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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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Was it really a proposal ? | Bilingual story by AnAlone Krishna

  हमदर्द सा कोई | Is it a proposal ?

Chapter 3:-

Was it really a proposal ?

(जब किसी ऐसे लड़के को proposal आता है जो single रहना पसंद करता है, तो वह क्यूँ उसके सामने बहाने नहीं बना पाता और उसे ना नहीं कर पाता है। जरूर पढ़ें और अगर पसंद आये तो share करें।)



Chapter 1 Chapter 2 | Chapter 3
Was it really a proposal ?


सतीश शम्पा की दाईं हथेली को अपनी बाई हथेली से पकड़ा, left turn किया, उसके कमर पर दाईं हथेली को रखा और बाहर की ओर साथ ले जाते हुए बोला- "नहीं । मैंने उसे बस एक अच्छे दोस्त की नजरिये से देखा है। उससे ज्यादा कभी नहीं।"
सतीश अपनी शादी में बारात के लिए तैयार होने के बाद बाहर ले जाने आई अपनी cousin sister शम्पा को बारात के लिए निकलते वक़्त बोलता है। 

आप सोंच रहे होंगे कि अभी तो बस proposal ही चल रहा था, अभी तक दोनों families में aproval नहीं मिला और direct शादी हो रही है। वो सब chat-date कब किये, family को कैसे मनाएं, etc. तो कुछ बताया ही नहीं। Actually मेरी भी कृष्ण से यह शिकायत है। लेकिन वो कहता है कि "ये सब किसी और writer के किसी और stories में पढ़ लो कि इन मामलों में क्या situations आते हैं और और उसे different couples कैसे handle करते हैं। मैं अपनी stories से जो समझाना चाहता हूँ, आप वो समझने की कोशिश करो। "Is it proposal ?" के माध्यम से मैं यह समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि अगर आपको कोई ऐसा person मिले जो लगे कि आपके wish के according सही है, तो उसे express करना पड़ता है, और situations कभी favourable नहीं होते। इनको अपने according favourable बनाने की कोशिश करनी पड़ती है। बात रही सही समय, यानी कि मेरी, तो इस बारे में इस chapter में पहले पढ़ लो। मैं बात में बताऊँगा। तो.., हम कहानी में आगे बढ़ते हैं।

बारात निकाली, फिर शादी हुई, और उसके next day reception भी बीत गया। रात में party खत्म होने के बाद अगली सुबह नई नवेली दुल्हन, यानी कि मेहक को उसका भाई Rony शादी के बाद 1st time मायके जाने वाले रस्म के लिए अपने साथ घर ले गया। उसके बाद सतीश अपने कमरे में जाकर पेट के बल सो गया। वह अपनी शादी के वजह से 3-4 दिन से थके होने और ठीक से ना सोने पाने की वजह से काफी सुस्त था। वह खाना भी भर पेट नहीं खाया, बस थोड़ा सा नाश्ता और 2-4 fruits खाकर ही सो गया। जब वह उठा तो दोपहर के 2:30 o'clock हो रहे थे। मगर बाहर बारिश हो रही थी। वह सबसे पहले fresh होने के लिए bathroom गया। फिर वहाँ से निकला तो बारिश बंद हो चुकी थी। वैसे तो वह पूरी कपड़े पहने हुए था। लेकिन उसके थोड़े लंबे बाल अभी गीले थे। वह towel से बाल पोंछते हुए Kitchen की ओर गया, गीले towel को sofe पे रख दिया और kitchen में जाकर खुद से अपने लिए 1 plate भरकर खाना निकाला। उसके बाद kitchen से बाहर hall में निकला, sofe से towel को कंधे पे रखा, 1st floor चढ़कर उसे balcony के सामने सूखने के लिए टांग दिया और mug में पानी भरकर, उसे भी खाने के साथ लेकर छत पर चल गया। वह सीढ़ियों को खत्म करके छत पर आगे बढ़ते हुए बोलता है,

"ऐ खुली-खुली हवायें,
ऐ रंगबिरंगा समां ।
अब मौका है जी लूँ तुझे ।
तुने ही अबतक लुभाया था मुझे ।।
है रीमझिम बरसता बादल,
और ये हरी-भरी सी धरती ।
ऐ जिन्दगी, उसपर ये बहार,
मुझे अपनी ओर आकर्षित करती ।।"
[Lines from "पहली दिल्लगी-शुरुआत सपनों की"]

यह सुन कर शम्पा पीछे मुड़ती है। वह किसी पेड़ के कटे-सूखे रखे मोटे तने, जो कि कमरे और छज्जे के बीच की दीवार के ऊपर की छत के ऊपर रखा हुआ था, उसपर बैठ कर छत के किनारे से बारिश में गीले पेड़ और उसके पत्तो को, खेत और मिट्टी को देख रही थ, और उसके पार railway-track को देखकर अपना बचपन याद कर रही थी। वह जब सतीश की बात सुनकर मुड़ी तो आँखे थोड़ी नम थी और चेहरे के भाव से ऐसा कि मानों वह कुछ बोलने वाली हो, पर वह कुछ नहीं बोलती है। तब सतीश ही मुस्कुराते हुए बोलते हुए बैठता है,

