I, Krishna, present you here, my 100+ literary works—poems and stories. I hope, I shall plunder your heart by these. Let you dive into my imaginary world. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.

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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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Hope Without Hope | a bilingual story in Hindi with English text by AnAlone Krishna.

previous story ॥ Life की परछाई ॥ next story 

● Hope Without Hope ●

(इसके माध्यम से आप यह समझोगे कि अगर कोई आपको किसी को लेकर इश्क़ में पड़ने के लिए बहकाये/manipulate करने की कोशिश करे, तो आप कैसे खुद को बहकने/manipulate होने से बचा सकते हो। जरूर पढ़ें, और इसपर अपना टिप्पणी/comment दें, साथ ही पसंद आये तो अपने review के साथ इसे अपने facebook/whatsapp पे share करें।)
a bilingual story in Hindi with English text

by AnAlone Krishna.



Read at least its two previous chapters and then explore the same events and imaginary world i.e., my literary world through the life of a different character. And try to understand my objective to tell you that everyone having their own story in their life which lead by only and only by them. These two chapters are belongs to "Is it a proposal ?"-

● Hope Without Hope ●

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Part 1:-

Let me introduce myself first. मैं समय हूं। वो BR चोपड़ा वाला समय नहीं। AnAlone Krishna के literary world का समय। साथ ही मुझे यहाँ narrator का भी काम करना पड़ता है। क्या करूं, जो कृष्ण लिखता है मुझे वो करना ही पड़ता है। अगर ना करना चाहूँ, तो कृष्ण ये भी लिख देगा, और वो भी मुझसे ही narrate करवाएगा। आपको नहीं लग रहा कि मैं बहुत talkative हूं। Uff ये कृष्ण..., लगता है मुझे इस story को इसी attitude के साथ आपको बताना पड़ेगा। चलो कोई बात नहीं, कहानी शुरू करते हैं...।

जरा रुको। मैं देख रहा हूँ कि Rony किसी chair पे बैठा हुआ है, किसी restaurant के chair table पे। लगता है वह किसी का wait कर रहा है। अपने order का ? हाँ हो सकता है। लेकिन नहीं, रुको, उसने तो waiter को वापस भेज दिया जो उससे order लेने आया था, और इधर-उधर देख रहा है। लगता है किसी के आने का wait कर रहा है। नहीं दरवाजा नहीं है जो दरवाजे के तरफ वो बार-बार देखे। वह किसी mall के open restaurant में है। शायद 2nd floor पे। रुको जरा देखने दो, नहीं यह 1st floor पे ही है। लगता है उसकी आँखें किसी एक पर अटक गई। जो अभी किसी और table पे अपनी friend के साथ बैठने जा रही है barrier के बगल में जहाँ से पूरा 3 तल्ले वाले mall का उपर से लेकर नीचे तक का नजारा साफ दिखता है। उधर से light काफी ज्यादा तेज है तो मेरे cornea को थोड़ा adjust होने दो light intensity के हिसाब से। तभी बता पाऊँगा कि वह कौन है। एक min. उस लड़की को कहीं देखा-देखा सा लग रहा है। अरे हाँ, याद आया। यह तो Rony की crush है। लेकिन ये दोनों आपस में एक दूसरे को नजरे चुराकर क्यूँ देख रहें हैं। उस लड़की का समझ में आता है कि वह थोड़ा शर्मा रही होगी। लेकिन यह फट्टू अभी तक अपने दिल का हाल कैसे सँभालना है यह सीख नहीं पाया क्या ? वैसे क्या नाम था उस लड़की का...? लगता है मुझे Krishna की story "Should it be called a proposal ?" दोबारा पढ़ना पड़ेगा। वैसे मैं क्या पढ़ने जा रहा था ? देखते हैं अगर इसमें उसने बताया हो तो...। 

तो शुरू करता हूँ..। Rony next day के लिए अपने office का presentation complete करके laptop बंद करने ही वाला था, कि उसे कुछ याद आया। उसके काम करते वक़्त श्रेष्ठा का message आया था, उसके social id के personal account पे। हाँ, हाँ बता रहा हूँ। थोड़ा सब्र करो ना यार..। अभी तो कृष्ण के notes पढ़ना शुरू ही किया हूँ। आगे बढूँगा तब ना पता चलेगा कि श्रेष्ठा कौन है और इसका रॉनी के साथ relation क्या है। सब पता चलेगा। बस सब्र करो और story में मन लगाओ। तो हम कहाँ थे ? हाँ, श्रेष्ठा message की थी, जिसे उस वक़्त रॉनी ने अपने काम से distract ना होने के लिए swipe करके ignore कर दिया था। उसने अपनी आधी बंद laptop को दोबारा open करके message को seen किया। 
लिखा था- "Hi, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है। क्या मुझे तुम्हारे कीमती समय का एक छोटू सा time period मिल सकता है ?" 
Rony इसे पढ़ा और मन में सोंचा, "और पीछे लंबा सा 'pleeease' भी लिखने का कसर पूरा कर ही देती। खैर, इसको मुझसे क्या बात करनी है ? वो भी इस तरह... संभल कर बेटा। नहीं तो किस बला के फेरे में पड़ेगा, अच्छी तरह से समझ रहा है।" उसने उसे reply किया, "इस formality की जरूरत नहीं है। तुम directly बात कर सकती हो जो भी तुम्हें बात करना है।" उसके बाद उसकी नज़र last seen पर पड़ी, active 27 mins ago. वह laptop दोबारा बंद करने के लिए आधा fold किया ही था कि message alert आया। May be आप सोंच रहे होंगे कि बिना turn off किये fold कर रहा था..? तो professionals की अपनी-अपनी आदतें- turn on/off करने में time waste ना हो इसलिए वो अपनी laptop को ऐसे ही sleep mode में छोड़ देता है। खैर...
श्रेष्ठा ने लिखा था, "तू अब भी स्मृति को पसंद करता है ?" 
Rony सोंच में पड़ जाता है, कि "यह लड़की तो पहले sweet बन रही थी और अब सीधा तू 'पे' आ गई ! ऊपर से सीधा स्मृति के ही बारे में पूछ दी। हाँ बोलूँ, या ना बोलूँ ? यह उसकी bestii है। यह श्रेष्ठा ही है या...? कहीं यह किस्सा मुझपर भारी ना पड़ जाए।" वह उससे पूछता है, "तुम सोई नहीं अभी तक ?"
श्रेष्ठा का जवाब आया, "हाँ वो college का project and assignments के चक्कर में चैन से सो भी नहीं पाते। आँखों मे भी dark circles आ रहे हैं।"
Rony मन में सोंचता है, "एक minute, क्या हम पहले भी ऐसे ही इस तरह से कभी बात किये हैं ? या कभी हम बात भी किये हैं ? वो reality में मुझसे बात कर रही है, या मैं कोई सपना देख रहा हूँ ?"
2 min बीत जाने बाद में Rony का कोई reply ना पाकर श्रेष्ठा message की, "तुमनें मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया ?"
Rony सोंचता है, "क्या करूँ, उससे पूछूँ या मैं ना पूछूँ ? यह वही है या कोई और इसके identity के पीछे से मेरा बाल नोंचने में लगा हुआ है ?" वह पूछता है, "किसका जवाब ?"
श्रेष्ठा text करती है, "जहाँ तक मैं जानती हूँ, तुम अभी तक unmarried हो। Are you single or कोई girlfriend है ?"
Rony सोंचता है, "यार यह तो मेरे गले ही पड़ रही है। यह हो क्या रहा है आज मेरे साथ ? यह वही है या... नहीं, स्मृति ऐसा नहीं करेगी, वह ऐस लड़की नहीं है। या कर भी सकती है ! वैसे भी कहा गया है कि एक स्त्री का चरित्र देवता भी नहीं जान सकते हैं। और हालात या माहौल किसी को भी बदल देता है।" वह उसे reply करता है, "नहीं, मैं purely single हूँ। क्यूँ ?"
श्रेष्ठा का जवाब आया, "पहले बता, क्या तू अब भी स्मृति को पसंद करता है ?"
Rony सोंचता है, 
"वो लम्हा जो बरसों पहले बीता,
अगर याद करूँ, तो जैसे कल ही की बात हो।
वो अहसास जो अब भी इस दिल को है,
अगर याद करूँ, तो अभी बस दो पल पहले ही बीता।
क्या बताऊँ मैं उसे कि वह अब भी इस दिल में है ?
जिंदगी तो खैर चल ही रही जैसे-तैसे,
मगर मेरा वो वक़्त, वो वक़्त अब भी नहीं बीता॥"
वो उसे जवाब देता है, "मेरे पसंद करने या ना करने से क्या फर्क पड़ता है ! वो तो मुझे पसंद नहीं करती है ना..."
श्रेष्ठा इसपर text की, "She likes you."
Rony खुद से बोलता है, "Illusion. यह सच में उसे ऐसा भ्रम हुआ है या वो मेरे emotional state के साथ खेलने की कोशिश कर रही है...? वैसे वो तो ऐसी लड़की नहीं थी। पर मैं उसके बारे में जानता ही क्या हूँ !" वह उसे बोलता है, "देखो, किसी और को तंग करो। मेरे साथ ऐसे मजाक मत करो। It hurts."
श्रेष्ठा text की, "तुम एक काम करो। कल सुबह मिलो 9 बजे, college more पे।"
यह पढ़ने के बाद इससे पहले कि वह कुछ सोंचता कि क्या जवाब दे या कोई बहाना बनाए, वह फिर text की, "good night" और offline हो गई। Rony उसके reply में "sweet dream" उसे text किया, but वह वापस online नहीं आई। 

