~सुझाव~
दूसरों को मन सलाहें देता,
पर खुद यह है बहक जाता।
तन्हा रोने का नाटक करे,
पर सबके सामने पूरा मुस्कुराये।
इल्जाम लगाए ध्यान नहीं लगता,
पर कभी ध्यान लगाना ही नहीं चाहता।
बर्बाद होने के सारे कारण जाने,
पर फिर भी अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारे।
ना दिल को सुकून है ना मन को चैन है,
जानता हूँ सब क्यूँ सूखे-सूखे नैन है।
पाना है नामुमकिन फिर भी सपने मैं बुनता हूँ,
बागों में मैं फूलों को छोड़कर काँटों को चुनता हूँ।
चाहता हूँ मैं पाना पर ओठों से बयां नहीं कर सकता,
मैं अपने अपनों के अरमाँ यूँही तो जया नहीं कर सकता।
पाना मंजिल रहेगी पर मैं उसमे चलूँगा नहीं,
दिल मे तेरे ही अरमाँ रहेंगे पर मैं कभी कहूँगा नहीं।
-AnAlone Krishna.
22/05/2015
Post a Comment
I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