"बातें आती है याद , और ख्वाबें भी सारे ,
राह में चलते-चलते , वो यादें भी सारें ।
मै आता हूँ , और तुम भी आते हो ,
बस ना आते इस गली मे , हमराह हमारे ।
देख कर नम आँखो से , तेरा हल्का सा मुस्कूराना ,
लगता है कि मेरे जैसे हैं , मिलते-जुलते जज्बात तुम्हारें ।।"

Shampa पूछती है, "क्या मतलब कि मिलते-जुलते जज्बात मेरे ?"
सतीश बोलता है, "क्या तुम्हें हमारा वो बचपन याद नहीं आ रहा जब हम ऐसे ही बारिशों के बाद उन खेतो के कीचड़ और घास पर sliding करने चले जाते थे। फिर किसी दिन अगर बाकी बच्चे नहीं आते थे तो मैं, तूम और अमायरा उन पटरियों के ऊपर चलते हुए गाँव के station चले जाते थे। जहाँ मेरे पापा, या फिर तुम्हारे पापा, या फिर अमायरा के पापा, या फिर कोई uncle सब, मतलब कोई ना कोई हमें मिल ही जाते थे। जो कभी भुट्टे, पकौड़ी, कुछ ना कुछ तो खिलाते ही थे। या कभी हमें कोई नहीं मिलते तो भी hotel वाले से उधार में ही यह बोल कर कि सुबह school आते वक़्त पैसे दे देंगे, हम गरम-गरम समौसे, आलूचोप, bread-chop खाते थे। हमें घर में कितनी डाँट पड़ती थी, कि हम घर को छोड़कर ऐसे मौसम में बिना बताए चुपके से भाग जाते थे। राकेश मम्मी की डांट के डर से हमारे साथ कभी नहीं जाता था। और जब तक हम घर आते थे, उसके मुँह में, pocket में मम्मी के प्याज वाले पकोड़े भरकर घर से निकलता था। जिसे हमलोग लूटते थे और हम और extra डाँट उसके लिए भी सुनते थे।"
इसपर शम्पा पूछती है, "तुम्हें सब याद है ?"
सतीश पूछता है, "क्या मतलब ?"
शम्पा बोलती है, "मैंने सुना था कि लड़कों की memory week होती है। ये यादें मेरे लिए भी धुँधली हो गई है। मैं तो बस यहाँ यूँ ही बैठी थी। लेकिन तुम जो खुद को हमेशा भुलक्कड़ कहते हो, ये बातें ऐसे कह रहे हो जैसे कि इन्हें तुमनें  अभी कल ही जीया हो।"
सतीश मुस्कुराता है और शम्पा को बोलता है, "तुम भी साथ चलोगी मेहक को लाने ?"
शम्पा बोलती है, "तुम मुझे भटकाने की कोशिश कर रहे हो !"
सतीश बोलता है, "तुम अगर साथ चलोगी तो मुझे ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा। तुम उसकी friend हो। तुम उसे कम समय मे तैयार करके साथ ले आओगी।"
शम्पा बोलती है, "तुम खाना खत्म करो। तब तक मैं घर में बताकर आती हूँ।" और शम्पा वहाँ सतीश को अकेले छोड़कर छत से चली जाती है।

सतीश अपना ससुराल जाने का तैयारी कर रहा था। कुछ सामान था, शायद मिठाईयां और कपड़े या कुछ जो वह car की डिक्की में रख रहा था। Bullet बंद किया तो शम्पा सामने खड़ी थी। वह बोली, "Car मेरी है, इसलिए मैं drive करूँगी।"
सतीश की माँ, पूर्वी वहीं बगल में थी। वह बोली, "तुम ठीक से drive कर लोगी ?"
शम्पा बोली, "मेरे पास driving license है। आपके बेटे को तो अभी तक वो भी नहीं मिली है।"
सतीश पीछे वाली seat पर बैठते हुए बोलता है, "आराम से चलाना।"
शम्पा driving seat पर बैठी है और car लेकर वहाँ से मेहक के मायके के लिए निकलती है। पीछे पूर्वी के माथे पे घबराहट वाली लकीरें थी। सतीश के father, महेश-पूर्वी के कान में मुस्कुराते हुए बोलते हैं, "वो कहीं ठोक देगी इस डर से उसे car चलाने से मना तो नहीं कर सकते ना..! हमारी बेटियाँ भी car चलाएंगी तभी तो driving skill अच्छी होगी इनकी भी। वैसे भी शम्पा से ज्यादा सतीश को इसकी आदत नहीं है।"

