● हमदर्द सा कोई ● भाग-८
भाग-८
By, AnAlone Krishna.
Based on; getting confidence for express feelings, desires, future goals before parents with expectation of getting permission and thier support by a female character; this part also encourage to making good relationship between parents and children with making mutual understanding ; also the importance of friends in life for help in taking step when it is very difficult to take.
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कोमल उनसे पूछी कि ,"तुमलोग यहां पर इस वक़्त कैसे ?"
तभी अंदर से निकलते हुए Mr. मेहता बोलते है, "अरे वाह ! तुमलोग आ गए।"
राजेश कोमल को नजरो से इशारा करते हुए बोलता है कि उसके पप्पा ने उन्हें बुलाया है।
कोमल थोड़ी सी curious होते हुए पूछती है, "पापा आपने इन्हें आज क्यूँ बुलाया।"
राजेश बोलता हैं, "क्यूँ का क्या मतलब है ! तुम्हारा आज birthday है। हम इसे celebrate करने आए हैं।"
कोमल rude होते हुए बोलती है, "हाँ, मेरा आज birthday है। पर अगर इसे मुझे तुमलोग के साथ celebrate करने का मन होता तो मैं invite करती ना।"
Mr. मेहता बोलते हैं, "तुम नहीं invite की तो क्या हुआ ! मैंने invite कर दिया ना..."
कोमल परेशान होते हुए बोलती है, "मगर पापा, इस साल मुझे अपना birthday सिर्फ आपलोग के साथ celebrate करना था।"
राजेश खींचाई करते हुए बोलता है, "क्यूं ? अगले साल ससुराल में celebrate करने वाली हो क्या..."
यह सुनते ही कोमल गुस्साते हुए बोलती है, "मुझे नहीं करना है celebrate तुम लोग के साथ। चलो निकलो मेरे घर से।"
इसपर Mr. मेहता कोमल के कंधों पर हाँथ रखकर बोलते हैं, "बेटा घर आए मेहमानों को इस तरह नही भगाते।"
कोमल गुस्से में ही बोलती है, "तो क्या पूजा करके भगाऊँ इनको..."
रवि situation को देखकर डरते हुए बोलता है, "ठीक है uncle, तो हमलोग जा रहे हैं।"
सतीश मुड़ते हुए रवि का हाँथ पकड़कर बोलता है, "अरे रुक ना। अभी uncle permission थोड़ी दिए हैं जाने को।"
राजेश कोमल को चिढाते हुए बोलता है, "हमलोग नही जाने वाले। अब तो celebration करने के बाद ही जाएँगे।"
यह सुनकर कोमल भौंहों को सटाते हुए अंगार भरे आंखों के साथ फुले हुए नथुनियो के बगल में गुस्से से लाल गाल और इन दोनों के बीच दबे हुए दांतो के आगे सिकुड़े हुए होंठ के साथ तीनो को घूरती है। यह देखकर रवि डरता है पर सतीश और राजेश मन ही मन मुस्कुरा रहे होते हैं। मानो की कोई कमाल का दुर्लभ नजारा इन्होंने देख लिया हो।
Mr. मेहता कोमल को समझाते हैं, "देखो बेटा, दो सप्ताह बाद तुमलोग का final exams शुरू होने वाले हैं। उसके बाद तुमलोग कर हाँथो में degree आ जायेगा। उससे पहले तुमलोग के पास ये last event हैं celebrate करने को। उसके बाद पता नहीं तुमलोग कहाँ-कहाँ होंगे। तुमलोग के पास एक-दूसरे को देने के लिए वक़्त होगा भी कि नहीं।
कल क्या पता, तुमलोग कहाँ रहो।
क्या पता, साथ रहो ना रहो।
कम से कम जो आज मिला है, उसे तो जी लो।
कम से कम इसे तो जी लो।
अब तक तुमलोग के life में जो कुछ भी हुआ, तुमलोग के graduation खत्म होते ही सबकुछ अतीत बनने वाला है। तो इससे पहले की यह सब खत्म हो, एक happy ending दे दो।"
कोमल का गुस्सा इससे धीरे-धीरे उतरने लगता हैं।
Mr. मेहता जोर से कोमल की माँ को आवाज देते हैं, "मालती मैं बाहर जा रहा हूँ, वो सामान का list दे दो जो सब मंगवाना है।"
मालती हाँथ में एक paper लेकर कमरे से बाहर निकलती है। निकलते ही मालती की नज़र कोमल के दोस्तों पर पड़ता है। वह बोलती है, "अरे तुमलोग तो सच में time पे ही आ गए। मुझे लगा था कि 4 बजे बुलाया गया है तो 5 बजे तक आओगें।"
सतीश जवाब देता है, "aunty, शाम का वक़्त है। इस समय तो हमलोग free ही रहते हैं। और arrangement भी तो करनी है। इसलिए आ गए, time पे।"
यह कहकर सतीश एक प्यारा सा smile देता है। और मालती list Mr. मेहता को थमा देती है। Mr. मेहता मालती को सबके लिए कुछ नास्ता बनाने के लिए बोलकर बाहर चले जाते है। मालती kitchen में चली जाती है। सतीश और राजेश अभी भी मुस्कुरा ही रहे होते हैं। कोमल राजेश के कंधे पर एक punch मारती है। और बोलती है, "बहुत हँसी आ रहा है तुम्हें ?"
