● पिता के नाम पत्र ●
(एक बेटी का अपने इक्षाओ को पूरा करने की आज़ादी अपने पिता से माँगने के अंदाज में)
-कृष्ण कुणाल की लिखी कविता
For the narrators :-
- हमें भी बराबरी का मौका मिलना चाहिए जितना लड़को को मिलता है।
- मैं भी अपने मम्मी-पापा का नाम रौशन करूंगी।
- पर अगर मैं अपने मम्मी-पापा के लिए कुछ करना चाहूँगी, तो क्या शादी के बाद मुझे इसके लिए इससे पहले अपने पति/ससुराल वालों से इजाजत नही लेना होगा!
- क्या मैं शादी के बाद बिना अपने पति की सहमति के अपने मम्मी-पापा के लिए कुछा भी कर पाऊंगी?
- हमारे समाज में बेटों को अपने माता-पिता का ऋण चुकाने का पूरा जिंदगी समय मिलता है। पर हम बेटियों स्वतंत्र रूप से/अपनी स्वयं की इक्षा से कभी यह नहीं कर पाती है।
- तो इसलिए मुझे यह इससे पहले करना होगा।
Hi ! मै _________ । मैं या मेरे जैसा/ऐसा सोंच रखने वाली लड़कियाँ अगर इसके लिए अपने पापा को मनायेंगी तो कैसे मनायेंगी, इसे कविता के रूप में कृष्ण लिखा है। जिसे मैं आज आपको सुनाने जा रही हूँ। जिसका शिर्षक है-
"पिता के नाम पत्र"
आज सुबह जब मैं आँखे खोली,
बस एक ही चीज को मैं सबसे पहले टटोली,
ढूंढी मैं आपके हाथों के छाँव को,
पापा मेरे कदमों को चलना सिखाते आपके पाँव को॥
एक-एक कदम, एक-एक लम्हां
चलना मैंने है आपसे सीखा।
हर मुश्किल को डटकर सामना करना
और आगे बढ़ना मैंने है आपसे सीखा।
मेरे मन में यह ईक्षा पनप रही है
कि करूँ कुछ मैं आपके लिए।
आपसे ज़िद्द कर, विरोध करके भी
करूँ कुछ मैं आपके लिए।
आप मेरे जन्मदाता हो।
आप ही मेरे भाग्यविधाता हो।
मैं जो कुछ भी हूँ, आपके बदौलत हूँ।
मैं करूँ कुछ ऐसा,
जो आपको गौरवान्वित कर जाता हो॥
मेरे पहले साँस से मुझे पाला-पोसा,
मुझे मेरे पैरों पर चलना सिखाया।
मुझे इस जिंदगी के चका-चौंध में
मुझे मेरे जिंदगी के रास्ते दिखाया।
आपको शायद यह मेरी पागलपन लगे।
लोग शायद आपको यह मेरी आवारापन कहे।
सबको शायद यह गुस्सा दिला जाता हो।
पर मैं करूँ कुछ ऐसा,
जो आपको गौरवान्वित कर जाता हो॥
आप ही मेरी जिंदगी के फैसले लें
आप ही मुझे मेरे सुनहरा भविष्य दें।
आप ही के बताए रास्ते पर मैं चलूँ।
पर उस रास्ते को सँवारने के साथ-साथ
सजाने का काम मैं खुद से करूँ।
आपने जो मुझे चलना सिखाया
तो अब मैं खुद के पैरों पर चलना चाहती हूँ।
आपने जो मुझे रास्ते दिखाए,
अब मैं अपने दम पर
उन रास्तो में आगे बढ़ना चाहती हूँ॥
मेरे पहले साँस से मुझे पाला-पोसा,
मुझे मेरे पैरों पर चलना सिखाया।
मैं क्या दूँ जो आपके परवरिश का मोल चुकाऊँ !
पर मैं आपके लिए कुछ करना चाहती हूँ॥
आप मेरे लिए हमसफर ढूंढना,
मेरे जज्बातों का हमकदर ढूंढना।
वो आपके पसंद के जैसा हो,
चाहे गोरा हो या काला हो,
चाहे लंबा हो या नाटा हो।
वो जैसा हो, हो आपकी पसंद का।
उसका आचरण हो आपके मन का।
आप जो भी करते हो मेरे लिए,
मेरे लिए वह अच्छा ही होता है।
आपका हर एक फैसला मेरे लिए अच्छा है,
मुझे आप पर भरोसा होता है॥
जब मैं आप सब से बिछडूँ,
अपने इन कदमों से आपसे दूर चलूँ,
मुझे आपने अपना प्यार दिया हो,
मुझे एक भविष्य दिया हो,
मैं जाते-जाते आपको गौरवान्वित करूँ,
शादी के खर्चे सारे मैं ख़ुद से भरूँ।
आपको शायद यह मेरी पागलपन लगे।
लोग शायद आपको यह मेरी आवारापन कहे।
सबको शायद यह गुस्सा दिला जाता हो।
पर मैं करूँ कुछ ऐसा,
जो आपको गौरवान्वित कर जाता हो॥
जब मैं आप सब से बिछडूँ,
अपने इन कदमों से आपसे दूर चलूँ,
मैं जाते-जाते आपको गौरवान्वित करूँ,
शादी के खर्चे सारे मैं ख़ुद से भरूँ।
बस फिक्र है मेरी तो मुझे इस लायक बना दो
कि जिन्दगी की जरूरतों को खुद से मैं पूरा करूँ॥
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* जिन्दगी में खुद को किसी से compare करने की जरूरत नहीं है। चाहे वो लड़की ही क्यूँ ना हो। आप वो क्यूँ करोगी जो और लोग करते है और आप वह चीज करके खुद को उनसे बेहतर बताओगी? आप वह चीज़ क्यूँ करना चाहतीं हो जो लड़के करते है...? आप क्या खुद को इस लायक नही बना सकती कि कोई आपको देखकर inspire हो सके... क्या आप अपनी limitations तथा जिम्मेदारियों/कर्तव्यों के लायक ख़ुद को नहीं बना सकती ? आप अगर यह कर लो, तो मेरी मानों, आपको कभी किसी के सामने खुद को साबीत करने की ज़रूरत नही पड़ेगी। लोग आपको खुद ही respect देने लगेंगे।
-AnAlone Krishna.
17th March, 2019 A.D.
-AnAlone Krishna.
17th March, 2019 A.D.
Please share it with your own appreciation if my this literary work really deserve it according to you.
आपसे विनम्र निवेदन है कि अगर आपके अनुसार मेरा यह साहित्यिक कृत्य इस योग्य है तो कृपा आप इसे अपने सगे-संबंधियों के साथ अपने तारीफ के चंद शब्दों के साथ साझा करें।
Thanks/धन्यवाद..!
nice poem.
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Thanks again. 🙏🏻