Rony अपना laptop बंद करके अपने bed पे लेट जाता है, और सोने की कोशिश करता है। पर उसे इतनी जल्दी नींद नहीं आती। वह याद करता है अपने teenage के उन आखरी दिनों को, जब उसके उम्र के लड़को को अगर कोई लड़की मुस्कुरा कर देख भी ले, या कोई लकड़ा उसके उम्र की लड़की से आके बात कर ले, तो वो मचलने लगते थे। पर Rony को उन दिनों इन चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता था। ऐसा नहीं था कि उसका शुरू से ही खुद पर इतना emotional control था। बल्कि उसका तो teenage के आखरी दिनों तक वैसे अहसासों से पाला भी नहीं पड़ा था। या शायद उसका physical, mental growth के साथ उन harmonies का खेल अभी तक शुरू नहीं हुआ था जो emotional और psychological state को पूरा खराब कर देते हैं। उसकी family modern सोंच रखने वाली और open minded है, तो उसे वक़्त के साथ ऐसी परवरिश ही मिली कि यह सब उसे normal लगता था। पर वह हमेशा तो अपने घर में नहीं रहता था। उसका आना-जाना उस माहौल में भी होता ही रहता था जहाँ लगभग उसके सारे हमउम्र इन harmonic changes का शिकार होकर दूसरों और खुद के emotions के साथ खेलना शुरू कर चुके थे। उस बीच एक लड़की उसके life में आई, जो कि बाकियों के हिसाब से काफी attractive भी थी, नाम था पाखी। उसके लिए यह insult की बात थी कि जहाँ उसके सभी दीवाने हुए जा रहे हैं, वहाँ उसे कोई ignore करता है। किसी ने उससे शर्त लगा ली कि इसे यानी कि Rony को रिझा कर दिखाओ। वह 2-3 trail में ही हार मान ली कि "मुझसे नहीं होगा।" जाहिर सी बात है पाखी के लिए किसी के लिए भी इस हद तक झुकना, वो भी उसके लिए गिरना ही होता। पर इस बीच Rony का दोस्त राज सामने आया, जिसने पाखी से यह दावा कि Rony भी उसको like करता है, बस इस बात को express नहीं कर पाता है। फिर उसने यह साबित करने के सबसे पहले तो Rony के मन में इस guilt का बीज डाला कि वह खुदगर्ज है इसलिए पाखी चाहती है फिर भी वह उसे ignore करके उसको hurt करता है। Then बार-बार उसके आत्म-सम्मान पर वह चोट करता रहा तब तक, जब तक कि Rony के दिल में पाखी के लिए कोई भाव ना पैदा हो जाये। जब राज इसमें कामयाब हुआ, तो Rony ने अपने दिल की बात को पाखी के सामने confess किया। पाखी यह बात जानती थी कि वह उसके सामने राज के द्वारा Rony के दिल में जगाए हमदर्दी की वजह से है। पर उसे भी तो अपनी शर्त जीतनी थी। इसलिए वह Rony की girlfriend बन गई। वैसे भी लड़का सीधा-साधा-शरीफ-शांत था। वह उसके साथ क्या ही कुछ करता ! पर Rony के लिए तो यह 1st time था। उसके hormones अपना खेल दिखाना शुरू कर दिए। वह धीरे-धीरे उसे लेकर सच में passionate होने लगा। जब पाखी को रॉनी के बदलते बर्ताव से इस बात का अहसास हुआ, वह उसे छोड़ दी। शुरू में तकलीफ़ बहुत हुआ। लेकिन जब Rony को इस बात का अहसास हुआ कि वह हुश्न के नशे में डूब रहा था, तो उसने self control करना शुरू कर दिया। वह दोनों जानते थे कि अगर वो चाहे तो साथ रह सकते थे। पर जैसे पहले family, समाज के बारे में सोंचकर Rony सबसे दूरी बनाता था, वैसे ही पाखी अब भी करती है। वह हँसी-मजाक में किसी लड़के को इस हद तक रिझाकर अपने आगे-पीछे घुमा सकती थी कि वह सच में उसका दीवाना हो जाये। पर उसके साथ वह कभी घर नहीं बसा सकती थी family और समाज की परवाह किए बिना। फिर कुछ वक़्त बाद सच में पाखी को रॉनी की हालत देखकर इसपर sympathy आने लगी, और इसकी ऐसी हालत का खुद को guilty मानकर वह इसकी परवाह करना चाही। पर उसके sympathy को देख कर रॉनी ने उसे यह बोल कर खुद से दूर रहने को कहा कि- 
"बहुत ही हसीन लगती थी मुझे तुम कभी। 
पर अब...
जी तो करता है आग लगा दूं उस जमाने को
 जिसकी वजह से तुम दूर हुई। मगर...
 मगर इससे मेरे दर्द को सुकून नहीं मिलेगा।
 जब तड़प मेरा रूह रहा है
 तो इससे उसे सुकून कैसे मिलेगा ?
 इसलिए तड़पा रहा हूं खुद को,
 उसकी चाह में। बार-बार, लगातार,
 जानबूझकर कि वो मुझे कभी नहीं चुनेगी।
 औरों के लिए यह पागलपन है, दीवानगी है।
 मगर मेरे लिए... यह सुकून...।"
पाखी इस बात को समझकर वह रॉनी की बात मान गई। पर इसपर पाखी ने जाते-जाते रॉनी से कहा, कि "चलो मैं मानती हूँ कि मैं गुनहगार हूँ, तुम्हारी इस हालत के लिए, क्यूँकि मैंने मजाक-मजाक में तुम्हारे हाल को बेहाल होने दिया, तुम्हें मेरे प्यार में पड़ने दिया। मैं अगर उसी वक़्त तुम्हें सच का अहसास करवा देती, तुम्हें reject करके, तो तुम्हारी यह हालत नहीं होती। लेकिन उसका क्या जिसकी वजह से तुम्हारी यह हालत हुई है ? मैंने तो बस जो हो रहा था उसे होने दिया, उसका क्या जिसने तुम्हें बहकाया और ऐसी हालात ही पैदा कर दी कि तुम्हारी यह हाल हो जाए ? मैं तुम्हारी कुछ नहीं थी, फिर भी मुझे तुम्हारी नफ़रत मंजूर है। मगर जिसे तुम अपना सीना ठोक कर सबके सामने अपना दोस्त कहते हो, अगर देखा जाए तो वो नहीं होता तो मेरे होने के बाद भी तुम्हारा यह हाल नहीं होता, पर उसके होने के कारण मैं नहीं तो फिर किसी और के कारण तुम्हारा यह हाल होता।"
बाद में इसे शुरू से सबकुछ याद करके समझने के बाद Rony ने राज से पूछा कि, उसे यह सब करके क्या मिला। वह तो उसका दोस्त था, जहाँ सभी अपने दोस्त को गलत राह में जाने से बचाते हैं, उसने उसे क्यूँ पाखी के लिए बहकाया ? इसपर राज उससे rudely कहा कि, "खुद पर self control नहीं है और दोष मुझे देते हो। तुम तो सिर्फ पढ़ने लिखने वाले person थे, फिर तुम्हें समझ नहीं आया कि क्या सही है क्या गालत ? तुमने खुद को बहकने कैसे दिया ? जो हुआ उसमें दोष मेरा नहीं सिर्फ तुम्हारा है ?"
जिसे सुनने के बाद रॉनी ने खुद के दिल से कहा, जो तड़प रहा था मगर कहीं इसे express नहीं कर पा रहा था, "वो तो खैर गैर थी, उसके दिल में मेरे लिए कभी अपनापन नहीं था। उसे खुद के लिए स्वार्थी होने का हक़ था, और उसने अपनी खुशी को चुना। लेकिन जो मेरा अपना था, उसे जरा सा भी इस बात की guilt नहीं कि उसकी वजह से... अगर देखा जाए तो मुझे धोखा किसने दिया ? तो मुझे छोड़ना किसे चाहिए ?"
उसके बाद वह पहले से भी ज्यादा शांत और अकेले रहने लगा। फिर ना कभी किसी से घुलने मिलने की कोशिश की और ना ही किसी से दोस्ती की। 
School में बचे वो उसके आखरी दिन उसके लिए काफ़ी unbearable रहा। उसी वक़्त उसने decide कर लिया कि इसके बाद वह जब आगे पढ़ाई के लिए graduation में कहीं admission लेगा, तो ऐसे college पे लेगा जिससे ये सभी पीछे छूट जाए। एक नई जगह और नए लोगों के बीच अपनी जिंदगी को फिर से एक बार नए सिरे से शुरू करने लिए। पर उनके final exam और result के बीच उसने यह अहसास किया कि उसने लड़कियों से नफ़रत करना शुरू कर  चुका है। उसे कोई अपने आस-पास बर्दाश्त नहीं होती थी। फिर जबतक उसने admission लिया, वह यह समझ चुका था कि उसे अपने अंदर की negativity को निकालना होगा। उसे उन्हें बर्दाश्त करने की आदत डालती होगी। तब उसने खुद को दो हिस्सों में बाँटकर दोहरा जिंदगी जीना शुरू कर दिया। एक दर्द में अंदर ही अंदर तड़पने वाला और सबसे emotionally दूरी बनाने वाला, तो दूसरा सबके सामने खुल कर जीने वाला और सभी से आसानी से घुल मिल जाने वाला। अपने दर्द को अपने सीने में दबाने लगा, अपने आँसुओं को आँखों में भरने तक नहीं देता। अपने दिल के आह को, जुबां से कराह को हलक से वह निकलने तक नहीं देता। रॉनी को सभी वैसे जानते थे जो वह बाहर show करता था। वह अंदर से कैसे है, यह शायद ही कोई जानता हो। शायद इसलिए, क्यूँकि कुछ लोग होते हैं जो आपके आँखों में झाँककर आपके दिल के राज जान लें। फिर जब आपका दिल किसी को पसंद करने लगता है, तो इसे कहने की जरूरत नहीं होती। आपकी हरकतें, आपकी आँखें, आपके जुबां से पहले ही बहुत कुछ बोल देती है। इसलिए शाम को जब coincidentally रॉनी स्मृति से मिला, और आँखे झुकाकर उदास होकर तुरंत वहाँ से निकल गया तो शायद श्रेष्ठा ने उसे देख लिया हो। पर उसे कैसे पता चला कि रॉनी college के दिनों से स्मृति को पसंद करता था, यह उसे समझ नहीं आया। ऐसा अक्सर होता कि जब किसी एक से दिल टूटता है, तो दिल किसी और के पास सुकुन ढूँढ़ने की कोशिश करता है। रॉनी का दिल स्मृति का साथ पाकर सुकून पाना चाहता था। पर वही क्यूँ, उसके जगह कोई और क्यूँ नहीं ? तो पता नहीं पर रॉनी उसमें अपनापन महसूस करता था। शायद इसलिए उसका दिल दोबारा इश्क़ में पड़ना चाहता था। पर उसने खुद को समझा दिया और अपने अहसासों को अपने अंदर ही दबा दिया। ना ही कभी उससे बात की और ना ही कभी उससे दोस्ती करने की कोशिश की। बस common, as a casual classmate बना रहा, जैसे वह almost वहाँ पूरे class का था। कईयों को इस बात की हैरानी भी होती थी कि college खत्म होते होते लगभग सभी बदल गए, पर रॉनी नहीं बदला। वैसा क्यूँ ? वह जैसा था, वैसा ही रहा। क्यूँकि वह नहीं समझ पाए कि यह उसका बाहरी दिखावा है जो वह सबके सामने बनने की कोशिश करता है, अंदर का वह नहीं जो वक़्त के साथ खुद को इतना बदल चुका है कि आइनें में खुद से सामने खड़े होकर अक्सर यह सवाल पूछता है कि, "क्या वह वही था जिसकी सभी बातें करते हैं।"