राजेश बोलता है, "हँसी तो सतीश को भी आ रहा है।"
इसपर कोमल बोलती है, "पर मुझे गुस्सा सिर्फ तुमपर आ रहा है।"
राजेश चिढ़ाता है, "अच्छा..! हाँ समझता हूँ, गुस्सा भी तो अपनो पे ही किया जाता है। परायों में कहाँ कोई feelings आएगा..!"
इसपर कोमल राजेश के बाजू में एक और punch मार देती है।
सतीश बात को घुमाते हुए बोलता है, "कोमल, aunty kitchen में अकेली काम कर रही है ?"
इसपर ये सब देख थोड़ा rudeness के साथ रवि बोलता है, "क्यूँ, तुम्हें हाँथ बटाने का मन है क्या सतीश !"
अब कोमल normally बोलती है, "अच्छा तो मैं kitchen जा रही हूँ माँ की help करने। तुमलोग बैठो।"
राजेश हाँथ हिलाता है और कोमल चली जाती है।
राजेश drawing table के सामने वाले sofa में बैठते हुए सतीश को बोलता है, "तो तुम कोमल को बहाने से भगा क्यूँ दिया ?"
सतीश बोलता है, "अरे जाने दे ना यार। चल ना बैठ के match देखते हैं।"
रवि बोलता है, "match आज नहीं कल था। और फिर दो दिन बाद है।"
सतीश बोलता है, "repeat telecast देखेंगे ना..।"
राजेश बोलता है, "क्या आदमी है रे तुम..! Match भी repeat telecast का देखता है !"
सतीश जवाब देता है, "पहली बात कि आज सुबह का test के कारण match कल देखे नहीं। और दूसरी बात यह कि यार 32inch के HD display वाले screen पे match देखने का मजा ही कुछ और है।"
वो सब TV on करते हैं तो देखते हैं कि किसी भी sport channel में repeat वाला match नहीं दे रहा होता है। फिर वो movie देखने के लिए set maxx लगाते है, जिसपे सूर्यवंशम आ रहा होता है।
सतीश और रवि मजे से TV देख रहे थे। पर राजेश गाल में हाँथ लिए सतीश को देख रहा था। सतीश को जब यह महसूस हुआ, उसने surprise होते हुए राजेश से पूछा, "ऐसे क्या देख रहे हो ?"
राजेश जवाब देने के जगह अपने मन की बात बोलता है, "तुम हर चीज को सही कर सकते थे। क्यूँकि तुम हर चीज को समझते भी हो। तो फिर तुमने क्यूँ यह नहीं किया ?"
सतीश बात को अच्छे से समझने के लिए बोलता है, "मतलब..? अच्छे से समझाओ कि पूछ किस बारे में रहे हो।"
रवि अपना ध्यान इनकी बातों पर लाते हुए बोलता है, "तुम अपने अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ सकते हो। मगर तुम आज भी अपने उसी समय में खड़े हो। तुम अपने life में आगे बढ़ सकते हो। क्योंकि तुम imotionally इतने तो weak नहीं हो फिर क्यूँ नहीं आगे बढ़ रहे ?"
सतीश अभी भी clear नहीं हुआ। वह फिर से पूछता है, "तुमलोग साफ-साफ कहोगे कि किस बारे में बात कर रहे हो। क्या यह कोमल को hurt करने के बाद उसे ना मनाने के बारे में है ? क्या हमारी friendship को फिर से पहले के जैसे करने कोशिश ना करने के बारे में है ?"