शम्पा सतीश से पूछती है, "निशा बोल रही थी कि तुम उसे पहचानने से इनकार कर दिए थे, जब वह तुम्हें मिली थी। क्या यह सच है ?"
सतीश जवाब देता है, "हाँ।"
शम्पा पूछती है, "तुम ऐसा क्यूँ किये ?"
सतीश बोलता है, "मैं सच में उसे भूल गया था। मुझे यह तो याद था कि निशा नाम की कोई थी class में। But चेहरा और उससे जुड़ी सारी यादें मैं भूल गया था। Actually अभी भी वो सब, कुछ भी याद नहीं। वह तुम्हारे बारे में बोली तो उसकी बात को बस मान लिए।"
शम्पा पूछती है, "ऐसा कैसे ? आज उस वक़्त जो बचपन की सारी बातें जिस तरह से तुम बताए, मेरे यादों में ये सभी बस धुँधली-धुँधली सी है और तुम्हें अच्छे से याद है, तुम उसे कैसे भूल गए ?"
सतीश समझाता है, "ऐसे इसलिए क्यूँकि मैं अपने बचपन को हमेशा याद करता था। बार-बार, जब भी अपने दोस्तों को उन्हें अपने भाइयों से बात करते, care करते देखता था। मुझे उन लम्हों में राकेश का बहुत याद आता था। उसके जाने के बाद भी मैं उसे कभी भुला नही पाया। हर वक़्त, हर लम्हा जो उसके बाद मैं जीया हूँ, उसके यादों को बार-बार अपने यादों में जीते हुए। इसलिए शायद मेरी यादों में उसके बाद की यादें मुझे याद नहीं। बस वही याद है जो उससे पहले थीं।"
शम्पा पूछती है, "क्या मतलब ?"
सतीश explain करने की कोशिश करता है, "राकेश का death मुझे इस तरह से याद है जैसे कि कल की ही बात हो। उससे जुड़े हर moments को मैं revise करता था, इसलिए वो भी याद रहा जो मैंने उस वक़्त तुमसे कहा था। लेकिन अपने बीते वक़्त को जीने के चक्कर में मैंने उस वक़्त के अपने आज को नहीं जीया, जिसके कारण बाद की सभी यादों को वक़्त के साथ मैं भूलता चला गया। जैसे तुम्हारे लिए तुम्हारा बचपन धुँधला सा गया है। मेरे लिए मेरी school की सारी यादें जो राकेश के death के बाद की थी।"
शम्पा बोलती है, "तुम क्या बोल रहे हो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा..।"
शम्पा पूछती है, "तो तुम्हें अपना syllabus कैसे याद है जो कुछ तुम उस वक़्त पढ़े हो ? जो बात-बात पर उन चीजों कल examples हमें देते रहते हो..."

तभी रास्ते के किसी गड्ढे से पानी छिटक कर सतीश के चेहरे पर लगा। सतीश बोला, "थोड़ा आराम से drive करो।"
शम्पा बोली, "हाँ-हाँ, ठीक है। तुम window close कर लो।"
सतीश window close करने लगता है और शम्पा पूछती है, "अगर तुम school की यादें भूल गए हो तो जो तुम पढ़ते हो, वह याद कैसे रहता है ?"
सतीश जवाब देता है, "मुझे कहाँ याद रहता है ! मेरे marks तो हमेशा average ही आता है। अगर मुझे भी चीजें याद रहती तो मैं भी topper नहीं होता ?"
शम्पा बोलता है, "हम school में क्या पढ़े, हमें वो ठीक से याद नहीं। लेकिन तुम आज भी उन topics के बारे में और कौन से chapters में वह थे, वह कैसे तुरंत बोल देते हो ?"
सतीश समझाता है, "उस वक़्त मुझे उसे खोने का दुःख था, जिसके कारण मेरा दिमाग सिर्फ एक चीज पर concentrated था; मेरे अंदर तड़प था उस जिससे मुझे उभरना था, जिसके कारण मुझे clarity थी कि मुझे क्या चाहिए; और उस वक़्त मेरे अंदर उसे अंधविस्वास के कारण ना बचा पाने का गुस्सा था, जिसके कारण मेरे अंदर जो दिल में आये वो कर जाने का जिद्द भी था। मैंने अपने अंदर की इन energies को अपने study में focus कर दिया। ताकि life में इस काबिल बन सकूँ कि सही-गलत का फर्क मुझे समझ आये, सच और झूठ को मैं समझ सकूँ, अंधविश्वासों से खुद को निकाल सकूँ और इन्हें दूर कर सकूँ। तो इसलिये मैंने उस वक़्त जो कुछ भी पढ़ा, इसे importance दिया और बाकी चीजों को नहीं। फिर चाहे मैं topper नहीं हूँ, फिर भी मुझे वो याद है। पर क्योंकि मैं बाकी चीजों को importance नहीं दिया, बाकी मुझे कुछ भी याद नहीं रहा। मैं बाकी बहुत कुछ और बहुतों को भूल गया।"
शम्पा पूछती है, "तब तो तुम प्रिया को भी भूल गए होगे ?"
सतीश पूछता है, "कौन प्रिया ?"
शम्पा surprise करती है, "कौन प्रिया ! प्रिया-प्रियदर्शी, तुम्हारी प्रिया..."
सतीश बोलता है, "क्या मैंने कभी यह तुमसे कहा था कि वह मेरी है, या उसने कि वह सिर्फ मेरी है ?"
शम्पा थोड़ा ग़ुस्साते हुए बोलती है, "अच्छा, तो तुम उसके पीछे मजनू बनकर नहीं घूमता था, school के दिनों में ?"
सतीश समझाता है, "उस उम्र में लगभग सभी को अपनी feelings पर control नहीं होता, बहुत कोई बहकते हैं, मैं भी रीझ जाता था उसके पीछे। But now, that is my past. तो अब तुम गड़े मुर्दे मत उखाड़ो।"
शम्पा आगे पूछती है, "एक समय था जब तुम किसी लड़की को भाव नहीं देता था। पर अब अचानक ऐसा क्या हो गया कि  तुम मेहक को मना नहीं कर पाया ?"
सतीश बोलता है, "सभी से distance बनाने की एक वजह थी।"
शम्पा बोलती है, "हाँ जानती हूँ। पर वह वजह अब क्यूँ किसी काम की नहीं रही ?"
तभी car की एक wheel गड्ढ़े में गई और सतीश को झटका लगा। वह बोला, "आगे side में लो।"

