• बारिश चाहता है •
(उदास मन से रोने की चाहत में जब आँखे बंद हो और आँखों से आँसू छलकने की जगह आँखें सूखी-सूखी महसूस हो)
कृष्ण कुणाल की कविता
• बारिश चाहता है •
सूखा -सूखा है यह दिल
यह थोड़ा नमीं चाहता है।
प्यासी-थकी आँखों में
आज थोड़ा बारिश चाहता है॥
ना जाने कितने जज्बात कब से
मेरे लफ़्ज़ों में है अटके हुए।
ना जाने कितने अरमान कब से
मेरे ख्वाबों में है सिमटे हुए॥
मैं उन जज्बातों को अब
लफ़्ज़ों से निकाल कर
लिखकर किसी कागज पर
उसे फेंक देना चाहता हूँ।
मैं अपने उन अरमानों को अब
अपने ख्वाबों से निकाल कर
मिलाकर अपने आँसुओं में
आँखों से बहा देना चाहता हूँ॥
एक जिद्द थी मेरी अब तक
उसे हासिल करने की जो,
अब महसूस होता है कि
वह मेरी जिद्द गलत थी।
एक चाहत मेरे दिल की अब तक
उसका साथ पाने की जो,
अब मुझे लगता है कि
वह मेरी चाहत गलत थी॥
जिसे पाने की मैं काबिल नहीं शायद,
उसे पाने की मैं जिद्द कर रहा था।
जिसे पाने की उसे चाहत नहीं शायद,
उसे पाने की मैं ख्वाहिश कर रहा था॥
सूखा -सूखा है यह दिल
यह थोड़ा नमीं चाहता है।
प्यासी-थकी आँखों में
आज थोड़ा बारिश चाहता है॥
-AnAlone Krishna.
Published on 24th December, 2020 A.D.
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