेदारों ने कलेक्टर को पैसे खिलाकर 4 मंजिल और बढ़ा दिया। जिसके चलते वह इमारत 5.6 reactor का भूकंप भी झेल नहीं पाया। इमारत की नीव मे आधा पठारी भाग था, जिसके कारण वह एकतरफा होकर गिरा। और हमें चोटे आई पर हम बच गए। उस दिन का घटना जैसे आज भी एक बुरा सपना के जैसे आँखों में आकर परेशान करता रहता है। मेरी माँ पेट से थी। मेरे साथ खेलने के लिए नया मेहमान आने वाला था। उस दिन बूआ की शादी के कपड़े खरीदने के लिए सभी तैयार हो गए थे। बस माँ को बूआ तैयार कर रही थी। मुझे पापा ने माँ और बूआ के साथ निकलने को कहा और खुद auto देखने के लिए पहले निकल गए। तभी माँ ने कहा कि उन्हें कुछ ठीक नहीं लग रहा है। और मैंने भी चीजों को हिलते हुए पाया। बूआ समझ गई की भूकंप आया है। वह तुरंत मुझे मेज के नीचे झुकने के लिए बोली। और माँ को लेकर बचाव का उपाय करने लगी। पूरा building एकतरफा होने लगा जिस से सभी फिसल कर दीवाल में सट गए और कोने में हो गए। जब इमारत धसा तब हमारा flat ऊपर की तरफ था। जिसके चलते मैं आज तुम लोग के सामने हूँ। हम बच गए और नए होने के कारण इमारत में आधे से ज्यादा flat खाली था। लोग अभी तक आए नहीं थे। लेकिन बहुत लोग मारे गए और कई जख्मी भी हुए। पापा को 3 दिन बाद होश आया। मुझे नहीं पता की वो कैसे बचे। मैं जब भी बूआ को पूछता हूँ तो वह बोलती है कि इसे एक बुरा सपना समझ कर भुला दो। मेरे आने वाली नई दोस्त माँ के कोक मे ही मर गई। जब अस्पताल से पापा को discharge मिला उसके कुछ दिन बाद पापा वापस चले गए काम पे। माँ की देखभाल करने के लिए बूआ ने अपना रिश्ता तोड़ दिया। उस समय हिमाद्रि के पिता वीरेंद्र ने हमारी मदद की। पापा और वो बचपन के बहुत अच्छे दोस्त थे। मेरा नाम भी उन्होंने ही रखा था। उन्होंने हमें इस स्थिति से उभरने में हर संभव मदद की। घर बर्बाद होने के बाद उन्होंने ही हमें पनाह दी। 6 महीने बाद पापा वापस आए। उस समय से ही माँ बीमार रहने लगी थी, और 2 साल बाद चल बसी । financial स्थिति खराब होने के वजह से मेरा school change करना पड़ गया। मुझे भी हिमाद्रि के ही school में admission करवा दिया गया। पापा ने army छोड़ दिया। बूआ समाज सेवा का काम करने लगी। मुझे कहीं भी मन नहीं लगता था। school में बच्चे मुझे तंग किया करते थे, तब हिमाद्रि हमेशा मेरे लिए उनसे झगड़ती थी। मैं घर से भी बहुत कम ही बाहर निकलता था। बस हिमाद्रि ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त रही। आर्मी छोड़ने के बाद पापा वीरेंद्र uncle के साथ business partner बन गये । बाद में business बढ़ा तब दोनों अलग-अलग जगह branch में बैठने लगे। अब पापा दूसरे शहर वाला branch संभालते हैं और daily सुबह को जाते हैं और रात में आते हैं। जब हिमाद्रि के बड़े पापा सब भी साथ में रहने का फैसला किया था तब हमलोग अलग घर में sift हो गए थे। वो समय माँ के मरने के 2 महीने बाद का ही था। लेकिन हिमाद्रि