आगे tea stall था। शम्पा को लगा कि वह stall के पास रुकने बोल रहा है। इसलिए वह उसके बगल में रुकी। सतीश उतरा, थोड़ी ठंढी हवाओं में साँस लिया और अपने नाक के ऊपरी दोनों आँखों के बीच के हिस्से को अपने left hand के middle finger and thumb से press किया और अपने गुस्से को अपने अंदर ही दबा दिया।
सतीश कुछ देर खुली हवा में रहने बाद खुद को normal कर पाता है। फिर stall में जाकर कुछ chips, candies, chawing-gum खरीदता है और लाकर car के शीशे के पास के drawer में रख देता है। एक chips का packet उठाकर फाड़ते हुए बोलता है, "चलो ।" और फिर शम्पा car start करती है।

सतीश chips खाते हुए बोलता है, "जब अमायरा मुझे समझाई कि जो मैं करने जा रहा था, वह अगर हमारे घरवालों को पता चलता उस time, specially उसके घरवालों को तो हमें control में रखने का कोशिश किया जाता। जिससे हमारे education and career पर काफी effect पड़ता या destroy भी हो सकता था। इसलिए मुझे उस वक़्त जो सही लगा, जो हो मेरी गलती की वजह से हो सकता था वह मैंने नहीं होने दिया, मैंने दिल की बात को दिल में ही दबा दिया।"
शम्पा पूछती है, "फिर कभी तुम्हें इस बात का regret नहीं हुआ ?"
सतीश जवाब देता है, "Regret होने के लिए यह बात याद भी तो होनी चाहिए ना..।"
शम्पा समझ नहीं पाती। वह पूछती है, "क्या मतलब ?"
सतीश explain करता है, "Farewell के बाद जब मैं Intermediate के लिए other city चला गया, as you know कि मैंने past के किसी भी friend से contact ही नहीं रखा था। मैंने उसे भी कोई contact करने की कोशिश नहीं की। मेरा उस वक़्त जो present था, उसमें इस कदर खो गया कि पढ़ाई और education के अलावा मैं सबकुछ भूल गया। हाँ, दिल में एक एहसास था कि किसी चीज को miss कर रहा हूँ। पर क्या miss कर रहा हूँ, यह पता नहीं था।"
शम्पा आगे पूछती है, "जब पीछे का सबकुछ तुम भूल गया, तो तुम्हारा दिल फिर भी किसी और पर क्यूँ नहीं आया ? कोमल पे.., उसके बातों से तो लगा कि तुम दोनों बहुत करीब थे..।"
सतीश surprise होकर पूछता है, "तुम यह क्या कर रही हो ? जब अब मेरी शादी हो चुकी है, तो फिर तुम यह सवाल क्यों पूछ रही हो ?"
शम्पा बोली, "मुझे तुमपर बहुत गर्व था। मगर बीते दिनों तुम्हारे decisions and actions मेरे मन में doughs create कर दिए हैं। तुम मेरा भाई है, लेकिन मेहक भी मेरी बहुत अच्छी friend है। मैं तुम्हें उसके साथ कुछ भी गलत नहीं करने दूँगी, उसे cheat करने नहीं दूँगी। इसलिए मेरा तुम्हारा mental state समझना बहुत जरूरी है।"
सतीश बोलता है, "मैं हर किसी के लिए sympathy रखता हूँ। उसके लिए भी था। उसे पसंद करता था, अभी भी करता हूँ, but only as a friend. मैं उसकी care तो करता हूँ, पर हमेशा यह महसूस किया हूँ कि दिल उसे मेरे करीब कभी आने नहीं दिया। उसकी मौजूदगी में अजीब सी घुटन महसूस होती थी। सिर्फ उसकी क्या, किसी की भी मौजूदगी में भी...। यहाँ तक कि मुझे किसी के चेहरे में अपनेपन का भाव पसंद नहीं आता था, किसी की हँसी पसंद नहीं आती थी। मन करता था कि उनके पेट मे छुरा घोप दूँ। जब मैंने यह समझने की कोशिश की कि क्यूँ मैं ऐसा कुछ feel करता हूँ, तो मैंने यह पाया कि मैं हर किसी की तुलना प्रिया से कर रहा था। मैं हर किसी में प्रिया को ढूँढने की कोशिश कर रहा था। पर जब वह उनमें महसूस नहीं होती तो मेरा दिल उनसे distance बनाने लगता और मुझे उनकी मौजूदगी बर्दाश्त नहीं होती थी। मैं बाहर से भले normal था, मगर अंदर से मैं इन्ही जज्बातों के साथ हर दिन और पल struggle करता था।"
शम्पा पूछती है, "जब तुम्हारे दिल से प्रिया के लिए feelings कभी गई ही नहीं, तो फिर तुमने मेहक से शादी क्यूँ की ?"
सतीश जवाब देता है, "तब तक feelings मेरे दिल से नहीं गई थी। But अब उसे मैं खो चुका हूँ।"
शम्पा पूछती है, "क्या मतलब ?"
