● Life की परछाई ●
By AnAlone Krishna
Chapter 1
● Life की परछाई ●
Chapter 1 : An Introduction
अभिलाषा रात को dinner करने के बाद अपने सभी कामों को ख़त्म करके, kitchen ठीक करके अपने कमरे में आई। वह पलंग के पीछे टंगे तौलिए को उठाई और पलंग
पर पैर नीचे झुलाये हुए बैठ कर अपना हाँथ पोंछने लगी। उसका ध्यान अलमारी के ऊपर
रखे box पर गया, जो
किनारे से थोड़ा निकला हुआ था। वह उठकर वहाँ गई और उस box को उतारकर देखने लगी। वहाँ वह अपने बच्चों- Rony और मेहक की चीजें संभाल कर रखा करती थी जिन्हें वह इस्तेमाल करना छोड़ दिया
करते थे। वैसे तो वो दोनों बचपन में जैसे अपनी चीजों का शौक पूरा करने के लिए जिस
तरह एक खरीदवा कर दूसरे को भूलते थे, अब वो यह नहीं करते, पर वह रहेंगे तो अभिषा के बच्चें ही। कुछ ना कुछ चीजों को वह आज भी
इस्तेमाल करना भूल जाते है या छोड़ देते हैं। इसलिए वह आज भी उस बक्से को रखी हुई
है। उसे उतारने पर वह काफी भारी था। वह उसे खोली तो देखी कि उसमें मेहक अपना
पुराना pan stand, notes और books रख दी है। मेहक जानती थी कि उसकी मम्मी उनकी पुरानी और useless हो चुकी सामानों को जरूरतमंद बच्चों में बाँटती है। अभिषा बक्से को वापस
अलमारी के ऊपर रखी। पर उसे वापस रखने के दौरान अलमारी का दरवाजा ठीक से बंद ना
होने के कारण खुल गया। जिससे उसकी नजर अंदर रखे albums पर पड़ी, जिन्हें मेहक box रखकर लौटते वक़्त नज़र पड़ने पर drawing table से उठाकर अलमारी में रख दी थी। वैसे तो अभिषा थोड़ी थकी हुई थी। पर album
को उसे दोबारा देखने को मन हुआ तो वह उन्हें लेकर पलंग में एक पैर
को मोड़कर और एक पैर को नीचे झुलाये बैठ गई।
अभिलाषा album open की, first page, उसके life की first snapshot, जिसे उसके school
function पर perform करने पर principal से prize लेते वक़्त लिया गया था। Fairy
princesses बनी अभिषा, उसके एक तरफ़ पूर्वी और दूसरी ओर सलोनी। तीनों एक ही गाँव की
थी, बस उनका मोहल्ला अलग-अलग था। पूर्वी जिस मोहल्ले में रहा करती थी, वहाँ के लोग बड़े ही सभ्य थे। वो अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों को बहुत
मानते थे। आपसी भाईचारा, और एक दूसरे के प्रति सहयोग की
भावना रखा करते थे। हर सामाजिक कार्यों में मिल-जुलकर और बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया
करते थे। हालांकि कभी कभार उन्हें आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता था, पर एक-दूसरे के साथ की वजह से कोई भी समस्या से वो आसानी से उभर भी जाते
थे। वहीं अभिलाषा जिस मोहल्ले में रहती थी उस समाज की सोंच थोड़ी modern थी। वो रीति-रिवाजों को तो निभाते थे, पर साथ
ही उनपर आधुनिकता का भी प्रभाव था। वो बात-बात पर तर्क-वितर्क किया करते
थे। जिसकी वजह से उनके बीच वैचारिक मतभेद बना रहता था। वो अपनी संस्कृति और
रीति-रिवाजों के बनने या शुरू होने की वजह ढूँढ़ा करते। जिनमें उन्हें नैतिक मूल्य
मिलता वो उन्हें मानते, और जिनमें नहीं मिलता वो उनका
विरोध किया करते थे। इस वजह से बुज़ुर्गो और युवाओं में काफी मतभेद हुआ करता था।
जहाँ युवा अपने बहुत सारे नए-नए सवालों से परेशान रहा करते थे, वहीं बुजुर्ग अपने अनुभवों से उन सवालों का जवाब पाकर युवाओं को समझाने की
कोशिश करते थे। पर युवा अपने कम आयु के कारण उन्हें समझ नहीं पाते। इसलिए जहाँ पूर्वी के समाज के लोग अपने बड़े-बुजुर्गों की बात
मानकर उनका सम्मान करते थें, वहीं अभिषा के समाज में
युवा बात-बात पर बड़ो की बातों का विरोध किया करते। जिस वजह से वो सामाजिक कार्यों जैसे
शादी अथवा मृत्यु में एक साथ आ पाए, कम ही मौकों पर देखा जाता था। वे अपने modern सोंच की वजह से आर्थिक रूप से अच्छे और प्रगतिशील थे। पर इसी के वजह से
इनके बीच अपने नाम, image, और शोहरत की प्रतिस्पर्धा भी
बनी रहती थी। वहीं सलोनी के समाज के लोग अपने बदहाल आर्थिक स्थिति से ग्रसित थे।
अपने कम आय के बावजूद अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों को ढ़ोने का बोझ उनकी सामाजिक
स्थिति को और ज्यादा खराब करता जा रहा था। उन्हें अपने बच्चों की पढ़ाई बीच में
छुड़वाना पड़ता था, पारिवारिक तनाव बना रहता था। अपनी कम
योग्यता के कारण ये बेहतर रोज़गार नहीं तलाश पाते और जितने कमाते उसके अधिकांश
