I, Krishna, present you here, my 100+ literary works—poems and stories. I hope, I shall plunder your heart by these. Let you dive into my imaginary world. I request you humbly to give your precious reviews/comments on what you read and please share it with your loved ones to support my works.

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"Life की परछाई: Chapter 4Chapter 5Chapter 6Chapter 7 • Chapter 8 • Chapter 9" has published on 8th August, 2025. अगर आपको online reading में असुविधा होती है, और आप इसे printed form में पढ़ना चाहते हो, तो post के bottom में दिए 'Download and Print' button को click करके आप उसका printout करवा लेना। जिसमें 'Download and Print' button नहीं है उसके लिए आप 'Google form' को भरकर मुझे send कर दो, मैं आपको pdf भेज दूंगा। इसके अलावा सबसे अंत में UPI QR code भी लगा हुआ है, अगर आप मेरे काम को अपने इक्षा के अनुरूप राशि भेंट करके सराहना चाहते हो तो, आप उसे scan करके मुझे राशि भेंट कर सकते हो। जो आप वस्तु भेंट करोगे, वो शायद रखा रह जाए, परंतु राशि को मैं अपने जरूरत के अनुसार खर्च कर सकता हूँ। ध्यानवाद !
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● हमदर्द सा कोई ● भाग-५ ,story by AnAlone Krishna.

भाग-५

"Now class is over.", यह बोलकर teacher कक्षा से बाहर निकल गए। सभी students अपना-अपना bag pack करने लगे। तभी रवि राजेश को बोलता है,"चलो आज party karte हैं।"
राजेश hasitate करते हुए बोलता है, "आज...?"
रवि इसका उत्तर देता है, "हाँ, आज।"
राजेश समझाने की कोशिश करता है, "आज नहीं भाई, आज जल्दी जाना है।"
रवि पूछता है, "आज भी...?"
राजेश जवाब देता है, "हाँ...। लेकिन कल पक्का चलूँगा।" यह बोलकर राजेश तुरंत बाहर निकल जाता है।
बगल में सतीश कोमल को हाथ हिला कर 'hi' करता है, जिसके जवाब में कोमल सतीश को धीरे से बस 'hi' बोलते हुए निकल जाती है। रवि और सतीश एक दूसरे को देखते हैं और bag उठाकर वो भी बाहर निकलने लगते है। तभी पीछे से एक लड़का दोनों के कंधों में हाथ रखता है और बोलता है,
"क्यूँ मुह लटकाए जा रहे हो जालिमों, कभी हमारी भी कद्र कर दिया करो।
हमें तुम्हारी मुस्कुराहट की चाहत होती है तन्हा आशिकों, हमारे लिए थोड़ा सा मुस्कुरा दिया करो।"
रवि समझ जाता है की यह कौन है, फिर पीछे मुड़ कर देखता है और देखते हुए बोलता है, "तुम्हें हमेशा मजाक सूझता राहत है रुद्र...?"
जिसपर रुद्र जवाब देता है, " इसीलिए तो हम हर पल जीते है आशिकों...!"
सतीश रुद्र को बोलता है, "पहले तो हमें आशिक बोलना बंद करो। हम किसी के आशिक नहीं हैं।"
रुद्र फिर छेड़ते हुए बोलता है, "कमबख्त तेरे इसी अदा के तो कायल हैं हम, वरना दिल लगाने के लिए दिलरुबा बहुत है।"
सतीश बोलत है, "हो गया...?"
रुद्र मुस्कुराते हुए बोलता है, "हाँ, हो गया।"