हमेशा मेरे से मिलने आती थी और मैं भी कभी-कभी उसके घर चल जाया करता था। जब हमारे school के आखरी साल बचा तब कई ने मुझे तंग करना बंद कर दिया और दोस्ती कर ली। उन्होंने आखरी के दिनों में मुझे कहा था कि काश मैं उनकी तरह होता, तो सभी मिल कर और भी खुल कर मस्ती करते। उन्होंने मुझे कहा कि मुझे वैसे देखकर किसी को भी अच्छा नहीं लगता। तब मैंने खुद को बदलने की कोशिश की। और आज देखो जैसा भी हूँ, तुम्हारे सामने हूँ।
राजेश एक ढेला उठाता है जो की बगल के तालाब में स्नान कर रहे आदमी के बगल में गिरता है। वह इन्हें सुनाने लगता है।
राजेश उसे शांत करने का कोशिश करता है और बोलता है, "sorry चच्चा, गलती हो गया। आपको देखे नहीं थे वरना नहीं फेंकते।" और वह आदमी बड़बड़ाते हुए शांत हो गया।
"तुमने पत्थर फेंका ही क्यू?", रवि पूछता है।
"अरे ऊपर में वो देखो वहाँ पर आम लटक रहा है।" राजेश दिखाते हुए बोलता है।
सतीश बोलता है, "कोई बात नहीं मैं तुम लोग को लौटते समय बाजार से लेकर खिला दूंगा।"
इसपर रुद्र बोलता है, "लेकिन पेड़ से तोड़ कर आम खाने का तो मजा ही अलग रहेगा।" और वह पेड़ पर चढ़ जाता है।
रुद्र के पेड़ पर चढ़ने के बाद हिमाद्रि कोमल की scooty में उसके साथ आती है पर रुद्र को ऊपर पत्तियों के घने होने के कारण देख नहीं पाती।
रवि पूछता है, "अरे कोमल तुम यहाँ...?"
कोमल जवाब देती है, "हिमाद्रि को रास्ते में देखे। पूछने पे बताई की सतीश सब से मिलने जा रही है। तो मैं भी यह देखने आ गई कि मेरे बगैर आखिर मंडली कौन-कौन कर रहा है...। पर लगता है मुझे देखकर तुम लोग को खुशी नहीं हुआ...?"
सतीश बोलता है, "अरे खुशी तो बहुत है। actually यह surprising है, बस इसलिए।"
हिमाद्रि पूछती है, "रुद्र कहीं पर दिखाई नहीं दे रहा...?"
कोमल हिमाद्रि से पूछती है, "पर उसे यहाँ पर क्यूँ होना चाहिए...?"
हिमाद्रि जवाब देती है, "उसका bike है यहाँ पर।"
तभी आम के जैसे रुद्र ऊपर से तपाक से गिरता है। अपने कमर पर हाथ रखते हुए बोलता है, "हाय...! मेरी कमर...!"
सभी देखकर चौक जाते है। हिमाद्रि रुद्र को चिढ़ाती है, "क्या है रुद्र..., दिन में चाँद-तारे देखने का मन था क्या ?"
रुद्र कराहते हुए बोलता है, "तुम्हारे लिए तोड़ के लाने का मन था।"
सभी सुन के हंसने लगते है और रुद्र को आराम से पकड़ कर जमीन पर बैठा देते है।
कोमल बोलती है, "सुना है आज सतीश अपना love-story सुनाने वाला है...?"
सतीश हामी भरते हुए सर हिलाता है। और कोमल आगे बोलती है, "तो फिर शुरू हो जाओ।"
रवि बोलता है, "अभी नहीं। पहले यह बताओ की बीच मे pop-corn खाने के लिए लाई हो ?"
कोमल बोलती है, "pop-corn तो नहीं है मेरे पास लेकिन scooty में lays है। चलेगा तो बोलो..."
राजेश बोलता है, "अरे जो भी है लाओ ना यार। कब से भूखे मर रहे है।"
हिमाद्रि अपने bag निकालते हुए बोलती है, "बादाम चलेगा...?"
कोमल surprisingly पूछती है, "तुम यह कब खरीदी ?"