राजेश बोलता है, "हाँ।" और रवि बोलता है, "नहीं।"
फिर दोनों एक दूसरे का शक़्ल देखते हैं और बोलते हैं, "हाँ, यह भी है। पर पहले तुम्हारा इससे भी पहले का past, जिसके कारण तुम अपने life में आज भी किसी लड़की को अपने दिल के करीब आने नही देते।"
सतीश मुस्कुराते हुए बोलता है, "कौन, प्रिया..?"
दोनों हामी भरते हुए अपना सिर हिलाते हैं।
सतीश बोलता है, "वो मेरा past है। मैं कब का आगे बढ़ चुका हूँ। पर अगर कभी coincidence से मिल जाए तो ignor तो नहीं ना कर सकते। हमारे बीच वैसा कुछ भी नही था, ना afair था और ना ही हमारा वैसा कोई झगड़ा हुआ जो उसे ignor करूँ। बस थोड़ा सा crush था। वैसे भी अपने imotions पे अगर हम control कर सकते हैं तो क्या फर्क पड़ता है कभी करीब आते भी हैं तो ! हम कभी अपने limit को cross नहीं करेंगे।"
राजेश बीच में बोलता है, "अच्छा कोमल को मनाने की कोशिश क्यूँ नहीं किया ?"
सतीश जवाब देता है, "distance maintain करने के लिए।"
रवि पूछता है, "मतलब ?"
सतीश समझता है, "हम अच्छे friends थें। माना कि मैं बिना उसके permission के उसके लिए कुछ करने की कोशिश की। लेकिन यार, friendship में इतना सा माफ़ नही कर सकते ? दोस्ती में दोस्त जैसा ही कोशिश करूँगा ना। आशिक़ जैसा थोड़ी ना नहा धोकर पीछे ही पड़ जाता।"
राजेश बोलता है, "तो पड़ जाता ना... क्या problem था ?"
सतीश यह सुनकर हँसने लगता है। और बोलता है, "पहली बात, अगर मैं friendship में emotions को mix करता तो हमारी friendship पहले जैसा नही रहता। वह मेरी friendship को बहुत पसंद करती है। कभी मुझे खोना नही चाहती। अगर हम करीब आते तो एक दूसरे की खामियां दोस्ती को भी और ज्यादा खराब कर देता। दूसरी बात, मुझे अगर ये सब करना था तो मैं प्रिया से दूरी बनाने की reason क्या दूँ ? जो मेरे life की masterpiece है। जिससे तुलना करके मैं बाकियो को पसंद और नापसंद करता हूँ। इन दोनों कारणों से मैं कोमल से distance maintain करता हूँ। और तीसरा reason, (राजेश की तरफ इशारा करते हुए) तुम और कोमल एक दूसरे के करीब आ रहे थे। मैं तुम दोनों के बीच आकर तुम दोनों की बढ़ती हुई नजदीकियों के बीच की दीवार नहीं बनना चाहता था।"
राजेश बोलता है, "ऐसा हमारे बीच कुछ नहीं है। और तुम हमारे बीच कभी दीवार नही बन सकतें। बल्कि हम दोनों ही तुमको सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।"
सतीश फिर हँसने लगा और बोला, "भले तुमलोग friendship तक ही रहो, मगर closed हो। जरा याद करो, कोमल के नाराजगी से पहले का समय। मेरे एक side तुम रहते थे तो एक side कोमल रहती थी। तुम दोनों मेरे friends थे, मगर आपस में तुम दोनों एक दूसरे से कोई खास मतलब नहीं रखते थे। और आज देखो, क्या कोई तुम दोनों के बीच आ सकता है ?"
रवि सतीश से पूछता है, "तो तुम्हें इसका भी पहले से अंदाजा था ? तुमने जान-बूझ कर खुद दूरी बनाए रखा और इन्हें एक-दूसरे के करीब आने दिया ?"
सतीश जवाब देता है, "मुझे अपने दोस्तों पर भरोसा था। ये दोनों अपने limit cross नहीं करेंगे। अब इसका result देखो, राजेश का मन अब पहले के जैसे भटकता नही है, और कोमल अब खुद को बिना किसी के सहारे के संभाल सकती है। अब इन्हें ज्यादा किसी से expectations नहीं इसलिए यह आसानी से टूटेंगे नहीं। हमारे ये दोनों दोस्त पहले से strong हो गए और सँवर गए।"
राजेश सतीश को बोलता है, "तुम्हारी यह बात सुनकर तुम्हारे हाँथ चूमने को जी कर रहा है।"
सतीश अपना हाँथ राजेश की तरफ बढ़ा देता है।
इसी बीच door-bell बजा। कोमल दरवाजा खोली। दरवाजा खुलते ही हिमाद्रि सामने से बोली, "तुम दरवाजे पे ही खड़ी थी क्या ? 2 sec.में ही दरवाजा खोल दी।"
कोमल जवाब दी, "नहीं। मैं बाहर ही आ रही थी।"
"कैसे इंसान हो तुमलोग ! यहां arrangement करने के जगह आराम से बैठ कर movie देख रहे हो...", यह बोलते हुए हिमाद्रि drawing table के सामने आई।
राजेश tease करता है, "इसके लिए तुम तो आने वाली थी ही..."