 रुद्र वैसे तो बिल्कुल बिंदास तरह का लड़का है, पर यह अपने मसखरे स्वभाव में भी जो बोलता है बिल्कुल exact बोलता है। यह लड़का अपने graduation के पिछले एक साल तक बहुत कम ही college में दिखा। यूँ कह सकते हैं कि ना के बराबर, पर उसके बाद से जो भी इसे जानते हैं आफत मानते है।  और इसकी सतीश-रवि के साथ connection ऐसी है जैसे कि fan-following हो । सतीश-रवि कितनों भी इस से दूर रहना चाहे, कितनों भी परेशान हो जाए, इसे कोई मतलब नहीं। यह इन दोनों से मसखरी करना नहीं छोड़ता। इसका मानना है कि "प्यार निःस्वार्थ भक्ति की तरह है, इसे हमें वैसे लुटाना चाहिए जैसे कोई भक्त अपने प्रभु की भक्ति करता है। उन्हें, जिन्हें हम चाहते हो। बिना किसी उम्मीद के कि हमें भी वापस उतना मिलेगा जितना की हम ईक्षा करते हैं।" यह बस उनपर प्यार लुटाना जानता है, जिसे यह प्यार करता है। चाहे वो इसके परिवार वाले हो, रिस्तेदार हो, दोस्त हो, या परिचित लोग जिन्हे यह जानता है। यह बस सभी पे प्यार लुटाता है, जिन्हे यह पसंद करता । इसलिए तो यह हमेशा खुश रहता है। बहुतों को लगता है कि इसकी कोई प्रेमिका है जिसके साथ इसका relationship बहुत अच्छा है, और वह इसे हमेशा खुश रखती है। लेकिन मैं जानता हूँ ना कि ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं तो समय हूँ, इसलिए मुझे सब पता है। इसका भूत, भविष्य, वर्तमान। इसकी जैसी मानसिकता बनी है, इसके अतीत के गुजरे दिनों के कारण। यह self-depended की  सोंच रखने वाला लड़का है, इसलए किसी से कोई उम्मीद नहीं रखता। इसलिए यह किसी को उतना करीब नहीं करता कि हद पार हो जाए। लेकिन हाँ, यह हद करने तक मसखरी जरूर करता है।

 "मेरे class के दो sincere लड़कों, क्या तुमलोग इस बेबस-लाचार सहपाठी की थोड़ी सी मदद कर दोगे।" रुद्र सतीश और रवि को पूछता है।
सतीश उत्तर देता है, "बोलो मेरी जान...!"
इसपर रुद्र मुस्कुराता है और फिर normally बोलता है, "मुझे library से एक किताब निकालनी है।"
रवि टोकता है, "पर तुमने कल ही तो paper 5 की unit 1 की किताब निकाली है....!"
रुद्र तुरत बिना देर किए बोलता है, "इसलिए तो मुझे book निकालने नहीं मिलेगा। और इसलिए तुम दोनों मे से किसी को अपना id से निकाल के देना होगा।"
सतीश रुद्र को छेड़ते हुए पूछता है, "और अगर हमनें अपने id से पहले ही book issue कर रखे होते तो...?"
रुद्र जवाब देता है, "मुझे पता है कि मेरे ये दोनों लल्लू दोस्तों के पास इतना time है कि वो library में बैठ कर पढ़ाई करे, इसलिए ये कभी किताब नहीं निकालते।"
रवि रुद्र को बताता है, "हमारे पास sufficient books हैं, जिसके चलते books निकालने नहीं पड़ते। हाँ कुछ extra  knowledge के लिए यहाँ आ जाया करता हूँ।"

ऐसे ही बात करते-करते तीनों library तक पहुँच जाते हैं। तभी दरवाजे से पाँच कदम पहले ही एक लड़की अंदर से निकलती है। रुद्र को देखते ही वह बोलती है, "तुम्हें तुम्हारी ख्वाहिश नहीं मिलेगी hero ।" और वह अपने बाजूवों से निकालते हुए paper 6 के unit 1 के book को दिखाती है।
इसपर रुद्र पूछता है, "वहाँ इसकी और copies तो होंगी ही...?"
वह बोलती है, "यह last थी।"
रवि पूछता है, "तुम्हें कैसे पता कि रुद्र को यही book चाहिए थी ? यह किसी और को भी तो निकालना चाहता होगा...!"
वह जवाब देती है, "मैं इसे तुमलोग से बहुत पहले से जानती हूँ। मैं इसके हर एक movement को पहले से जान जाती हूँ कि यह क्या करने वाला है।"
रुद्र मजाक करते हुए बोलता है, "इतना मुझे मत समझ पगली, प्यार हो जाएगा।"
वह मुसकुराते हुए बोलती है, "यह बात तुम मुझे 10 साल से बोल रहे हो, अभी तक तो नहीं हुआ। वैसे शाम मे घर पर मिल रहे हो, group study के लिए...?"
रुद्र जवाब देता है, "हाँ । बाद में uncle के साथ पकौड़ों के साथ match देखने को मिलगा तो..."
"ठीक है।", यह बोल कर वह चली जाती है।

