* मैंने माफ किया *
(अपने दर्द के अहसास को बयां करते हुए अंत मे इससे उभरने की कोशिश और औरों को माफ करने अहसास के साथ)
वो ख्वाब मेरे हैं धुँधले से,
जो साफ नजर ना आता है ।
परछाई नजर तो आती हैं,
पहचान समझ ना आता है ।।
हाँ डूब के दरिया में मैं भी,
बह कर सागर तक चल जाऊँ ।
ना जान बची है साँसो की,
ना चाह अब जीने का आता हैं ।।
जो नूर हुआ करते थें आँखो के ,
वो आँसू बहाकर चले गये ।
ना लोग वफा के काबिल रहें,
ना दिल कहीं अब लग पाता हैं ।।
लेकर जिने की चाहत को ,
तन्हाई में लोगो को छोड़ हैं देते ।
हे ईश्वर तू इतना ना सता,
मानव वजह समझ ना पाता हैं ।।
हूँ अगर मैं खान से निकला हीरा,
या चुराया हुआ समंदर से मोती ।
तोड़ा जाऊँगा मैं भी बारीकी से,
जैसे बाकी सब तराशा जाता हैं ।।
ना उसकी खता ना मेरी खता,
दोष है तो सिर्फ समय का ।
जब रिस्ता आपस का बिगड़ जाता हैं,
तब इंसान संजोग समझ पाता हैं ।।
वो गये मुझे दर्द हुआ,
आँखे नम हुई और आँसू भी छलके ।
उसे माफ किया तो सबको माफी मिली,
सबके रूखेपन की वजह, समझ में जो आया हैं ।
-AnAlone Krishna
06/05/2017
जो साफ नजर ना आता है ।
परछाई नजर तो आती हैं,
पहचान समझ ना आता है ।।
हाँ डूब के दरिया में मैं भी,
बह कर सागर तक चल जाऊँ ।
ना जान बची है साँसो की,
ना चाह अब जीने का आता हैं ।।
जो नूर हुआ करते थें आँखो के ,
वो आँसू बहाकर चले गये ।
ना लोग वफा के काबिल रहें,
ना दिल कहीं अब लग पाता हैं ।।
लेकर जिने की चाहत को ,
तन्हाई में लोगो को छोड़ हैं देते ।
हे ईश्वर तू इतना ना सता,
मानव वजह समझ ना पाता हैं ।।
हूँ अगर मैं खान से निकला हीरा,
या चुराया हुआ समंदर से मोती ।
तोड़ा जाऊँगा मैं भी बारीकी से,
जैसे बाकी सब तराशा जाता हैं ।।
ना उसकी खता ना मेरी खता,
दोष है तो सिर्फ समय का ।
जब रिस्ता आपस का बिगड़ जाता हैं,
तब इंसान संजोग समझ पाता हैं ।।
वो गये मुझे दर्द हुआ,
आँखे नम हुई और आँसू भी छलके ।
उसे माफ किया तो सबको माफी मिली,
सबके रूखेपन की वजह, समझ में जो आया हैं ।
-AnAlone Krishna
06/05/2017
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