रवि हिमाद्रि के हाँथो में दो किताब को देखते हुए पूछता है, "तुम कभी अपने हाथों से किताब नीचे रखती भी हो कि नहीं..?"
हिमाद्रि मुस्कुराते हुए बोलती है, "अरे, हम अभी tution से आ रहे है। वैसे तुमलोग आज के दिन भी कोमल को परेशान किया...? कोमल रो रही थी दरवाजे पर।"
सभी के मुँह से आश्चर्य से निकलता है, "क्या !"
सतीश पूछता है, "दरवाजा कोमल खोली ?"
हिमाद्रि जवाब दी, "हाँ..।"
रवि बोलता है, "कमाल है यार ! कोमल कब गई और दरवाजा खोली हमें तो पता भी नही चला।"
राजेश सतीश की तरफ देखकर बोलता है, "क्या तुम भी वहीं सोंच रहे हो जो मैं सोंच रहा हूँ ?"
सतीश जवाब देता है, "शायद हो भी सकता है। यह बस एक possibility है।"
रवि हिमाद्रि से पूछता है, "तुम अकेली आई हो..."
हिमाद्रि पूछती है, "मतलब ?"
राजेश clear करता है,"तुम्हारा bodygaurd कहाँ है ?"
हिमाद्रि पूछती है, "रुद्र ?"
रवि बोलता है, "हाँ ।"
हिमाद्रि बोलती है, "तुमलोग कामचोर सब तो यहाँ बैठ कर movie देख रहे हो। और वहाँ uncle अकेले दो bag भरकर पैदल समान ला रहे थे। वह मुझे drop करके उन्हें लाने गया है।"
तब तक Mr. मेहता, कोमल और रुद्र साथ में अंदर आते हैं।
Mr. मेहता बोलते हैं, "हाँ कोमल, सब अंदर हैं और तुम बाहर garden में क्या कर रही थी ?"
रुद्र surprise होते हुए पूछता है, "1min. (कोमल के आंखों के नीचे से आँशुओ की नमी को पोंछते हुए) ये क्या है ? तुम्हारे आँखों के नीचे ये नमी क्यूँ है ?"
कोमल जवाब देती है, "पापा, kitchen में प्याज रहे थे ना, इसलिए आँखों से आँशु आने लगा। इसलिए थोड़ी देर ताजी हवा लेने के लिए बाहर थे।"
पापा बोलते हैं, "अच्छा..।"
मालती नाश्ते का tray लेते हुए hall में आती है और कोमल को kitchen से बाकी सब लाने को बोलकर drawing table पर रख देती है। फिर बोलती है, "जल्दी से पेट पूजा करो और सब काम पे लग जाओ।"
रुद्र बोलता है, "aunty आप मेहमानों से भी काम कराओगी ?"
तब Mr. मेहता बोलते हैं, "तुमको तो हम अपना मानते हैं, लेकिन लगता है तुम हमें अपना नहीं मानते।"
राजेश का ध्यान कोमल पर पड़ता है, वह मुस्कुरा रही होती है। वह uncle को बोलता है, "uncle, aunty, आपलोग जाइए, tension free होकर आज एक दूसरे के साथ time spend कीजिये। आज का अब बाकी आगे का काम हमलोग संभाल लेंगे।"
Uncle-aunty राजेश को घूरने लगते है।
तब situation को handle करते हुए रुद्र बोलता है, "हाँ aunty आपलोग जाइए ना। मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था। आगे हमलोग यहाँ आगे सब देख लेंगे।"
कोमल को अभी भी मुस्कुराता देख राजेश दबे हुए साँसों के साथ चिढ़ते हुए बोलता है, "अब ज्यादा तुम मुस्कुराओ मत।"
Uncle-aunty के जाने के बाद हिमाद्रि राजेश से बोलती है, "तुम अपनी ज़ुबान पे control नही रख सकता है ?"