उस लड़की के वहाँ से जाते ही रवि रूद्र से पूछता है, “तो तुम हिमाद्री को 10 साल से जानते हो?”
इसपर रूद्र जवाब देता है, “वो मेरी schoolmate थी, family-friend भी, और मेरी सबसे अच्छी दोस्त भी।”
रवि रूद्र को छेड़ने की कोशिश करता है, “ अच्छा...!, सिर्फ friend..”
रूद्र पहले मुस्कुराते हुए बोलता है, “हाँ, chance तो है, मगर कभी कोशिश मत करना। वरना तेरे सामने हमेशा मैं खड़ा मिलूँगा।”
इसपर सतीश मुस्कुराते हुए बोलता है, “अच्छा...!”
रूद्र बोलता है, “अरे वो मेरी best-friend है। उसके साथ कुछ गलत थोड़ी ना होने दूंगा”
रवि बोलता है, “हाँ-हाँ, समझ रहा हूँ।”
सतीश फिरकी लेते हुए बोलता है, “बन्दे का दुखती रग हाँथ लगा है।”
इसपर रूद्र बोलता है, “ग़लतफ़हमी में खुद धोखा खाओगे, मुझे क्या?”
इन सभी बातो से उनके बीच हसीं का माहौल हो जाता है। रुद्र सभी को movie देखने के लिए invite करता है‌‍‌ ।

सतीश और रवि रुद्र से थोड़ा time लेते हैं। ताकि वे दोनों अपने hostel जाकर अपने भद्दे से uniform को बदल कर कोई अच्छा सा कपड़ा पहन सके । वैसे तो uniform उतना भी बुरा नहीं था लेकिन कितनों ही अच्छा क्यूँ ना दिखे, आखिर कौन सा student ऐसे एक ही तरह दिखने वाले अपने मरियल सी जिंदगी को जीना चाहता है। हाँ अगर इस story के writer, St. Collumba's College, Hazaribag में पढ़ने वाले हमारे Krishna Kunal की बात हो तो उसका जिंदगी का सपना ही था कि graduation में किसी ऐसे college/institute में admission  करवाए जहां वो बड़े चाव से uniform पहनकर daily classes करने जाए। खैर, सबकी पसंद एक जैसी थोड़ी ना होती है। यहाँ बात सतीश, रवि और रुद्र की हो रही है। तीनों शाम के show को देखने के लिए theater पर पहुचते है।