सतीश समझाता है, "हम जिस भी चीज को चुनते हैं, accept करते हैं, उसके according उसके साथ ढलने लगते हैं। हम बदलने लगते हैं। मेरे दिल में उसको लेकर जज्बात तो वही थे। मगर last time जब मैं उससे मिला, दुर्गा पूजा में घर आते वक़्त, तो मैंने जो महसूस किया वह थोड़ा अलग था। मेरे दिल में जिसको लेकर कभी feelings हुआ करती थी, वह यह नहीं थी, यह कोई और थी जिसे मैं नहीं पहचानता था। मुझे समझ आया कि वह भी बदल चुकी है। मुझे जिससे प्यार था, वह यह नहीं है, तो फिर मैं इसे अपना प्यार कैसे दे सकता हूँ ! तब समझ में आया कि जिसका साथ चाहो, उसके सामने confess करके relationship में आना कितना जरूरी होता है। ताकि हम एक दूसरे के साथ, एक दूसरे के लिए और एक दूसरे के according life में ढल सके। मेहक मुझे अच्छी लगी। First meeting में तो प्यार नहीं हुआ, but यह कुछ special लगी। पर जब अपने father के सातब मेरे घर आई, मुझसे बात की, मुझे convince की, मुझे ऐसा लगा कि मेरे life में जो मुझे कमी खलती है वह इससे पूरी हो सकती है। मेरे अंदर का अधूरापन इससे पूरा हो सकता है।"
शम्पा थोड़ा नाराज होते हुए बोलती है, "यह तो तुम्हारा एक-तरफ़ा decision उसपर थोपना हुआ। अगर तुम्हारे दिल में कभी प्रिया के लिए feelings थी, तो प्रिया के दिल में भी तो कभी तुम्हारे लिए feelings हुआ करती थी। तुम कभी पूछा उससे कि वह फिर से पहले जैसी बन सकती है या नहीं, या तुम्हारे साथ तुम्हारे according ढल सकती है या नही..?"
सतीश शम्पा को समझाने की कोशिश करता है, "इस दुनियाँ में हर चीज साबित करनी पड़ती है। अगर किसी चीज की ख़्वाहिश दिल को हो तो उसे express करना पड़ता है। अगर कुछ पाने की चाहत हो, तो पहले खुद को उसके काबिल दिखाना होता है। अगर किसी से प्यार करो तो उसे special feel करवाना होता है। पर यह सब हम लड़को को ही क्यूँ करना होता है ? किसी एक लड़की के इश्क़ में लड़के ऐसे compete करते हैं जैसे किसी game में players trophy के लिए। पर ना ही वह कोई object थी जो as a trophy best player को मिले with a suitable prize money, और ना ही मैं कोई puppet था जिसके सामने boll फेंको तो वह बार-बार लपक कर उसे लाने जाएगा। We're human. But अगर उसे वैसी ही जिंदगी जीनी थी, तो sorry... उसपर मेरा फिदा हो जाना, वह मेरे teenage की गलती थी। And now I'm mature."
शम्पा पूछती है, "उसने कभी तुमसे नहीं कहा कि वह तुमसे प्यार करती है ?"
सतीश सीधा जवाब देता है, "कभी नहीं।"
शम्पा दो पल ठहरती है और फिर पूछती है, "क्या तुम कभी कोमल को propose करने के बारे में सोंचा ?"
सतीश बोलता है, "इसका फायदा क्या ?"
शम्पा गली में tern लेते हुए पूछती है, "अब इसका क्या मतलब ?"
सतीश बताता है, "कोमल से शुरुआत में मेरी closeness अच्छी थी। But बीच में friendship थोड़ी खराब हो गई। तब उसकी और राजेश की अच्छी friendship हो गई। बाद में हम फिर से आपस में friends बने, but वो दोनों एक दूसरे के मुझसे ज्यादा close हैं। पहले आपस में बच्चों की तरह झगड़ा करते हैं, फिर मुझसे एक-दूसरे की शिकायतें करते हैं, उसके बाद मैं जब उन्हें डाँट लगाऊँ, तो एक-दूसरे के लिए मुझसे झगड़ा करते हैं।"
शम्पा पूछती है, "क्या वो दोनों boyfriend-girlfriend हैं ?"
सतीश जवाब देता है, "वह ढिंढोरा पीटते थोड़ी ना चलेंगे। But I can trust them. जब दिल करेगा, वो खुद बताएंगे"
यह सुनकर शम्पा break लगा देती है और car रुक जाती है। वह पूछती है, "मतलब तुम पूछा भी नहीं ?"
सतीश जवाब देता है, "होंगे भी तो इतनी आसानी से थोड़ी ना मेरे सामने वो accept करेंगे।" और हाँथ जोड़कर बोलता है, "मेरी शादी हो गई है मेरी माँ। अब मेरे past को past में रहने दो और present में नई शुरुआत करने दो।"
शम्पा होंठो में smile के साथ गुस्साए हुए अंदाज में बोलती है, "पहुँच गया। उतरो..।" और Rony, मेहक का भाई car का gate खोलकर इन्हें receive करता है।