Graduation के बाद रॉनी एक साल banking की तैयारी किया, और दूसरे साल exam निकाल भी लिया। दूसरी ओर स्मृति और श्रेष्ठा पहले PG की और अब B.Ed. कर रही है। इतनी तो ख़बर कम से कम रॉनी स्मृति के बारे में रखा है। सुबह हुई, रॉनी का mobile बजा। उसकी नींद टूटी तो वह कब सोंचते-सोंचते सो गया और कैसे रात बीता, उसे इसका अहसास ही नहीं हुआ। वह mobile उठाया तो देखा कि उसके Boss का call आ रहा है। उसने call उठाया तो उसके Boss ने next day के लिए prepared presentation देखने की इक्षा की। वह laptop खोल कर उसे send होने के लिए uploading में लगा दिया और Bathroom चला गया। जब वह वहाँ से वापस आया तो file आधा ही, sending 40% ही हुआ था। वह मुँह धोने और नहाने के लिए चला गया। जब नहा कर वह वापस आया और sending status देखने गया तो श्रेष्ठा का message आया हुआ था- "उम्मीद है कि अभी तक आने के बारे में सोंच लिए होंगे। ठीक 9 बजे college more पहुँच जाना। अगर late होगे तो शायद हम पहले ही निकल जाए।" रॉनी सोंचता है, कि "आखिर वो मुझे इस तरह बुला क्यूँ रही है ? आखिर बात क्या होगी ?" वैसे तो उसका जाने का मन नहीं था, और वह श्रेष्ठा को reply करने ही वाला था, कि तभी उसके Boss का call आ गया। वह presentation में कुछ improvement चाह रहे थे। रॉनी मन ही मन बोला, "चाहे कुछ भी कर लो। लेकिन इनको कुछ ना कुछ कमी निकालनी ही है। वरना हम यह कैसे महसूस करेंगे कि वो हमसे senior and experienced हैं, साथ ही बेहतर हैं।" वह उनसे पूछा कि उन्हें क्या-क्या changes चाहिए। जिसपर उन्होंने कहा कि, "हमारा motive students को banking के बारे में समझाकर उन्हें अपने branch में customer बनाना है। इसलिए सिर्फ basic चीजों को highlight करो और बस हमारे bank से जुड़ने के benefits दिखाओ। दूसरों से तुलना करने की जरूरत नहीं है, उन्हें दूसरे options दिखाने ही नहीं हैं।" पूरी बात सुनने के बाद रॉनी इसे करने के लिए शाम तक का time मांगा। जिसपर Boss ताव में आ गए। इसपर रॉनी के मन में आया कि वह यह बोल दे, "Sir, holidays families and friends के साथ बिताने के लिए होते हैं। आपकी भी family है, और friends भी होंगे ही। मैं work करता हूँ ताकि इनके साथ जी सकूँ। मैं गधों की तरह सिर्फ खटने के लिए नहीं जीता हूँ।" पर यह वह नहीं बोल पाता है और बोलता है, "Sir ठीक से करने में वक़्त तो लगेगा ना..। आप शाम तक का time दीजिए मैं इसे improve करके आपको send करता हूँ।" और किसी तरह करके उन्हें मना ही लिया। इसके बाद उसे महसूस हुआ कि उसे भूख लग रही है। तो वह नीचे kitchen में नाश्ते के लिए चला गया। वह यह भूल गया कि उसे श्रेष्ठा को कुछ reply भी करनी है।

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Part 2 :-

रॉनी, उसके पिता उदय और माँ अभिलाषा dinning table पर नास्ता परोस कर उसे खाने के लिए बैठे। वो एक साथ खाने का एक निवाला मुँह में लिए ही थे कि उसकी बहन, मेहक आके बैठी। उसके बाल उलझे हुए थे, आँखें भी ठीक से साफ नहीं थे, जिसे देखकर साफ पता चल रहा था कि वह आज भी बिना नहाए नाश्ते पे आई है। सभी को इसकी आदत थी, रॉनी ने हाँथो से अपना lunch खुद ही परोस लेने का इशारा किया।
जिसे लेते हुए मेहक excited होकर बोली कि, "मुझे एक लड़का पसंद है।"
"ये लो, आज फिर एक नया नौटंकी शुरू।" रॉनी के मन में तुरंत यह बात आई। वह खुद को मन में ही बोला, "Pay not attention to it." और उसके साथ सभी मेहक को एक नजर देखे और अपना breakfast continue करके उसे ignore कर दिए।
खुद को ignore होते देख मेहक फिर बोली, "मैंने कहा कि मुझे कोई लड़का पसंद है।"
इसपर अभिलाषा बोली, "हाँ, समझ गए। तुम्हारा और एक नया पागलपन।"
यह सुनकर मेहक रीझ गई और बोली, "आपलोग मुझे seriously क्यूँ नहीं ले रहे हो..? क्या लगता है, मैं मजाक कर रही हूँ क्या ?"
"यार यह तो कुछ ज्यादा ही हो रहा है।" रॉनी को मन ही मन गुस्सा आ रहा था। तब रॉनी बोला, "पापा मैं कैसे confirm करूँ कि यह सपना है या हकीकत ? सुबह से मम्मी मुझे कुछ सुनाई नहीं। आप भी ताने नहीं मार रहे। और सबसे हैरानी की बात यह कि मेरी यह बहन, जो वो क्या नाम था उस poet का..? हाँ, AnAlone Krishna, उसकी वह poem 'पिता के नाम पत्र' को उस दिन उतना मस्ख़ा लगाकर सुनाकर आपसे permission माँग रही थी कि इसे अपनी शादी के खर्चे खुद से उठानी है इसलिए इसे उस लायक बनने दो। आज बोल रही है कि इसे शादी करनी है।"
मेहक डाँटते हुए बोली, "मैंने कब कहा कि मुझे शादी करनी है ? मैंने तो बस इतना कहा है कि मुझे कोई पसंद आ गया।"
इसपर उदयशंकर भारी आवाज में बोले, "तुम्हें नहीं लगता कि बच्चों और parents के बीच अगर ऐसी बातें होतीं है तो situation थोड़ा awkward लगता है ?"
इसपर मेहक मजाकिया अंदाज में बोलती है, "हाँ, होता होगा। But आप वैसे arrogant and orthodox mentality रखने वाले father थोड़ी ना हो। आप तो मेरे sweet, loving, caring, and friendly पापा हो।"
Rony सिर झुकाकर दबे मुँह बोला, "लो, मस्ख़ा लगाना फिर से शुरू..."
अभिलाषा मेहक को डाँटकर दबाने की कोशिश करने लगी और रॉनी सोंचने लगा, "इसका पागलपन झेलना better है, या श्रेष्ठा का offer accept करना ?"
अभिलाषा और मेहक के हो रहे बातों के बीच रॉनी मन में बोला, "लो, हो गया फिर इनका शुरू।" वह बात काट दिया और बोला, "मेरा हो गया, अब मैं जा रहा हूँ।"
अभिलाषा पूछी, "आज तो holiday है। Office तो बंद होगा, कहाँ जा रहे हो ?"
मेहक बोली, "जाने दीजिए मम्मी। इतना आप अगर भैया को अपने आँचल में बांध कर रखियेगा तो यह 30 साल का बुड्ढा किसी का पल्लू कैसे थामेगा। बेचारा कुँवारे ही मर जायेगा।"
जिसपर Rony भड़क गया और instantly उसके मन में आया, "इसकी तो...", वैसे रॉनी सच में 30 का नहीं है। मेहक तो बस रॉनी को चिढ़ाने के लिए यह बोली थी। वह approx 24-25 का ही होगा। रॉनी अपने instant reaction के साथ ही अपना हाँथ खींचते हुए बोला, "तू ना थोड़ा कम बोला कर, नहीं तो झापड़ खाएगी किसी दिन तू मेरे से।"
उदय रॉनी को डाँटते हैं, "ऐसे बात किया जाता है अपनी बहन से..?"
Rony भी ताव में बोला, "तो आप ही बता दीजिए कि कैसे बात किया जाता है ऐसी बिगड़ी हुई बहन से..।" लेकिन फिर उसके मन में आया, "नहीं, मुझे पापा से ऐसे बात नहीं करनी चाहिए थी। मुझे उनसे माफी माँगनी चाहिए।"
कि तभी मेहक मुस्कुराते हुए बोली, "रहने दीजिए पापा। यही तो प्यार है हम दोनों भाई-बहन का। वैसे भी भैया फट्टू है, सिर्फ भौंकेगे कभी काटेंगे नहीं।"
रॉनी मन में सोंचता है, "मेरी बेज्जती...!" और इसका जवाब देता है, "हाँ, हाँ। तुझे काटने से जो उल्टा कुत्तों को ही rabies हो जाती है ना..।"
मेहक excited होकर बोलती है, "मतलब आप मानते हो कि आप कुत्ते हो..?"
अभिलाषा मेहक को एक झाप देती है और बोलती है, "खाली बद्तमीजी करते रहती है। यह भी नहीं देखती कि भैया तुमसे कितना बड़ा है।"
रॉनी मन में सोंचता है, "यह तो और interest ले रही है। यहाँ रुकूँगा तो खुद की और बेज्जती करवाऊँगा।" वह बोलता है, "मेरा late हो रहा है। मैं जा रहा हूँ।" और रॉनी चला जाता है।