"क्या यार ! हमलोग आधे घंटे पहले आए हैं। फिर भी देखो कितनी लंबी line लगी हुई है ticket खरीदने के लिए।" रवि थोड़ा परेशान होते हुए कहता है।
"और यह ना जाने रुद्र कब तक आएगा...! हमें जल्दी बुलाकर खुद late है।" सतीश ऐसा बोल ही रहा होता है कि रुद्र सामने यह बोलते हुए प्रकट हो जाता है कि, "क्या बात है आशिकों, बड़ी बेसब्री से इंतेजार हो रहा है किसी का...! हमारा तो नहीं हो सकता।"
"क्यूँ नहीं हो सकता ?", रवि घूरते हुए पूछता है।
"वो बाहर राजेश का bike देखे ना। parking area पर इसलिए पूछ रहे थे।" रुद्र normally बोलता है।
इसपर सतीश और रवि surprise होते हुए पूछते हैं, "उसका bike यहाँ पर...?"
"हाँ। क्यूँ तुमने उसे नहीं बुलाया क्या ? मुझे तो लगा था कि मुझे फिर से जाकर और एक ticket खरीदना होगा।" रुद्र पूछता है।
सतीश जवाब देता है, "उसने तो हमें नहीं बताया।"
इसपर बीच में ही रवि amaze करते हुए पूछता है, "तुमने सबके लिए 3 tickets पहले से ही ले लिए थे...?"
रुद्र जवाब देता है, "3 नहीं 4 । college से घर जाते वक्त मैंने 4 tickets ले लिए फिर मैं घर गया।"
यह सुनकर सतीश और रवि दोनों सोच में पड़  जाते है। सतीश मसखरी अंदाज में पूछता है," 4 tickets...! ये चौथा ticket किसके लिए...?"
रुद्र मुस्कराते हुए जवाब देता है, "हिमाद्रि के लिए।"
तभी हिमाद्रि भी वहाँ पहुच जाती है। जिसे देखते ही रवि के मुंह से निकल जाता है, "नाम लिया और शैतान हाज़िर।"
हिमाद्रि यह बात सुन लेती है, और सामने आते ही रवि के तरफ चेहरा करके बोलती है, "औरतों से तमीज के साथ पेश आना सीखो  Mr. , इसी के कारण तुमलोग से class में कोई बात करना पसंद नहीं करती।"
"नहीं। बस इसके कहने का मतलब था कि बहुत दिन जीयोगी। अभी हम तुम्हारी ही बात कर रहे थे।" सतीश अपने चेहरे पे हल्की सी मुस्कुराहट भरते हुए बोलता है।

theater के अंदर से लोग बाहर निकलना शुरू कर दिए। इसका मतलब यह हुआ कि पिछला show खतम हो चुका है और इसके बाद इन चारों को अपनी जगह लेनी है। लोगों के बीच इन्हें कोमल और राजेश भी साथ निकलते हुए दिखते हैं। दोनों को देखते ही रवि उन्हें आवाज दे देता है। अचानक देखते ही दोनों थोड़े सहम जाते हैं, जैसे कि उनकी चोरी पकड़ी गई हो। फिर दोनों सभी के करीब आते है।
सतीश बोलता है, "तब तुम्हारा जरूरी काम लेकिन दिलचस्प था!"
राजेश जवाब देता है, "वो कोमल बोली कि बहुत दिन से कोई शो नहीं देखी। बस इसलिए  ले आए।"
कोमल बीच मे बात को काटते हुए बोलती है, "राजेश तुम्हारा कोई काम था ? पहले बताना चाहिए था ना। खामखां तुम्हारा program बदलना पड़ा।"
रवि बोलता है, "हाँ, हाँ। बना लो हमें..., हम तो बच्चे हैं ना!"
सतीश बोलता है, "रहने दे यार। हमने खोटे सिक्के पे इतना भरोसा किया इसमें सिक्कों का क्या दोष!"
कोमल हिमाद्रि के तरफ देखती है, और smile करते हुए हाथ मिलाती है। फिर पूछती है, "तुम तो बोल रही थी कि तुम फिल्में बहुत कम ही देखती हो। फिर यहाँ इनके साथ...?"
हिमाद्रि अपने हाथों में पकड़े किताबों से रुद्र को जोर से मारती है। और फिर बोलती है, "इसकी वजह से। पता नहीं पापा को क्या बोला कि पापा call करके बोलते है - "बेटी रुद्र जब इतने प्यार से movie देखने साथ चलने को बोल रहा है तो चली जा ना। क्यूँ बेचारे का दिल तोड़ रही हो।" उसके बाद रुद्र के तरफ घूरते हुए पूछती है, "क्या बोला था मेरे पापा को रे...?"
रुद्र हँसते हुए बोलता है, "वो तुम्हारे पापा को बोले थे ना कि,(नौटंकी करते हुए बोलता है।) uncle हिमाद्रि आज क्लास में उदास दिख रही थी। घर आकर खाना-खायी थी कि नहीं खाई। कॉलेज में भी जो टिफिन लाई थी, आधा फेंक दी थी। उसको बोलिए ना कि मेरी बात मान ले। उसको movie देखने के लिए साथ चलने को बोल रहे थे। अच्छा comedy movie लगा है, उसका mood ठीक हो जाता। शाम को मैं खुद उसको घर छोड़ दूंगा।" फिर रुद्र हिमाद्रि को देखकर अपना बत्तीसी दिखाने लगता है। और हिमाद्रि का गुस्सा और बढ़ते जा रहा था, जिसे वह control करने का कोशिश करती है।
कोमल पूछती है, "तुम हिमाद्रि को इतना care करते हो रुद्र ?"
हिमाद्रि जवाब देती है, "ऐसा कुछ नहीं है। यह सिर्फ इस तरह से नौटंकी करता है। रुक मैं तुम्हारे पप्पा से इसकी शिकायत करती हूँ।"
रुद्र हँसते हुए बोलता है, "बड़ों का बुरा नहीं मानते पगली।(रुद्र हिमाद्रि का नाक हिलाते हुए बोलता है।) पापा के गुस्से में भी मुझे बस प्यार ही दिखता है।"
रवि सभी को याद दिलाते हुए बोलता है, "अरे  यार हमें अंदर नहीं जाना है क्या ? अच्छी जगह seat नहीं मिलेगा।"
सतीश बोलता है, "अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया।"