पहुँचने के बाद तो कुछ खास सेवा-सत्कार हुआ नहीं। वही जो normally हर शादी के बाद दूल्हे को मिलता है, बस वही वो भी सिर्फ कुछ देर के लिए। तो ये सब important नहीं है। इसलिए ये सब हम skip कर देते हैं। सतीश वापस जाने के लिए car Rony के main gate के सामने लाया। नई-नवेली दुल्हन मायके से वापस ससुराल जाने के साथ खूब सारा luggage पीछे के seat पर रखकर साथ ले जा रही थी। इसलिए शम्पा आगे सतीश के बाएं वाली seat पर बैठ गई।
सतीश पूछा, "आखिर इतना क्या-क्या लेकर जा रही हो ?"
मेहक जवाब दी, "आधे से तो ज्यादा मम्मी rituals के लिए बोलकर जबरदस्ती दे दी है, और मेरे कुछ books है।"
सतीश car start करता है और वहाँ से घर के निकलता है।
शम्पा पूछती है, "अच्छा एक बात बाताओं, तुम दोनों हमेशा ऐसा show करते हो कि तुमलोग career को लेकर बहुत ambitious हो। हमेशा distractions को avoid करते आये हो। तो फिर अब ऐसा क्या हो गया कि तुम दोनों ने ऐसे अचानक शादी कर ली ? मतलब actual reason क्या है ? यह जब तक life में कुछ बन ना जाये, तब तक शादी नही करना चाहता था। तुम भी अपने पैसो से अपनी शादी के सारे खर्च उठाना चाहती थी। तो फिर ऐसा क्या हो गया कि तुम दोनों अपना इरादा change करके सीधा शादी ही कर लिए।"
मेहक जवाब देती है, "हम दोनों कहाँ किये। हमारे घरवालों ने हमारी शादी जबरदस्ती करवा दी।"
शम्पा पूछती है, "तुम तो पहले chat-date करके सतीश को पहले अच्छे से समझना चाहती थी। फिर तुम शादी के लिए मान कैसे गई ? मतलब तुम दोनों ही rebellious nature के हो, घरवालों की नहीं सुनते। फिर कैसे agree हो गए ?"
मेहक बताती है, "हमारी मम्मीयां, हम उन्हें मिलाने के लिए shopping का बहाना बनाकर mall लेकर गए। लेकिन वो दोनों पुरानी सहेलियाँ निकली। उसके बाद लगता है कि उनके जिद्द के आगे हमारे पापा का कुछ चलने वाला था !"
शम्पा आगे पूछती है, "और तुम्हारा career, life goal, ambition, उसका क्या होगा।"
मेहक बताती है, "इसके बारे में उनका कहना है कि career और relationship में stability लाते-लाते आधी उम्र निकल जाती है। पर वह वक़्त कभी नहीं आता जब ऐसा लगे कि अब सभकूछ सही है। हमेशा कुछ ना कुछ life में कमी या problems होतें ही है। इसलिए अगर एक-दूसरे को पसंद करते हो तो बस आपस में commitment करो कि चाहे वक़्त जैसा भी हो, life में चाहे situation जैसा भी हो, हमेशा एक दूसरे के साथ रहोगे, यूँ ही एक-दूसरे को प्यार करते रहोगे, और शादी करके relationship में आ जाओ।"
शम्पा excited होकर पूछती है, "फिर भी ऐसे अचानक ? मतलब थोड़ा तो time मिलना चाहये था तुम दोनों को आपस में एक दूसरे को जानने-समझने का..।"
मेहक जवाब दी, "मिला ना..।"
शम्पा हैरान होकर पूछी, "कब ?"
मेहक जवाब दी, "दोनों family के आपस में साथ बैठकर शादी के लिए मुहूर्त निकालने तक।"
सतीश बोलता है, "हमारा वक़्त ही खराब चल रहा था। हमें जरा भी वक़्त नहीं मिला, कुछ सोंचने-समझने और कुछ करने के लिए। सब जल्दी-जल्दी हो गया। सब समय का दोष है।"

