अगर तुम नहीं तो अब कौन ?
(किसी खास को खोने के याद में उसे लिखा गया)
by AnAlone Krishna
तुम नहीं तो अब कौन ?
अगर छलकेंगे मेरे आँखों से आँसू तो अब पोछेगा कौन ?
रोना चाहे जो दिल मेरा, तो अपने कंधे का सहारा देगा कौन ?
कौन निकालेगा अब मुझे उदासी से ? अब तुम तो चले गए।
जो ना संभाल पाऊँ खुद को बिखरने से तो मुझे संभालेगा कौन...?
जो टूटता था हिम्मत मेरी कभी
तो एक तुम ही तो मुझे हिम्मत दिया करते थे।
जो खोता था यह दिल तन्हाइयों के अंधेरे में
तो तुम ही तो इस दिल की ख़िदमत किया करते थे।
बिखर ना जाऊँ कहीं टूटकर
यह सोंच कर मुझे अक़्सर संभालने पहुँच जाया करते थे खुद ही तुम।
जो आदत बन कर मुझे तुम छोड़ गए हो,
बस याद आते हो हर वक़्त तुम ही तुम॥
अगर छलकेंगे मेरे आँखों से आँसू तो अब पोछेगा कौन ?
रोना चाहे जो दिल मेरा, तो अपने कंधे का सहारा देगा कौन ?
पर देख गौर से एक बार मुड़कर पीछे मुझे।
तेरा सहारा नहीं तो क्या गिर गया हूँ मैं ?
कदमों में भले ही उमंगे नहीं मेरे, पर क्या लड़खड़ा रहा हूँ मैं ?
अरे तुम थे, तो तुम्हें आदत बना ली थी मैंने।
और आज भी तुम्हारी कमी अगर खलती है
तो इसी आदत के कारण।
पर देख गौर से एक बार मुड़कर पीछे मुझे।
तुम नहीं हो आज तो क्या किसी और का सहारा ले लिया हूँ मैं ?
क्या जाम थाम लिया हूँ अपने इन हाँथो में मैं ?
तुम नहीं तो किसी और महबूब के बाँहों में हूँ मैं ?
देख गौर से एक बार मुड़कर पीछे मुझे।
अगर छलकेंगे मेरे आँखों से आँसू तो अब पोछेगा कौन ?
रोना चाहे जो दिल मेरा, तो अपने कंधे का सहारा देगा कौन ?
-AnAlone Krishna
Finished on 30th November, 2022 A.D.
Published on 3rd January, 2023 A.D.

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