College more पे bus shed पे बैठ कर श्रेष्ठा का इंतजार करते हुए रॉनी बार-बार अपनी घड़ी देख रहा था। वह वहाँ सुबह 9 बजे से 10 min पहले ही पहुँच गया। बगल में झांगुर-चना(ताजा कच्चा चना, जो किसान सीधा अपने खेतों से उखाड़ कर उसे झाड़ के साथ बेचते हैं) बिक रहा था। वह आधा किलो उसे खरीद लिया। उसके मन ने उससे सवाल किया, "इतना खरीद कर क्या करोगे रॉनी ?" तो उसने मन में ही खुद को जवाब दिया, "जब तक वो आती नहीं है तब तक इसे खाते हुए time pass करेंगे और जब वो आ जायेगी तो उसे आधा दे देंगे। रास्ते में खाने के लिए।" इंतजार करते हुए 9 बजे से 10 min ज्यादा हो गए। वह मन में सोंच रहा था, "वह कब तक आएगी यार ! और उसे मुझसे मिलके बात क्या करनी है ? मैं क्यूँ इतना ज्यादा सोंच रहा हूँ। शांत-शांत, don't become nervous." कि तभी उसके सामने एक auto आके रुकी। रॉनी का उसपर ध्यान गया तो उसे चेहरा पहचाना हुआ सा लगा। वह मन में सोंचता है, "यह तो स्मृति जैसी लग रही है। पर side से ऐसा लगने से जरूरी नहीं कि वही हो। फिर वह थोड़ा पीछे हुई तो उसके बगल में उसे श्रेष्ठा दिखी जो दाईं ओर किसी औरत को उतरने में मदद करने के लिए उसके बच्चे और सामान को carry किये हुए थी। रॉनी को अब समझ में आया कि, "अच्छा, तो ये बात है। दोनों इसी time साथ में B.Ed. college जाती है, इसलिए यह मुझे यहाँ बुलाई है। ताकि मैं इसे face करूँ।" तभी स्मृति का नजर रॉनी पर पड़ता है, और रॉनी की नज़र घबराकर झुक जाती है। वह अपनी बढ़ रही धड़कन को शांत करता हुआ खुद से कहता है, "Be cool Rony. इतना घबराएगा तो कैसे होगा ? और तू कब से इतना घबराने लगा ? किसी और के सामने तो तू इतना नहीं घबराता है। वैसे भी तू जानबूझकर तो उससे यहाँ मिलने नहीं आया है। वो तो श्रेष्ठा तुमको यहाँ बुलाई और बताई भी नहीं कि यह भी साथ में होगी। वैसे वो क्या कर रही है ?" यह देखने के लिए रॉनी auto की तरफ देखा तो वह देखा कि स्मृति आगे देखते हुए मुस्कुरा रही है। उसका ध्यान श्रेष्ठा की ओर गया ही नहीं। वह सोंचने लगा, "यह कहीं मुझे ऐसे uncomfort देखकर तो नहीं मुस्कुरा रही है ?" ऐसी बहुतों में self-consistency की problem होती है। वह उसे देखते हुए झाड़ की गुच्छी से एक चना तोड़ा और उसे खाने के लिए मुँह में लिया, वह कीड़ा वाला था जिससे उसका मुँह खराब हो गया। जिसे वह थूककर नज़र ऊपर किया तो उसे ऐसा लगा कि स्मृति उसे देख रही थी, और उसके माथा ऊपर करते ही तुरंत उससे अपना ध्यान हटा ली। उसके बाद वह और ज्यादा मुस्कुराने लगी। जिसे देखकर रॉनी समझ गया कि स्मृति के चेहरे की मुस्कुराहट उसके ही वजह से है। वह अपनी नजर झुकाकर खुद से मन ही मन बोला,
"यूँ तो तेरी चाहत हम
दिन रात करते हैं।
ना ही हम इज़हार-ए-मोहब्बत
शरेआम करने से डरते हैं।
फिर भी दिल का हाल बताकर तुम्हें,
मैंने खुद को शांत कर लिया।
तू खुद भी खुद से चाहे मुझे,
इस अनहोनी के होने का हम
बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं॥"
फिर वह अपना नज़र उठाया उसे देखने के लिए, एक पल बीते भी नहीं थे कि स्मृति की नज़र इसपर पड़ी। इनकी नज़र से नज़र मिली, और रॉनी उससे एक min भी नज़र मिला नहीं पाया। वह हार गया और फिर से अपनी नजरें झुका ली। उसका मन उससे बोला,
"कल तक जब देखता था उनको
मैं दिल ही दिल में हँसता था उनपर,
आज जब खुद पर गुजरी है
मैं रो भी नहीं पा रहा हूँ।
हाँ, मैं समझ सकता हूँ
तुम्हारे तड़पते दिल के जज्बात सारी।
अपना जज़्बात-ए-इश्क़ 
कभी ना कह पाने वाले ए दोस्त...
हाँ, मैं समझ सकता हूँ
तुम्हारे तड़पते दिल की जज्बात सारी।"
वह वहाँ से अपनी नजरें झुकाकर ही उठता हुआ खुद से बोला, "ना, अब हमसे यहाँ रुका नहीं जाएगा।" और वहाँ से जाने लगता है। वह वहाँ से जाते-जाते सोंचता है, "ये क्या किया रॉनी ? तू कब से इतना फट्टू हो गया ? बाकियों के सामने तो कुछ भी अंट-शंट बोलने से पहले एक बार भी नहीं सोंचता है। फिर उसके सामने क्यूँ नहीं जा पाया ? इससे तेरी कैसी image बनी होगी उसके सामने ? वापस चलूँ क्या ? नहीं। एक बार जब वहाँ से उठ के आ चुका है तो अब वापस क्या मुँह लेकर जाएगा ? चुपचाप बिना मुड़े चलता रह। तो फिर इस चने का क्या करेगा ? घर लेकर जाएगा तो सभी inquiry करेंगे। चल अब जो होगा देख लेंगे"
कि तभी रास्ते पे सामने से आ रहा उसका दोस्त प्रवीण उसे आवाज दिया, जिससे उसका ध्यान भटका। उससे उसने कुछ देर बातें की, जब तक कि सारे चने बातों-बातों में खत्म ना हो जाये। उसके बाद वह सीधा अपने घर आ गया।

रॉनी घर के अंदर आने के लिए दरवाजे पे अपना पैर बढ़ाया ही था कि उसे मेहक की आवाज सुनाई दी, "I liked somebody."
जिसपर उदय उससे पूछे, "तो, क्या उससे तुम्हारी शादी करवा दूँ ?"
रॉनी शादी की बात सुनकर सोंचा कि "अच्छा मौका मिला है।" इसकी टांग खींचने का, वह बोला, "शादी..! बेहया, तुम्हें मुझसे पहले शादी करनी है ? कम से कम मेरा होने तक तो रुक जाती। आखिर मैं तुमसे बड़ा हूँ।"
मेहक भी चिढ़ते हुए बोली, "हाँ..। आप उस लड़की के चक्कर में अपना बाल पका रहे हो जो career का बहाना बनाके आपको भाव नहीं दे रही। क्या चाहते हो, कि आपके शादी होने के इंताजर में मैं भी बूढ़ी हो जाऊँ ?"
अभिलाषा फिर एक थाप मारती है मेहक के कंधों पे और बोलती है, "बेशर्म, एकदम समझदारी नहीं है कि कहाँ क्या बोलना है और शादी करेगी।"
मेहक पीठ सहलाते हुए बोलती है, "मुझे शादी नहीं करनी है। मुझे तो अभी अपना career बनाना है।"
अभिलाषा डाँटती है, "तो सुबह से हमें पगला क्यूँ रही थी ?"
Rony सोंचता है, "लगता है इनका मसला अभी तक नहीं सुलझा।" वह बोला है, "तू पहले decide कर ले, कि तुम्हें करना क्या है। और मम्मी, अगर यह शादी करना चाहती है तो इसका करवा ही दो, झंझट छूटेगा हमारा।" और वहाँ से अपने कमरे में चला जाता है। उसके पीछे मेहक भी जाती है।

रॉनी अपने study table के सामने गया और अपनी वह diary निकाली जिसमें वह हमेशा उन quotes को लिखता है जो वह किसी को कहना तो चाहता है पर कभी कह नहीं पाता। वह स्मृति को देखकर जो उसे बोलना चाहता था, वह उस diary में खड़े-खड़े ही लिखने लगा इससे पहले कि वह उन्हें भूल जाये। तभी पीछे से मेहक की आवाज आई, "तो आज क्या लिखा ?"
"लो यह फिर मुझे पकाने आ गई।" Rony मन में सोंचा और पीछे मुड़ा, फिर पूछा, "आज..?"
मेहक बोली, "हाँ आज ।" Rony को पन्ने पीछे पलटते देख उससे उसकी diary छीनते हुए बोली, "छोड़िए, मैं खुद देख लेती हूँ।" और उससे छीन कर पढ़ती है जिसपर लिखा था-
 "देखूँ अगर नजारा मैं
तो सामने देखूँ, या तुम्हें देखूँ ?
करना चाहूँ तारीफें अगर
तो करूँ मैं उसकी, या तुम्हारी करूँ ?
तय करना मुश्किल है,
किसकी खूबसूरती किससे है...
उसकी खूबसूरती तुमसे है,
या तुम्हारी खूबसूरती उससे है...
फिर कभी कोई पूछे अगर,
मुझे ऐसे दोराहे में फँसाकर-
कि, "तुम्हारी नज़र किसपर है ?"
तो भैया, जो चीज स्थायी है
वो तो कहीं नही जाने वाली,
जो अगले पल शायद ना रहे,
पहले उसे तो निहार लूँ..!"
 