सब दोष समाय का है !, यानी कि मेरा। कैसे ? जिसने जैसा चाहा, मैंने खुद को उनके according ढालकर situation को उनके according बना दिया। फिर भी गलती मेरी कैसे हो गई ? सतीश ने अमायरा की बात मानकर प्रिया के जगह अपने career को चुना। अपने जज्बातों को ignore करके अपने अंदर दबाया, जिसका side effect उसके life में बाद में हुआ। उसमें मेरी क्या गलती हुई ? जब इससे वह उभरना चाहा तो उसे उसके life में कोमल जैसी friend मैंने दिया। अब वह अपना attitude नहीं बदल सका और उसे hurt कर दिया, तो इसमें गलती मेरी थी ? जब उसे प्रिया की कमी सताने लगी तो प्रिया को भी उसके life में वापस ला दिया। क्या उसने तब उसके सामने अपने दिल की बात को express किया या उसने प्रिया के मन के भाव को जानने की कोशिश की ? खुद उससे move on करने का decision लिया, मैंने कहा था क्या ऐसा करने को ? मेरे लिए सतीश मेरा अपना और बाकी सभी पराए तो नहीं है। वो इसके जाने के बाद जहाँ गई, इसकी याद में रोते तो नहीं रहेगी। जो situation था उसके according ढल गई। अगर सतीश को अपने अपनों को वक़्त देना नहीं आता तो उसमें मेरी क्या गलती है ? उसे अपने दिल की बात वक़्त रहते express करने नहीं आता तो मैं क्या करूँ ? मैं पूरी कायनात को उसके लिए रोक कर उसके हिम्मत करके बोलने का wait तो नहीं करूँगा..। कोमल और राजेश भी इतने अच्छे friend थे, कभी उनसे इसने बात की ? बस जो दिखा, जो लगा मान लिया। अब मैं individually तो आकर किसी के choice को influence अपने according तो नहीं ना करूँगा। अगर मैं यह करता तो वो भी तो गलत ही ना होता। आखिर सभी को अपने according life जीने का अधिकार है। मेहक भी जब इसके life में आई तो उसे यह directly मना नहीं किया, बहाने बना रहा था। इस मामले में तो मेहक इससे लाख गुना अच्छी है। वक्त रहते अपने दिल की बात को express की और situation को अपने according favourable बनाने की at least कोशिश तो की। उसने अगर ऐसा किया भी तो ऐसा लड़के के लिए जिसके अंदर अपने feelings को express करने की छोड़ो, ठीक से accept करने की भी हिम्मत नहीं थी और ना है। इसमें मेरी गलती नहीं ना है। उसके दिल मे सतीश के लिए चाहत मैंने नहीं जगाया। यह इन सभी की ऐसी किस्मत लिखने वाले इनके भाग्यविधाता का काम है, मेरी नहीं। मैं तो बस कृष्ण के लिखे stories को सिर्फ आपको बता रहा हूँ। हर किसी के parents अपने बच्चों की खुशी के साथ-साथ उनके secure future की भी care करते हैं। वैसा ही उनके parents ने भी किया। अब इसमें मेरी क्या गलती है ? मैं किसी के लिए भी अच्छा या बुरा नहीं होता। मैं ना ही किसी के साथ भेदभाव करता हूँ और ना ही कभी बदलता हूँ। बदलने का काम मेरा नहीं, लोगों का है। किसी को choose करना या छोड़ना, यह लोगों की खुद की choice होती है। किसी को oppose ना कर पाना और उसके according ढल जाना, यह भी उनका खुद का choice होता है। यह उनपर निर्भर करता है कि वह मेरे साथ किसी भी situation को face करने में कितना हिम्मत दिखाते हैं, वह कब तक टिक पाते हैं और कितना जल्दी टूट जाते हैं। So, stop blaming me.