इसपर राजेश बोलता है, "मैं तो बस ख़ुद के लिए आफ़त खड़ी करता हूँ। लेकिन सतीश और रुद्र तो सबको अपनी हरकतों से hurt करते रहते हैं।"
रुद्र बोलता है, "मैं कम, मेरे से ज्यादा सतीश।"
सतीश topic को change करने के लिए बोलता है, "ये सब हटाओ। अभी क्या-क्या करना है इसका plan करो। बहुत काम करना है अभी हमें।"
और सभी फिर birthday celebration का तैयारी करने लगते हैं।
सभी बड़े बच्चे drawing room में तैयारी कर रहे थे। पहले 5 बजा। फिर साढ़े 5 । कोमल के माता-पिता अपने कमरे में बातें कर रहे थें कोमल को लेकर।
मालती बोलती है, "देखिए आप जो चाह रहे हैं, वो तो ठीक है। लेकिन मुझे यह कुछ ठीक नही लग रहा। आपको अच्छे से सोंच लेना चाहिए।"
Mr. मेहता कहते हैं, "हाँ मैंने सोच लिया है। कब तक हम यूं ही अपने रूढ़िवादी विचारधारा को पकड़ कर रहेंगे। It's time to change our perspective."
मालती बोलती है, "मैं यह नहीं कह रही। मैं कह रही हूँ कि कोमल और सतीश अच्छे दोस्त हैं। कहीं इन सब चीजों से उनके दोस्ती में कोई आँच ना आ जाएं।"
Mr. मेहता कहते हैं, "तुम इतना डर क्यूँ रही हो ? वो दोनों अच्छे friends हैं। एक दूसरे के closed भी हैं। एक साथ रहते-घूमते हैं। तो फिर उनके लिए हमारा इससे अच्छा present क्या हो सकता है कि हम उन्हें accept कर लें।"
इसपर मालती बोलती है, "same चीज तो राजेश के साथ भी है। कहीं ऐसा ना हो कि हम excitement में आकर वो कर दें जो हमें नहीं करना चाहिए।"
Mr. मेहता कहते हैं, "सतीश अच्छा लड़का है और वो मुझे बहुत पसंद भी है।"
मालती दबाने की कोशिश करती है, "फिर भी..."
कोमल के माता-पिता बाहर आकर arrangement देखने लगते हैं कि क्या-क्या हुआ। Mr. मेहता सतीश को अकेले में बुलाते हैं, बात करने के लिए। जिसे देखकर मालती उन्हें घूरती है, पर Mr. मेहता उन्हें इशारे से ही please बोलकर मना लेते हैं। यह देखकर सभी को आश्चर्य होता है कि आखिर बात क्या है। पर सतीश बेख़ौफ़ उनके साथ चला जाता है।
5 min एक ऐसे ही बालकनी में Mr. मेहता और सतीश दोनों बाहर की तरफ मुँह करके खड़े रहते हैं। पर कोइ कुछ बोलता नहीं है। फिर सतीश ही चुप्पी को तोड़ते हुए बोलता है।
"Uncle आप कुछ बात करना चाहते थे..."
"हाँ, करना तो चाहते थे, मगर समझ में नहीं आ रहा कि शुरुआत कैसे करूँ।"
"ऐसी क्या बात है uncle ?"
"तुम्हें कोमल कैसी लगती है ?"
"बहुत ही अच्छी और साफ दिल की लड़की है। मैं तो उसके जैसे किसी के अपने life में होने से खुद को lucky समझता हूँ।"
"तुम दोनों की friendship अभी कैसी है?"
"अच्छी तो है।"
"बीच में कुछ problem हुआ था शायद, जो तुमलोग के बीच में थोड़ी दूरी आई थी..."
"वो तो हर friendship में थोड़ी बहुत होते ही रहती है। कभी नजदीकियां बढ़ती है, कभी खामियां जगह लेती है। पर अगर आपस में understanding हो तो shortout हो ही जाता है। थोड़ा time लगता है, पर सब ठीक हो जाता है। पर ये सब आप क्यूँ पूछ रहे हो ?"
"तुम मुझे पसंद हो।"
"मैं कुछ समझा नहीं।"
"तुम और कोमल साथ में अच्छे लगते हो।"
"मतलब..?"