रूढ़िवादी परंपराओं की आड़ में दिखावे और अपनी शौक को पूरा करने में खर्च कर देते।
जिसकी वजह से शराब, जुआ, उधारी, मार-पीट, और गाली-गलौज प्रायः विभिन्न अवसरों
में देखने को मिल ही जाता था।
जैसा कि हम सभी यह
बात जानते हैं कि हमारे पहले गुरु हमारे माता-पिता होते हैं और शिक्षा का प्रथम स्रोत हमारा समाज होता है। विध्यालय और शिक्षकों की भूमिका उसके बाद आती है। पूर्वी , अभिषा और सलोनी के ऊपर भी उनके school और school
teachers से पहले असर उनके परिवार और समाज का पड़ा। और इन सभी
के प्रभाव के साथ उनका personality growth and development उनके physical growth and development के साथ हुआ। अभिषा album का first
page पलटती है, जहाँ बाई ओर दो और
दाईं ओर दो snapshots उसे दिखती है। उसे वहाँ अपने school के अलग-अलग मौकों की अलग-अलग snapshots दिखती
है। एक में उन तीनों को prize मिला, एक साथ मिलकर event में dance करने के लिए। एक में किसी दूसरे event के मौके पे सलोनी को drawing, अभिषा को speech, और पूर्वी को singing के लिए prize मिला। एक में debate से दूसरे school से अपने आपसी विचारों में
तालमेल ना मिल पाने की वजह से हार कर लौटने के बाद सांत्वना लेते हुए। तो एक में zoo के बंदरों को साथ में देखते हुई। अलग-अलग माहौल से आने के बाद भी उन दिनों
उनमें बहुत गहरा friendship हुआ करता था।
अभिषा अपनी बीती जिन्दगी बदल तो नहीं सकती है। फिर भी उन बीते पलों
की अच्छी-बुरी सभी यादों को album में समेट कर रखी
हुई है। और जब भी जिंदगी में घुटन महसूस होने लगता, या
बीते लम्हों की याद आने लगती, वह उन्हें देखती है, और दो-चार आँसू भी बहाती है। उसके जिंदगी के मुश्किल दिनों में इनसे काफ़ी आराम मिला
उसे। साथ ही आने वाले जिंदगी को बेहतर बनाने की उम्मीद भी और हौसला भी।
अभिषा अपनी बीती जिन्दगी बदल तो नहीं सकती है। फिर भी उन बीते पलों
की अच्छी-बुरी सभी यादों को album में समेट कर रखी
हुई है। और जब भी जिंदगी में घुटन महसूस होने लगता, या
बीते लम्हों की याद आने लगती, वह उन्हें देखती है, और दो-चार आँसू भी बहाती है। उसके जिंदगी के मुश्किल दिनों में इनसे काफ़ी आराम मिला
उसे। साथ ही आने वाले जिंदगी को बेहतर बनाने की उम्मीद भी और हौसला भी।
अभिषा अपनी बीती जिन्दगी बदल तो नहीं सकती है। फिर भी उन बीते पलों
की अच्छी-बुरी सभी यादों को album में समेट कर रखी
हुई है। और जब भी जिंदगी में घुटन महसूस होने लगता, या
बीते लम्हों की याद आने लगती, वह उन्हें देखती है, और दो-चार आँसू भी बहाती है। उसके जिंदगी के मुश्किल दिनों में इनसे काफ़ी आराम मिला
उसे। साथ ही आने वाले जिंदगी को बेहतर बनाने की उम्मीद भी और हौसला भी।
अभिषा अपनी बीती जिन्दगी बदल तो नहीं सकती है। फिर भी उन बीते पलों
की अच्छी-बुरी सभी यादों को album में समेट कर रखी
हुई है। और जब भी जिंदगी में घुटन महसूस होने लगता, या
बीते लम्हों की याद आने लगती, वह उन्हें देखती है, और दो-चार आँसू भी बहाती है। उसके जिंदगी के मुश्किल दिनों में इनसे काफ़ी आराम मिला
उसे। साथ ही आने वाले जिंदगी को बेहतर बनाने की उम्मीद भी और हौसला भी।
अभिषा page पलटती है। वह देखती है
उन snapshots को जो उसके school
tour के दौरान लिए गए थे। उस वक्त उन्हें camera ले जाने की permission नहीं थी और mobile
phones का उस समय उतना चलन भी नहीं हुआ करता था। घर पर अगर
होता तो भी बच्चों को नहीं दिया जाता था इस डर से कि कहीं वो खराब ना कर दें। तो
फिर school tour के लिए बच्चों को teachers के restrictions लगाने से पहले घरवाले ही
मना कर देते। ये सारी pictures जो अभिषा के album में है, वो सभी वो school management से बाद
में निकलवाई है। उसके teachers friendly थे। वह जिस family background से थी वहाँ
तो courage ही हुआ करता था बड़ों से अपना individual
philosophical ideologies को लेकर विवाद करने का। इसलिए चाहे
गलत हो या सही, उसका भी habit बन गया था without hesitation teachers से किसी भी topic में doughs पूछने का। इसलिए वह frankly उनसे जाकर उन events की snapshots भी collect कर लिया करती जिनमें खासकर वह participates किया करती थी यह बोलकर कि, “हमारी जिंदगी की बीती यादों को अगर हमें नहीं
दीजिएगा तो क्या आप इसे बाद देखकर याद करके रोईएगा !”