Car को drive करते सतीश को पीछे बैठी मेहक पूछती है, "अच्छा सतीश, हमारे शादी में आये आपके उन friends में से..." मन मे बड़बड़ाते हुए, "क्या नाम था उस लड़की का...", वह आगे बोलती है, "कोमल, कोमल उदास क्यूँ थी ? उसकी हँसी, नकली हँसी लग रही थी। और उसके साथ जो लड़का था, राजेश, वह भी आपसे नाराज type का लग रहा था।"
शम्पा जवाब देती है, "नहीं रहेगा कोई ! अगर अपना दोस्त ऐसे अचानक शादी करे, पहले से भनक तक ना पड़ने दे तो..?"
मेहक आगे पूछती है, "वैसे reception में राजेश मेहक की बहुत caring कर रहा था। वो दोनों girlfriend-boyfriend है ?"
यह सवाल दोबारा सुनकर शम्पा और सतीश tension में आकर एक दूसरे को देखने लगते हैं। कि तभी tyre गड्ढे में जाता है और car में इन्हें झटका लगता है।
मेहक बोलती है, "Accident करवानी है क्या ? ध्यान driving में रखिए।"
शम्पा बताती है, "सतीश को ऐसा dought है। But not confirmed."
मेहक आगे पूछती है, "मगर कोमल का attention राजेश से ज्यादा हमारे पर ही था।" थोड़ा देर सोंचती है और, "कहीं ऐसा तो नहीं कि..."
कि तभी बीच में ही सतीश मेहक की बात काटते हुए बोलता है, "We all are good friends. अगर वैसा होगा तो वो कभी ना कभी मुझे बताएंगे ही।"
मेहक यह सुनकर थोड़ा disappoint होती है, उसके मन में doughs होता है पर वह पूछती नहीं है। बस शांत बैठी रहती है। पर उसके नाक में हल्का गुस्सा था। यह देखकर फिर शम्पा भी कुछ नहीं बोलती। वो सतीश के घर पहुँचते हैं। Car रुकती है और मेहक बोलती है, "मैंने आपको पहले ही कहा था कि अगर कोई है या किसी को चाहते हो या किसी को पसंद करते हो तो पहले ही बता दो। मैं बिल्कुल बर्दाश्त नही करूँगी कि आपके दिल और life में जो जगह मेरी होनी चाहिए वहाँ कोई और हो या कोई और उसे पाने की कोशिश करे।" और वह अपने angry face के साथ car से उतरने के लिए gate खोलती है। लेकिन car से उतरते हुए सतीश की नजर से बचकर शम्पा को झुकी नज़रों से देखकर हल्की सी smile देती है और आँख मरती है।

Here is end of these stories. जानता हूँ आप क्या सोंच रहे होंगे, "Was it really a proposal ?" Not, it was never. It was only an expression of her feeling. It is not a proposal, it is their expressions. जिसके जरिये मैंने आपको समझाने की कोशिश की कि वक़्त रहते अपने पसंद को accept and अपने feelings को express करके उसे पाने के लिए situations को अपने according बनाने की कोशिश करनी चाहिए। चलिए, अब अलविदा दीजिए। फिर मिलते है, कृष्ण के कभी किसी और story में..।
Bye..!

----------This is end of only this story.
Many of their still continues.----------

Notes:-
•  चीजें हमें हमारे अपनों से छुपा कर करनी चाहिए। वरना वो excitement में आकर ऐसा कुछ कर देते हैं, जो उस वक़्त सही नहीं होता। जिसके कारण सब गड़बड़ हो जाता है।
• हमारे बड़ो को कभी हमपर भरोसा नहीं होता कि हम अपने life के बड़े फैसले खुद ले सकते हैं। इसलिए हमेशा हमें बात-बात पर टोकते रहते हैं। जिस तरह उनके द्वारा लिए गए फैसलों के गलत नतीजों के बाद भी हम उनपर यह भरोसा करते हैं कि उन्होंने जो कुछ भी किया वह हमारे caring में किया, ठीक उसी तरह उन्हें भी हमें खुद का ख्याल रखने के लिए सीखने देना चाहिए।
• Life में clarity होनी बहुत जरूरी है। इसलिए मन में जो कुछ भी हो उसे जुबां से express करना बहुत जरूरी है।
• वक़्त सिर्फ उनका आता है जो कोशिश करते हैं। जो सही वक़्त का बस इंतजार करते रहते हैं, उनका वक़्त कभी नहीं आता है।
• कुछ और points आपको अगर लगे कि इसमें add होने चाहिए थे, तो please comment.

This is final chapter of "Is it a Proposal ?" You gave a lot of time for its all chapters. Take a rest and must read other stories of "हमदर्द सा कोई" and explore the imaginary world of mine, AnAlone Krishna, if you were already not read them.
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