"कोमल से सिर्फ दोस्ती है या कुछ और भी... देखो, घबराओ नही। जो है उसे clear बोलो।"
"Uncle, मैं कोमल को अच्छा दोस्त मानता हूँ। उससे ज्यादा मैंने कभी कुछ उसके बारे में सोंचा नही। मैं घर से यहाँ आया हूँ कुछ ambitions लेकर। कि किसी दिन इस लायक बनूँ कि घर की responsibilty उठाने के लायक बन सकूँ। और आप ही सोचिए ना, जब तक मैं इस लायक न बनूँ, क्या किसी का हाँथ थामकर उसकी responsibity उठा सकता हूँ ? इसलिए मैंने खुद से promise किया है कि जब तक काबिल ना बन जाऊँ, कभी किसी के दोस्ती के हद को मैं पार ना करूँ।"
"पापा, सारा arrangment हो गया है। माँ आप दोनों को बुलाने भेजी है।" ,कोमल पीछे से आवाज़ देती है।
Mr. मेहता कहते हैं, "मैं 2 min में gift लेकर आया। तुमलोग जाओ।"
शाम को 6 बजने में 15 min बाकी थे। कोमल और सतीश वहाँ से चले जाते हैं।
सतीश कोमल से पूछता है, "arrangement तो हमलोग कब का कर लिए थे। तुम पीछे कब से थी ?"
कोमल जवाब देती है, "तुम्हारे बात शुरू करने से पहले से।" और फिर एक smile देती है। जिसे देखकर सतीश थोड़ा डर जाता है।
कोमल बोलती है, "आज मेरा birthday है। मुझे तुम्हारी थोड़ी सी help चाहिये। करोगे ?"
सतीश पूछता है, "कैसा हेल्प ?"
कोमल बोलती है, "वो तुम समझ जाओगे।"
सतीश जवाब देता है, "ठीक है जरूर करूँगा।"
शाम 6 बजे कोमल अपना cake काटी। Mr. मेहता सभी को gift देते हैं। सभी पूछते हैं कि birthday कोमल का है पर gift उन्हें क्यूँ मिल रहा है। इसपर Mr. मेहता जवाब देते हैं कि, "मैं शुक्रगुज़ार हूँ तुम सब का, क्यूंकि तुम सब की वजह से ही कोमल के चेहरे पे आज यह हँसीं है। एक समय मैं डर गया था जब कोमल बदल रही थी और और हम सब से दूर हो रही थी। लेकिन आज, फिर से सब कुछ पहले के जैसा है। कोमल फिर पहले के जैसी ही है हम सब के साथ। किसी भी इंसान को उसके जैसे होने में situation का हाँथ होता है। तुमलोग कोमल को उस वक़्त संभाल लिए जिस समय हम उसके भटक रहे मन को संभाल नही पा रहे थे। दोस्त सुख दुःख में साथ देते हैं, सहारा बनते हैं। और तुमलोग ने इस चीज को साबित किया। इसलिए यह तो बस एक छोटा सा gift है हमारी ओर से तुमसब के लिए।"
सभी उनका मान रखने के लिए gift ले लेते हैं और शाम के 7 बजे तक party enjoy करके कोमल के माता-पिता के साथ खाना खाने के लिए dining table पर बैठते हैं।
Table में कोमल के माता-पिता अगल-बगल बैठते हैं। Mr. मेहता के दाहिने side सतीश, उसके दाहिने side रवि, उसके दाहिने side रुद्र, उसके दाहिने side हिमाद्रि, उसके दाहिने side राजेश, उसके दाहिने side कोमल अपनी माँ के बाईं ओर बैठे हुए थे। खाना के साथ-साथ सभी आपस में बातचीत भी शुरू करते हैं।
कोमल पूछती है, "पापा, life में शादी करना क्यूँ जरूरी है ?" यह सुनकर सभी sochked हो जाते हैं कि कोमल यह क्या topic उठाई है बात करने के लिए।
कोमल आगे बोलते हैं, "कोई ऐसा reason बताइयेगा जिससे मैं suttisfied हो जाऊँ।"
राजेश कुछ बोलने ही वाला होता है कि हिमाद्रि उसका हाँथ थाम कर उसे शांत रहने का इशारा करती है।
Mr. मेहता कहते हैं, "ताकि इस life में कभी अकेलापन ना सताए। कोई कोई सुख-दुःख का साथी हो। जो तुम्हें हमेशा support करे और तुम्हारी ताकत बने।"
कोमल बोलती है, "इसके लिए तो ये सभी हैं मेरे पास। मेरे सारे friends. क्यूँ है ना सतीश ? ये सभी जरूरते तो तुमलोग से पूरी हो ही जाती है मेरी, फिर इसके लिए शादी करने की क्या जरूरत है ?"