मगर उसके जगह अगर पूर्वी होती तो उसे जरूर hesitation होता, और वह दस बार सोंचती कि teachers का
क्या reaction होगा अगर वह उनसे snapshots मांगेगी तो..। क्यूंकी वह जिस समाज मे रहती थी, वहाँ बड़ों से ऐसा कोई बात नहीं कर सकती थी जो शायद उन्हें गुस्सा दिला दे।
उनके philosophical concepts के खिलाफ़ जाने और बहस
करने का सीधा अर्थ यह होता कि वह उनका disrespect कर
रही है। और अपने संस्कार, संकृति भूलकर भटक रही है।
जिसके वजह से वह अपने life में किसी से बात करने
में hesitate करती, खासकर
के अपने से बड़ों के सामने। और आगे चलकर यही उसका habit हो गया।
पर अगर बात करे सोलोनी की तो वह मुँहफट हो गई। जो मुँह में आए वो
बोलती और जो जी करता वो करती। जिससे उसके हर किसी से रिश्ते खराब होने लगा और teachers के सामने impression खराब होता गया। जिससे
बात-बात पे वह गलती किया करती। जिसके कारण
teachers जब उसे डाँटते-समझाते तो अपनी नासमझी में ये सब उसे
अच्छा नहीं लगता, और जिसके बाद वह teachers से कोई closeness नहीं रखने लगी। वह बस
अपने-आप से मतलब रखने लगी। पर देखा जाए तो इसमें उसकी भी गलती उतनी नहीं है, उसे वैसा माहौल ही मिला जिसके कारण उसका personality
development वैसा हुआ। वह अगर अभिषा या पूर्वी के जैसी होती तो अपने समाज के माहौल में
रह पाना उसके लिए काफी मुश्किल होता। इसे अच्छी तरह समझने के लिए आप G.B.
Shaw के "Pygmalion" को
पढ़ सकते हो।
Just wait for a moment, मैं तो उनके middle teen
age के बारे में बताने लगा। Sorry for that. Krishna तो story को एक side से ही लिखा है। वो भी कुछ इस
तरह कि अभिषा जैसे-जैसे album को पलटते जा रही है, एक के बाद एक show हो रहे snapshots की detailing and descriptions के through
Krishna story को continue लिखता
गया हो। मतलब अभिषा वहाँ बैठ कर जैसे-जैसे album पलटे
हुए जो-जो जैसे-जैसे याद किये जा रही थी, वैसे-वैसे कृष्ण उन यादों को लिखते जा
रहा हो। उन अहसासों के साथ जो अभिषा उस वक्त feel करते
जा रही थी। जैसे अभिषा उसके सामने बैठी हुई हो। इसलिए तो इसका title वह “The Tales Of The Snapshots” रख रहा था। पर मैं
आपको अलग अंदाज में बता रहा हूँ क्यूंकी आजकल उसके talent की उतनी कद्र नहीं होती है। वह जब भी कोई post करता है तो शायद ही कोई पढ़ता हो..। क्या पता यह जो लिख रहा है वो भी कोई पढ़े
या ना पढ़े। इसलिए उसे change करके मैंने “Life की परछाई” कर दी, और मैं कोशिश करूँगा की उसके art of story writing को ज्यादा show-off ना करते हुए जहाँ तक
हो सके मैं इसे simple and short में रखते हुए उसके actual
concept and message को बताने की कोशिश करूँ।
तो story आगे continue करते हैं...
-AnAlone Krishna.
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