हिमाद्रि smile से भरे face में नजरे थोड़ा चुराते हुए बोली, "पहले ही ले लिए थे। रुद्र को बहुत पसंद है।"
रुद्र आवाज लगाते हुए बोलता है, "गिरने के बाद भूख लग रहा है यार। समय बर्बाद मत करो जल्दी से अपना कथा सुनाओ फिर कहीं पर नास्ता करने चलेंगे।"
सभी के रजामंदी के बाद सतीश शुरू हो जाता है।
सतीश सभी को बताने लगता है कि कैसे वह अपने छोटे भाई राकेश के मौत के बाद कैसे बहुत चिड़चिड़ा हो गया। वह इसका कारण समाज में फैले अंधविश्वास और अपने घरवालों की लापरवाही को मानने लगा था। वह अपने घरवालों की बातों को अनदेखा करना शुरू कर दिया। लोगों के छोटी-छोटी बातों से चिढ़ने लगा। वह धीरे-धीरे लोगों से अपने रिश्तों को खराब करने लगा और फिर सभी ने उसे कोसना शुरू कर दिया। उसका परिवार उसका अपना था। लोग अपने थे। इसलिए कोई उसे दुत्कारता तो नहीं था, पर व्यवहार से पता चलने लगा कि लोग उस से अब बात करना पसंद नहीं करते। सतीश के साथ अब कोई बात करना पसंद नहीं करते, उसकी मौजूदगी अब सभी को खलने लगा था। सतीश अब और भी ज्यादा चिड़चिड़ा होते जा रहा था क्योंकि सभी के व्यवहार से उसे भी लगने लगा था की उसका अब कोई नहीं। जब सतीश 9वी कक्षा में पहुँचा तब उसने tution join किया। जहाँ उसकी मुलाकात उसकी दिलरुबा से हुआ। वैसे तो वह उसे पहले से ही जानता था। उसे पसंद भी करता था। पर उसके आने के बाद उसकी जिंदगी बदलने लगी। सतीश के व्यवहार में सुधार आने लगा। वह ट्यूशन जल्दी पहुँचता और कभी absent भी नहीं करता। सतीश को अब लोगों के साथ समय बिताने के लिए समय मुश्किल से मिलने लगा। जब समय ही नहीं बिताता तो किसी के साथ खराब व्यवहार करने की तो बात ही नहीं होती। इसलिए धीरे-धीरे सभी के साथ रिश्ते पहले की तरह ही सामान्य होने लगा। उसकी जिंदगी में ऐसा वक़्त आया जब उसे अपने दिलरुबा से अलग होना पड़ा, पर जिंदगी ने सतीश को जीना सीखा दिया था। इसलिए सतीश फिर से लोगों के साथ बुरा करने के बजाय अच्छा बनने का निर्णय लिया। और फिर वह खुद के अंदर छुपे बुरे इंसान के साथ अंदर ही अंदर लड़ने लगा।
[अब आप सोच रहे होंगे कि मुझे आखिर सब कुछ कैसे पता है, और मैं क्यूँ इनके अंदर छुपे बुराइयों को जानने के बाद भी इन्हें पसंद कर रहा हूँ। तो आपको यह समझने की जरूरत है कि मैं तो समय हूँ। मुझे सभी के अच्छे बुरे व्यवहार और कर्म पता है। जो किसी ने किए, जो कर रहा है, और जो आगे करेगा। तो फिर किसी के साथ भेदभाव करना मेरे लिए सही नहीं है। आज के समय में लोग किसी व्यक्ति के किसी एक काम के तर्ज पर उसका मूल्यांकन कर देते है, फिर उनसे उम्मीदें करने लगते है जिसके कारण वे लोग निराश हो जाते है। जबकि ऐसा नहीं ना है। लोगों की personality सिर्फ उतनी नहीं है जितना कोई उन्हें जानते हैं। तो फिर उनका व्यवहार, उनके कार्य हमेशा वैसे कैसे हो सकते है जैसा कोई आशा करते है...? अपने भावनाओं को express करने के लिए मैंने इस कहानी के लेखक कृष्ण कुणाल को चुना। यह वैसे तो St. Columba's College में English से स्नातक कर रहा है, लेकिन यह मेरे लिए उम्मीद है कि अच्छा जरिया साबित होगा। मैं इसके life में different-different methods से inspiration देने का काम करता हूँ। यह जितना समझता है, बताने का कोशिश करता है। उम्मीद है कि आगे यह और भी बेहतर होता जाए, ताकि मैं इससे भी बड़े और गहरे lessons आप सभी को कृष्ण के जरिए बता सकूँ।]
सतीश सभी को बताता है-
जब मेरा school छोड़ने के लगभग 1 साल हुआ, तब +2 के समय मैं एक दिन tution से विशाल के साथ निकला।
विशाल ने मुझसे कहा, "यहाँ 5 मिनट रुको दिवाकर notes लेने के लिए आने को बोला है। वो आता होगा, हम उससे मिलकर चलेंगे।"
मैंने उससे कहा, "नहीं, मैं नहीं रुकूँगा। प्रिया आने वाली होगी मैं garden जा रहा हूँ उससे मिलने।" और मैं नहीं रुका, मैं जाने लगा।
पीछे से विशाल ने आवाज दी, "वो सच में आएगी ?"