सतीश बोलता है, "हाँ-हाँ, बिल्कुल।" यह सुनकर सभी confused हो जाते हैं, कि ये दोनों आखिर कर क्या रहे हैं।
मालती बोलती है, "पर ये सब तो temporary है। जब ये सब बिछड़ेंगे तब।"
इसपर हिमाद्रि बोलती है, "नही-नही aunty हम सभी हमेशा साथ रहेंगे।"
राजेश बोलता है, "हाँ aunty, अपने शादी के बाद भी।"
Mr. मेहता कहते हैं, "पर उस समय तुम्हें अपने family और career को time देना होना। अभी के जैसे तुम्हारे पास वक़्त नहीं होगा।"
कोमल कहती है, "वो तो बाद की बात है। आप अभी मेरे सवाल को suttisfy करो ना।"
मालती कहती है, "ताकि कोई घर संभाले, माता-पिता की सेवा करे।"
इसपर कोमल कहती है, "ये तो इन लड़को की जरूरत है। लड़कियां तो वैसे भी यह काम अपने घर में करती ही है। इसके लिए हम लड़कियों को शादी करने की क्या जरूरत ?"
Mr. मेहता कहते हैं, "ये सब करने में कोई support करे, सहारा बने।"
मालती कहती है, "कोई खर्चे उठाए।"
इसपर हिमाद्रि भड़क जाती है, "कौन से जमाने की आप बात कर रही हो aunty ? हम लड़कियां भी अपने खर्चे खुद से उठा सकतीं हैं। आप भी तो uncle से ज्यादा कमाती हो अपने clinick से। एक पढ़े लिखे doctor होकर आप ऐसी बात कर रही हो।"
रवि सतीश के कान में धीरे से बोलता है, "यहाँ ये सब हो क्या रहा है ?" सतीश रवि को इशारा करता है कि शांत रहो, सब समझ में आ जाएगा।
Mr. मेहता कहते हैं, "देखो बातो को ऐसे उलझाओ मत। सीधा बोलो कि आखिर तुम चाहती क्या हो।"
कोमल बोलती है, "मुझे आपलोग पर पूरा भरोसा है। आपलोग मेरे life का जो भी descision लोगे, सबकुछ सोंच कर मेरे भले के लिए ही लोगे। इसलिए मेरी शादी किससे होगी, कब होगी, इसपर मैं कभी कुछ सवाल नही पूछूँगी। मगर..., मगर एक promish मुझे चाहिए आप दोनों से आज के birthday gift के तौर पे।"
कोमल के माता-पिता पूछते हैं कि, "क्या..?"
कोमल बोलती है, "मैं अपने शादी के सारे खर्चे मैं खुद से उठाना चाहती हूँ। खुद से कमाकर। आपलोग मुझे इस लायक बनने का मौका दोगे।"
Mr. मेहता कहते हैं, "तुम्हें ये सब करने की क्या जरूरत है ? मैं हूँ ना। मैंने अपने पैसे तुमलोग के लिए ही तो कमाए हैं।"
कोमल बोलती है, "ये सब आप अपने बुढापे के लिए बचा लो। उस समय आप हमारे बच्चों पर लुटाना। वैसे भी लोग कहते हैं कि माता-पिता से ज्यादा प्यार दादा-दादी और नाना-नानी करते हैं।"
मालती बोलती है, "हाँ, वो सब तो ठीक है। मगर तुम्हारी शादी के लिए क्या-क्या सपने देखे थे हमनें। तुम एक लड़की हो और ये सब करना चाहती हो..."