रुद्र पानी और pop-corn खरीदने चला जाता है, और राजेश के साथ कोमल अपने घर।
सतीश हिमाद्रि से पूछता है, "यार, तुम रुद्र को झेलती कैसे हो।"
हिमाद्रि जवाब देती है, "उसे ऐसे खुश देखकर मुझे अच्छा लगता है। उसे ऐसा बनने में काफी समय लगा। उसे अपने अकेलेपन को पार करके बाकियों से दोबारा घुलने-मिलने में काफी समय लग गया।"
रवि जिज्ञासु होते हुए पूछता है, "काफी समय मतलब..?"
हिमाद्रि बताती है, "उसने कई साल तक खुद को लोगों से दूर रखा था। जब उसकी माँ मरी उसके बाद कई साल तक उसके चेहरे पर किसी भी तरह के भाव नहीं दिखते थे। न तो किसी चीज के खुशी के और ना ही किसी दूख के। ऐसा जैसे उसके अंदर से emotions ही कहीं खो गया हो। बस वह नीरस और हमेशा उदास रहता था।"
सतीश बोलता है, "रुद्र को ऐसे पहली नजर में देख कर कोई अंदाजा नहीं लगा पाएगा की वह कभी ऐसा भी हो सकता है।"
हिमाद्रि बोलती है, "कोई भी किसी को पहली नजर मे जब देखता है तो बस उसका present दिखता है। हमें लोगों को पूरी तरह जानने के लिए उनके साथ समय बिताने की जरूरत होती है। फिर भी बहूत मुस्किल होता है।"
रुद्र पानी की बोतल और pop-corn हाँथ में लेकर आता है। और बोलता है, "तो यह तुम्हें भी अपना lecture देना शुरू कर दी। मुझे यकीन है यह एक दिन बहुत ही अच्छी teacher बनेगी।"
इसपर हिमाद्रि बोलती है, "हाँ, अगर मेरा mood हुआ तो...।"
सतीश बोलता है, "वैसे इसमें गलत क्या है रुद्र ? ज्ञान जहां से भी मिले उसे ले लेना चाहिए।"
तब रुद्र बोलता है, "हाँ, पर हर जगह अपनी काबिलियत का दिखावा करना मैं सही नहीं समझता। कइयों को यह लगने लगता है कि अपने अहं में आकार उन्हें नीचा दिखाने का कोशिश किया जा रहा है। इससे द्वेष पैदा हो जाता है।"
रवि बोलता है, "यह उनकी मानसिकता की problem होगी। तुम्हारा नहीं।"
सतीश मुसकुराते हुए बोलता है, "वैसे तुम भी अब उपदेश ही दे रहे हो रुद्र।"
रुद्र बोलता है, "सब संगति का असर है भाई। अच्छा अब late नहीं हो रहे क्या ? चलो अंदर चलते है।"