मेहक बोलती है, "भैया, जब वह आपको भाव नहीं देती है, तो फिर क्यूँ आप उसके पीछे पड़े हो ?"
रॉनी समझ गया कि इसको यहाँ से भगाने का एक ही तरीका है, कि उल्टा इसको पकाओं। इसलिए Rony उससे अपना diary लेकर फिर उसमें कुछ लिखकर उसको अपनी diary थमाता है। उसमें लिखा था-
 "हम हुए कद्रदान, जाने वो मेहरबान कब होंगे !
मैं खो तो गया हूँ, जाने वो परेशान कब होंगे !
यूँ तो निकलना चाहता हूँ मैं भी, अपने इस बेखुदी के आलम से।
मगर उनके मदहोश न करने के फिर कभी, अहसान कब होंगे !"
 
मेहक झुंझलाहट में बोलती है, "तो आप नहीं सुधरोगे ना..?"
Rony मेहक के कंधों पर हाँथ रखकर उसको जानबूझकर और पकाता है, और फिर कुछ देर में वह रॉनी के कमरे से चली जाती है। रॉनी मन ही मन सोंचता है, "मेहक को मैंने जब भी जो कुछ भी बताया है, थोड़ा सच और ज्यादा अपनी कल्पनाओं को बताया है। उम्मीद है कि वह यह बात समझती होगी कि मैं बस उसे पकाने और उससे अपना पीछा छुड़ाने के लिए ये सब कहानियाँ सुनाता हूँ। वरना उसे तो बस मौका चाहिए मेरी टांग खींचने की। बस इसका उसके life में कोई गलत असर ना पड़े। वह कोई गलत सीख ना लें।" फिर खुद को समझाता है, "मेरी मेहक एक समझदार लड़की है। मैं फालतू में ये सब सोंच रहा हूँ। वैसे भी उसको मैं पकाता नहीं तो मेरे साथ ही अभी गप करने लगती। उसको यहाँ से भगाने के लिए यह करना जरूरी था।" उसके बाद वह अपना laptop open करके अपने Boss के बोले काम को करने लगा। 
वह अपना काम खत्म करने ही वाला था कि श्रेष्ठा का message आया, "तुम आये नहीं। क्यूँ...?"
रॉनी का उसपर ध्यान गया। वह मन में सोंचा, "अब इसे कैसे बताऊँ कि मैं वहाँ से क्यूँ बिना बात किये आ गया।" वह उसे बोला, "आज की class boring है क्या ?"
श्रेष्ठा का जवाब आया, "अभी lunch है। वैसे तुम आया क्यूँ नहीं ?"
रॉनी खुद को समझाता है, "यार फ़ालतू में इससे बहस करने से अच्छा है कि इसे बोल ही दो।" वह उसे बोला, "मैं आया था। स्मृति देखी थी।"
थोड़ी wait करने के बाद श्रेष्ठा का reply आया, "यह उल्टा पूछ रही है कब, कहाँ ? मुझे नहीं पता।"
रॉनी मन में सोंचता है, "कमाल है ! एक friend मुझे ignore कर रही है और दूसरी मुझमें कुछ ज्यादा ही interest ले रही है।" वह उसे text करता है, "मैं आया था। तुम एक lady का help कर रही थी।"
श्रेष्ठा का reply आया, "आये थे तो बात क्यूँ नहीं किये ?"
रॉनी मन ही मन बोलता है, "अब कैसे बताऊँ कि मैंने क्यूँ बात नहीं की !" वह उसे text किया, "तुम auto में थी। तो सबके सामने इस तरह तुमसे कैसे बात करते ?"
श्रेष्ठा का text आया, "हाँ तो auto रुकी हुई थी ना...। और सबके सामने बात करने में क्या परेशानी थी ? तुम आये भी थे या ऐसे ही बोल रहे हो ?"
रॉनी सोंचने लगता है, "यार अब इसको कैसे समझाऊँ ?" वह उसे text करता है, "मैं गया था। स्मृति को ठीक से पूछो वह जानती है, कि मैं गया था कि नहीं।"
श्रेष्ठा का reply आया, "लेकिन अगर आये थे तो आके बात करनी चाहिए थी ना। वरना मुझे कैसे पता होगा कि कौन किधर से देख रहा है ?"
तभी रॉनी को पीछे से आवाज आई, "भैया खाना खईयेगा ?"
रॉनी पीछे मुड़ा तो देखा कि मेहक दरवाजे के पास खड़ी है। फिर उसने घड़ी देखी तो दोपहर के 2:24 हो रहे थे। वह मेहक को बोला, "तुम लगाओ। मैं अपना काम खत्म करके आ रहा हूँ।" फिर वह श्रेष्ठा को text किया, "अभी मुझे अपना काम करना है। Bye." और वह chat close करके अपना काम finish किया और lunch करने गया।

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Part 3 :-

रात में रॉनी खाना खाकर सोने के लिए bed पे लेटा। तभी उसके mobile में message alert आया। श्रेष्ठा ने लिखा था, "Hi...!"
रॉनी खुद से बोला, "यार यह फिर से..." वह उसे reply किया, "बोलो..."
तब श्रेष्ठा का text आया, "क्या तुम अब भी स्मृति को like करते हो ?"
रॉनी ऊब कर खुद से बोला, "फिर से वही सवाल...। शांत रॉनी, शांत...।" और उसे text किया, "तुम मुझसे चाहती क्या हो ?"
श्रेष्ठा reply की, "तुम सीधे और शरीफ़ लड़के हो। उसके लिए best रहोगे।"
रॉनी सोंचता है, "तो यह मुझे उसके लिए परेशान कर रही थी।" वह उसको पूछता है, "पर मैं ही क्यूँ ? यहाँ तो मुझसे भी अच्छे-अच्छे लड़के हैं, जो उसको मुझसे ज्यादा deserve करते हैं।"
जिसपर श्रेष्ठा जवाब देती है, "क्यूँकि वह भी तुमको like करती है। wait a minute. तुमको वह अब पसंद नहीं ना...?"
रॉनी मन मे बोलता है, "पसंद तो है..।" पर वह बोलने से कतराता है। वह उसको text करता है, "देखो, हम लड़को को अक्सर यह गलतफहमी हो जाती है कि अगर कोई लड़की हमें देखकर smile कर रही है मतलब वह हमें भाव दे रही है, वह भी हमें पसंद करती है। पर मैं जानता हूँ कि स्मृति एक हँसमुख लड़की है। वह हमेशा ही हर किसी को देखकर smile करती है। इसलिए मुझे ऐसी गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए।"
श्रेष्ठा message करती है, "तो वह ऐसा क्या करेगी जो तुम यह समझोगे कि वह भी तुमको पसंद करेगी ? लड़का तुम है तो तुम्ही को approach करना होगा ना...। कभी किसी लड़की को देखे हो real life में ऐसा कुछ करते हुए ?"
रॉनी मन ही मन बोलता है, "इस मामले में मेरी बहन exception है। लड़कियाँ ऐसी होती है, और एक मेरी बहन है जो खुद ही रिश्ता लेकर जाने के लिए पापा को सुबह से तंग कर रही थी।" वह श्रेष्ठा को reply करता है, "देखो, स्मृति खूबसूरत है, physically भी और spiritually भी। और तुम भी। तुम दोनों को हर कोई पसंद करेगा और करता है। But मेरे भी पसंद करने या ना करने से वह मुझे ही मिल जाये, यह जरूरी तो नहीं।"
श्रेष्ठा text की, "तुमको मेरी बात समझ में नहीं आई। जब मैं बोल रही हूँ कि वह भी तुम्हें पसंद करती है तो...?"
रॉनी सोंचता है, "यह मेरी उससे setting करवाने की कोशिश क्यूँ कर रही है ?" वह उसे reply करता है, "देखो, तुम्हें कोई गलतफहमी हुई होगी। वो कहाँ आसमां की सितारा और मैं कहाँ मामूली सा जुगनू। वो मुझे कभी पसंद कर ही नहीं सकती है।"
श्रेष्ठा reply करती है, "खुद को उसके सामने इतना मामूली भी मत समझो। तुम एक बार मेरी बात मानकर effort लगाकर तो देखो। तुम sure हो जाओगे कि वह भी तुम्हें पसंद करती है या नहीं।