मैंने जाते-जाते कहा, "हाँ, वह हमेशा आती है।" और वहाँ से निकल गया।
रास्ते में चलते-चलते मौसम खराब हो गया। कुछ एक-दो बूंद टपकने भी लगा। मैंने छतरी निकल लिया। फिर बारिश बंद हो गया। मैंने छतरी बंद कर ली। जब मैं garden पहुंचा, तब gate के पास ही gardener मुझे देखते ही बोला, "सतीश, बहुत दिनों बाद आए हो। Cycle उधर किनारे पे रखो।"
मुझे यह सुनकर झटका लगा, कि मेरे पास cycle थी और मैं class से यहाँ तक पैदल टहल कर आया हूँ। मैंने cycle खड़ी की और garden के अंदर जाने लगा। तभी ऊपर बदल गरज। मैंने ऊपर देखने के लिए माथा किया की तभी फिर से कुछ बूंदें मेरे चेहरे पर पड़ी। मेरी आंखें बंद हो गई, और फिर बारिश धीरे-धीरे बढ़ने लगी। मैंने दोबारा अपना छाता निकाला तो मैंने देखा कि छाते का एक तार टूटा हुआ है। मुझे यह देखकर दोबारा हैरानी हुआ कि अभी तो मैंने इसे बंद किया था, तब तो सही सलामत था। पर तुरंत...। तभी एक आदमी मुझे धक्का देकर वहाँ से चला गया। उसके छाते की हालत ज्यादा खराब थी। मैंने अपने छाते की तरफ देखा तो मेरे छाते की हालत भी अब वैसी ही थी। मैं अपने छाते को देखकर यह सोच रहा था कि शायद बारिश और हवा की वजह से मेरे छाते का यह हाल हुआ। पर बारिश तो इतनी भी तेज नहीं थी। फिर एक आदमी ने मुझसे बगल होने को कहा। उसकी छाते पे चिथड़े सिये हुए थे। मैंने अपने छाते को देखा तो मेरा छाता भी अब वैसा ही हो गया था। मैंने तुरंत दोबारा उस आदमी को देखा तो उसे देखकर मैं दंग रह गया। वो मैं ही था, बुरी हालत में, कमजोर, बेबस, लाचार दिखता हुआ। मैं उसे एक-टक देखता ही रह गया। जब मैं पलक झपकाई तो मैंने देखा कि वो सामने से ओझल हो गया था। मेरे दिमाग में उस समय सिर्फ एक ही बात आई कि यह vision है। संभावना, जो शायद मैं इसी तरह अगर प्रिया के सपनों में खोया रहा, उसका दीवाना या उसके पीछे पागल बना रहा तो आगे सच भी हो सकता है। मैं सच में पागल हो सकता हूँ। इसलिए मैंने यह descision लिया कि मैं प्रिया को भुलाकर अपने life में आगे बढ़ जाऊँगा। मेरा अंतर्मन यह चिल्ला-चिल्ला कर कहना चाह रहा था कि मुझे अब होश आ गया है, अब मैं ठीक हूँ। कोई मुझे मेरे घर ले जाओ, मेरे अपनों के पास ले जाओ, मुझे किसी psychiatrist के पास ले जाओ। इससे पहले कि मुझे फिर से दौरे पड़े, मैं फिर से अपने कल्पनाओं में खो जाऊँ। इस बात पर मुझे खुद पर हंसी भी आया, अगर मैं ऐसा कुछ करता तो लोग मुझे सच में पागलखाने में डाल देते।
तभी विशाल ने मेरे कंधे पे हाथ रखा और कहा, "सब कुछ ठीक तो है ?"
मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ में छाता भी नहीं है। मौसम भी शांत ढका हुआ पर सुहावना है। और कोई बारिश भी नहीं हुई।
मैंने आराम से कहा, "हाँ अब सब कुछ ठीक है।"
विशाल ने मुझसे पूछा, "कौन है यह प्रिया ?"
