~समझने की कोशिश करो~
(अपने दिल के जज़्बातों को express ना कर पाने के एहसास के साथ)
कृष्ण कुणाल की लिखी कविता-
~समझने की कोशिश करो~
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सोचता था तुम मिलोगे, कुछ ना कुछ तुम बातें भी करोगे ।
मानोगे तुम मेरा कहना, और कभी दिल तोड़कर चले जाओगे ।
जाना था तो चले जाओ, पर अपनी यादों को भी साथ ले जाओ ।
नफरत में तुझे कभी याद ना करूँ, इसलिए मुझसे झगड़ते जाओ ।
तुम्हारे बोले हुए मिठि बातें, याद तो मुझे बहुत आयेगी ।
तुम्हारा याद भले ही ना तड़पाये, तुम्हारी कमी जरूर सतायेगी ।
याद भी ना करूँ इसलिए मुझे ना तड़पाना,
दूरी मैं सह जाऊँ इसलिए बस थोड़ा-थोड़ा सताना ।
भूल गया था मैं कि तुम मुझे नही हो चाहते,
चलो जाते-जाते कम से कम झूठा प्यार ही जताते ।
समझना कितना मुस्किल हैं कि तुम मुझे चाहते नही,
हमेशा यह लगता हैं कि तूम मुझसे बस कहते नही ।
अरे ये तो मेरा दिल है कि ऐसे में भी तुमपे भरोसा करता हूँ ,
जा मुझसे दूर हो जा ,तुझे मैं अपनी दोस्ती से आजाद करता हूँ ।
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-AnAlone Krishna.
16/01/2016
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