श्रेष्ठा की बात सुनकर रॉनी मन में बोलता है,
"मत दिखा ख्वाब मुझे रंगीन उजाले का,
मुझे अंधेरे में रहने की आदत हो गई है।
बंद कमरे की तन्हाई मुझे अपना सा लगता है
और दिए रोशनी भी मेरे आँखो को चुभती है।"
वह उससे पूछता है, "और ये सब तुम क्यों कर रही हो ?"
तुरंत श्रेष्ठा का reply आया, "For my personal benefit."
रॉनी सोंचता है, "क्या !" वह उससे पूछता है, "कैसा benefit ?"
उधर से reply आया, "यार, यह सुबह शाम मुझसे चिपकी रहती है। मेरी भी अपनी personal life है, इक्षाएँ है, wishes है।"
रॉनी समझ जाता है, "O, तो इसे personal space चहिए।" वह पूछता है, "तो तुम उसे directly यह बात क्यूँ नहीं बोलती हो ?"
श्रेष्ठा reply की, "नहीं यार, वो मेरी friend है ना.., तो ऐसे अच्छा नहीं लगता है उसको hurt करना।"
रॉनी अपने मन में सोंचता है, "अच्छा, तो यह मुझे इस्तेमाल करनी चाहती है अपने फायदे के लिए।" वह उसको text करता है, "पर इस तरह अपनी friend को धोखा देना, उसके पीठ में छुरा गोबना गलत है ना...?"
श्रेष्ठा reply की, "कैसा धोखा, कैसा छुरा ? मैं तो उसका घर बसाने की कोशिश कर रही हूँ, ताकि फिर बाद में उससे छुटकारा पाकर मैं अपना घर बसा सकूँ ? तू उसे like करता है क्या नहीं ? कि मैं किसी और को ढूँढू ?"
रॉनी सोंचता है, "यार, यह लड़की तो पागल है, और बहुत जिद्दी भी। पता नहीं वो लड़का कैसा होगा, कितना दिमाग खराब करेगा स्मृति का। इससे अच्छा है कि मैं ही बलि का बकरा बन जाता हूँ। वो safe रहेगी।" वह पूछता है, "ठीक है, अब क्या कारण होगा मुझे ?"
उधर से reply आया, "बस मैं जो जो बोलूँ उसे करते जाओ। मुझे ignore मत करना।"
फिर next Saturday decide हुआ कि वो next Sunday को city mall में मिलेंगे और सबकुछ श्रेष्ठा के plan के according ही होगा।

अच्छा तो अब समझ मे आया कि Rony mall के open restaurant में क्या कर रहा है। Wait, मैं याद तो हूँ ना ? मैं समय, AnAlone Krishna के इस imaginary world का... या इस story को पढ़ते-पढ़ते मुझे भूल गए ? तो Rony किसी chair पे बैठा हुआ है, restaurant के chair table पे। अब मैं बता सकता हूँ कि वह श्रेष्ठा के साथ स्मृति का wait कर रहा था। उसने waiter को वापस भेज दिया जो उससे order लेने आया था, और इधर-उधर देख रहा था। उसकी आँखें किसी एक पर अटक गई। जो स्मृति है और वह किसी और table पे अपनी friend के साथ बैठने जा रही थी और अब बैठी है, bearer के बगल में जहाँ से पूरा 3 तल्ले वाले mall का उपर से लेकर नीचे तक का नजारा साफ दिखता है। अभी इनके आँखों-आँखों के खेल का 1 min भी ठीक से नहीं हुआ था कि रॉनी के सामने कोई suit पहने लड़की आकर खड़ी हो गई और बोली, "लड़की खूबसूरत है।" उसने अपना माथा ऊपर किया तो वह पाखी है, साथ में एक बच्चें को वह अपने गोद में लिए हुए है। अब वह married है तो वह बच्चा उसी का होगा। उसके बगल में खड़े उसके husband ने रॉनी को कहा कि, "तुम उसे जानते हो या जान-पहचान बनानी है।" रॉनी अपना नजर थोड़ा बाएं घुमाया, वह राज था। तब तक स्मृति कुछ बहाना बनाकर जबरदस्ती करके श्रेष्ठा को तुरंत अपने साथ लेकर वहाँ से निकल गई। जब तक रॉनी उनके table की तरफ देखता, वो दोनों वहाँ नहीं थी। थोड़ा इधर-उधर नज़र दौड़ाया तो वो दोनों वहाँ से जा रही थी। फिर रॉनी अपने सामने खड़े पाखी और राज को बोला, "नहीं बस अकेले बैठा हुआ था तो नजर इधर-उधर चला गया।"
इसपर राज बोला, "तुम कब से इन सब में interest लेने लगा ?"
जिसपर रॉनी थोड़ा sarcastic way में मुस्कुराया और बोला, "Sorry, मैं अपने intern की वजह से तुम दोनों की शादी attend नहीं कर पाया।"
"कोई बात नहीं।" बोलते हुए राज पाखी के साथ रॉनी के सामने वाली seat पर बैठ गया। उसने फिर order किया और वो साथ में नास्ता किये। फिर तीनों साथ में वहाँ से निकले। पर जाते जाते जैसा हर friend दूसरे friend से expect करता है, रॉनी भी उस expectation को पूरा करते हुए उन्हें बोलता है, "ऊपर वाला तुम दोनों को खुश रखे। तुम्हारी जोड़ी इसी तरह हमेशा बनी रहे। जिसपर वो दोनों कुछ reply नहीं कर पाते हैं। Auto रुकती है और वो दोनों चले जाते हैं। उनके जाने के बाद रॉनी अपने मन में सोंचता है,
"जिसने दुनियाँ उजाड़ी है मेरी, 
आज उसी के लिए दुआ माँगने की किसी ने चाह की है...
...और जिसे बद्दुआ दी थी इस दिल ने कभी अपने कराह में, 
मैंने उसी के लिए दुआ आज की है।"

Sorry, sorry, sorry... मैं कृष्ण की story पूरा करना भूल गया। तो उसके पहले, यानी कि आज mall में आने से पहले, शायद आज के दिन से भी पहले। हाँ...। मेहक को अपने पापा को मनाने के बाद, उसके अगले दिन शाम को जब मेहक उदय के साथ सतीश के घर visit करके आते हैं, रॉनी T.V. on करके match देख रहा होता है। रॉनी दोनों को हँसता हुआ अंदर आते देख कर मेहक को बोलता है, "तब fix हो गया तुम्हारे शादी का date ? तो कब है शादी ?"
इसका मेहक जवाब देती है, "मैं अपनी शादी fix करने थोड़ी ना गई थी। मुझे बस उनके घरवालों से मिलना था इसलिए गई थी।"
यह सुन कर रॉनी सोंचता है, "क्या ! यह उनसे सिर्फ मिलने के लिए इतना परेशान की ?" वो पूछता है, "तो यह तुम सीधे-सीधे नहीं बोल सकती थी ? Proposal लेकर जाना जरूरी था ?"
मेहक समझती है, "ऐसा क्या बोलती जो उनके घर में घुसने का मुझे permission मिलता ? भगा नहीं देते दरवाजे से ही ?"
रॉनी सोंचता है, "यह हर बात को इतना lightly कैसे ले सकती है ?" वह उदय को पूछता है, "पापा आपको इसकी हरकतें पागलपन नहीं लगता है ? आप इसके ऐसे उल्टे-सीधे हरकतों में साथ क्यूँ देते हैं ?"
तब उदय उसको बोलते हैं, "हर लड़ाई सिर्फ कुछ पाने के लिए ही नहीं लड़ी जाती है। कुछ लड़ाईयाँ जो है उन्हें बचाने के लिए भी लड़ी जाती है।"
रॉनी मन में बोलता है, "इनसे तो बात ही करना बेकार है।" तब वह अपनी माँ को आता देख बोलता है, "मम्मी आप इनको झेलती कैसे हो ?"
अभिलाषा रॉनी के बात को ignore करके उदय से पूछती है, "तो उसके घरवालें कैसे हैं ?"
रॉनी अपना माथा पीट लेता है, "किस घर में पैदा हो गया हूँ मैं। पागलों के बीच में फँसा हुआ हूँ।" वह पूछता है, "आपकी बेटी अपने हद में नहीं रहती, आपको इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ?"
अभिलाषा मुस्कुराकर बोलती है, "नहीं।" वह भी तीनों के बगल में sofa में बैठते हुए पूछती है, "तो आपने बताया नहीं उसकी family के बारे में।"
जिसका उदय जवाब देते हैं, "वह पूर्वी का लड़का है।"
रॉनी चौंक जाता है और मन में सोंचता है, "अब ये क्या story है !" वह पूछता है, "कौन पूर्वी ?"
अभिलाषा पूछती है, "मेरी बचपन की सहेली ?"
उड़द बोलते हैं, "पर शायद वह मुझे पहचानी नहीं।"
रॉनी को dough होता है, "जरूर यह ये बात पहले से जानती होगी।" वह मेहक से पूछता है, "तुम्हें पहले से पता था ?"
मेहक तुरंत जवाब देती है, "नहीं तो। इनकी बचपन की सहेली के बारे में मुझे कैसे पता होगा ? कभी तुम्हारे सामने भी उनका जिक्र हुआ था क्या ?"
रॉनी सोंचता है, "बात तो वैसे यह फिर भी सही ही कर रही है। उनके बारे में कभी तो मम्मी-पापा हमारे सामने जिक्र नहीं किये। पर..." वह बोलता है, "पर मम्मी, आप दोनों की तो लगभग सभी friends कभी ना कभी मिलती रहती है। पर ऐसा क्यों है कि आप उनका कभी जिक्र तक की ?"
अभिलाषा बताती है, "हमारे बीच कुछ कहा सुनी हुई थी। कुछ वो सुनाई, कुछ मैं। उसके बाद फिर हम कभी नहीं मिले, ना एक दूसरे से कभी बात की, ना उनका जिक्र।"
रॉनी सोंचता है, "वैसे तो मम्मी की सभी से बनती है। फिर उनसे क्यूँ नहीं ?" वह पूछता है, "पर ऐसा क्यूँ ?"
अभिलाषा बताती है, "तुम्हारी उम्र में हम भी तो ऐसे ही थे।(मेहक की तरफ इशारा करते है) इसे देख कर हमें हमारे दिन वापस याद आ जाते हैं। कोई भी बोल देगा कि यह हमारी ही बेटी है। हमनें अपने जमाने में किसी के बनाये हद में नहीं रहे, अपनी जिंदगी के फैसलें खुद लिए, और घरवालों के against जाकर शादी की। वहीं पूर्वी खुद से पहले family को importance देती थी। इसलिए उसकी और मेरी सोंच आपस में नहीं मिली और हमारा झगड़ा हो गया।"
रॉनी अंदर ही अंदर खुश होता है और सोंचता है, "लो लग गए इसके। मेहक तो पक्का rejected है।" वह बोलता है, "पर मम्मी, मैं भी तो खुद से पहले family को priority देता हूँ।"

