दूसरों को जिंदगी के माईने समझाता था कभी
आज खुद की जिंदगी के माईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
वो भटके हुए हुए मुसाफिर
जो मिलते थे कभी किसी राह में।
वो किसी के इश्क़ में कोई आशिक़
जो मिलते थे कभी किसी की चाह में।
वो मुझसे सही रास्ता पूछा करते थे अक्सर।
इश्क़ करूँ या छोड़ दूँ उनकी गलियों में जाना
वो पूछते थे सलाह मेरी अक्सर मुझसे मिलकर।
पर आज खुद ही खुद के लिए सही सलाहें ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
आज खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
वो कहते थे कि छोड़ना मुश्किल हो रहा है उसे...।
मैं बताता था कि कैसे छोड़ना है किसी को।
वो कहते थे कि भूलना मुश्किल हो रहा है उसे...।
मैं बताता था कि कैसे भुलाना है किसी को।
वो कहते थे कि दिल उससे दूर जाना नहीं चाहता।
मैं बताता था कि दिल को समझाते कैसे हैं।
वो कहते थे कि किसी चीज की चाहत नहीं होती उसके बाद।
तो मैं बताता था उनको कि ख़्वाहिश दिल में जगाते कैसे हैं।
पर आज खुद ही खुद के लिए ख़्वाहिशें ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ रहा हूँ मैं॥
दूसरों को जिंदगी के माईने समझाता था कभी
आज खुद की जिंदगी के माईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
दूसरों को सही रास्ते बताने वाला मैं,
गिरा हूँ बार-बार ठोकर खाकर।
दूसरों को अक्सर संभालने वाला मैं,
टूटा हूँ बार-बार चोट खाकर।
दूसरों को जो कभी मैं बिखरने से बचाया करता था,
आज डरता हूँ कि मैं खुद कहीं बिखर ना जाऊँ।
दूसरों को जो कभी मैं पहले से बेहतर बनाता था,
आज डरता हूँ कि मैं खुद कहीं बदल ना जाऊँ।
आज खुद के दिल को कैद रखने के लिए बंदिशें ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
मैंने इश्क़ तो ना किया था कभी,
या किया था शायद सिर्फ अपने-आप से।
ना जाने कितनो ने मेरी बातें मान ली होंगी,
मैं छुटूँगा कैसे उन टूटे दिलों के श्राप से...?
हाँ, मैंने इश्क़ तो ना किया था कभी,
पर कभी लगाव तो था मुझे अपने-आप से...।
पर अब मेरे इतने ख़्वाब टूट रहे हैं कि...
मुझे डर लगने लगा है मुझे मेरे ही ख़्वाब से।
तो अब कोई अपने लिए फरमाइशें नहीं करूँगा,
बल्कि अब अपने लिए सुकून के पालें ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
दूसरों को जिंदगी के माईने समझाता था कभी
आज खुद की जिंदगी के माईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
वो जो गलतियाँ की है मैंने कभी,
अब उन गलतियों से सबक सीखने की कोशिश कर रहा हूँ।
वो जिन लम्हों को दरकिनार कर दिया था मैंने कभी,
आज उन लम्हों को भी जीने की कोशिश कर रहा हूँ।
मैं जो कभी दूसरों को सही रास्ते दिखाया करता था,
भला मेरे खुद के लिए सही रास्ता ढूँढ़ना कितना मुश्किल होगा!
मैं जो कभी दुसरो को सही और गलत में फर्क बतलाता था,
भला मेरे खुद के लिए सही फैसलें लेना कितना मुश्किल होता!
पर कुछ लोग होंगे जो मेरे बारे में कहेंगे कि देखो,
दूसरों को जिंदगी के माईने समझाता था कभी
आज खुद की जिंदगी के माईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
मैं जो कभी दूसरों की गलतियाँ निकालता था,
आज मैं खुद की गलतियों को तलाश रहा हूँ।
वो कहेंगे कि सबकी खामियाँ बतलाने वाला,
आज मैं खुद की मूरत को तराश रहा हूँ।
वो शायद यह समझ लें कि
अगर मैं गिर गया तो उनसे मैं नीचे गिर गया।
उन्हें शायद यह लगेगा कि
अगर मैं अब भी ना टूटू तो समझो कि मैं बदल गया।
आज मैं खुद कैसा हूँ इसका दूसरों से मुआईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
दूसरों को जिंदगी के माईने समझाता था कभी
आज खुद की जिंदगी के माईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं।
खुद आईना होकर खुद के लिए आईने ढूँढ़ रहा हूँ मैं॥
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बहुत दर्द hai boss💔💔😭
ReplyDelete💝✨👌
ReplyDeleteबहुत दर्द भरा hai gotya 🙏💔💔😭
ReplyDelete__manohar
Bhut hi acha likha h👌👌
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