*याद तुम्हारा*
(अपने बिछड़े हुए दोस्तों के याद में)
-कृष्ण कुणाल की लिखी हुई कविता-
*याद तुम्हारा*
खोया-खोया मन,
खोया-खोया जहां ।
कुछ भी अच्छा ना लगे,
दिल तू है कहाँ ।।
दोस्ती की जिनसे,
उनका साथ अच्छा ना लगे ।
जिनका कमी हो हरपल,
वो दोस्त कहीं और रहें ।।
जब साथ की जरूरत,
दिल को महसूस हो,
तब किताबें खोलने से क्या होता है,
जो दिमाग कहीं और हो ?
ऐसा दिल कैसा है,
जिसमें जिन्दगी बर्बाद करने वाले ईक्षा ?
मेरे मुस्कूराहट के बदले लोग प्यार से मुस्कूरायें,
बस मेरी तो यही चाह ।
-AnAlone Krishna.
21/12/2014
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