मेहक उदय से पूछती है, "पापा, आपने कल कहा था कि हमारी personality में heredity character आते हैं। फिर भैया की सोंच ऐसी क्यूँ है। वो इतने ज्यादा आदर्शवादी क्यूँ हैं ? क्यूँ वो बात-बात पे मेरे revolutionary होने पे चिढ़ जाते हैं। ये भी तो stereotype habits ही है ना ?"
उदय उसे समझाते है, "देखो, किसी person के physical characteristics, जैसे कि उसके talents, उसके health, choices of lifestyle, learning attitude, etc. उसके heredity character से आते हैं। पर उसकी सोंच उसके life experience, choices of leanings, उसकी understandings से develop होती है। इसलिए जरूरी नहीं कि किसी घर का हर बच्चा अभिभावकों पर ही जाए। तुम अपना ज्यादातर समय हमारे साथ बिताती हो, इसलिए तुम हमसे सीखती हो। जबकि रॉनी ज्यादातर बाहर रहता है अपने दोस्तों के साथ समाज के बीच, इसलिए अगर यह ना भी चाहे तो भी इसके अंदर वो stereotype tendencies तो develop होना ही था। (मेहक के माथे पे अपना हाँथ सहलाते हुए) पर कोई बात नहीं। शुरू में हम भी तो unconsciously stereotype ही थें। हम धीरे-धीरे time के साथ develop हुए हैं, जैसे-जैसे हमें चीजों के बारे में knowledge और समझ मिलते गई। उसी तरह late ही सही, पर तुम दोनों की किस्मत है हमसे बेहतर बनना। और देखा जाए तो तुम्हारे उम्र में हम जितना थे, उससे तो तुम दोनों अभी भी बेहतर ही हो।"
अभिलाषा उसके बाद बोलती है, "सच में। रॉनी, एक और एक तू है, आज तक एक लड़की नहीं पटा पाया। तुम्हारे एक भी गुण हमसे नहीं मिलते हैं।"
मेहक मौका पाकर बीच में बोलती है, "ऐसा इसलिए क्योंकि तुझे ना रास्ते से उठा कर लाएं हैं। तू सगा बेटा नहीं है इनका।"
रॉनी को इससे बुरा लगता है। उसका मन करता है कि यह बोल दे, "तू DNA test करवा ही लें। फिर 100% confirm हो जाएगा कि कौन सगा है और कौन रास्ते से उठाया हुआ।" पर उसे वह यह नहीं बोलता कि कहीं मेहक को बुरा ना लगे। वह बोलता है, "मम्मी आप एक लड़की होकर खुद ऐसी बात क्यूँ बोलती हो। आपको इससे फर्क नहीं पड़ता है कि इससे आप मुझे negatively inspire करती हो ? लड़के लड़कियों को as a human treat करने के बजाय इस तरह as an object treat करते हैं। मुझे लड़कियों के जज्बातों और life से खेलना नहीं पसंद है।"
तब अभिलाषा बोलती है, "तू हमारा खून है। And we are proud on you, कि तुम बहुत समझदार हो। तुम ऐसा कुछ कर ही नहीं सकते हो, तुमपर हमें यह भरोसा है।"
उसके बाद उदय समझाने की कोशिश करते हैं, "देखो young boy, अगर हम तुम्हारे लिए कोई रूढ़िवादी अपने माता पिता के decision को मानने वाली लड़की ढूँढ़ेंगे, तो वह तुम्हें पसंद करेगी ही करेगी। पर तुम इस बात को खुद सोंचो, तुम इतने बड़े दुनियाँ में अगर किसी एक लकड़ी को भी अपने character से impress नहीं कर सकते कि वह तुम्हारे साथ पूरी life बिताना चाहे, क्या तुम किसी को deserve करोगे ? This is also a test for your life, कि तुम किसी के life partner बनने के लायक हो।"

रॉनी सोंचता है, "अगर देखा जाए तो यह सही ही बात कर रहे हैं। It is all about on our perspective and motive पर..." वह उनसे पूछता है, "तो क्या वो successful लोग, जिनके पास अच्छी नौकरी, अच्छे पैसे कमाते हैं, वो आपके according किसी के लायक नहीं है?"
मेहक बोलती है, "मुझे इसपर दो शब्द कहने का मन कर रहा है। इजाज़त हो तो मैं कुछ कहूँ ?"
रॉनी बोलता है, "इर्शाद... इर्शाद..."
उदय बोलते हैं, "बोलो...
तब मेहक बोलती है,
"तू लाख छुपा ले, जज्बात को अपनी
पर एक बात समझ, तू छुपा नहीं पायेगा।
भाई, तू आखिर भाई है मेरा।
तू मुझसे अपना जज्बातों को कैसे छिपायेगा !"
रॉनी समझ जाता है कि, "ये लड़की डुबायेगी मुझे।" वह इशारों-इशारों में मेहक को चुप रहने को बोलता है, और उदय से पूछता है, "आप मेरे बात का जवाब नहीं दिए। क्या life में कामयाब होना, अच्छे खासे पैसे कमाना आपके हिसाब से किसी लड़की के लिए काबिल होना नहीं है ?"
उदय बोलते हैं, "कम से कम हमारी बेटी के लिए तो नहीं।"
इसपर रॉनी पूछता है, "तो क्या वह लड़का जिसको मेहक पसंद करती है,..." मेहक बीच में बोलती है, "सतीश..." रॉनी आगे बोलता है, "ऐसा क्या है उसमें जो आप उसे इसके लिए लायक मानते हो ?"
उदय कहते हैं, "देखो, पैसों से ज्यादा अहमियत रखता है वक़्त, वक़्त से ज्यादा अहमियत रखता है नियत, और नीयत से ज्यादा अहमियत रखता है knowledge, यानी कि ज्ञान। काहे कि एक ज्ञानी आदमी ही यह बात समझ सकता है कि अगर वह बुरा है, फिर भी, उसे भी अच्छे नीयत वाले लोगों की पहचान होनी चाहिए और उनकी कद्र करनी चाहिए जो ईमानदार हो और जिनपर वो भरोसा सके कि वो वक़्त आने पे काम देंगे। इसलिए उन्हें खोना नहीं चाहिए।"
रॉनी सोंचता है कि, "पर लोग तो पैसों को ही सिर्फ सबसे ज्यादा अहमियत देते हैं।" वह पूछता है, "और आप एक ही बार मिलकर यह बात कैसे बोल सकते हैं कि वह सही ही है ?"
उदय शातिर अंदाज में पूछते हैं, "बिना उसे जानने की कोशिश किये, उसे परखे, क्या यह बात जाना जा सकता है ? उसके लिए भी तो कोई step लेना ही होगा ना ? हम दोनों वही तो करके आ रहे हैं अभी।"
रॉनी मन में सोंचता है, "No dough. ये पागल इन्ही की संगत में रहकर ऐसे उल्टे-सीधे कांड करती है।" वह अभिलाषा को बोलता है, "मम्मी, कभी आपको ऐसा नहीं लगता, कि आपने इनसे शादी करके गलती की है ?"
इसपर अभिलाषा उदय को देखकर मुस्कुराते हुए बोलती है, "लगती है बेटा, हमेशा लगती है। मेरे कर्म फूटे थे जो मैंने इनसे शादी कर ली ?"
इसपर मेहक बोलती है, "तो ऐसा क्या हो गया था जो आपने इनसे शादी की ? आपको इनस बेहतर लड़का नहीं मिल रहा था क्या ?"
इसपर अभिलाषा बोलती है, "उस वक़्त मैं नासमझ थी। पर फिर भी इतनी समझ थी कि बाकी सभी stereotype/Orthodox mentality के हैं, और मैं आजाद ख्याल की, इसलिए मैं उनके साथ खुश नहीं रह सकती थी। वहीं ये उस वक़्त revolutionary attitude के थे, हर रूढ़िवादी और अंधविश्वास के खिलाफ रहते थे, तो इसलिए उस वक़्त यही मुझे मेरे लिए सही लगे। पर बाद में समझ में आया कि मैंने जल्दबाजी में गलती कर दी। थोड़ा और wait करती तो मुझे इनस बेहतर मिल सकता था ?"
उदय यह सुनकर बोलते हैं, "अच्छा...। रॉनी जरा इससे पूछो तो, कि आखिर इसको मुझसे शिकायतें क्या-क्या है।"
अभिलाषा रूठने के अंदाज में बोलती है, "तुम्हारे पैदा होने के बाद से एक बार भी अकेले घुमाने लेकर नहीं गए। बाकी औरतों के पति नए नए हार लाके अपनी wife को पहनाते हैं और ये आज तक एक necklace लेकर नहीं आये। कोई भी ख़्वाहिश करो इनके सामने, ये कुछ भी लेकर नहीं देते हैं।"
उदय इसपर ताव से बोलते हैं, "ये लो देखो इस selfish औरत को। बच्चों से ज्यादा बस खुद की परवाह है इसे। और तुम्हारी इक्षाएँ पूरी करूँगा तो बच्चों की जरूरतें कौन पूरी करेगा ?"
अभिलाषा बोलती है, "मैं किसके लिए कमाती हूँ ? मेरे पैसे किस दिन काम आएँगे ?"
उदय बोलते हैं, "जब इतना घमंड है अपने पैसों का तो उससे खुद की इक्षाएँ खुद ही पूरी क्यूँ नहीं कर लेती ? बाताओं इसको self independent रहने का मौका देते हैं तो इसे मुझपर depended रहना है।"
अभिलाषा बोलती है, "ऐसे अच्छा लगता है ना जब एक पति अपनी पत्नी के लिए ऐसा कुछ करे तो..."
रॉनी परेशान हो जाता है कि, "कि लो, है दोनों फिर शुरू हो गए।" वह मेहक को इशारा करता है, "सँभालो इन्हें..."
मेहक बोलती है, "मम्मी, अगर कोई और रूढ़िवादी लोगों के बीच में फँसी होती, तो वह मौका आपको नहीं मिलता जिससे आप वो सब करो जो आप अभी करती हो। आपको अपने हिसाब से जीने का मौका नहीं मिलता।"
अभिलाषा बोलती है, "हाँ तो यही सोंच कर तो इन्हें झेल रही हूँ। वरना इन्हें कब का छोड़ दिया होता।"
मेहक बोलती है, "पिछड़ी सोंच रखने वाले आपको यह भी नहीं करने देते।"
तब उदय बोलते हैं, "अरे तुमलोग tension मत लो। तुम्हारी माँ बस ऐसे ही नख़रा कर रही है और बाहर से दिखावा कर रही है। मुझे पता है ना कि दिल से कितना प्यार करती है।"
रॉनी सोंचता है, "चाहें love हो या arrange, couples के बीच आपस में कुछ ना कुछ शिकायतें तो रहती ही है।" वह मेहक को पूछता है, "तो तुम्हारा उसे पसंद करने का क्या reason है ?"
मेहक बोलती है, "देखिए भैया, I'm ambitious in my life. मैं कुछ ना कुछ करके अपना ख़्वाब पूरा करूँगी ही। पर इसके बाद जब मैं किसी के साथ relationship में आऊँगी तो मुझे मेरे काम को, मेरा ख़्वाब, मेरी life-style, मेरी जिंदगी, सब पीछे छोड़कर उसके life, उसके life-style, उसके ख़्वाब, उसकी family के according ढलना होगा। क्योंकि सभी की सोंच आपके जैसी ही है। हम लड़कियों को हमेशा हद में रहना चाहिए। लड़के जो चाहे वो करे, पर adjust तो हम लड़कियों को ही करना चाहिए। जबकि आपको पता कि मैं हमेशा ऐसी सोंच के against रहती हूँ। इसलिए क्यूँ ना मैं अपना ambition, अपना ख़्वाब relationship में आकर, साथ मिलकर देखूँ। जिससे बाद में ना ही मेरी life change हो, ना ही कुछ मेरा पीछे छूटे और ना ही मुझे जो किस्मत से मिल जाये उसी के साथ adjust करके जिंदगी जीना पड़े। जिसके साथ मैं मिल कर अपने जिंदगी के ख्वाब सजा सकूँ, सतीश में वह probability मुझे लगा। पर जब तक उसे आजमाया ना जाए, मैं भी अभी आपको sure नहीं कर सकती।"
मेहक की बात सुनकर रॉनी सोंचता है, "कहाँ मिला है इसको इतना शातिर दिमाग ? ख़ैर, (अपने माता-पिता को देखकर) चलो इनकी नाराजगी का भी हल कर ही देते हैं।" वह अपने bike का चाभी उदय को देते हुए बोलता है, "लीजिए आज आप मम्मी को date पे ले ही जाईये।"
उदय बहाने बनाते हुए बोलते हैं, "अब अभी कहाँ। अब तो शाम हो गई है।"
अभिलाषा भी बोलती है, "हाँ आज मेरा भी मन नहीं है। लेकिन promise कीजिए कि मैं जब बोलूँगी उस दिन आपको मुझे घुमाने के लिए लेकर जाना होगा।"
रॉनी सोंचता है, "चलो, इस किस्से का अंत हुआ।" और वह वहाँ से उठकर अपने कमरे में चला जाता है।