"प्रिया...!", यह नाम सुनकर मुझे फिर से झटका लगा। मुझे अब यह नाम तो सुना-सुना सा लग रहा था। पर मुझे चेहरा याद नहीं था, बातें याद नहीं थी, कोई यादें याद नहीं थे।
मैंने विशाल से कहा, "मुझे यहाँ से ले चलो यार। मैं थका हुआ सा महसूस कर रहा हूँ। मैं आराम करना चाहता हूँ।"
मुझे वह किस्सा मेरे बुरे सपने की तरह आज भी याद आता है। मुझे जब सभी यादें याद आती है तब सब कुछ भुला देना चाहता हूँ। और जब सब कुछ भूल जाता हूँ तब मन बीती बातों को दोबारा जानना चाहता है। life में अगर तीन चीजें हो ना...: जब लोग दुत्कार दें, जब अपने साथ ना दे, और जब खुद की अंतरात्मा हारा हुआ महसूस करने लगे ; तब छमता होते हुए भी, पाने की तड़प होते हुए भी, कदम नहीं बढ़ते। सबसे ज्यादा जब खुद से हारे हो। उस समय हमारे गिरने का समय होता है। जिंदगी इम्तिहान ले रही होती है हमारा, कि हम कितने काबिल है।
सतीश के बात खतम करते ही सभी के बीच एक आम गिरा। सभी ने देखने के लिए जब नीचे नजर की कि क्या गिरा तब फिर से एक आम गिरा। इसके बाद सब की नजर ऊपर की तरफ गई, तो सब ने देखा कि रुद्र ऊपर से कुछ आम तोड़कर इनके बीच फेंक रहा है।
राजेश जोर से बोलता है ताकि रुद्र तक आवाज पहुंचें, "तुम सतीश को सुन नहीं रहे थे क्या ?"
रुद्र ऊपर से ही जवाब देता है, "इसकी बात को सुन ने की जरूरत तुम लोगों को थी, मुझे नहीं। क्योंकि तुम इसे समझना चाहते थे, इस से expextations बनाते हो। पर मैं सतीश को वैसे eccept करता हूँ जैसे यह है। मैं इस से किसी चीज का आशा नहीं करता।"
हिमाद्रि रुद्र को आवाज लगाती है, "अच्छा उतरो जल्दी। अब हमारे पेट में भी चूहे दौड़ रहें है। किसी restaurant में चलते हैं।"
रुद्र जवाब देता है, "ठीक है उतर रहा हूँ। लेकिन वो आम तो उठा लो, पके हुए है।"
राजेश बोलता है, "रुको, मैं उठा रहा हूँ।"
कोमल सतीश को देखकर बोलती है, "I'm sorry, पर तुम्हें भी sorry कहनी चाहिए।"
सतीश कोमल को जवाब देता है, "कोई बात नहीं, पर..."
इसे रवि पूरा करता है, "पर, दोस्ती में no sorry, no thankyu. Only मस्ती ।"
हिमाद्रि पूछती है, "अब यह कौन सा किस्सा है ?"
रवि बोलता है, "यह किस्सा तुम मुझसे कभी सुन लेना।"
हिमाद्रि बोलती है, "तुमसे...?"
राजेश जवाब देता है, "भाई को लल्लू मत समझो। इसके पास ज्ञान सतीश से भी ज्यादा है।"
हम नहीं जानते की कब किसके साथ क्या बीत रहा है या किन परिस्थितियों से गुजर रहा है। इसलिए उनसे कुछ expect करना और उनके उसी के अनुरूप व्यवहार करने का hope करना सही नहीं है। लोगों को अपने decisions खुद लेने देना चाहिए। कौन किस हाल में है और क्या करना चाहिए यह समझने के लिए ऊपर वाले ने उन्हें दिमाग दिया है। हमें दूसरों के जिंदगी का फैसला लेने का कोई हक नहीं।
---+++++---
-AnAlone Krishna
Published on, 23rd June 2018 A.D.
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
Facebook page, https://m.facebook.com/an.alone.krishna
Instagram account, https://m.instagram.com/an.alone.krishna
Twitter account, https://m.twitter.com/AnAloneKrishna
Post a Comment
I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