टूटे दिल की ख्वाहिश, कृष्ण कुणाल की लिखी कविता




•  टूटे दिल की  ख्वाहिश •

पाने की हसरत इतनी है दिल में
कि मुकद्दर बन जाए।
छोड़ दूँ इन आँसुओं को बहने के लिए आँखों से अगर
तो समन्दर बन जाए।

फिर भी बेचारा किस्मत का मारा
करें तो आखिर क्या करें !
जीने की हसरत लेकर वो भी अपने सपनों को
लड़े तो आखिर किससे लड़े !

कुछ ख्वाब अधूरे
बस ख्वाब रह जाते हैं ।
पल-पल टूटकर मरने की
हिसाब बन जाते हैं।

हम हो जाए जैसे तन्हा पूरी भीड़ में
वो वजह बन जाते हैं।
जिस चीज की ईक्षा रखूँ जिंदगी जीने के लिए
वो सज़ा बन जाते हैं।

अब रहूँ मैं इस तरह
जिंदगी भर बेचारा बन के।
मन ऊब कर तुरंत ही
फिरूँ मैं आवारा बन के।

काश ! कि वो ख्वाब कभी मैंने
बनाये ही नहीं होते।
काश! कि सपने सुनहरे रंगों से कभी मैंने
सजाए ही नहीं होते।

पर एक ख्वाब तो अब भी मैं
देखूँगा दिलों जान से।
जो मैं ना किया अपना वो अब दूसरों का मैं
पूरा करूंगा फरमान से।

-AnAlone Krishna.
Published on; 20th August, 2018 A.D.

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