इसपर फिर हिमाद्रि बीच में ही बोलती है, "देखिए aunty आप फिर लड़का-लड़की में भेदभाव कर रही हो। ये सब ठीक नही है।"
रुद्र बोलता है, "शांत। हिमाद्रि, aunty बस अपना thought share कर रही है। उन्हें अपने perspective को सामने रखने दो।"
सतीश बोलता है, "यह तो गलत बात है uncle, कोमल शादी आपके पसन्द के लड़के से करना चाहती है, कब होगा/कहाँ होगा यह भी आपको descision लेने लिए छोड़ दे रही है। बस एक आज़ादी चाहिए कि अपने शादी के सारे arrangement खुद कमाए पैसे से करे और आपका गर्व बने मगर आप तो उतना भी छूट नही दे रहे उसे।"
हिमाद्रि बोलती है, "हाँ uncle, कहाँ मिलती है ऐसी लड़की जो अपने माता-पिता का गर्व बनने के लिए ऐसा कुछ करे। aunty, मुझे इस बात की guilty हो रही है कि मैंने ऐसा कुछ क्यूँ नही सोंचा। लेकिन proud हो रहा है कि कोमल मेरी friend है, जो सहीं समय पे मुझे भी यह idea आया। अब मैं भी ऐसा ही कुछ करने का कोशिश करूँगी।"
Mr. मेहता कहते है, "तो तुमलोग हमें बातो के जाल में फसाने की कोशिश कर रहे हो।"
इसपर रुद्र कहता है, "बस थोड़ी सी शब्दों का खेल। और chess के खिलाड़ी को आदत होती है हर तरफ से घेर कर मात देना। उसके चाहने का मतलब ही होता है कि उसका पा लेना। और अगर कोई चीज ना पाया इसका मतलब है कि उसको ठीक से चाहा ही नहीं।"
Mr. मेहता कहते हैं, "अच्छा ठीक है दिया promise. तुम करो वो चीज अपने life में जो तुम करना चाहती हो।"
कोमल कहती है, "I love you पापा, I love you माँ।"
राजेश बोलता है, "आप दोनों दुनियाँ के best parents हो।"
Mr. मेहता बोलते हैं, "चलो-चलो, हो गया। अब और ज्यादा मस्ख़ा मत लगाओ।"
मालती बोलती है, "तुम यही बात सीधे-सीधे भी तो बोल सकती थी। ऐसे बात को घुमाने की जरूरत क्या थी ?"
कोमल जवाब देती है, "सीधे उंगली से कभी घी कहाँ निकलता है। आपलोग अभी कितना आना कानी कर रहे थे permission+promise देने से।"
Mr. मेहता कहते है, "अच्छा शादी में gift हम दे सकते हैं या वो भी नहीं ?"
इसपर कोमल रुखे ढंड से जवाब देती है, "वो तो आप पे depend करता है कि आप आत्मनिर्भर लड़का ढूंढोगे या भिखारी।"
Mr. मेहता शांत हो गए। फिर 2 पल सांस लेकर बोलते हैं, "फिर से सभी को thanks"
सभी पूछते हैं, "अब किसलिए ?"
Mr. मेहता कहते हैं, "क्यूँकि तुमलोग का साथ पाकर मेरी बेटी का personality इतना grow हुआ कि आज वह अपने मन की बात हमसे frankly बोल लेती है। बहुत सी लड़कियाँ ही नहीं, लड़के भी अपने मन की बात अपने माता-पिता के सामने डर की वजह से कर नही पाते। सच, दोस्त हिम्मत होते हैं। तुमलोग इस चीज के उदाहरण हो।"
Dinner खत्म करने के बाद सभी को विदा करने का समय आया। हिमाद्रि रुद्र के साथ bike पे बैठकर चली गई। सतीश, राजेश और रवि पैदल ही टहलते है निकल गए। gate पर पहुँच कर सतीश रुक गया और पीछे मुड़ा। कोमल दरवाजे पे खड़ी थी। कोमल दाहिने हाँथ से उन्हें 'bye' का इशारा की और बाएं हाँथ से दरवाजे के सामने लगे main bulb का switch off कर दी। सतीश हाँथो से ही पहुँच कर call(🤙) करने का इशारा किया और कोमल 'ok'(👍) का reply दे दी। जो कि deem light के on होने से पता चल गया। राजेश सतीश के कान में धीरे से उसे भी confrence में लेने को बोला और सभी 'bye'(👋) का इशारा करके चले गये। deem light के वजह से किसी को कोमल का चेहरा साफ़ नही दिखा। और ना ही कोमल के आँशुओ से डबडबाये हुए आँख। जिससे उनके जाने के बाद कुछ बूँद अश्क बहे और उन्हें पोंछकर कोमल अंदर चली गई।
••• अध्याय समाप्त •••
"People who have really love for you, they have care about each and every thing which make smile on your face.
So, don't scare about what will they do after listen you,
don't hide and always tell what you wants to."
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9th July, 2019 A.D.
॥ हमदर्द सा कोई ॥ भाग :- १ | २ | ३ | ४ | ५ | ६ | ७ | ८ | ९•० | ९•१ | ९•२ | १०.० | १०.१ | १०.२ | ११.० | ११.१ | ११.२ | १२
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