🎤 आखरी बचे लम्हों में जीते हैं 🎙
(आखरी पल को यादगार बनाने की प्रेरणा देते हुए)
कृष्ण कुणाल की लिखी कविता-
🎤 आखरी बचे लम्हों में जीते हैं 🎙
आसमां में गरजता बादल
और चमकता हुआ बिजली
जब थम गए।
रिमझिम बरसता पानी
जब बूँदा-बूंदी बन गए।
एक छोटा सा बच्चा
आगे आकार कहा-
चलो इस कीचड़ में उछलते हैं।
चलो इस आखरी बचे लम्हों में जीते हैं॥
दिन भर का काम करते-करते
जिम्मेदारियों को माथे पे ढोते-ढोते
जब शाम हुए।
नजरों के सामने पेश
चखना और जाम हुए।
एक थका-हारा इंसान
बोतल उठाकर कहा-
चलो दो घूँट इस शराब को पीते हैं।
चलो इस आखरी बचे लम्हों में जीते हैं॥
पाल-पोसकर बड़ा करने के बाद
समय एक अच्छे जीवनसाथी के साथ
भेजने का हुआ।
अपने फूल जैसे सँवारे बच्चे को
खुद से जुदा करने का हुआ।
अपने आँसुओं को छिपाकर
एक पिता ने कहा-
चलो यह जुदाई का पल
खुशी-खुशी विदा करते हैं।
चलो इस आखरी बचे लम्हों में जीते हैं॥
एक खट्टा-मीठा जिंदगी के बाद
धीरे-धीरे आता हुआ बुढ़ापा
हावी होने लगा।
जिंदगी के आखरी पड़ाव के साथ
अंत भी करीब आने लगा।
कमजोरी में ढलते हुए
एक बूढ़े ने कहा-
दो पल नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ खेलते हैं।
चलो इस आखरी बचे लम्हों में जीते हैं॥
एक लंबा समय साथ बिताकर
एक-दूसरे से बिछड़ने का समय
जब करीब आया।
शायद फिर कभी भी न मिलने की
मन में अचानक खयाल समाया।
मेरे कंधे में हाथ रखकर
एक दोस्त ने कहा-
आखिर बिखरने के लिए ही तो फूल खिलते हैं।
चलो इस आखरी बचे लम्हों में जीते हैं॥
-AnAlone Krishna.
Written on; 14th July, 2018 A.D.
Published on; 15th July, 2018 A.D.
On the occassion of farewell giving to the last batch.
Post a Comment
I am glad to read your precious responses or reviews. Please share this post to your loved ones with sharing your critical comment for appreciating or promoting my literary works. Also tag me @an.alone.krishna in any social media to collab.
Thanks again. 🙏🏻