_आदत ही छूट गई_
( दिल मे उम्मीद जागने के बाद इसके टूट जाने के अहसास के साथ )
कृष्ण कुणाल के द्वारा लिखी गई कविता
Note:- इसे simple lines की तरह पढ़कर खत्म करने की कोशिश करें। जैसे कि आप कोई कविता नहीं बल्कि कोई letter पढ़ रहे हो। इससे आप इस कविता को बेहतर तरह से feel कर पाओगे।
_आदत ही छूट गई_
कभी खुले आसमां के नीचे
चांद के इंतजार में तारें गिनते हुए
बीता करता था हर रात अपना।
बस किसी दिन उसने हमसे
बातें करने की ख्वाहिश क्या की
और हमारी छत पर चढ़ने की
आदत ही छूट गई॥
ये जो लोह है मेरे दिल में
उसके इश्क़ के बुझे आग का..,
ना, इसमें हवा ना दो।
कि उड़े राख और जला दे किसी को॥
हम जो रोज शाम को बैठते थे
और हर एक दिन खाली खाली
उसके इश्क़ के बिना बिताकर
अकेले ठंढी हवाओं के साथ।
जो ढ़लते सूरज की लाल किरणें
मेरी आँखों को बंद किया करती थी
कि सो जाओ अब, थक गए हो इंतजार में॥
बस, बस किसी दिन उसने हमसे
हमारे अकेलेपन में ही सिर्फ
अपने साथ की ख्वाहिश क्या की
और हमारी हर शाम अकेले बैठने की
आदत ही छूट गई।
कभी खुले...
...आदत ही छूट गई॥
ये जो अरमां है मेरे सीने में दबा हुआ
उसे बाँहों में भरकर चैन से सोने का..,
ना, इस उम्मीद को अब फिर ना जगाओ।
कि फिर उड़े बात और बदनाम कर दे किसी को॥
उसके बिना उसके इंतजार में
सदियाँ जैसे एक पल में गुजरा हो
और याद है तो बस वो चंद लम्हें ही,
जिन लम्हों में मैंने जैसे कि उसके साथ
पूरी जिंदगी जी ली हो..।
वो वक़्त जो उसके पास आते ही
मेरे लिए जैसे कि थम गया था,
वो वक़्त मानो कि मुझसे अक्सर
कहता हो यह- उसके साथ का
तुम्हारे पास बस उतना ही लम्हा था।
अब उन चंद लम्हों में ही हम अपने इस
बिगड़े हुए दिल को, अक्सर कहते हैं यह
कि सो जाओ अब, थक गए हो इंतजार में।
वो लगे हुए थे किसी बिगड़े हुए
दिल को सुधारने की कोशिश में..।
बस गलती से किसी दिन उसने हमें
शरीफ़ देखकर हमसे हमारी दोस्ती की
ख्वाहिश क्या की और हमसे हमारी
शराफ़त ही छूट गई॥
कभी खुले...
...आदत ही छूट गई॥
"कुछ कविताएँ भी कहानियों की तरह ही अधूरे रह जाये, शायद यही अच्छा होता है।"
–AnAlone Krishna
21st March, 2021 A.D.
इस blog में post की जाने वाली मेरे प्रत्येक साहित्यिक कार्यो के updates के लिए मेरे facebook page - हमदर्द सा कोई को follow करें।
And please share this to your loved with your appreciation.
💜
ReplyDeletePost a Comment
I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