सभी अंदर चले जाते है। अपनी जगह चारों middle में लेने लगते हैं। ताकि movie अच्छे से देख सके। हिमाद्रि सतीश और रुद्र के बीच में जगह लेती है और बोलती है, "women safty ! अपने दोस्तों के बीच में बैठना चाहिए।"
रवि के मुँह से अचानक निकल जाता है, "हम भी तो दोस्त ही हैं। हमारे बीच भी तुम..."
हमाद्री बीच में ही बात को काटती है, "तुम ही से तो डरती हूँ। पता नहीं क्या करेगा मौका पाकर।"
रुद्र आगे झूककर रवि को मुसकुराते हुए देखने लगता है। जिसे देखकर सतीश हिमाद्रि के मजाक को समझ जाता है और रवि को बोलता है, "अब तुम्हें क्या हो गया है। उट-पटाँग हरकते कर रहे हो। राजेश का side-effect तुम्हें हो गया है क्या ?"
रवि जवाब देता है, "पता नहीं यार। मुझे खुद समझ में नहीं आ रहा है, ऐसे उट-पटाँग हरकत क्यूँ कर रहा हूँ।"
रुद्र उधर से बोलता है, "संभालो खुद को dear, नहीं तो लोग मौका ढूंढते रहते हैं अपना frustration निकालने के लिए। हम शायद कुछ कर ना पायें।"

movie शुरू होता है तब बीच में कभी हिमाद्रि बोलती है, "सतीश मुझे तुमसे एक बात पुछनी है। मुझे लग रहा था कि कोमल के साथ तुम्हारा चक्कर चल रहा है। बुरा मत मनना । लेकिन अभी तो कुछ और ही नजारा देखने को मिला..।"
रुद्र बोलता है, "हाँ यह तो मुझे भी लग रहा था।"
रवि पीछे से बोलता है, "और मुझे भी।"
सतीश सबका जवाब देता है, "जितना दिखता है, सच सिर्फ उतना ही नहीं होता। हम अच्छे दोस्त थे। हमारे बीच समझ अच्छी बैठ रही थी। लेकिन इस से ज्यादा नहीं। मेरे मन में उसके प्रति वैसी कोई feelings आया ही नही जो मुझे उसके करीब ले जाता।"
हिमाद्रि पूछती है, "तो किसके लिए आता है ?"
सतीश जवाब देता है, "सच कहूँ तो मुझे वैसी कोई लगती ही नहीं जिसमें मैं उन खूबियों को देख सकूँ जिसकी मुझे प्यास होती है।"
हिमाद्रि मुसकुराते हुए बोलती है, "इसका मतलब तुमने पहले से ही अपने दिमाग में किसी का charactersketch बनाया हुआ है। जिसको तुम सभी में ढूँढने का कोशिश करते हो..."
सतीश कुछ भी ना छुपाते हुए बोलता है, "थी कोई crush, लेकिन अब हम कभी साथ नहीं रह सकते।"
रवि आश्चर्य करते हुए पूछता है, "यार तुमने कभी यह बात हमें तो नहीं बताई।"
सतीश जवाब देता है, "तुमने कभी पूछा भी तो नहीं।"
रुद्र बोलता है, "तुम्हारी story है। तब तो intresting ही होगी।"
हिमाद्रि बोलती है, "मुझे भी love stories बहुत पसंद है। इस बिना मतलब के without base-theme के चल रहे जैसे-तैसे story खीच रहे comedy movie से तो अच्छा ही होता है।"
सतीश बोलता है, "ठीक है, फिर कभी। फिलहाल हम पैसा तो वसूल लें।"

~अध्याय समाप्त~

-AnAlone Krishna
Published on, 25th May, 2018 A.D.
लोगों को जानने के लिए उनके साथ समय बिताने कि जरूरत होती है। जितना हम किसी को देख रहे होते हैं वो बस वर्तमान के प्रत्यक्ष दर्पण होता है। लेकिन किसी का व्यक्तित्व सिर्फ उतना ही नहीं होता।


॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :-  |  |  |   |  |  |  ९•० | ९•१ | ९•२ १०.० | १०.१ | १०.२ ११.० ११.१ ११.२ १२



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