चलो यह किस्सा खत्म हुआ। इसके बाद रॉनी parking yard से अपनी bike निकालकर वहाँ से निकला। शाम को जब घर पहुँचा तो kitchen में मेहक खाना बना रही थी। उसके मम्मी-पापा साथ में कहीं बाहर गए थे। आधे घर की lights off थी। Specially रॉनी के कमरे के तरफ की। घर में घुसते हुए रॉनी को देखकर मेहक आवाज दी, "lights on करते हुए जाईयेगा।" रॉनी अपना mobile निकाला flash जलाने के लिए तो उसे स्मृति का text message दिखा जो लगभग आधे घंटे पहले का आया हुआ था। Open किया तो लिखा था, "Hi"
इसने भी text कर दिया, "Hello" और बरामदे का switch on करता हुआ अपने कमरे की तरफ़ गया।
वह दरवाजे पे कदम रखा ही था कि स्मृति का फिर से text आया,  " ये सब क्या है ?"
रॉनी अपने कमरे के switch board की तरफ जाने को छोड़कर mobile देखते हुए अपने bed की तरफ जाता है और बैठ जाता है। फिर वह text करता है, "क्या, क्या है ?"
स्मृति का reply आया, "क्या लगता है, मुझे कुछ समझ नहीं आएगा क्या ? पिछले कुछ दिनों से जो चल रहा है, वो तुम दोनों की मिली भगत है ना ?"
रॉनी बोलने की कोशिश करता है कि, "मैं तो..." कि फिर वह उसे edit करता है और लिखता है, "I'm sorry."
वह text की, "मैंने तुमसे पहले भी कही हूँ कि मुझसे कोई उम्मीद मत रखना। तुम्हारी बात नहीं बनने वाली है।"
रॉनी का मन ही मन बोला, 
"यूँ तो मरे होंगे पहले भी कई दीदार में आपके।
अगर मेरी भी जान जा रही है तो इसमें नया क्या होगा !
नादानी ना समझूँ तो क्या समझूँ इस दिल के आरजू को..?
आप हमारी कद्र करो, आपके दिल में हमारी वो जगह तो नहीं।"
वह उसे text किया, "देखो, मैं तुम्हें कितना पसंद करता हूँ, या तुम्हारी friend मुझे लेकर तुम्हें बहकाये, या मेरे friends तुम्हें मेरे करीब लाने की कोशिश करें, तुम्हें इससे फर्क नहीं पड़ना चाहिए। इन सब से manipulate होकर नहीं, बल्कि तुम्हारा दिल अगर खुद मुझे पसंद करे, तभी मुझे चुनना।"
स्मृति text की, "मैं तुम्हें कभी like नहीं करूँगी।"
Rony उसे reply किया, "I know."
स्मृति text की, "Good." फिर, "You deserve better. तुम्हें मुझसे अच्छी लड़की मिल जाएगी।"
इसका रॉनी कुछ जवाब नहीं दे पाता है। वह mobile side में रखता है, अपने जूते खोलता है, और पैर घुटने से नीचे लटकाए अपने bed पे लेट कर ऊपर देखता हुआ कुछ सोंचने लगता है। कमरे के अँधेरेपन में।

मैंने अपने शुरू से लेकर अब तक एक से एक आशिक देखें हैं। जो अपने मेहबूब को पाने के लिए क्या-क्या नहीं करते। पर ऐसा जिसने उसे पाने की कोशिश तक नहीं की, पीछे हट गया। ये सच में उसे like करता है या श्रेष्ठा को बस भ्रम हुआ था ? खैर, जो भी हो। अब इजाजत दो। Take care. Love you. Bye.

•••••The end of the story
is not end of the life.•••••

Notes:-
• Nowadays, every youngsters faces their own different type of emotional temptation. युवाओं के इस मानसिक परिस्थिति को देखकर उनके ऊपर गुस्सा करके उनके मन को और परेशान ना करें। बल्कि उनके हाल को समझकर उन्हें खुद से ऐसे situation में भी सही फैसले लेने की शिक्षा दें, और उनके कड़े और कष्टदाई फैसलों में उनके साथ रहें।
• जैसे किसी को पसंद करना या उसे choose करना, यह आपका choice है। ठीक उसी तरह उनका आपको पसंद ना करना या आपको reject करना, यह उनका choice है। जैसे आप independent हो किसी को पसंद करने और उसे choose करने के लिए। ठीक उसी तरह वो भी independent है आपके पसंद ना आने पर आपको reject करके जो पसंद आये उसे choose करने के लिए। So, respect another's individualities and choice also.
• अपने भवानाओं पर नियंत्रण रखना बहुत कष्टदाई होता है। पर आपके कठिन से कठिन परिस्थिति में भी समझदारी के साथ सही फैसलें लेने की योग्यता अपने अंदर develope करनी होगी।
• मेरी कहानियां absurd art पर based होती है। मैं आपको यह नहीं बताता कि मेरे perspective से क्या सही है और क्या गलत है। मैं बस यह समझाने की कोशिश करता हूं की मेरे perspective से मैं क्या analysis करता हूं। उसके क्या सही है या होना चाहिए, क्या गलत है या नहीं होना चाहिए, उसका फैसला आप अपनी समझ से खुद कर लो। मेरी कहानियां या poetries बस एक नजरिया है। आप वही करो जो आपको सही लगता है।

Published on, 28th November, 2021 A.D.
Last re-edited on, 2nd December, 2021 A.D.

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